मौत का वà¥à¤°à¤¤ - आखिर जिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤° कौन
Author
Rajeev ChoudharyDate
13-Oct-2016Category
लेखLanguage
HindiTotal Views
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Sandeep AryaUpload Date
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13 वरà¥à¤· की इस बचà¥à¤šà¥€ आराधना की मौत का जिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤° कौन है?
हमारे देश में मीडिया और नेता हर à¤à¤• मौत के जिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤° को ढूंढ लेते है. लाशें सूंघकर मृतक का धरà¥à¤® उसकी जाति और उसकी मौत का कारण खोज लेते है. कहीं धरà¥à¤® तो कहीं वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ को दोषी ठहरा देते है. रोहित वेमà¥à¤²à¤¾ की आतà¥à¤®à¤¹à¤¤à¥à¤¯à¤¾ के बाद मैंने मनà¥à¤¸à¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ को जलते देखा, अखलाक की हतà¥à¤¯à¤¾ पर अवारà¥à¤¡ लौटाते बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿à¤œà¥€à¤µà¥€ देखे. शहीद फौजी वीरसिंह को निचली जाति का होने कारण उसके अंतिम संसà¥à¤•à¤¾à¤° के लिठ2 गज जमीन के लिठà¤à¤Ÿà¤•à¤¤à¥‡ उसके परिजन देखे. टीपू सà¥à¤²à¥à¤¤à¤¾à¤¨ और महाराणा पà¥à¤°à¤¤à¤¾à¤ª की जयंती के लिठà¤à¤—ड़ते नेता देखे पर आज à¤à¤• 13 साल की जैन परिवार की à¤à¤• बचà¥à¤šà¥€ की मौत पर या कहो या धारà¥à¤®à¤¿à¤• मौत पर सबको खामोश देखा. कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ जैन समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ की वोट कम है या उसकी मौत को कà¥à¤ªà¥à¤°à¤¥à¤¾ की à¤à¥‡à¤‚ट नहीं मानते? आखिर समाज की परमà¥à¤ªà¤°à¤¾à¤“ं के लिठमाता-पिता की इचà¥à¤›à¤¾à¤“ं के लिठकब तक मासूमों को इन कà¥à¤ªà¥à¤°à¤¥à¤¾à¤“ं के लिठअपनी जान कà¥à¤°à¥à¤¬à¤¾à¤¨ करनी पड़ेगी? कà¥à¤¯à¤¾ ये सही था कि à¤à¤• 13 साल कि मासूम लड़की को 68 दिनों का वà¥à¤°à¤¤ रखने की अनà¥à¤®à¤¤à¤¿ दी गई? कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ किसी ने उसको मना नहीं किया, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ लोग उसको समà¥à¤®à¤¾à¤¨ दे रहे थे? कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ किसी ने इसका विरोध नहीं किया? कà¥à¤¯à¤¾ धारà¥à¤®à¤¿à¤• नेताओं जैन मà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को नहीं पता होता कि किस बात की अनà¥à¤®à¤¤à¤¿ की जाठऔर किसकी नहीं. कà¥à¤¯à¤¾ कोई बता सकता है कि 13 वरà¥à¤· की इस बचà¥à¤šà¥€ आराधना की मौत का जिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤° कौन है?
अतà¥à¤¯à¤‚त कठिन तपसà¥à¤¯à¤¾ वाला वà¥à¤°à¤¤ रखने वाली छातà¥à¤°à¤¾ का नाम अराधना था. आंधà¥à¤° पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ में ककà¥à¤·à¤¾ आठमें पà¥à¤¨à¥‡ वाली 13 वरà¥à¤·à¥€à¤¯ छातà¥à¤°à¤¾ आराधना की 68 दिन का निरà¥à¤œà¤²à¤¾ वà¥à¤°à¤¤ पूरा करने के बाद मौत हो गई. आराधना जैन परिवार से थी. वह जैनियों के पवितà¥à¤° समय चैमासा के दौरान वà¥à¤°à¤¤ शà¥à¤°à¥‚ किया था. वà¥à¤°à¤¤ पूरा होने के दो दिन बाद अराधना की तबीयत खराब हà¥à¤ˆ थी जिसके बाद उसे असà¥à¤ªà¤¤à¤¾à¤² में à¤à¤°à¥à¤¤à¥€ कराया गया था. घर वालों ने बताया कि हारà¥à¤Ÿ अटैक से किशोरी की मौत हो गई. बाल तपसà¥à¤µà¤¨à¥€ के नाम से मशहूर हà¥à¤ˆ किशोरी की मौत के बाद उसके अंतिम संसà¥à¤•à¤¾à¤° में सैकडो़ लोगों का हà¥à¤œà¥‚म उमड़ा. अराधना की शव यातà¥à¤°à¤¾ में करीब 600 लोगों ने à¤à¤¾à¤— लिया। इस यातà¥à¤°à¤¾ को शोà¤à¤¾ यातà¥à¤°à¤¾ नाम दिया गया था. यानि के à¤à¤• धारà¥à¤®à¤¿à¤• कà¥à¤°à¥‚तियों की à¤à¥‡à¤‚ट चà¥à¥€ à¤à¤• बचà¥à¤šà¥€ की मौत पर जशà¥à¤¨ मनाया जा रहा था. पà¥à¤²à¤¿à¤¸ के मà¥à¤¤à¤¾à¤¬à¤¿à¤• जैन समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ से तालà¥à¤²à¥à¤• रखने वाले लकà¥à¤·à¥à¤®à¥€à¤šà¤‚द का शहर में गहनों का वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¤¾à¤¯ है. जिसमें पिछले कà¥à¤› दिनों से घाटा चल रहा है. चेनà¥à¤¨à¤ˆ के किसी संत ने इसका समाधान बताते हà¥à¤ लकà¥à¤·à¥à¤®à¥€à¤•à¤¾à¤‚त को कहा की यदि उनकी बेटी 68 दिनों का चातà¥à¤°à¥à¤®à¤¾à¤¸ वà¥à¤°à¤¤ रखे तो बिजनेस में मà¥à¤¨à¤¾à¤«à¥‡ के साथ उनका à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯à¥‹à¤¦à¤¯ à¤à¥€ हो जाà¤à¤—ा.
हमारे देश में धरà¥à¤® के नाम पर न जाने à¤à¤¸à¥€ कितनी कà¥à¤ªà¥à¤°à¤¥à¤¾à¤à¤‚ आज à¤à¥€ अपने पैर जामये हà¥à¤ हैं, जिनके बारे में अधिकतर लोगों को कà¥à¤› पता ही नहीं होता है. जैन समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ की सदसà¥à¤¯ लता जैन का कहना है कि यह à¤à¤• रसà¥à¤® सी हो गई है कि लोग खाना और पानी तà¥à¤¯à¤¾à¤—कर खà¥à¤¦ को तकलीफ पहà¥à¤‚चाते हैं. à¤à¤¸à¤¾ करने वालों को धारà¥à¤®à¤¿à¤• गà¥à¤°à¥ और समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ वाले काफी समà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤¿à¤¤ à¤à¥€ करते हैं. उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ तोहफे दिठजाते हैं. लेकिन इस मामले में तो लड़की नाबालिग थी. मà¥à¤à¥‡ इसी पर आपतà¥à¤¤à¤¿ है. अगर यह हतà¥à¤¯à¤¾ नहीं तो आतà¥à¤®à¤¹à¤¤à¥à¤¯à¤¾ तो जरूर है. कि किशोरी को सà¥à¤•à¥‚ल छोड़कर वà¥à¤°à¤¤ पर बैठने की अनà¥à¤®à¤¤à¤¿ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ दी गई.? सब जानते है इस पà¥à¤°à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ को चैमासा वरà¥à¤¤ या संथारा के नाम से जानते है. . à¤à¤—वान महावीर के उपदेशानà¥à¤¸à¤¾à¤° जनà¥à¤® की तरह मृतà¥à¤¯à¥ को à¤à¥€ उतà¥à¤¸à¤µ का रूप दिया जा सकता है. संथारा लेने वाला वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ à¤à¥€ खà¥à¤¶ होकर अपनी अंतिम यातà¥à¤°à¤¾ को सफल कर सकेगा, यही सोचकर संथारा लिया जाता है.
संथारे को जैन धरà¥à¤® का महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ हिसà¥à¤¸à¤¾ बताया जाता है लेकिन आज तक à¤à¤¸à¤¾ à¤à¤• à¤à¥€ मामला सामने नहीं आया है जब किसी à¤à¥€ बड़े जैन मà¥à¤¨à¤¿ ने अपना जीवन समापà¥à¤¤ करने के लिठसंथारे का मारà¥à¤— अपनाया हो. यहां तक कि जैन धरà¥à¤® के पà¥à¤°à¤®à¥à¤– धारà¥à¤®à¤¿à¤• संत आचारà¥à¤¯ तà¥à¤²à¤¸à¥€, जिनका 1997 में निधन हो गया था और न ही उनकी धारà¥à¤®à¤¿à¤• विरासत के वारिस आचारà¥à¤¯ महापà¥à¤°à¤œà¥à¤ž, जिनकी 2010 में मृतà¥à¤¯à¥ हो गई थी, दोनों में से किसी ने à¤à¥€ सà¥à¤µà¥ˆà¤šà¥à¤›à¤¿à¤• मौत यानि के संथारा का रासà¥à¤¤à¤¾ नहीं चà¥à¤¨à¤¾ था, बलà¥à¤•à¤¿ दोनों धरà¥à¤®à¤—à¥à¤°à¥à¤“ं की मृतà¥à¤¯à¥ लंबी बीमारी के बाद हà¥à¤ˆ थी.
कà¥à¤› समय पहले राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ हाईकोरà¥à¤Ÿ ने संथारा को à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ दंड संहिता 306 तथा 309 के तहत दंडनीय बताया था और इस पà¥à¤°à¤¥à¤¾ को आतà¥à¤®à¤¹à¤¤à¥à¤¯à¤¾ जैसा बताकर रोक लगा दी थी जिसके बाद जैन समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ सड़कों पर उतर गया था. 2015 में सà¥à¤ªà¥à¤°à¥€à¤® कोरà¥à¤Ÿ ने जैन समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ को संथारा नामक धारà¥à¤®à¤¿à¤• परंपरा को जारी रखने की अनà¥à¤®à¤¤à¤¿ दी थी. हालाà¤à¤•à¤¿ à¤à¤¸à¤¾ नहीं है कि समसà¥à¤¤ जैन समाज इसके पकà¥à¤· में था जबकि जैन समाज का à¤à¤• बड़ा हिसà¥à¤¸à¤¾ इसके विरोध में à¤à¥€ था किसी ने संथारा को अमानवीय à¤à¤µà¤‚ किसी ने धारà¥à¤®à¤¿à¤• परंपरा के नाम पर à¤à¥‚खे रहने को मजबूर किया जाना बताया था.
अब सवाल यह कि तà¥à¤¯à¥Œà¤¹à¤¾à¤° और परमà¥à¤ªà¤°à¤¾à¤“ के नाम पर देश के जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾à¤¤à¤° लोग धारà¥à¤®à¤¿à¤• हो जाते हैं तथा हिंसा से हर संà¤à¤µ बचने का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ à¤à¥€ करते हैं. जैन समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ के लोग अहिंसावादी à¤à¥€ बनते दिखाई दे जाते है पर इस तरह की à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤•, शारीरिक, मानसिक, हिंसा में शामिल होते समय इनका विवेक कहाठसो जाता है? कà¥à¤¯à¤¾ कà¥à¤ªà¥à¤°à¤¥à¤¾ बंद होने से धरà¥à¤® को कोई हानि होती है? धरà¥à¤®à¤—à¥à¤°à¥à¤“ं को आज सोचना होगा हर à¤à¤• धरà¥à¤®à¤¿à¤• मामला चाहें वो संथारा हो या तीन तलाक, अथवा बली पà¥à¤°à¤¥à¤¾ हो या जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ बचà¥à¤šà¥‡à¤‚ पैदा करने को लेकर विवाद कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ आज इन सब में नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¾à¤²à¤¯à¥‹à¤‚ को हसà¥à¤¤à¤•à¥à¤·à¥‡à¤ª करना पड़ रहा है! जबकि समाज के अनà¥à¤¦à¤° धरà¥à¤® की à¤à¤• सरंचनातà¥à¤®à¤• कारà¥à¤¯ à¤à¥‚मिका होती है धरà¥à¤® हमें समà¤à¤¾à¤¨à¥‡ के वैचारिक रूप देता है अनà¥à¤¯ शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ में कहें तो धरà¥à¤® हमे मानवीय अमानवीय दà¥à¤°à¤·à¥à¤Ÿà¤¿à¤•à¥‹à¤£ पर चिंतन का ढांचा देता है जिससे समय के साथ मनà¥à¤·à¥à¤¯ के वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° में परिवरà¥à¤¤à¤¨ दिखाई देता है. धरà¥à¤® की à¤à¤• समाज के अनà¥à¤¦à¤° à¤à¤• बोदà¥à¤§à¤¿à¤• à¤à¥‚मिका होनी चाहिठन की परमà¥à¤ªà¤°à¤¾à¤—त तपसà¥à¤¯à¤¾ या उपवास रखने में किसी à¤à¥€ तरह की जोर जबरदसà¥à¤¤à¥€ नहीं की जानी चाहिà¤. यह à¤à¤• तà¥à¤°à¤¾à¤¸à¤¦à¥€ है और हमें इससे सबक लेना चाहिà¤. इस मामले की पà¥à¤²à¤¿à¤¸ में शिकायत दरà¥à¤œ की जानी चाहिठऔर बाल अधिकार आयोग को कड़ी कारà¥à¤°à¤µà¤¾à¤ˆ करनी चाहिà¤. à¤à¤• नाबालिग बचà¥à¤šà¥€ से हम à¤à¤¸à¥‡ किसी फैसले को लेने की उमà¥à¤®à¥€à¤¦ नहीं कर सकते जो कि उसकी जिंदगी के लिठखतरा है. आखिर उसकी मौत का à¤à¥€ तो कोई जिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤° होगा?
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