आप अपनाना सीखे!!
Author
Rajeev ChoudharyDate
04-Jan-2017Category
लेखLanguage
HindiTotal Views
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Sandeep AryaUpload Date
04-Jan-2017Download PDF
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अब मैं उससे आजाद हूं। मैं समाज में नरक à¤à¥‹à¤— रही à¤à¤¸à¥€ महिलाओं के लिठलड़ूंगी।
तीन तलाक, इदà¥à¤¦à¤¤ व शरीयत के कानून का डर दिखाकर मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® समाज में महिलाओं पर अतà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤¾à¤° किया जाता है। ‘‘मैंने दस साल तक यह जà¥à¤²à¥à¤® सहा है। मैंने दस महीने की बेटी को आंखों के सामने मरते हà¥à¤ देखा है। मैं तिल-तिल कर रोज मरती रही। मैं अब शबनम नहीं दामिनी बनकर मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® समाज में वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कà¥à¤°à¥€à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के बारे जीवन समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ कर दूंगी।’’ यह बात शबनम से हिनà¥à¤¦à¥‚ धरà¥à¤® अपनाने वाली महिला दामिनी ने कही। यह दामिनी न तो किसी फिलà¥à¤® की कलाकार है न किसी राजनैतिक दल की नेता, कि सà¥à¤°à¥à¤–िया बटोरने के लिठपरà¥à¤¦à¥‡ पर छाने के लिठइसने यह बयान दिया हो। बलà¥à¤•à¤¿ कल की शबनम आज दामिनी बनकर अपनी पीड़ा बयान कर रही है। दामिनी ने अपने ऊपर हà¥à¤ à¤à¤•-à¤à¤• अतà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤¾à¤° की कहानी बताई। उसने बताया कि जब वह 8वीं में थी, तà¤à¥€ रिशà¥à¤¤à¥‡ के à¤à¤• यà¥à¤µà¤• से उसका निकाह करा दिया गया। इसके बाद जलà¥à¤¦à¥€-जलà¥à¤¦à¥€ बचà¥à¤šà¥‡ पैदा करने के लिठकहा गया। दस साल में ही चार बचà¥à¤šà¥‡ हो गà¤à¥¤ पहली बेटी को 2007 में पति ने पीट-पीट कर मार डाला। उसे हवा में ऊपर उछाल कर पटकता था। मेरे मना करने पर मà¥à¤à¥‡ मारता-पीटता था। कई बार तलाक की धमकी देता था। मेरे दो बेटे और हैं उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ उसने अपने पास रखा हà¥à¤† है। न जाने कैसे होंगे मेरे बचà¥à¤šà¥‡à¥¤ 2014 में मà¥à¤à¥‡ तीन तलाक देकर निकाल दिया।
दामिनी ने बताया कि पति दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ तीन तलाक देने के बाद चार माह इदà¥à¤¦à¤¤ में बिताà¤à¥¤ उसके बाद दूसरे मरà¥à¤¦ के साथ हलाला के नाम पर उससे वेशà¥à¤¯à¤¾à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤à¤¿ कराई गयी। हर बात पर पिटाई और गालियों की बौछार सहना मेरी नियति बन गई थी। अब मैं उससे आजाद हूं। मैं समाज में नरक à¤à¥‹à¤— रही à¤à¤¸à¥€ महिलाओं के लिठलड़ूंगी। दामिनी आज उस काले कफन से आजाद है जिसकी आड़ में उसे यह दरà¥à¤¦ à¤à¤°à¤¾ जीवन मिला। आज वह अपने 10 माह के बेटे का नाम ओम रखकर खà¥à¤¶ है वो खà¥à¤¶ होकर कहती है कि मैंने सà¥à¤µà¥‡à¤šà¥à¤›à¤¾ से वैदिक रीति से हिनà¥à¤¦à¥‚ धरà¥à¤® अपना लिया और मानवता के नाते उसे कà¥à¤› संगठनों ने रोजगार का साधन à¤à¥€ उपलबà¥à¤§ करा दिये।
यह à¤à¤• नारी की वेदना का किसà¥à¤¸à¤¾ है जो उसके शोषण का हाल बयान करता है अमूमन à¤à¤¸à¥‡ मामलों में समाज दया का à¤à¤¾à¤µ पà¥à¤°à¤•à¤Ÿ तो करता दिख जाता है किनà¥à¤¤à¥ आगे बà¥à¤•à¤° सहायता नहीं करता। लेकिन à¤à¤¸à¤¾ नहीं कि सब à¤à¤¸à¥‡ है अà¤à¥€ कà¥à¤› दिनों पहले ही राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ गंगापà¥à¤° सिटी की खबर थी कि à¤à¤• मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® लड़की फेहनाज शेख वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ में पà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚शी शरà¥à¤®à¤¾ के नाम से जानी जाती है। पà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚शी बताती है कि उसके घर में महिलाओं से वैशà¥à¤¯à¤¾à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤à¤¿ करायी जाती थी जो उसे पसंद नहीं था उसने इस नरक से छà¥à¤Ÿà¤•à¤¾à¤°à¤¾ पाने के लिठदामोदर नाम के à¤à¤• यà¥à¤µà¤• से सहायता मांगी। दामोदर और उसके परिवार ने फेहनाज शेख को न केवल सहायता दी बलà¥à¤•à¤¿ उसे अपने परिवार में दामोदर की पतà¥à¤¨à¥€ के रूप में सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° कर लिया. फेहनाज शेख से पà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚शी बनी यà¥à¤µà¤¤à¥€ बताती है कि वह उस समाज से निकलकर आई है जहाठसà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ को कोई समà¥à¤®à¤¾à¤¨ नहीं मिलता जबकि वैदिक धरà¥à¤® में आकर मà¥à¤à¥‡ लकà¥à¤·à¥à¤®à¥€ जैसा समà¥à¤®à¤¾à¤¨ मिला है।
वासà¥à¤¤à¤µ में मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨ समाज में सामानà¥à¤¯ रà¥à¤ª से माना जाता है कि सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ मातà¥à¤° पà¥à¤°à¥à¤· का à¤à¤• शिकार है और पà¥à¤°à¥à¤· शिकारी। वह अपने पति की सहयोगी की बजाठनौकर समà¤à¥€ जाती है। छोटी-छोटी बातों में तलाक मिलना उसके बाद हलाला जैसी अमानवीय पà¥à¤°à¤¥à¤¾ से गà¥à¤œà¤°à¤¨à¤¾ लेकिन इन सबके बाद à¤à¥€ उसे कोई सà¥à¤¥à¤¾à¤ˆ ठिकाना मिले इस बात की कोई गारंटी नहीं होती है। कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि अधिकांश मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® समाज उस आधà¥à¤¨à¤¿à¤•à¤¤à¤¾ से डरता है जिसमें महिला समाज को सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤¤à¤¾ की बात होती है। हमेशा समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ विशेष के बीच यह बैचौनी वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ रहती है कि महिलायें अपने पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¬à¤‚धों से आगे आ जायेंगी और अगली पीà¥à¥€ के लिठरासà¥à¤¤à¤¾ खोल देगी। सब जानते हैं कि à¤à¤¾à¤°à¤¤ में अà¤à¥€ पिछले दिनों तीन तलाक और हलाला जैसी कà¥à¤ªà¥à¤°à¤¥à¤¾ पर किस तरीके से मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® मौलाना उगà¥à¤° होकर सामने आये थे।
यह à¤à¤• शबनम से दामिनी बनी लड़की की कहानी नहीं है बलà¥à¤•à¤¿ यह à¤à¤• सच है और à¤à¤¸à¥€ न जाने कितनी दामिनी आज शोषण की शिकार हैं उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ सहारे की जरूरत है बस अपनाने वाले दामोदर जैसे लोगों की बाट जोह रही हैं। सालों पहले मेरे à¤à¤• बà¥à¤œà¥à¤°à¥à¤— कहा करते थे कि, मैंने à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨ को कà¤à¥€ कोई यà¥à¤¨à¤¿à¤µà¤°à¥à¤¸à¤¿à¤Ÿà¥€, सà¥à¤•à¥‚ल या कॉलेज माà¤à¤—ते हà¥à¤ नहीं देखा, न कà¤à¥€ वह अपने इलाके में असà¥à¤ªà¤¤à¤¾à¤² के लिठआंदोलन चलाते हैं और न ही बिजली पानी के लिà¤! उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ चाहिठतो बस लाउडसà¥à¤ªà¥€à¤•à¤° पर मसà¥à¤œà¤¿à¤¦ से अजान देने की इजाज़त और महिलाओं पर सातवीं शताबà¥à¤¦à¥€ के विवाह के सउदी अरब के नियम पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¨ का कानून। 21वीं सदी में वह आज à¤à¥€ उस शरीयत को लागू करने के लिठजान देते हैं जिसमें सिरà¥à¤« à¤à¤• नारी की कोमल à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤“ं का शोषण होता है। जिस कारण आज के समय के इनà¥à¤¸à¤¾à¤¨ के लिठयह à¤à¤• चिनà¥à¤¤à¤¨ का à¤à¤• चिनà¥à¤¹ है। इसलिठवह नारी आज अपने वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ को पहचानने की कोशिश कर रही है और इसी कोशिश में वह सैकड़ों साल पीछे जाकर अरब देश से चली परमà¥à¤ªà¤°à¤¾à¤“ं की कितनी ही घटनाओं में खà¥à¤¦ को शोषण का शिकार पाती है। दामिनी जैसी हर à¤à¤• नारी अपने गालों पर आसà¥à¤‚ओं के सूखे निशान लेकर इस समाज से आज अपने सवालों के जबाब लेने निकली है अपना पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¤¾ नाम मिटाकर, अपना पता और धरà¥à¤® मिटाकर जो कहती है अगर आपने मà¥à¤à¥‡ कà¤à¥€ तलाश करना है तो जाओ हर देश, हर शहर की, हर गली का दà¥à¤µà¤¾à¤° खटखटाओ-तब शायद जान पाओगे कि मैं à¤à¤• शाप हूं या à¤à¤• वरदान? मà¥à¤à¥‡ सहारा देना पाप है या समà¥à¤®à¤¾à¤¨?
-राजीव चौधरी
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