मकर संकà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤¿ परà¥à¤µ के महतà¥à¤µ को जानकर शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤ªà¥‚रà¥à¤µà¤• मनायें
Author
Manmohan Kumar AryaDate
13-Dec-2016Category
लेखLanguage
HindiTotal Views
277Total Comments
0Uploader
Sandeep AryaUpload Date
13-Dec-2016Download PDF
-0 MBTop Articles in this Category
- फलित जयोतिष पाखंड मातर हैं
- राषटरवादी महरषि दयाननद सरसवती
- राम मंदिर à¤à¥‚मि पूजन में धरà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤°à¤ªà¥‡à¤•à¥à¤·à¤¤à¤¾ कहाठगयी? à¤à¤• लंबी सियासी और अदालती लड़ाई के बाद 5 अगसà¥à¤¤ को पà¥
- सनत गरू रविदास और आरय समाज
- बलातकार कैसे रकेंगे
Top Articles by this Author
- ईशवर
- बौदध-जैनमत, सवामी शंकराचारय और महरषि दयाननद के कारय
- अजञान मिशरित धारमिक मानयता
- यदि आरय समाज सथापित न होता तो कया होता ?
- ईशवर व ऋषियों के परतिनिधि व योगयतम उततराधिकारी महरषि दयाननद सरसवती
मकर संकà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤¿ का परà¥à¤µ पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• वरà¥à¤· 14 जनवरी को देश à¤à¤° में मनाया जाता है। आजकल लोग परà¥à¤µ तो मनाते हैं परनà¥à¤¤à¥ बहà¥à¤¤ से बनà¥à¤§à¥à¤“ं को परà¥à¤µ का महतà¥à¤µ व उससे जà¥à¥œà¥€ हà¥à¤ˆ घटनाओं का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ नहीं होता। अतः यह आवशà¥à¤¯à¤• है कि परà¥à¤µ के सà¤à¥€ पकà¥à¤·à¥‹à¤‚ को संकà¥à¤·à¥‡à¤ª से जान लिया जाये। इस परà¥à¤µ का पहला महतà¥à¤µ हमारे सौर मणà¥à¤¡à¤² तथा मकर राशि से है। हम जानते हैं कि पृथिवी में दो पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की गतियां होती हैं। à¤à¤• तो यह अपने अकà¥à¤· परघूमती है। दूसरी गति इसके दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ सूरà¥à¤¯ की परिकà¥à¤°à¤®à¤¾ की जाती है जो à¤à¤• वरà¥à¤· में पूरी होती है। à¤à¤• परिकà¥à¤°à¤®à¤¾ के काल वा समय को सौर वरà¥à¤· कहते हैं। पृथिवी का सूरà¥à¤¯ की परिकà¥à¤°à¤®à¤¾ का जो पथ होता है वह कà¥à¤› लमà¥à¤¬à¤¾ वरà¥à¤¤à¥à¤²à¤¾à¤•à¤¾à¤° होता है। मकर संकà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤¿ के दिन से चल कर पà¥à¤¨à¤ƒ उसी सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर आने वा सूरà¥à¤¯ का à¤à¤• पूरा चकà¥à¤° करने के मारà¥à¤— व परिधि को ‘‘कà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤¿à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤” कहते हैं। हमारे जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤·à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ इस कà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤¿à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤ के 12 à¤à¤¾à¤— कलà¥à¤ªà¤¿à¤¤ किठहà¥à¤ हैं और उन 12 à¤à¤¾à¤—ों के नाम उन-उन सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ पर आकाश के नकà¥à¤·à¤¤à¥à¤° पà¥à¤‚जों से मिलकर बनी हà¥à¤ˆ कà¥à¤› मिलती जà¥à¤²à¤¤à¥€ आकृति वाले पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ के नाम पर रख लिये गठहैं। यह बारह नाम हैं, मेष, वृष, मिथà¥à¤¨, करà¥à¤•, सिंह, कनà¥à¤¯à¤¾, तà¥à¤²à¤¾, वृशà¥à¤šà¤¿à¤•, धनà¥, मकर, कà¥à¤®à¥à¤ और मीन। कà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤¿à¤µà¥ƒà¤¤ पर कलà¥à¤ªà¤¿à¤¤ पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• à¤à¤¾à¤— व नकà¥à¤·à¤¤à¥à¤°à¤ªà¥à¤‚जों की आकृति “राशि” कहलाती है। पृथिवी जब à¤à¤• राशि से दूसरी राशि में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ व संकà¥à¤°à¤®à¤£ करती है तो इस संकà¥à¤°à¤®à¤£ को ही “संकà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤¿” कहा जाता है। लोकाचार में पृथिवी के संकà¥à¤°à¤®à¤£ को सूरà¥à¤¯ का संकà¥à¤°à¤®à¤£ कहने लगे हैं। मकर संकà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤¿ का अरà¥à¤¥ हà¥à¤† कि सूरà¥à¤¯ मकर संकà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤¿ के दिन मकर राशि में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ करता है। 6 महीनों तक सूरà¥à¤¯ कà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤¿à¤µà¥ƒà¤¤ से उतà¥à¤¤à¤° की ओर उदय होता है और 6 मास तक दकà¥à¤·à¤¿à¤£ की ओर से निकलता रहता है। इन 6 मासों की अवधि का नाम ‘अयन’ है। सूरà¥à¤¯ के उतà¥à¤¤à¤° की ओर से उदय की 6 मास की अवधि का नाम ‘उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤¯à¤£’ और दकà¥à¤·à¤¿à¤£ की ओर से उदय की अवधि को ‘दकà¥à¤·à¤¿à¤£à¤¾à¤¯à¤¨’ कहते हैं। उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤¯à¤£ काल में सूरà¥à¤¯ उतà¥à¤¤à¤° की ओर से उदय होता हà¥à¤† दीखता है और उस में दिन का काल बà¥à¤¤à¤¾ जाता है तथा इस अवधि में दिन के बà¥à¤¨à¥‡ से रातà¥à¤°à¤¿ का काल कम होने से रातà¥à¤°à¤¿ घटती है, इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ का पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— किया जाता है। दकà¥à¤·à¤¿à¤£à¤¾à¤¯à¤¨ में सूरà¥à¤¯à¥‹à¤¦à¤¯ कà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤¿à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤ के दकà¥à¤·à¤¿à¤£ की ओर से उदय होता हà¥à¤† दृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤—ोचर होता है और उसमें दिन की अवधि घटती है तथा रातà¥à¤°à¤¿ की अवधि में वृदà¥à¤§à¤¿ होती है। सूरà¥à¤¯ जब मकर राशि में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ करता वा संकà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤ होता है तो इसको उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤¯à¤£ का आरमà¥à¤ होना तथा करà¥à¤• राशि में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ से दकà¥à¤·à¤¿à¤£à¤¾à¤¯à¤¨ का आरमà¥à¤ होना माना जाता है जिन दोनों अयनों की अवधि 6 माह होती है। उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤¯à¤£ में दिन बà¥à¤¨à¥‡ व रातà¥à¤°à¤¿ छोटी होने से पृथिवी पर पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ की अधिकता होती है, इस कारण इस उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤¯à¤£ का महतà¥à¤µ दकà¥à¤·à¤¿à¤£à¤¾à¤¯à¤¨ से अधिक माना जाता है। उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤¯à¤£ के महतà¥à¤µ का आरमà¥à¤ मकर संकà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤¿ से होने के कारण मकर संकà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤¿ (14 जनवरी) के दिवस को अधिक महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ माना जाता है और इस दिन को परà¥à¤µ के रूप में मनायें जाने की पà¥à¤°à¤¥à¤¾ है। यह à¤à¥€ जानकारी दे दें कि जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤· के आचारà¥à¤¯ बतातें हैं कि उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤¯à¤£ का आरमà¥à¤ मकर संकानà¥à¤¤à¤¿ के दिन से पहले हो जाता है परनà¥à¤¤à¥ मकर संकà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤¿ परà¥à¤µ पर ही दोनों परà¥à¤µ à¤à¤• साथ मनाये जाने की परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ चली आ रही है। à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ में इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ अलग अलग तिथियों पर मनायें जाने पर विचार à¤à¥€ किया जा सकता है। जो à¤à¥€ हो इस परà¥à¤µ को मनायें जाने का मà¥à¤–à¥à¤¯ उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ मकर संकà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤¿ का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ कराने सहित 6 माह की अवधि वाले उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤¯à¤£ के आरमà¥à¤ से है जिससे लोग हमारे पूरà¥à¤µà¤œà¥‹à¤‚ के जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤· विषयक जà¥à¤žà¤¾à¤¨ व रà¥à¤šà¤¿ से परिचित हो सकें।
मकर संकà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤¿ परà¥à¤µ मनायें जाने का दूसरा आधार व कारण इसका शीत ऋतॠमें आना है। मकर-संकà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤¿ के दिन 14 जनवरी को शीत अपने यौवन पर होती है। इस दिन मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ के आवास, वन, परà¥à¤µà¤¤ सरà¥à¤µà¤¤à¥à¤° शीत का आतंक सा रहता है। चराचर जगतॠशीत ऋ़तॠका लोहा मानता है। मनà¥à¤·à¥à¤¯ व वनà¥à¤¯ आदि पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के हाथ पैर जाड़े से सिकà¥à¥œ जाते हैं। शरीर ठिळà¥à¤°à¤¨ से तà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤ रहता है। बहà¥à¤¤ से वृदà¥à¤§ शीत की अधिकता से मृतà¥à¤¯à¥ को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होते हैं। हृदय रोगियों के लिठà¤à¥€ शीत ़ऋतॠकषà¥à¤Ÿ साधà¥à¤¯ होती है ।इन दिनों सूरà¥à¤¯à¥‹à¤¦à¤¯ से दिन का आरमà¥à¤ होता है परनà¥à¤¤à¥ सूरà¥à¤¯ शीघà¥à¤° ही असà¥à¤¤ हो जाता है अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ सूरà¥à¤¯à¥‹à¤¦à¤¯ और उसके असà¥à¤¤ होने के बीच कम समय होता जबकि लोग अधिक समय तक सूरà¥à¤¯ के पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ व उषà¥à¤£à¤¤à¤¾ की अपेकà¥à¤·à¤¾ करते हैं। मकर संकà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤¿ से पूरà¥à¤µ रातà¥à¤°à¤¿ की अवधि अधिक होती है जिससे लोगों में कà¥à¤²à¥‡à¤¶ रहता है परनà¥à¤¤à¥ मकर संकà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤¿ के दिन से रातà¥à¤°à¤¿ का समय बà¥à¤¨à¥‡ और दिन का घटने का कà¥à¤°à¤® बनà¥à¤¦ हो जाता है। à¤à¤¸à¤¾ पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤¤ होता है मकर संकà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤¿ के मकर ने उस लमà¥à¤¬à¥€ रातà¥à¤°à¤¿ को निगलना आरमà¥à¤ कर दिया है। इस दिन सूरà¥à¤¯ देव उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤¯à¤£ में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ करते हैं। मकर संकà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤¿ की महिमा संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ साहितà¥à¤¯ में वेद से लेकर आधà¥à¤¨à¤¿à¤• गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ परà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤ विशेष रूप से वरà¥à¤£à¤¨ की गई है। वैदिक गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ में उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤¯à¤£ को ‘देवयान’ कहा जाता है और जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€ लोग अपने शरीर तà¥à¤¯à¤¾à¤— तक की अà¤à¤¿à¤²à¤¾à¤·à¤¾ इसी उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤¯à¤£ वा देवयान में रखते हैं। उनका मानना होता है कि उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤¯à¤£ में देह तà¥à¤¯à¤¾à¤—ने से उन की आतà¥à¤®à¤¾ सूरà¥à¤¯ लोक में होकर पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ मारà¥à¤— से पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤£ करेगी। आजीवन बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤šà¤¾à¤°à¥€ à¤à¥€à¤·à¥à¤® पितामह ने इसी उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤¯à¤£ के आगमन तक शर-शयà¥à¤¯à¤¾ पर शयन करते हà¥à¤ देहतà¥à¤¯à¤¾à¤— वा पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥‹à¤¤à¥à¤•à¥à¤°à¤®à¤£ की पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤•à¥à¤·à¤¾ की थी। मकर संकà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤¿ के à¤à¤¸à¥‡ पà¥à¤°à¤¶à¤¸à¥à¤¤ महतà¥à¤µ वा समय को परà¥à¤µ बनने से वंचित नहीं रखा जा सकता। आरà¥à¤¯ परà¥à¤µ पदà¥à¤§à¤¤à¤¿ के लेखक पं. à¤à¤µà¤¾à¤¨à¥€ पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ जी ने लिखा है कि आरà¥à¤¯ जाति के पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ नेताओं ने मकर-संकà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤¿ (सूरà¥à¤¯ की उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤¯à¤£ संकà¥à¤°à¤®à¤£ तिथि) को परà¥à¤µ निरà¥à¤§à¤¾à¤°à¤¿à¤¤ कर दिया।
मकर संकà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤¿ का परà¥à¤µ चिरकाल से मनाया जाता है। यह परà¥à¤µ पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ à¤à¤¾à¤°à¤¤ के सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¥‹à¤‚ में पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ है। सरà¥à¤µà¤¤à¥à¤° इस परà¥à¤µ पर शीत के पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ को दूर करने के उपाय किये जाते दिखाई देते हैं। वैदà¥à¤¯à¤• शासà¥à¤¤à¥à¤° ने शीत के पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤•à¤¾à¤° के लिठतिल, तेल, तूल (रूई) का पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— बताया है। तिल इन तीनों में मà¥à¤–à¥à¤¯ हैं। पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥‹à¤‚ में तिल के महतà¥à¤µ के कारण कà¥à¤› अतिशà¥à¤¯à¥‹à¤•à¥à¤¤à¤¿ कर इसे पापनाशक तक कह दिया गया। किसी पà¥à¤°à¤¾à¤£ का पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ शà¥à¤²à¥‹à¤• है ‘तिलसà¥à¤¨à¤¾à¤¯à¥€ तिलोदà¥à¤µà¤°à¥à¤¤à¥€ तिलहोमो तिलोदकी। तिलà¤à¥à¤•à¥ तिलदाता च षटà¥à¤¤à¤¿à¤²à¤¾ पापनाशनाः।।’ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ तिल-मिशà¥à¤°à¤¿à¤¤ जल से सà¥à¤¨à¤¾à¤¨, तिल का उबटन, तिल का हवन, तिल का जल, तिल का à¤à¥‹à¤œà¤¨ और तिल का दान ये छः तिल के पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— पापनाशक हैं। मकर संकà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤¿ के दिन à¤à¤¾à¤°à¤¤ के सब पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¥‹à¤‚ में तिल और गà¥à¥œ के लडà¥à¤¡à¥‚ बनाकर दान किये जाते हैं और इषà¥à¤Ÿ मितà¥à¤°à¥‹à¤‚ में बांटे जाते हैं। तिल को कूट कर उसमें खांड मिलाकर à¤à¥€ खाते हैं। यह à¤à¤• पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से मिषà¥à¤ ानà¥à¤¨ की à¤à¤¾à¤‚ति रà¥à¤šà¤¿à¤•à¤° होता है। महाराषà¥à¤Ÿà¥à¤° में इस दिन तिलों का ‘तिलगूल’ नामक हलवा बांटने की पà¥à¤°à¤¥à¤¾ है और सौà¤à¤¾à¤—à¥à¤¯à¤µà¤¤à¥€ सà¥à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ तथा कनà¥à¤¯à¤¾à¤à¤‚ अपनी सखी-सहेलियों से मिलकर उन को हलà¥à¤¦à¥€, रोली, तिल और गà¥à¥œ à¤à¥‡à¤‚ट करती हैं। यह परà¥à¤µ पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ à¤à¤¾à¤°à¤¤ की संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ का दिगà¥à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¨ कराता है जिसका पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¨ सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ को धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ में रखकर à¤à¥€ किया गया है। आज के समय में जो मिषà¥à¤ ानà¥à¤¨ हैं वह पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ के लिठहानिकारक सिदà¥à¤§ हो रहे हैं। यह à¤à¥€ कहा जाता है कि पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ गà¥à¤°à¥€à¤• लोग à¤à¥€ वधू-वर को सनà¥à¤¤à¤¾à¤¨ वृदà¥à¤§à¤¿ के निमितà¥à¤¤ तिलों का पकà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥à¤¨ बांटते थे। इससे जà¥à¤žà¤¾à¤¤ होता है कि तिलों का पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨à¤•à¤¾à¤² में विशेष गà¥à¤£à¤•à¤¾à¤°à¤• माना जाता रहा है। पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ रोमन लोगों में मकर संकà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤¿ के दिन अंजीर, खजूर और शहद अपने इषà¥à¤Ÿ मितà¥à¤°à¥‹à¤‚ को à¤à¥‡à¤‚ट देने की रीति थी। यह à¤à¥€ मकर संकà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤¿ परà¥à¤µ की सारà¥à¤µà¤¤à¥à¤°à¤¿à¤•à¤¤à¤¾ और पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨à¤¤à¤¾ का परिचायक है।
अतः मकर संकà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤¿ का परà¥à¤µ अनेक दृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ है। इसे मनाते समय इससे जà¥à¥œà¥€ उपरà¥à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ सà¤à¥€ बातों को धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ में रखना चाहिये। à¤à¤¸à¤¾ कर हम सà¥à¤µà¤¯à¤‚ à¤à¥€ इनसे परिचित रहेंगे और हमारी à¤à¤¾à¤µà¥€ पीà¥à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ à¤à¥€ इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ जानकर उसे अपनी आगामी पीà¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को जना सकेंगी। इस दिन यजà¥à¤ž करने का à¤à¥€ विधान किया गया है। यजà¥à¤ž करने से वातावरण दà¥à¤°à¥à¤—नà¥à¤§à¤®à¥à¤•à¥à¤¤ होकर सरà¥à¤µà¤¤à¥à¤° सà¥à¤—नà¥à¤§ का पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤° करने वाला होता है। यजà¥à¤ž सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ के लिठतो यह लाà¤à¤ªà¥à¤°à¤¦ होता ही है इसके साथ ही इससे ईशà¥à¤µà¤° की सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿, पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ व उपासना à¤à¥€ समà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ होती है। यजà¥à¤ž के गोघृत व अनà¥à¤¨-वनसà¥à¤ªà¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की आहà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का सूकà¥à¤·à¥à¤® à¤à¤¾à¤— वायà¥à¤®à¤£à¥à¤¡à¤² को हमारे व दूसरे सà¤à¥€ के लिठसà¥à¤– पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करने में सहायक होता है। आरà¥à¤¯à¤ªà¤°à¥à¤µ पदà¥à¤§à¤¤à¤¿ में यजà¥à¤ž करते हà¥à¤ हेमनà¥à¤¤ और शिशिर ऋतà¥à¤“ं की वरà¥à¤£à¤¨à¤ªà¤°à¤• ऋचाओं से विशेष आहà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का विधान किया गया है जिससे यजà¥à¤žà¤•à¤°à¥à¤¤à¤¾ व गृहसà¥à¤¥à¥€ उनसे परिचित हो सकें। à¤à¤¾à¤°à¤¤ की पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ वैदिक धरà¥à¤® व संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ विशà¥à¤µ के सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ के पूरà¥à¤µà¤œà¥‹à¤‚ की धरà¥à¤® व संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ रही है। इसका संरकà¥à¤·à¤£ और पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤° सà¤à¥€ मनषà¥à¥à¤¯à¥‹à¤‚ का पावन करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ है। हमें पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• कारà¥à¤¯ करते हà¥à¤ यह à¤à¥€ धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ रखना चाहिये कि मनà¥à¤·à¥à¤¯ जीवन का उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ धरà¥à¤®, अरà¥à¤¥, काम व मोकà¥à¤· की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ करना है। हम à¤à¤¸à¤¾ कोई कारà¥à¤¯ न करें जिससे इन उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯à¥‹à¤‚ की पूरà¥à¤¤à¤¿ में बाधा हो और à¤à¤¸à¤¾ कोई काम करना न छोड़े जो इन उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯à¥‹à¤‚ की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ में सहायक हो सकते हैं। मकर संकà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤¿ परà¥à¤µ की शà¥à¤à¤•à¤¾à¤®à¤¨à¤¾à¤“ं सहित।
ALL COMMENTS (0)