नदियों में सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ का धारà¥à¤®à¤¿à¤• औचितà¥à¤¯ और महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦
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Manmohan Kumar AryaDate
13-Dec-2016Category
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Sandeep AryaUpload Date
13-Dec-2016Download PDF
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नदियों में सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ का धारà¥à¤®à¤¿à¤• औचीतà¥à¤¯ और महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦
आज à¤à¤• आरà¥à¤¯ मितà¥à¤° से पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤ƒ गंगा सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ की चरà¥à¤šà¤¾ चली तो हमने इस पर उनके साथ विचार किया और हमारे मन में जो जो विचार आये उसे अपने मितà¥à¤°à¥‹à¤‚ से साà¤à¤¾ करने का विचार à¤à¥€ आया। हमारी धरà¥à¤® व संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ संसार के सà¤à¥€ मतों व पनà¥à¤¥à¥‹à¤‚ में सबसे पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ व वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• है। पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ काल में परमातà¥à¤®à¤¾ ने मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯à¥‹à¤‚ व अकरà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ कराने के लिठचार आदि ऋषियों को चार वेदों का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ दिया था। चारों वेद ईशà¥à¤µà¤°à¥€à¤¯ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ की पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥‡à¤‚ हैं जिसमें सà¤à¥€ सतà¥à¤¯ विदà¥à¤¯à¤¾à¤“ं का बीज रूप में पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ है। वेदों में असतà¥à¤¯ व मिथà¥à¤¯à¤¾ कà¥à¤› à¤à¥€ नहीं है। यह बात महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ की मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं, सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¥‹à¤‚, उनके वेद à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ à¤à¤µà¤‚ सà¤à¥€ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ से पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£à¤¿à¤¤ होती है।
यह सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µà¤¿à¤• है कि जब सृषà¥à¤Ÿà¤¿ का पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¨ हà¥à¤† तो मनà¥à¤·à¥à¤¯ वनों व गांवों में रहते थे और उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने पà¥à¤°à¤¥à¤® अपने लिठजो आवास बनायें होंगे, वह गांव की à¤à¥‹à¤ªà¥œà¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के रूप में ही रहे होंगे। उनका उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ तो यही रहा होगा कि उनकी वरà¥à¤·à¤¾ व धूप अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ गरà¥à¤®à¥€ आदि से रकà¥à¤·à¤¾ हो और उनकी पà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¥‡à¤¸à¥€ बाधित न हो। आरमà¥à¤ में सà¥à¤¨à¤¾à¤¨, शौच, सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ व वसà¥à¤¤à¥à¤° पà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾à¤²à¤¨ सहित अपने à¤à¥‹à¤œà¤¨ आदि पकाने के लिठनदियों व सरोवरों के जल पर ही निरà¥à¤à¤° रहना होता रहा होगा। विचार करने पर यही तथà¥à¤¯ सामने आता है कि सà¤à¥€ मानव बसà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ नदियों के किनारे बसाई जाती रही होंगी जिससे जीवन निरà¥à¤µà¤¾à¤¹ में आवशà¥à¤¯à¤• जल की आपूरà¥à¤¤à¤¿ अबाध रूप से होती रहे। वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ व लमà¥à¤¬à¥‡ समय तक यही वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ चली होगी। समय के साथ मनà¥à¤·à¥à¤¯ ने परà¥à¤¯à¤Ÿà¤¨ कर अनà¥à¤¯ सà¥à¤°à¤®à¥à¤¯ व उपयोगी सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ को ढूंढा होगा और तब नदियों से दूर इन सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ पर जल की पूरà¥à¤¤à¤¿ के लिठकà¥à¤‚ओं व जलाशयों का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ किया होगा जो अधिक कठिन नहीं था और न इसमें किसी विशेष तकनीकि की आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ ही थी। जब मनà¥à¤·à¥à¤¯ दूर हà¥à¤ होंगे तो हमारे समाज के विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ ऋषियों व मनीषियों, जो तब बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£à¥‹à¤‚ के नाम से जाने जाते थे, उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपने अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ व अधà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¨ के लिठआशà¥à¤°à¤® à¤à¥€ बनायें होंगे और उनके लिठउपयà¥à¤•à¥à¤¤ शानà¥à¤¤ वातावरण की खोज के लिठउनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ वनों व परà¥à¤µà¤¤à¥‹à¤‚ में नदियों के सà¥à¤°à¤®à¥à¤¯ तट ही अधिक आकरà¥à¤·à¤•, पà¥à¤°à¤¾à¤¸à¤‚गिक व उपयोगी लगे होंगे। इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° नदियों के किनारे, वनों व परà¥à¤µà¤¤à¥‹à¤‚ पर हमारे ऋषियों आदि के अनेक आशà¥à¤°à¤®à¥‹à¤‚ व गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤²à¥‹à¤‚ का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ हà¥à¤† होगा। à¤à¤¸à¥‡ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ पर हमारे गृहसà¥à¤¥à¥€ à¤à¥€ अपनी सनà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ को शिकà¥à¤·à¤¾ व अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ हेतॠपà¥à¤°à¤µà¤¿à¤·à¥à¤Ÿ कराने के साथ ऋषियों व विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ के उपदेश शà¥à¤°à¤µà¤£ करने समय समय पर आते रहे होंगे। वरà¥à¤·à¤¾ काल में कृषि कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ से अवकाश रहता है अतः à¤à¤¸à¥‡ समय में दूर दूर से हमारे गृहसà¥à¤¥à¥€ ऋषियों व मà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के चरणों में वन, परà¥à¤µà¤¤à¥‹à¤‚ पर नदियों के तट पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ आशà¥à¤°à¤®à¥‹à¤‚ में आते थे। इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से हमारा वैदिक धरà¥à¤®, संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ व परमà¥à¤ªà¤°à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ आगे बà¥à¤¤à¥‡ रहे और आज से पांच हजार वरà¥à¤· पूरà¥à¤µ महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ काल का समय आ गया जब à¤à¥€à¤·à¤£ यà¥à¤¦à¥à¤§ हà¥à¤† जिसमें जान व माल की à¤à¤¾à¤°à¥€ कà¥à¤·à¤¤à¤¿ हà¥à¤ˆà¥¤
महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ यà¥à¤¦à¥à¤§ के बाद à¤à¤¾à¤°à¤¤ पतन के मारà¥à¤— पर अगà¥à¤°à¤¸à¤° हà¥à¤† और à¤à¤¸à¤¾ समय आ गया जब वेदों के गिने चà¥à¤¨à¥‡ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ ही रह गये। अजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€ व अलà¥à¤ªà¤œà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€ लोगों की मनमानी समाज में चलने लगी जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने यजà¥à¤žà¥‹à¤‚ में हिंसा सहित अपनी अजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¤à¤¾ से नई नई मिथà¥à¤¯à¤¾ परमà¥à¤ªà¤°à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ कीं। यजà¥à¤žà¥‹à¤‚ में हिंसा के विरà¥à¤¦à¥à¤§ बौदà¥à¤§ व जैन मतों का पà¥à¤°à¤¾à¤¦à¥à¤°à¥à¤à¤¾à¤µ हà¥à¤† परनà¥à¤¤à¥ इनसे à¤à¥€ अजà¥à¤žà¤¾à¤¨ व अविदà¥à¤¯à¤¾ में कमी नहीं आई। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ शंकराचारà¥à¤¯ जी ने इन नासà¥à¤¤à¤¿à¤• मतों को शासà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥ में परासà¥à¤¤ कर वैदिक मत को पà¥à¤¨à¤ƒ पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ किया परनà¥à¤¤à¥ वेदोदà¥à¤§à¤¾à¤° और वैदिक परमà¥à¤ªà¤°à¤¾à¤“ं का पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¨ न होकर अजà¥à¤žà¤¾à¤¨ व अनà¥à¤§à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸ ही देश में पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ रहे। इसके बाद 18 पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥‹à¤‚ का शनैः शनैः निरà¥à¤®à¤¾à¤£ व पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¨ हà¥à¤† जिससे देश à¤à¤° में ईशà¥à¤µà¤° व जीवातà¥à¤®à¤¾ तथा ईशà¥à¤µà¤° की उपासना के नाम पर पाषाण व जड़ मूरà¥à¤¤à¤¿ पूजा सहित अतवारवाद, फलित जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤·, मृतक शà¥à¤°à¤¾à¤¦à¥à¤§, बेमेल व बाल विवाह, सामाजिक à¤à¥‡à¤¦à¤à¤¾à¤µ व छà¥à¤†à¤›à¥‚त, अशिकà¥à¤·à¤¾ आदि का पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¨ हà¥à¤†à¥¤ à¤à¤¸à¥‡ अजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¤à¤¾ के काल में ही गंगा आदि नदियों को तीरà¥à¤¥ मानकर वहां विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ तिथियों पर जाकर सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ करने की महिमा का मणà¥à¤¡à¤¨ किया गया। सामानà¥à¤¯ अजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ ने इन सब वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤“ं व विधानों को आंख बनà¥à¤¦ कर सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° किया जिससे समाज का घोर पतन हà¥à¤†à¥¤ इस पतन के परिणामसà¥à¤µà¤°à¥‚प देश विधरà¥à¤®à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का पराधीन हो गया और ऋषि सनà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ को पराधीनता के असीम दà¥à¤ƒà¤–ों से à¤à¤°à¥‡ दिन देखने पड़े। सोमनाथ, विशà¥à¤µà¤¨à¤¾à¤¥, कृषà¥à¤£ जनà¥à¤®à¤à¥‚मि, रामजनà¥à¤® à¤à¥‚मि आदि बड़े बड़े मनà¥à¤¦à¤¿à¤°à¥‹à¤‚ को तोड़ा व लूटा गया, मारकाट की गई, सà¥à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को अपमानित किया गया और देश का असीम खजाना विदेशी व विधरà¥à¤®à¥€ लूट लूट कर ले गये। इतना होने पर à¤à¥€ हमारे समाज के विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ व तथाकथित बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£à¥‹à¤‚ की आंखे नहीं खà¥à¤²à¥€à¤‚। अजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¤à¤¾ व अंधविशà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥‹à¤‚ से छà¥à¥œà¤¾à¤¨à¥‡ के लिठकोई विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¥à¤·, सनà¥à¤¤ व महातà¥à¤®à¤¾ आगे नहीं आये। à¤à¤¸à¤¾ होते होते सनॠ1825 व 1863 के वरà¥à¤· आये जो à¤à¤¾à¤°à¤¤ के इतिहास में विशेष महतà¥à¤µ रखते हैं।
सनॠ1825 में à¤à¤¾à¤°à¤¤ के गà¥à¤°à¥à¤œà¤° पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ के टंकारा कसà¥à¤¬à¥‡ में पं. करषन तिवाड़ी जी के घर बालक मूल शंकर का जनà¥à¤® हà¥à¤† जो बाद में देशाटन, योगाà¤à¥à¤¯à¤¾à¤¸ व ऋषि तà¥à¤²à¥à¤¯ वैदिक विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ विरजाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ से मथà¥à¤°à¤¾ में संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ वà¥à¤¯à¤¾à¤•à¤°à¤£ की अषà¥à¤Ÿà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥€-महाà¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ व निरà¥à¤•à¥à¤¤ पदà¥à¤§à¤¤à¤¿ से अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ कर सनॠ1863 वेदों के विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ बनें तथा सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ के नाम से पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ हà¥à¤à¥¤ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ विरजाननà¥à¤¦ जी की पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ से सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ ने अपने जीवन का उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ अजà¥à¤žà¤¾à¤¨, अनà¥à¤§à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸ व कà¥à¤°à¥€à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को मिटाकर वैदिक परमà¥à¤ªà¤°à¤¾à¤“ं व सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¥‹à¤‚ की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ को बनाया। इसी दिन से महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ काल के बाद à¤à¤¾à¤°à¤¤ में नये यà¥à¤— का सूतà¥à¤°à¤ªà¤¾à¤¤ हà¥à¤† जिसका परिणाम आज का शिकà¥à¤·à¤¿à¤¤ समाज और सनॠ1947 में देश की आजादी है। यदि देशवासियों ने ऋषि दयाननà¥à¤¦ की पूरी बात मान ली होती तो देश का विà¤à¤¾à¤œà¤¨ न होता और न आज आतंकवाद, सामाजिक à¤à¥‡à¤¦à¤à¤¾à¤µ व छà¥à¤†à¤›à¥‚त जैसी समसà¥à¤¯à¤¾à¤“ं ही होतीं। सà¤à¥€ सà¥à¤¶à¤¿à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ होते à¤à¤µà¤‚ à¤à¤• सतà¥à¤¯ मत का पालन करने वाले होते जिससे देश व विशà¥à¤µ में सà¥à¤– व शानà¥à¤¤à¤¿ का वातावरण होता।
बौदà¥à¤§ व जैन मत की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ के बाद के काल को मधà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤² के नाम से जाना जाता है जब कि à¤à¤¾à¤°à¤¤ वरà¥à¤· में वेद विदà¥à¤¯à¤¾ का सूरà¥à¤¯ असà¥à¤¤ होकर संसार में अनà¥à¤§à¤•à¤¾à¤° छा गया था। à¤à¤¸à¥‡ समय में ही नदियों में सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ को महिमा मंडित किया गया। नदियों को तीरà¥à¤¥ बनाने व माने जाने का à¤à¤• कारण यह à¤à¥€ हो सकता है कि नदियों के तटों पर ही हमारे अनेक ऋषि, मà¥à¤¨à¤¿ व विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ के आशà¥à¤°à¤® तथा गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤² आदि होते थे। यहां देश की जनता ऋषि-मà¥à¥‚नियों के उपदेश शà¥à¤°à¤µà¤£ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ मारà¥à¤— दरà¥à¤¶à¤¨ के लिठआती थी। सचà¥à¤šà¤¾ तीरà¥à¤¥ à¤à¥€ महातà¥à¤®à¤¾à¤“ं व विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ आदि की शरण में जाकर सतà¥à¤¯ उपदेश गà¥à¤°à¤¹à¤£ करने को ही कहते हैं। माता-पिता व आचारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ की तन-मन व धन से सेवा à¤à¥€ तीरà¥à¤¥ कहलाती है। अतः मधà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤² वा अविदà¥à¤¯à¤¾à¤•à¤¾à¤² के दिनों में नदियों के तटों पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ आशà¥à¤°à¤®à¥‹à¤‚ में जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€ ऋषियों का अà¤à¤¾à¤µ होने पर यहां शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤²à¥ जनों ने आकर यहां की नदियों में सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ करने को ही तीरà¥à¤¥ मान लिया। पà¥à¤°à¤¾à¤£ नाम से नवीन गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ की कà¥à¤› लोगों ने रचना कर नदियों में सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ को ही तीरà¥à¤¥ का नाम देकर वेद विरà¥à¤¦à¥à¤§ मिथà¥à¤¯à¤¾ मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ कर दीं। पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥‹à¤‚ को ततà¥à¤•à¤¾à¤²à¥€à¤¨ अविवेकी समाज की मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ मिलने के कारण लोगों ने इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ वेद के समान मान कर इस पर आचरण करना आरमà¥à¤ कर दिया जो आज तक चला आया है।
आज कोई शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤²à¥ सोचने की à¤à¥€ आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ नहीं समà¤à¤¤à¤¾ कि गंगा में नहाने से पांप दूर होते हैं या नहीं, होते हैं तो कैसे, पà¥à¤£à¥à¤¯ होता है व पाप, इससे समाज को लाठहोता है या हानि? à¤à¤¸à¥‡ अनेक पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ हैं जिन पर विचार करने पर जो पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ बातें हैं, उनके विपरीत उतà¥à¤¤à¤° मिलता है। विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ मानता है कि जल कहीं à¤à¥€ हो, वरà¥à¤·à¤¾ का हो या किसी नदी अथवा समà¥à¤¦à¥à¤° का अथवा बरà¥à¤« के पिघलने से उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ जल, हाईडà¥à¤°à¥‹à¤œà¤¨ और आकà¥à¤¸à¥€à¤œà¤¨ के संयोग से बनता व बना हà¥à¤† है। सà¤à¥€ नदियों का जल à¤à¤• समान ही होता है। आजकल तो गंगा आदि नदियों के जल में पà¥à¤°à¤¦à¥à¤·à¤£ का सà¥à¤¤à¤° इस कदर बॠगया है कि वह आचमन करने योगà¥à¤¯ à¤à¥€ नहीं है। गंगा नदी व अनà¥à¤¯ सà¤à¥€ नदियों का महतà¥à¤µ इस कारण से है कि इनसे हमारे देश की कृषि à¤à¥‚मि की सिंचाई होकर इससे हमें अनà¥à¤¨, फल व तरकारियों मिलती हैं। वनसà¥à¤ªà¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ लहलहाती हैं जिस पर हमारा जीवन आशà¥à¤°à¤¿à¤¤ है। यह महतà¥à¤µ नदियों में सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ से पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होने वाले लाà¤à¥‹à¤‚ से कहीं अधिक है। यह जानना, समà¤à¤¨à¤¾ व मानना चाहिये कि नदियों का जल केवल सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ किये ही नहीं अपितॠयह गà¥à¤£à¤•à¤¾à¤°à¥€ अनà¥à¤¨ व फलों आदि के लिठà¤à¥€ है। इस दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से हमें अपनी जीवन शैली में बदलाव करना चाहिये जिससे सà¤à¥€ नदियों के जल का पà¥à¤°à¤¦à¥à¤·à¤£ समापà¥à¤¤ हो। आज देश में जो आरà¥à¤¥à¤¿à¤• व सामाजिक सà¥à¤§à¤¾à¤° हो रहे हैं उससे अनà¥à¤®à¤¾à¤¨ है कि आने वाले समय में देश की नदियों के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ हमारे दृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤•à¥‹à¤£ में परिवरà¥à¤¤à¤¨ आयेगा और हम नदियों के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ सजग होकर न तो सà¥à¤µà¤¯à¤‚ पà¥à¤°à¤¦à¥à¤·à¤£ करेंगे और न अनà¥à¤¯ किसी को करने देंगे।
आज आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ इस बात की à¤à¥€ है कि हम मधà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤²à¥€à¤¨ परमà¥à¤ªà¤°à¤¾à¤“ं को आंखें बनà¥à¤¦ कर सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° न करें अपितॠवैदिक जà¥à¤žà¤¾à¤¨ व अपने विवेक के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° विचार कर अचà¥à¤›à¥€ परमà¥à¤ªà¤°à¤¾à¤“ं को जारी रखते हà¥à¤ अलाà¤à¤•à¤¾à¤°à¥€ व समाज को कमजोर करने वाली सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤¥à¤¾à¤“ं को समापà¥à¤¤ कर दें। इसके लिठमहरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ का गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ ‘सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶’ सहयोगी हो सकता है। इसके अनà¥à¤¤ के चार अधà¥à¤¯à¤¾à¤¯ संसार के सà¤à¥€ लोगों के लिठअजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¤à¤¾ व अनà¥à¤§à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸ दूर करने में सहयोगी à¤à¤µà¤‚ मारà¥à¤—दरà¥à¤¶à¤• हो सकते हैं। यह मानकर चलना चाहिये कि जिसकी अधिक आलोचना व उपेकà¥à¤·à¤¾ की जाती है, कई बार वही सतà¥à¤¯ व लाà¤à¤•à¤¾à¤°à¥€ होता है। सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ की सà¤à¥€ मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ सतà¥à¤¯ हैं। इसको अपनाने से कà¥à¤› लोगों के सà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥à¥‹à¤‚ की हानि हो सकती है, इसी लिठइनका विरोध किया जाता है। आज à¤à¤¾à¤°à¤¤ सरकार दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ नोटबनà¥à¤¦à¥€ के बाद à¤à¥€ à¤à¤¸à¤¾ ही देखा जा रहा है। आम समà¤à¤¦à¤¾à¤° वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ इससे पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ है। इसमें देश का व निरà¥à¤§à¤¨à¥‹à¤‚ का दूरगामी हित छिपा हà¥à¤† है। लोगों को नगदी की कमी के कारण कà¥à¤› कषà¥à¤Ÿ अवशà¥à¤¯ हो रहें हैं, जो बड़े बदलाव के लिठजरà¥à¤°à¥€ हैं। इसके साथ ही हम कà¥à¤› लोगों को इस जनकलà¥à¤¯à¤¾à¤£à¤•à¤¾à¤°à¥€ कारà¥à¤¯ का विरोध करते हà¥à¤ à¤à¥€ देख रहे हैं। जनता इसके विरोध में निहित à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤“ं को à¤à¤²à¥€ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° समà¤à¤¤à¥€ हैं। à¤à¤¸à¤¾ ही विरोध अजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¤à¤¾, अनà¥à¤§à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸ व कà¥à¤°à¥€à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को दूर कराने के समय ऋषि दयाननà¥à¤¦ के साथ हà¥à¤† था। यहां तक कि उनको विष देकर मार डाला गया। इस पर à¤à¥€ ऋषि दयाननà¥à¤¦ के अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥€ समाज सà¥à¤§à¤¾à¤° व देश को सà¥à¤¦à¥ƒà¤£ करने के कारà¥à¤¯ में डटे रहे तथा आज à¤à¥€ डटे हà¥à¤ हैं।
अचà¥à¤›à¥‡ विचारों व कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का परिणाम अचà¥à¤›à¤¾ ही होता है। आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ के पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° का परिणाम à¤à¥€ देश व विशà¥à¤µ के इतिहास में अचà¥à¤›à¤¾ ही होगा। देश व विशà¥à¤µ की à¤à¤¾à¤µà¥€ पीà¥à¤¿à¤¯à¤¾ ऋषि दयाननà¥à¤¦ और आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ के अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ à¤à¤µà¤‚ पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤°à¤•à¥‹à¤‚ के समाज हितकारी सà¤à¥€ कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का अवशà¥à¤¯ ही धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ व पà¥à¤°à¤¸à¤‚शा करेंगी। अविदà¥à¤¯à¤¾, अजà¥à¤žà¤¾à¤¨, अनà¥à¤§à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸, कà¥à¤°à¥€à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚, सामाजिक à¤à¥‡à¤¦à¤à¤¾à¤µ के दूर होने से ही समाज सà¥à¤¦à¥ƒà¤£ à¤à¤µà¤‚ समà¥à¤¨à¥à¤¨à¤¤ होता है। नदियों वा गंगा सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ के महतà¥à¤µ पर सà¥à¤µà¤µà¤¿à¤µà¥‡à¤• से विचार कर हम सà¤à¥€ विषयों में सकारातà¥à¤®à¤• वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• दृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤•à¥‹à¤£ अपना कर अपना व समाज का हित कर सकते हैं। दूरगामी दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से सतà¥à¤¯ ही विजयी व सफल होता है और असतà¥à¤¯ व अजà¥à¤žà¤¾à¤¨ पराजित होते हैं। वेदों के पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° व आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ का à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ उजà¥à¤œà¤µà¤² है। जà¥à¤žà¤¾à¤¨ व विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ पर आधारित वैदिक मत ही à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ में सà¥à¤¥à¤¿à¤° रह सकेगा, à¤à¤¸à¤¾ हमें विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ है। इसी के साथ इस लेख को विराम देते हैं। ओ३मॠशमà¥à¥¤
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