राख से बनी आग सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦
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Rajeev ChoudharyDate
16-Dec-2016Category
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amitUpload Date
14-Dec-2016Download PDF
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आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ हिमालय से टकरा रहा हैं. वो हिमालय था कई हजार साल का पाखंड और हजारों साल की गà¥à¤²à¤¾à¤®à¥€. लेकिन चï¿
अपना धन अपनी समà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ यहाठतक की अपनी संतान को à¤à¥€ को राषà¥à¤Ÿà¥à¤° के लिठदान करने वाले इस वीर सनà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¥€ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤¨à¤‚द जी से à¤à¤²à¤¾ कौन परिचित नहीं होगा! यदि कोई नहीं है तो उसे सà¥à¤¨ लेना होगा कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि इतिहास में à¤à¤¸à¥‡ उदहारण विरले ही कà¤à¥€ पैदा होते है. जब हजारों सालों की गà¥à¤²à¤¾à¤®à¥€ में लिपटा à¤à¤¾à¤°à¤¤ इस गà¥à¤²à¤¾à¤®à¥€ को अपना à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ समà¤à¤¨à¥‡ लगा था. जब à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯à¥‹à¤‚ की चेतना à¤à¥€ गà¥à¤²à¤¾à¤®à¥€ की जंजीर में इस तरह जकड दी गयी थी कि लोग आजादी के सूरज की बात करना à¤à¥€ किसी चमतà¥à¤•à¤¾à¤° की तरह मानते थे. à¤à¤¸à¥‡ समय में इस à¤à¤¾à¤°à¤¤ में सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ जी की अगà¥à¤µà¤¾à¤ˆ में धरà¥à¤® और देश बचाने को à¤à¤• आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨ खड़ा हà¥à¤† जिसे लोगों ने आरà¥à¤¯ समाज के नाम से जाना. इसी आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨ के सिपाही à¤à¤¾à¤°à¤¤ माठके à¤à¤• लाल का नाम था सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ शà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨à¤‚द जिसने सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ जी महाराज से पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ लेकर आजादी की मशाल लेकर चल निकला गà¥à¤²à¤¾à¤®à¥€ के घनघोर अà¤à¤§à¥‡à¤°à¥‡ में आजादी का पथ खोजने. तब गाà¤à¤§à¥€ जी ने कहा था की आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ हिमालय से टकरा रहा हैं. वो हिमालय था कई हजार साल का पाखंड और हजारों साल की गà¥à¤²à¤¾à¤®à¥€. लेकिन चटà¥à¤Ÿà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ से जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ आरà¥à¤¯ समाज के होसले कहीं जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ बà¥à¤²à¤‚द निकले.
सन 1856 को पंजाब के जालंधर जिले के तलवन गाà¤à¤µ में जनà¥à¤®à¥‡ मà¥à¤‚शीराम (सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦) के निराशापूरà¥à¤£ जीवन में आशा की कà¥à¤·à¥€à¤£ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° रेखा उस समय उदय हà¥à¤ˆ, जब बरेली में उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ का सतà¥à¤¸à¤‚ग मिला. सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी के गरिमामय चरितà¥à¤° ने उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ किया. उस समय जहाठà¤à¤¾à¤°à¤¤à¤µà¤°à¥à¤· के अधिकतर नवयà¥à¤µà¤• सिवाय खाने-पीने, à¤à¥‹à¤—ने और उसके लिठधनसंचय करने के अलावा अपना कà¥à¤› और करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ ना समà¤à¤¤à¥‡ थे गà¥à¤²à¤¾à¤®à¥€ में जनà¥à¤® लेते थे और उस दासता की अवसà¥à¤¥à¤¾ को अपना à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ समà¤à¤•à¤° गंदगी के कीड़ों की तरह उसी में मसà¥à¤¤ रहते थे उस समय आरà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¥à¤¤ की पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ का सजीव चितà¥à¤° खींचकर न केवल आरà¥à¤¯à¤¸à¤‚तान के अनà¥à¤¦à¤° ही आतà¥à¤®à¤¸à¤®à¥à¤®à¤¾à¤¨ का à¤à¤¾à¤µ उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ किया अपितॠयूरोपियन विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ को à¤à¥€ उनकी कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾à¤“ं की असारता दिखाकर चकà¥à¤•à¤° में डाल दिया. जिस समय लोग राजनैतिक और धारà¥à¤®à¤¿à¤• दासता का शिकार थे. जिस समय लोग दà¥à¤°à¥à¤µà¥à¤¯à¤¸à¤¨à¥‹ में लीन थे उस समय सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ जी ने लोगों को आतà¥à¤®à¤šà¤¿à¤‚तन, राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤šà¤¿à¤¨à¥à¤¤à¤¨ करना सिखाया. सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी का à¤à¤•-à¤à¤• कथन कà¥à¤°à¤¾à¤‚तिकारियों के लिठगीता बनते चले गये.
देश को राजनेतिक परतंतà¥à¤°à¤¤à¤¾ से मà¥à¤•à¥à¤¤ कर सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी का उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ धारà¥à¤®à¤¿à¤• था. ताकि हम धारà¥à¤®à¤¿à¤• रूप से à¤à¥€ सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤° हो, हिनà¥à¤¦à¥‚ समाज में समानता उनका लकà¥à¤·à¥à¤¯ था. जातिवाद, छà¥à¤†à¤›à¥‚त को दूर कर शिकà¥à¤·à¤¾ à¤à¤µà¤‚ नारी जाति में जागरण कर वह à¤à¤• महान समाज की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ करना चाहते थे. जो की गà¥à¤²à¤¾à¤® à¤à¤¾à¤°à¤¤ में बहà¥à¤¤ कठिन काम था. छोटे बड़े छूत-अछूत का à¤à¤¾à¤µ लोग वानरी के मृत बचà¥à¤šà¥‡ की तरह चिपकाठघूम रहे थे. 11 फरवरी 1923 को à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ शà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ सà¤à¤¾ की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ करते समय सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ शà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ आंदोलन आरमà¥à¤ किया गया. सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ इस अवसर पर कहा गया की जिस धारà¥à¤®à¤¿à¤• अधिकार से मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ को तबà¥à¤²à¥€à¤— और तंजीम का हक हैं उसी अधिकार से उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ अपने बिछà¥à¥œà¥‡ à¤à¤¾à¤‡à¤¯à¥‹à¤‚ को वापिस अपने घरों में लौटाने का हक हैं. आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ ने 1923 के अंत तक 30 हजार मलकानों को शà¥à¤¦à¥à¤§ कर दिया. लेकिन 23 दिसमà¥à¤¬à¤° 1926 को शà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ कारà¥à¤¯ से रà¥à¤·à¥à¤Ÿ होकर मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ ने सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ शà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨à¤‚द की हतà¥à¤¯à¤¾ कर दी तो गाà¤à¤§à¥€ जी ने हतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥‡ अबà¥à¤¦à¥à¤² रशीद को à¤à¥€ अपना à¤à¤¾à¤ˆ बताया.
आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ की ओर से इस समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§ में पतà¥à¤° लिखे गà¤, जिनका वरà¥à¤£à¤¨ पंडित अयोधà¥à¤¯à¤¾à¤¯ पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ जी बी.à¤. दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ लिखित “इसà¥à¤²à¤¾à¤® कैसे फैला” में किया गया हैं पर गाà¤à¤§à¥€ जी हठपर अड़े रहे ओर अहिंसा की अपनी परिà¤à¤¾à¤·à¤¾ बनाते रहे. जबकि सावरकर ने रतà¥à¤¨à¤¾à¤—िरी के विटà¥à¤ ल मंदिर में हà¥à¤ˆ शोक सà¤à¤¾ में कहा- “पिछले दिन, अबà¥à¤¦à¥à¤² रशीद नामक à¤à¤• धरà¥à¤®à¤¾à¤‚ध मà¥à¤¸à¥à¤²à¤®à¤¾à¤¨ ने सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी के घर जाकर उनकी हतà¥à¤¯à¤¾ कर दी. सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ शà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨à¤‚द जी हिनà¥à¤¦à¥‚ समाज के आधार सà¥à¤¤à¤®à¥à¤ थे. उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने सैकड़ों मलकाना राजपूतों को शà¥à¤¦à¥à¤§ करके पà¥à¤¨: हिनà¥à¤¦à¥‚ धरà¥à¤® में लाया था. वे हिनà¥à¤¦à¥‚ सà¤à¤¾ के अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· थे. यदि कोई घमंड में हो के सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी के जाने से सारा हिनà¥à¤¦à¥à¤¤à¥à¤µ नषà¥à¤Ÿ होगा, तो उसे मेरी चà¥à¤¨à¥Œà¤¤à¥€ हैं. जिस à¤à¤¾à¤°à¤¤ माता ने à¤à¤• शà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨à¤‚द का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ किया, उसके रकà¥à¤¤ की à¤à¤• बूंद से लाखों तलवारें तथा तोपें हिनà¥à¤¦à¥‚ धरà¥à¤® को विचलित कर न सकी, वह à¤à¤• शà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨à¤‚द की हतà¥à¤¯à¤¾ से नषà¥à¤Ÿ नहीं होगा बलà¥à¤•à¤¿ अधिक पनपेगा.
“सनà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¥€ की हतà¥à¤¯à¤¾ का सà¥à¤®à¤°à¤£ रखो’ लेख में सावरकर ने लिखा- हिनà¥à¤¦à¥‚ जाति के पतन से दिन रात तिलमिलाने वाले हे महाà¤à¤¾à¤— सनà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¥€. तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¤¾ परमपावन रकà¥à¤¤ बहाकर तà¥à¤®à¤¨à¥‡ हम हिंदà¥à¤¯à¥à¤“ं को संजीवनी दी हैं. तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¤¾ यह ऋण हिनà¥à¤¦à¥‚ जाति आमरण न à¤à¥‚ल सकेगी. हà¥à¤¤à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¾ की राख से अधिक शकà¥à¤¤à¤¿à¤¶à¤¾à¤²à¥€ इस संसार में अनà¥à¤¯ कोई होगा कà¥à¤¯à¤¾? वही à¤à¤¸à¥à¤® हे हिंदà¥à¤¯à¥‹à¤‚! फिर से अपने à¤à¤¾à¤² पर लगाकर संगठन ओर शà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ का पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° ओर पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤° करो ओर उस वीर सनà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¥€ की सà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ ओर पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ हम सबके हृदयों में निरंतर पà¥à¤°à¤œà¤²à¥à¤µà¤¿à¤¤ रहे, अपनी संपतà¥à¤¤à¤¿ अपना परिवार, अपना जीवन और अपना सरà¥à¤µà¤¸ समाज के लिठदान करने वाले अमर बलिदानी सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ जी को शत-शत नमन.......Rajeev Choudhary
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