दिलà¥à¤²à¥€ विशà¥à¤µ पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• मेले में आरà¥à¤¯ समाज कà¥à¤¯à¥‹à¤‚?
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Rajeev ChoudharyDate
13-Jan-2017Category
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HindiTotal Views
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Sandeep AryaUpload Date
13-Jan-2017Download PDF
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आरà¥à¤¯ समाज की किसी धरà¥à¤®-मत से लड़ाई नहीं है बस यह तो हजारों साल के पाखंड, कà¥à¤°à¥€à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ और कà¥à¤ªà¥à¤°à¤¥à¤¾à¤“ं से लà¥
कई रोज पहले की बात है दो लड़कियां बस में जा थी जो आपस में चरà¥à¤š और ईसाइयत की महानता का बखान कर रही थी. मैंने सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ वश पूछ लिया, “बहन आप इसाई हो? à¤à¤• ने कहा नहीं ! तो बहन अपने धरà¥à¤® को à¤à¥€ जानों पढो, संसार में इससे महान कोई सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾ और धरà¥à¤® नहीं है.” उनमें से à¤à¤• बोली “कौन से धरà¥à¤® की बात कर रहे हो à¤à¤ˆà¤¯à¤¾,” आसाराम वाला, राधे माठवाला, संत रामपाल या नितà¥à¤¯à¤¾à¤¨à¤¦ वाला? यह पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ शूल की तरह मेरे हà¥à¤°à¤¦à¤¯ में चà¥à¤à¤¾. हालाà¤à¤•à¤¿ आरà¥à¤¯ यà¥à¤µà¤• अपने तरà¥à¤•à¥‹à¤‚ से अपनी कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾ का परिचय देने में समरà¥à¤¥ हैं. पर गलती उन à¤à¥‹à¤²à¥€-à¤à¤¾à¤²à¥€ लड़कियों की नहीं थी. गलती हमारी है कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ को जो दिया जाता है वो वही वापस मिलता है. जब हम बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ को कीरà¥à¤¤à¤¨ जागरण पर नाच कूद और तथाकथित ढोंगी बाबाओं के पाखंड देंगे तो बदले में हमें यही जवाब मिलेंगे. वो समà¤à¥‡à¤‚गे शायद यही धरà¥à¤® है. कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि हमेशा से समाज में धरà¥à¤® जीवन के हर पहलॠको पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ करता आया है जब तक हम बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ को वैदिक सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾ का वातावरण नहीं देंगे कà¥à¤› à¤à¤¸à¤¾ नहीं देंगे कि उनमें संसà¥à¤•à¤¾à¤° पनपे तब तक बचà¥à¤šà¥‡à¤‚ माता-पिता का तिरसà¥à¤•à¤¾à¤° करेंगे. चरà¥à¤š की महानता का जिकà¥à¤° करेंगे, कà¥à¤°à¤¾à¤¨ का पाठकरेंगे, धरà¥à¤®à¤¾à¤‚तरण करेंगे. यदि आज आधà¥à¤¨à¤¿à¤• शिकà¥à¤·à¤¾ के साथ वैदिक संसà¥à¤•à¤¾à¤° मिले तो में दावे के साथ कह सकता हूठआज à¤à¥€ राम, दशरत के कहने पर महल तà¥à¤¯à¤¾à¤— देगा. वरना तो वरà¥à¤¦à¥à¤§ आशà¥à¤°à¤® के दà¥à¤µà¤¾à¤° दशरत का सà¥à¤µà¤¾à¤—त करेंगे...
आज सवाल यह है कि कà¥à¤¯à¤¾ सबके पास आरà¥à¤· साहितà¥à¤¯ है? वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ की चकाचोंध दिखाकर नई पीà¥à¥€ को à¤à¥à¤°à¤·à¥à¤Ÿ होने से बचाने के लिठकà¥à¤¯à¤¾ सबके पास तरà¥à¤•à¥‹à¤‚ की कसोटी पर खरी उतरने वाली विशà¥à¤µ की à¤à¤• मातà¥à¤° पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ है? आखिर हम इन छोटी-छोटी अलà¥à¤ª मूलà¥à¤¯ की पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥‡à¤‚ à¤à¥€ अपने घर कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ नहीं रख पाà¤? कà¥à¤¯à¤¾ अगली पीà¥à¥€ को संसà¥à¤•à¤¾à¤°à¤µà¤¾à¤¨ बनाने का कारà¥à¤¯ हमारा नहीं है? अपनी बेटी-बेटे उनके कोमल मन पर हम वैदिक सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾ की छाप छोड़ने में पीछे कà¥à¤¯à¥‹à¤‚? में उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ साधू संत बनाने की नहीं कह रहा बस इतना कि आपकी सेवा करे और आगे à¤à¤• बेहतर समाज खड़ा करे. कà¥à¤› दिन पहले की बात है मेटà¥à¤°à¥‹ के अनà¥à¤¦à¤° मैंने à¤à¤• बà¥à¤œà¥à¤°à¥à¤— को कहते सà¥à¤¨à¤¾ कि आजकल के बचà¥à¤šà¥‡à¤‚ मेटà¥à¤°à¥‹ के अनà¥à¤¦à¤° दिठजाने वाले दिशा निरà¥à¤¦à¥‡à¤¶ का सही से पालन नहीं करते. फिर वो खà¥à¤¦ ही बोल उठा, “जो माà¤-बाप की नहीं सà¥à¤¨à¤¤à¥‡ वो मेटà¥à¤°à¥‹ अनाउंसर की कैसे सà¥à¤¨à¥‡à¤—े? यह वह दà¥à¤ƒà¤– है जो आज हर माà¤-बाप किसी न किसी रूप में अपने अनà¥à¤¤à¤¸à¥ में महसूस कर रहा है.
à¤à¤¸à¤¾ नहीं है सब लोग धरà¥à¤® से विमà¥à¤– है बस यह सोचते है कà¥à¤¯à¤¾ होगा वेद पढने से कà¥à¤¯à¤¾ हासिल होगा सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ पढने से! ये सब पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥€ बातें है आज आधà¥à¤¨à¤¿à¤• जमाना है ये सब चीजें कोई मायने नहीं रखती आदि –आदि सवालों से अपने मन को बहला लेते है. पर जब हम जरा सा à¤à¥€ दà¥à¤–ी होते है तब सबसे पहले ईशà¥à¤µà¤° याद आता है. अचà¥à¤›à¤¾ आज अपनी आतà¥à¤®à¤¾ से à¤à¤• छोटे से सवाल का जवाब देना बिलकà¥à¤² निषà¥à¤ªà¤•à¥à¤· होकर और यह सवाल किसी à¤à¤• से नहीं बलà¥à¤•à¤¿ समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ मानवजाति से है, “कà¥à¤¯à¤¾ अपने असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ का बोदà¥à¤§ करना पाप है? कà¥à¤¯à¤¾ सतà¥à¤¯- असतà¥à¤¯ को जानना नà¥à¤¯à¤¾à¤¯-अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯ को जानना तरà¥à¤• संगत ठहराना अनà¥à¤šà¤¿à¤¤ है? आखिर हमारा जनà¥à¤® कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ हà¥à¤†? दो जून का à¤à¥‹à¤œà¤¨ सैर सपाटा तो जानवर à¤à¥€ कर लेते है. या फिर सिरà¥à¤« इसलिठकी हम बस मोबाईल पर गेम खेले या अपने घर परिवार तक सिमित रहे? जिस महान सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾ में वेदों की à¤à¥‚मि में हमारा जनà¥à¤® हà¥à¤† कà¥à¤¯à¤¾ हम पर उतà¥à¤¤à¤°à¤¦à¤¾à¤¯à¤¿à¤¤à¥à¤µ नहीं है कि इसका सà¥à¤µà¤°à¥‚प बिना बिगाड़े हम अगली पीà¥à¥€ के हाथ में सोपने का कारà¥à¤¯ करे?
अकà¥à¤¸à¤° बातों-बातों यह सà¥à¤¨à¤¾ जाता है कि अब जमाना पहले जैसा नहीं रहा न बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ में संसà¥à¤•à¤¾à¤° बचे न मरà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾. पर कà¤à¥€ किसी ने सोचा है इसके जिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤° कौन है जरा सोचिये जब हमे जमाना और संसà¥à¤•à¤¾à¤° ठीक मिला था जिसका हम अकà¥à¤¸à¤° जिकà¥à¤° करते है तो उसका वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ में सà¥à¤µà¤°à¥‚प कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ बिगड़ा? में समà¤à¤¤à¤¾ हूठकौन है उसका दोषी? दो चार घंटे कीरà¥à¤¤à¤¨-जागरण कर या गाड़ी में दो à¤à¤œà¤¨ चला लेना धरà¥à¤® है? नहीं वो मनोरंजन हो सकता है लेकिन धरà¥à¤® नहीं!! पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• परिवार जिसमें 4 लोग है ओसतन हर महीने 500 सौ या 700 रूपये का इनà¥à¤Ÿà¤¨à¥‡à¤Ÿ डाटा इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² कर लेते है. में यह नही कह रहा वो कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ करते है यह सब आज जीवन का हिसà¥à¤¸à¤¾ बन चूका है. लेकिन जब अपने गà¥à¤°à¤‚थो का मामला आता है तो हम बचत करते दिख जाते है. à¤à¤¸à¤¾ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚? जबकि सब जानते है की इंटरनेट का पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— à¤à¤• बार बचà¥à¤šà¥‡ की मानसिकता धूमिल कर सकता है किनà¥à¤¤à¥ हमारा वैदिक साहितà¥à¤¯ जिसमें à¤à¤• बार किया निवेश उसे कà¤à¥€ पतन की और नहीं जाने देगा. वरन पीà¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ तक उसे बचत खाते की तरह परिवार को बà¥à¤¯à¤¾à¤œ में संसà¥à¤•à¤¾à¤° देता रहेगा. यदि वो 10 मिनट à¤à¥€ अपने गà¥à¤°à¤‚थो वेद उपनिषद में देगा तो उसके संसà¥à¤•à¤¾à¤° जाग उठेंगे.
आरà¥à¤¯ समाज की किसी धरà¥à¤®-मत से लड़ाई नहीं है बस यह तो हजारों साल के पाखंड, कà¥à¤°à¥€à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ और कà¥à¤ªà¥à¤°à¤¥à¤¾à¤“ं से लड़ रहा है, जिसमें यह रकà¥à¤¤ रंजित à¤à¥€ हà¥à¤† कà¤à¥€ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ के रूप में, कà¤à¥€ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ जी रूप में, कà¤à¥€ पंडित लेखराम के रूप में. अब आरà¥à¤¯ समाज पà¥à¤¨à¤ƒ अंगड़ाई ले चà¥à¤•à¤¾ है, à¤à¤• बार आना 2017 के विशà¥à¤µ पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• मेले में देखना सà¤à¥€ धरà¥à¤®à¥‹à¤‚ ,पंथों और मत-मतानà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ के विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ सà¥à¤Ÿà¤¾à¤² लगे मिलेंगे. इसाई समाज बाइबिल को लेकर इसà¥à¤²à¤¾à¤®à¤¿à¤• समाज कà¥à¤°à¤¾à¤¨ के पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° में कोई आसाराम को निरà¥à¤¦à¥‹à¤· बताता मिलेगा तो कोई राधे माठका गà¥à¤£à¤—ान करता दिख जायेगा. ओशो का अशà¥à¤²à¥€à¤² साहितà¥à¤¯ बिकता मिलेगा. हिंदी साहितà¥à¤¯ हाल में केवल और केवल आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ ही राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¦à¥€, समाज सà¥à¤§à¤¾à¤°à¤•, नवचेतना, सदाचारी, पाखंडों से मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ दिलाने वाला, विधरà¥à¤®à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के जाल से बचाने वाला साहितà¥à¤¯ वितरित करता दिखेगा.
हर वरà¥à¤· देश विदेश से हजारों की संखà¥à¤¯à¤¾ में पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¨ धारà¥à¤®à¤¿à¤• संसà¥à¤¥à¤¾ पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥‹à¤‚ के माधà¥à¤¯à¤® से अपनी संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ का पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° करने यहाठआते है, निशà¥à¤²à¥à¤• कà¥à¤°à¤¾à¤¨ और बाइबिल यह बांटी जाती है. चà¥à¤ªà¤šà¤¾à¤ª धरà¥à¤®à¤¾à¤‚तरण के जाल यहाठबिछाये जाते है. हमारी संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ पर हमला किया जाता है उस समय जब लोग धरà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤°à¤ªà¥‡à¤•à¥à¤·à¤¤à¤¾ की आड़ में हमारे वैदिक धरà¥à¤® को नीचा दिखाने की नाकाम कोशिश करते है तब आरà¥à¤¯ समाज कà¥à¤¯à¤¾ करे? उस समय जिस हिनà¥à¤¦à¥‚ के हाथ में सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ होता है वो ही विजयी होता है. जिसके पास नहीं होता वो हार जाता है. अब तो सब समठगये होंगे कि आरà¥à¤¯ समाज का पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• मेले में जाना कोई वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¾à¤°à¤¿à¤• पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤œà¤¨ नहीं है बलà¥à¤•à¤¿ अपनी महान वैदिक सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾ का पहरेदार बनकर जाता है. 50 रूपये की कीमत का सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ दानी महानà¥à¤à¤¾à¤“ं के सहयोग से 10 रूपये में उपलबà¥à¤§ कारà¥à¤¯ जाता है. गत वरà¥à¤· हिंदी à¤à¤¾à¤·à¤¾ में सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ ने समूचे मेले में सà¤à¥€ à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤“ं में विकà¥à¤°à¥€ होने वाली किसी à¤à¤• पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• की सरà¥à¤µà¤¾à¤§à¤¿à¤• विकà¥à¤°à¥€ का रिकॉरà¥à¤¡ सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ किया था. उरà¥à¤¦à¥‚, अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ वा अनà¥à¤¯ à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤“ं में सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ की विकà¥à¤°à¥€ इसके अतिरिकà¥à¤¤ रही और विशेष बात यह है कि सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ की यह पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® सहित मà¥à¤–à¥à¤¯à¤¤à¤ƒ गैर आरà¥à¤¯ समाजियों के घरों में गई. इस बार फिर आप सà¤à¥€ से निवेदन है आपको आमनà¥à¤¤à¥à¤°à¤£ है आओ आरà¥à¤¯ समाज के साथ इस राषà¥à¤Ÿà¥à¤° निरà¥à¤®à¤¾à¤£ के यजà¥à¤ž में अपने कीमती समय की आहà¥à¤¤à¤¿ देवें...राजीव चौधरी
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