à¤à¤• ईशà¥à¤µà¤° की à¤à¤• सृषà¥à¤Ÿà¤¿ संसार के सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ का à¤à¤• धरà¥à¤® होने का संकेत देती है
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Manmohan Kumar AryaDate
13-Dec-2016Category
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Sandeep AryaUpload Date
13-Dec-2016Download PDF
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वेद व वैदिक साहितà¥à¤¯
संसार में यह नियम देखने में आता है कि इसकी पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• वसà¥à¤¤à¥ वा पदारà¥à¤¥ किसी रचयिता के बनाने से ही बनता है। बिना किसी के बनाये संसार में सà¥à¤µà¤¤à¤ƒ कà¥à¤› नहीं बनता है। किसान खेती करता है तो अनà¥à¤¨ उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ होता है। फलों का वृकà¥à¤· लगायें तो फल लगेंगे व हमें मिलेंगे। हरी तरकारियां यदि किसान व हम लगायेंगे, तà¤à¥€ वह हमें मिलेंगी। à¤à¤¸à¤¾ नहीं है कि बिना विधि विधान के कारà¥à¤¯ के कोई वसà¥à¤¤à¥ अपने आप बन जाये। संसार में हम यह à¤à¥€ देखते हैं कि कà¥à¤› वसà¥à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤‚ हमसे पूरà¥à¤µ हमारे पूरà¥à¤µà¤œà¥‹à¤‚ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ बनाई गई हैं। हम उसका उपयोग करते हैं। कà¥à¤› हमारे समय के लोग निरà¥à¤®à¤¾à¤£ आदि कारà¥à¤¯ कर रहे हैं जिनका उपयोग वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ व à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ के लोग करेंगे। कà¥à¤› पदारà¥à¤¥ व वसà¥à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤‚ à¤à¤¸à¥€ à¤à¥€ है कि जिनके बनाने वाले का पता अजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€, अलà¥à¤ªà¤œà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€ व पठित अधारà¥à¤®à¤¿à¤• व नासà¥à¤¤à¤¿à¤• लोगों को नहीं है। जो वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ खाओं, पीयो और सà¥à¤–ी रहो, के नासà¥à¤¤à¤¿à¤• विचारधारा के सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤ को मानते हैं, वह पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के वासà¥à¤¤à¤µà¤¿à¤• रहसà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को नहीं जान सकते। इस पर à¤à¥€ यदि वेद ओर वैदिक साहितà¥à¤¯ का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ किया जाये तो सृषà¥à¤Ÿà¤¿ की उतà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ à¤à¤µà¤‚ सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के अनादि व नितà¥à¤¯ पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ तो होता ही है, इस सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के रचयिता के सà¥à¤µà¤°à¥‚प व सृषà¥à¤Ÿà¤¿ को बनाने के पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤œà¤¨ का à¤à¥€ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ हो जाता है। महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ काल के बाद बचे हà¥à¤ लोगों के आलसà¥à¤¯ व पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤¦ के कारण अजà¥à¤žà¤¾à¤¨ छा जाने से हमारे पूरà¥à¤µà¤œ वैदिक जà¥à¤žà¤¾à¤¨ व रहसà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ à¤à¥‚ल चà¥à¤•à¥‡ थे परनà¥à¤¤à¥ महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ ने अपने समय में अपूरà¥à¤µ पà¥à¤°à¥à¤·à¤¾à¤°à¥à¤¥ करके विलà¥à¤ªà¥à¤¤ वैदिक जà¥à¤žà¤¾à¤¨ को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ किया और संसार में अनेकानेक रहसà¥à¤¯à¥‹à¤‚ पर से परà¥à¤¦à¤¾ हटा दिया।
वेद व वैदिक साहितà¥à¤¯ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° संसार में तीन अनादि व नितà¥à¤¯ पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ का असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ हैं। यह तीन पदारà¥à¤¥ ईशà¥à¤µà¤°, जीव à¤à¤µà¤‚ पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ हैं। ईशà¥à¤µà¤° व जीव चेतन पदारà¥à¤¥ हैं तथा पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ जड़ पदारà¥à¤¥ है। ईशà¥à¤µà¤° à¤à¤• सरà¥à¤µà¤µà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤•, निराकार à¤à¤µà¤‚ सरà¥à¤µà¤¾à¤¤à¤¿à¤¸à¥‚कà¥à¤·à¥à¤® चेतन सतà¥à¤¤à¤¾ है। इसका सà¥à¤µà¤°à¥‚प सचà¥à¤šà¤¿à¤¦à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦, सरà¥à¤µà¤œà¥à¤ž, सरà¥à¤µà¤¶à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¨, नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤•à¤¾à¤°à¥€, दयालà¥, अजनà¥à¤®à¤¾, निरà¥à¤µà¤¿à¤•à¤¾à¤°, अनादि, अनà¥à¤ªà¤®, सरà¥à¤µà¤¾à¤§à¤¾à¤°, सरà¥à¤µà¥‡à¤¶à¥à¤µà¤°, सरà¥à¤µà¤µà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤•, सरà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤°à¥à¤¯à¤¾à¤®à¥€, अजर, अमर, अà¤à¤¯, नितà¥à¤¯, पवितà¥à¤° और सृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤•à¤°à¥à¤¤à¤¾ आदि है। जीवातà¥à¤®à¤¾ à¤à¥€ ईशà¥à¤µà¤° की ही तरह अनादि व नितà¥à¤¯ है तथा अविनाशी à¤à¤µà¤‚ अनà¥à¤¤à¤¹à¥€à¤¨ है। यह जीवातà¥à¤®à¤¾ à¤à¥€ चेतन है, आकार रहित है, सूकà¥à¤·à¥à¤® ओर अलà¥à¤ªà¤œà¥à¤ž है, à¤à¤•à¤¦à¥‡à¤¶à¥€ व ससीम है तथा पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¹ से अनादि सृषà¥à¤Ÿà¤¿ में शà¥à¤ व अशà¥à¤ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ के बनà¥à¤§à¤¨à¥‹à¤‚ में बनà¥à¤§à¤¾ हà¥à¤† है। करà¥à¤® बनà¥à¤§à¤¨ के परिणामसà¥à¤µà¤°à¥‚प ही पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¤¨à¥à¤® में इसका अनेकानेक योनियों में जनà¥à¤® होना है। अलà¥à¤ªà¤œà¥à¤žà¤¤à¤¾ के कारण यह अविदà¥à¤¯à¤¾ से यà¥à¤•à¥à¤¤ हो जाता है जिसे दूर करने का उपाय वेद à¤à¤µà¤‚ वैदिक जà¥à¤žà¤¾à¤¨ का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨, धारण व आचरण है। पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ जड़ व संवेदनाशूनà¥à¤¯ अचेतन पदारà¥à¤¥ है। जड़ व अचेतन होने से इसे सà¥à¤– व दà¥à¤ƒà¤– नहीं होता। यह अपने मूल सà¥à¤µà¤°à¥‚प में सूकà¥à¤·à¥à¤® होने सहित सतà¥à¤µ, रज व तम तीन गà¥à¤£à¥‹à¤‚ वाली है। इस मूल पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ से ही परमातà¥à¤®à¤¾ जो सृषà¥à¤Ÿà¤¿ का निमितà¥à¤¤ कारण है, साकार जगत व बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤£à¥à¤¡ को बनाता है। इस जà¥à¤žà¤¾à¤¨ को वेद व वैदिक साहितà¥à¤¯ में पà¥à¤•à¤° यही निषà¥à¤•à¤°à¥à¤· निकलता है कि इस संसार में ईशà¥à¤µà¤° à¤à¤• व केवल à¤à¤• ही है और उसकी बनाई हà¥à¤ˆ यह रचना सृषà¥à¤Ÿà¤¿ à¤à¥€ कारण, कारà¥à¤¯ की दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से à¤à¤• ही है। यह तथà¥à¤¯ है कि à¤à¤• रचनाकार की सà¤à¥€ रचनायें परसà¥à¤ªà¤° पूरक ही होती हैं। यह वैदिक सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤ है जो वैदिक विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ से पà¥à¤·à¥à¤Ÿ है। हमारे बहà¥à¤¤ से à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• à¤à¤¸à¥‡ à¤à¥€ हà¥à¤ हैं जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने इस सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤ को माना है। समसà¥à¤¤ संसार इस सृषà¥à¤Ÿà¤¿ को अनादि व नितà¥à¤¯ नहीं मानता अपितॠकरोड़ों व कà¥à¤› अरब वरà¥à¤· पूरà¥à¤µ निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ हà¥à¤ˆ ही मानता है। अपने आप, बिना किसी अनà¥à¤¯ चेतन जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¸à¥à¤µà¤°à¥‚प सतà¥à¤¤à¤¾ के बनाये, तो यह इस रूप में कदापि बन नहीं सकती थी। अतः संसार में à¤à¤• अपौरूषेय सतà¥à¤¤à¤¾ ‘‘ईशà¥à¤µà¤°” सिदà¥à¤§ होती है। जो वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ इस सतà¥à¤¯ सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤ को नहीं मानते तो इसका यही अरà¥à¤¥ निकलता है कि वह जान कर à¤à¥€ अनजान हैं। इसे इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° à¤à¥€ कह सकते हैं कि वह अपने कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° के जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€ हो सकते हैं परनà¥à¤¤à¥ वेदों का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ न करने व वैदिक जीवन न जीने के कारण और इसके साथ ही उनका अपना धारà¥à¤®à¤¿à¤• मत वेद मत से इतर होने के कारण वह वैदिक सतà¥à¤¯ मत को सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° करने का साहस नहीं कर पाते।
समà¥à¤ªà¥à¤°à¤¤à¤¿ संसार में अनेकानेक मत-मतानà¥à¤¤à¤° हैं जिनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ आज मत, पंथ, समà¥à¤ªà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯ व मजहब न कहकर धरà¥à¤® की ही संजà¥à¤žà¤¾ दी जा रही है। इन मतों की बहà¥à¤¤ सी मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ समान हैं और अनेक मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ परसà¥à¤ªà¤° विरà¥à¤¦à¥à¤§ à¤à¥€ हैं जिनसे सतà¥à¤¯, तरà¥à¤• व यà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ पर विचार करने पर मनà¥à¤·à¥à¤¯ के पूरà¥à¤£ हित व कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ को सिदà¥à¤§ करने वाली सिदà¥à¤§ नहीं होती। ईशà¥à¤µà¤° कà¤à¥€ यह नहीं चाहेगा कि उसके बनायें हà¥à¤ मनà¥à¤·à¥à¤¯ अनेक समूहों, मत, पनà¥à¤¥à¥‹à¤‚ व तथाकथित धरà¥à¤®à¥‹à¤‚ को मानें। वह तो यही चाहेगा कि सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯ उसके सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के विजà¥à¤žà¤¾à¤¨, विधान व नियमों का पालन करने के साथ अपनी à¤à¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤¿ दूर करने के लिठसृषà¥à¤Ÿà¤¿ के आरमà¥à¤ में दिये हà¥à¤ ‘‘वेद” जà¥à¤žà¤¾à¤¨ का उपयोग करें। हमारे देश में सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के आरमà¥à¤ से ही ऋषयों की परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ रही है। ऋषि कहते ही उसे हैं जो ईशà¥à¤µà¤° व सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के सà¤à¥€ रहसà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को सतà¥à¤¯ सतà¥à¤¯ जानता हो। ऋषि की यह à¤à¥€ योगà¥à¤¯à¤¤à¤¾ होती है कि उसने योगाà¤à¥à¤¯à¤¾à¤¸ कर ईशà¥à¤µà¤° के सतà¥à¤¯ सà¥à¤µà¤°à¥‚प को जाना व देखा (साकà¥à¤·à¤¾à¤¤à¥ किया हà¥à¤†)-समà¤à¤¾-अनà¥à¤à¤µ किया हà¥à¤† होता है। उसका इस विषय का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ à¤à¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से यà¥à¤•à¥à¤¤ न होकर à¤à¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤¿ रहित होता है। वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ यà¥à¤— के विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ व वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤•à¥‹à¤‚ से अधिक जà¥à¤žà¤¾à¤¨ रखने वाले हमारे ऋषियों ने कà¤à¥€ ईशà¥à¤µà¤° के असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ व उसके जà¥à¤žà¤¾à¤¨ वेद के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ शंका नहीं की। वेदों का महतà¥à¤µ इस कारण से à¤à¥€ है कि सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के आरमà¥à¤ से लेकर महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ काल तक, जो कि वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ से लगà¤à¤— पांच हजार वरà¥à¤· पूरà¥à¤µ था, संसार में केवल व à¤à¤•à¤®à¤¾à¤¤à¥à¤° वेद मत ही पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ था, अनà¥à¤¯ वेदेतर कोई मत नहीं था। इसलिठनहीं था कि उसकी आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ ही नहीं थी। आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ इस लिठनहीं थी कि वेद मत निà¤à¥à¤°à¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤ व सतà¥à¤¯ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ था। यदि वेद मत में किंचित à¤à¥€ कमी होती तो हमारे पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ ऋषि उन à¤à¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को दूर कर देते। इसी कारण महाà¤à¤¾à¤°à¤¤à¤•à¤¾à¤² तक वेद से इतर कोई मत संसार में उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ नहीं हà¥à¤† व हो सका। महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ (1825-1883) ने अपने अपूरà¥à¤µ पà¥à¤°à¥à¤·à¤¾à¤°à¥à¤¥ और अपनी उचà¥à¤š यौगिक कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾à¤“ं से महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ व उससे पूरà¥à¤µ कालिक सतà¥à¤¯ वैदिक मत का अनà¥à¤¸à¤‚धान कर उसे पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ किया और उसे पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° से पूरà¥à¤µ सतà¥à¤¯ की कसौटी पर कस कर समसà¥à¤¤ मनà¥à¤·à¥à¤¯ जाति के कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ के लिठपातà¥à¤° वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को सौंप दिया।
वैदिक धरà¥à¤® ही संसार का सरà¥à¤µà¤¾à¥‡à¤¤à¥à¤¤à¤®, पूरà¥à¤£, सतà¥à¤¯, संसार में सà¥à¤– व शानà¥à¤¤à¤¿ सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ करने वाला, संसार के सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ ही नहीं अपितॠसà¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को परमातà¥à¤®à¤¾ की सनà¥à¤¤à¤¾à¤¨ मानने वाला, सबका कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ चाहने व करने वाला, किसी को हेय व निमà¥à¤¨ अथवा धरà¥à¤® विरोधी मानकर उसके वध का पà¥à¤°à¤¾à¤µà¤¿à¤§à¤¾à¤¨ न करने वाला आदि अनेकानेक गà¥à¤£à¥‹à¤‚ से समà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ है। वेद से ही हमें ईशà¥à¤µà¤° के सचà¥à¤šà¥‡ सà¥à¤µà¤°à¥‚प के साथ जीवातà¥à¤®à¤¾ और पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के सतà¥à¤¯ सà¥à¤µà¤°à¥‚प का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता है। अनà¥à¤¯ मतों में यह विशेषता नहीं है कि वह अपने-अपने गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ से ईशà¥à¤µà¤°, जीवातà¥à¤®à¤¾ व सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के सतà¥à¤¯ रहसà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ करा सकें। वेदों का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ व आचरण कर ही संसार में अनेकानेक ऋषि मà¥à¤¨à¤¿, राम, कृषà¥à¤£, दयाननà¥à¤¦, चाणकà¥à¤¯, यà¥à¤§à¤¿à¤·à¥à¤ िर, हनà¥à¤®à¤¾à¤¨, à¤à¥€à¤·à¥à¤®, à¤à¥€à¤®, विदà¥à¤°, बालà¥à¤®à¥€à¤• और वेद वà¥à¤¯à¤¾à¤¸ जी जैसे मनà¥à¤·à¥à¤¯ उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ हà¥à¤à¥¤ à¤à¤¸à¥‡ महापà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ को उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ करने की कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾ बाद में पà¥à¤°à¤µà¤°à¥à¤¤à¤¿à¤¤ किसी मत में नहीं हà¥à¤ˆà¥¤ लोग अपने अपने महापà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ के गà¥à¤£à¥‹à¤‚ को ही देखते हैं, उनको बà¥à¤¾ चà¥à¤¾à¤•à¤° मिथà¥à¤¯à¤¾ चमतà¥à¤•à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ के साथ पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ करते है, उनके दोषों पर धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ ही नहीं देते जबकि संसार में उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ हà¥à¤† पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• मनà¥à¤·à¥à¤¯ अलà¥à¤ªà¤œà¥à¤ž होता है और ऋषितà¥à¤µ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करने से पूरà¥à¤µ उसके सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ, वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° व आचरण में तà¥à¤°à¥à¤Ÿà¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ व बà¥à¤°à¤¾à¤ˆà¤¯à¤¾à¤‚ होना समà¥à¤à¤µ है। यदि वह ऋषितà¥à¤µ को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ ही नहीं हà¥à¤† तो अजà¥à¤žà¤¾à¤¨, लोà¤, लोकैषणा सहित अनेक दोष इतिहास में हà¥à¤ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ में हो सकते हैं। वह काफी सीमा तक महातà¥à¤®à¤¾ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ महान विचारों वाले हो सकते हैं, परनà¥à¤¤à¥ मनà¥à¤·à¥à¤¯ जनà¥à¤® लेकर कोई पूरà¥à¤£ निरà¥à¤¦à¥‹à¤· तो कदापि नहीं हो सकता, यही वेदाधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ से अनà¥à¤®à¤¾à¤¨ होता है। इन सà¤à¥€ बातों को मत-मतानà¥à¤¤à¤° के लोग समà¤à¤¨à¥‡ का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ ही नहीं करते। इसी कारण मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ का à¤à¤• धरà¥à¤®, सतà¥à¤¯ वा मानव व वैदिक धरà¥à¤® होते हà¥à¤ à¤à¥€ वह संसार में सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ होकर सबके दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° नहीं किया जा रहा है। यह निशà¥à¤šà¤¿à¤¤ है कि ईशà¥à¤µà¤° व उसकी सृषà¥à¤Ÿà¤¿ à¤à¤• है तथा उसके दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤°à¥à¤¯, मानà¥à¤¯, पà¥à¤°à¥‹à¤¤à¥à¤¸à¤¾à¤¹à¤¿à¤¤ मानव जीवन के आचरण के नियम व गà¥à¤£, जो धरà¥à¤® संजà¥à¤žà¤• हैं, वह à¤à¥€ à¤à¤• ही होते है व होने चाहिये। उनमें à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨à¤¤à¤¾ कदापि नहीं हो सकती। दो परसà¥à¤ªà¤° à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ व पृथक पृथक मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚, सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤ व आचरण सतà¥à¤¯ व अचà¥à¤›à¥‡ नहीं हो सकते। सतà¥à¤¯ à¤à¤• ही होता है। वह धरà¥à¤® रूपी सतà¥à¤¯ योग की समाधि अवसà¥à¤¥à¤¾ को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होकर तथा वेद व वैदिक साहितà¥à¤¯ का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ कर ही निशà¥à¤šà¤¿à¤¤ किया जा सकता है। जो लोग वेदाधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ और योग के धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ व समाधि से दूर हैं, वह ईशà¥à¤µà¤° के समसà¥à¤¤ सतà¥à¤¯ नियमों को जान नहीं सकते। इसके लिठसà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¤à¥à¤¯à¤¾à¤— व पूरà¥à¤µà¤¾à¤—à¥à¤°à¤¹à¥‹à¤‚ से मà¥à¤•à¥à¤¤ होकर सतà¥à¤¯à¤¾à¤¨à¥à¤µà¥‡à¤·à¤£ व सतà¥à¤¯ का अनà¥à¤¸à¤‚धान करना आवशà¥à¤¯à¤• है। महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ ने यही कारà¥à¤¯ किया था जिसका परिणाम वेद व वेदानà¥à¤•à¥‚ल मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ हैं। यही वसà¥à¤¤à¥à¤¤à¤ƒ ईशà¥à¤µà¤° पà¥à¤°à¤¦à¤¤à¥à¤¤ व ईशà¥à¤µà¤° दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤°à¥à¤¯ धरà¥à¤® हैं। लोग मानें या न मानें, अपनी मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ कोई कà¥à¤› à¤à¥€ निरà¥à¤§à¤¾à¤°à¤¿à¤¤ कर लें परनà¥à¤¤à¥ जिस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° सतà¥à¤¯ à¤à¤• होता है, उसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° धरà¥à¤® à¤à¥€ à¤à¤• ही होता है। किसी के मानने व न मानने से धरà¥à¤® बदलता नहीं है। जो मनà¥à¤·à¥à¤¯ ईशà¥à¤µà¤° को इषà¥à¤Ÿ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ के करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯à¥‹à¤‚ के विपरीत कारà¥à¤¯ करेंगे वह अवशà¥à¤¯ ही जनà¥à¤®-जनà¥à¤®à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ में अपने अशà¥à¤ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ के फल à¤à¥‹à¤—ेंगे। इनका यह मनà¥à¤·à¥à¤¯ जनà¥à¤® उपयोगी न होकर बेकार चला जायेगा।
ईशà¥à¤µà¤°, सृषà¥à¤Ÿà¤¿ व धरà¥à¤® à¤à¤• ही है जिसका उपदेश ईशà¥à¤µà¤° ने वेद में किया हà¥à¤† है। आईये! वेदाधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ का वà¥à¤°à¤¤ लेकर ईशà¥à¤µà¤° के उपदेशों को जानें और उनका आचरण कर जीवन को उनà¥à¤¨à¤¤ बनायें और जीवन के लकà¥à¤·à¥à¤¯ व उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ मोकà¥à¤· की ओर अगà¥à¤°à¤¸à¤° हों। सतà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤°à¤£ ही धरà¥à¤® है और मोकà¥à¤· का मारà¥à¤— है। मनॠमहाराज ने धरà¥à¤® के 10 लकà¥à¤·à¤£ बतायें हैं उन पर à¤à¥€ à¤à¤• दृषà¥à¤Ÿà¤¿ डाल लेते हैं। वह बतातें हैं कि धैरà¥à¤¯, कà¥à¤·à¤®à¤¾, इनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का दमन, चोरी न करना, शौच वा सà¥à¤šà¤¿à¤¤à¤¾, इनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का संयम, उनà¥à¤¨à¤¤ सतà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¤¤à¥à¤¯ का विवेक करने वाली बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿, विदà¥à¤¯à¤¾, सतà¥à¤¯ का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ व उसका पालन, अकà¥à¤°à¥‹à¤§ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ कà¥à¤°à¥‹à¤§ पर विजय, यह 10 धरà¥à¤® के लकà¥à¤·à¤£ हैं। आईये, सà¥à¤µà¤‚य वेद धरà¥à¤® का पालन करें और दूसरों को पालन कराने के लिठसदà¥à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ सहित पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£, तरà¥à¤• व यà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ का सहारा लेकर पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° करें।
-मनमोहन कà¥à¤®à¤¾à¤° आरà¥à¤¯
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