महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ जी धारà¥à¤®à¤¿à¤• व सामाजिक कà¥à¤°à¤¾à¤‚ति के पà¥à¤°à¥‹à¤§à¤¾
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Rajeev ChoudharyDate
08-Feb-2017Category
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19वीं सदी जब सारा à¤à¤¾à¤°à¤¤ अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥‹à¤‚ की दासता को अपना à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ समà¤à¤•à¤° सोया था। देशवासी अपनी गà¥à¤²à¤¾à¤®à¥€ की जंजीरों को तोड़ने की बजाय उलà¥à¤Ÿà¤¾ उनका शà¥à¤°à¥ƒà¤‚गार कर रहे थे। राजनैतिक और मानसिक दासता इस तरह लोगों के दिमाग में घर कर गयी थी कि आजादी की बात करना à¤à¥€ लोगों को à¤à¤• सà¥à¤µà¤ªà¥à¤¨ सा लगने लगा था। देश और समाज को सती पà¥à¤°à¤¥à¤¾, जाति पà¥à¤°à¤¥à¤¾, बाल विवाह, परà¥à¤¦à¤¾ पà¥à¤°à¤¥à¤¾, मूरà¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥‚जा, छà¥à¤†à¤›à¥‚त à¤à¤µà¤‚ बहà¥à¤¦à¥‡à¤µà¤µà¤¾à¤¦ आदि बà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤¯à¥‹à¤‚ ने दूषित कर रखा था, विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ आडमà¥à¤¬à¤°à¥‹à¤‚ के कारण धरà¥à¤® संकीरà¥à¤£ होता जा रहा था। ईसाइयत और इसà¥à¤²à¤¾à¤® अपने चरम पर था। हालाà¤à¤•à¤¿ à¤à¤¾à¤°à¤¤ से मà¥à¤—ल शासन राजनैतिक सà¥à¤¤à¤° पर खतà¥à¤® हो गया था पर सामाजिक सà¥à¤¤à¤° पर पूरी तरह हावी था। लोग वैदिक हिनà¥à¤¦à¥‚ धरà¥à¤® के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ उदासीन होते जा रहे थे। अपनी संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ कोई रà¥à¤šà¤¿ लोगों के अनà¥à¤¦à¤° न रही थी। देश पर अंगà¥à¤°à¥‡à¤œ तो धरà¥à¤® पर पाखंड हावी था और सरà¥à¤µ समाज विसंगतियों के जाल में कैद था।
लेकिन उसी दौरान गà¥à¤œà¤°à¤¾à¤¤ के टंकारा नामक सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर à¤à¤• बालक का जनà¥à¤® ;फालà¥à¤—à¥à¤¨à¤¦à¥à¤§ फरवरी माह सनॠ1824 में हà¥à¤† था जिसका नाम मूलशंकर रखा गया। ततà¥à¤ªà¤¶à¥à¤šà¤¾à¤¤à¥ समसà¥à¤¤ विशà¥à¤µ में इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ के नाम से जाना गया। जिसने इस समाज को जीना सिखाया, उस समाज को जो चà¥à¤¨à¥Œà¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के सामने समरà¥à¤ªà¤£ किये बैठा था और धारà¥à¤®à¤¿à¤• और राजनैतिक दासता सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° किये बैठा था। छोटी-बड़ी जाति का à¤à¥‡à¤¦ जोकि सैकड़ों साल की गà¥à¤²à¤¾à¤®à¥€ का कारण थी। उसे लोग सीने से चिपकाये बैठे थे। उस समय दया के धनी देव दयाननà¥à¤¦ जी महाराज ने जनसमूह को सचà¥à¤šà¤¾à¤ˆ से अवगत कराया कि छà¥à¤†à¤›à¥‚त की à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ या वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° à¤à¤• अपराध है जोकि वेदों के सिदà¥à¤§à¤¾à¤‚त के विपरीत है। धरà¥à¤® और जाति पर आधारित बहà¥à¤¤-सी बà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤¯à¥‹à¤‚ तथा अंधविशà¥à¤µà¤¾à¤¸ पर चोट करते हà¥à¤ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी ने कà¥à¤ªà¥à¤°à¤¥à¤¾à¤“ं, विसंगतियों के रखवाले पाखंडियों को ललकारा। उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ बताया कि जो अपने कारà¥à¤¯ व वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° से बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ तà¥à¤²à¥à¤¯ वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° करता है वही शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ है न कि कोई जनà¥à¤® जाति के आधार पर।
पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ के साथ-साथ पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ करना à¤à¥€ जरूरी है यह सिखाया। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी की इस ललकार से समाज की चेतना हिली। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी ने धारà¥à¤®à¤¿à¤• सà¥à¤§à¤¾à¤° के साथ राजनैतिक सà¥à¤§à¤¾à¤° की बात कर अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥‹à¤‚ के सिंहासन तक को हिला डाला। जब अंगà¥à¤°à¥‡à¤œ महारानी à¤à¤¾à¤°à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को यह कहकर दासता का घूंट पिला रही थी कि हम à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯à¥‹à¤‚ का अपने बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ की तरह खà¥à¤¯à¤¾à¤² रखेंगे तब सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी ने कहा था राजा सà¥à¤µà¤¦à¥‡à¤¶ की मिटà¥à¤Ÿà¥€ से पैदा होना चाहिठजिनकी जड़ें अपनी देश की मिटà¥à¤Ÿà¥€ में हां जो विदेश से आयातित न हो जिनकी आसà¥à¤¥à¤¾ अपनी धरà¥à¤® संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿, सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं, परमà¥à¤ªà¤°à¤¾à¤“ं में हो। बाद में सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी के इनà¥à¤¹à¥€à¤‚ वाकà¥à¤¯à¥‹à¤‚ ने अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ सतà¥à¤¤à¤¾ की नींव हिला दी थी। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयानंद सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ जी सरà¥à¤µà¤¦à¤¾ सतà¥à¤¯ के लिठजूà¤à¤¤à¥‡ रहे, सतà¥à¤¯à¤¾à¤—à¥à¤°à¤¹ करते रहे। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपने उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯-पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ के लिठकà¤à¥€ हेय और अवांछनीय साधन नहीं अपनाà¤à¥¤ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€à¤œà¥€ ने आने वाली पीà¥à¥€ के सोचने के लिठदेश, जाति और समाज के सà¥à¤§à¤¾à¤°, उतà¥à¤¥à¤¾à¤¨ और संगठन के लिठआवशà¥à¤¯à¤• à¤à¤• à¤à¥€ बात या पकà¥à¤· अछूता नहीं छोड़ा।
इसी समय देश में पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¤¾à¤—रण हà¥à¤†à¥¤ देश ने अंगड़ाई ली जो सैंकड़ों सालों से यà¥à¤µà¤¾ जात-पात के लिठआपस में लड़ रहे थे। उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ समà¤à¤¾à¤¯à¤¾ कब तक दूसरों के लिठलड़ोगे! कà¤à¥€ इस राजा के लिठकà¤à¥€ उस राजा के लिà¤, कà¤à¥€ अपनी जाति के लिठतो कà¤à¥€ आडमà¥à¤¬à¤°à¤¾à¤‚ की रकà¥à¤·à¤¾ के लिà¤? उठो जागो! अब राषà¥à¤Ÿà¥à¤° की à¤à¤•à¤¤à¤¾ धरà¥à¤® के सिदà¥à¤§à¤¾à¤‚त के लिà¤, राषà¥à¤Ÿà¥à¤° निरà¥à¤®à¤¾à¤£ के लिठसीना तानकर खड़े हो जाओ। इस कारण आधà¥à¤¨à¤¿à¤• à¤à¤¾à¤°à¤¤ के निरà¥à¤®à¤¾à¤£ को पà¥à¤°à¥‹à¤¤à¥à¤¸à¤¾à¤¹à¤¨ मिला। अà¤à¤—à¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ सरकार सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयानंद से बà¥à¤°à¥€ तरह तिलमिला गयी। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€à¤œà¥€ से छà¥à¤Ÿà¤•à¤¾à¤°à¤¾ पाने के लिà¤, उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ समापà¥à¤¤ करने के लिठतरह-तरह के षडà¥à¤¯à¤‚तà¥à¤° रचे जाने लगे जिसमें पाखंडियों का सहयोग à¤à¥€ नहीं नकारा जा सकता जो इस à¤à¤¾à¤°à¤¤ को धरà¥à¤® के नाम पर लूट रहे थे। धरà¥à¤® सà¥à¤§à¤¾à¤° हेतॠअगà¥à¤°à¤£à¥€ रहे दयानंद सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ ने अपà¥à¤°à¥ˆà¤²1875 में मà¥à¤‚बई में आरà¥à¤¯ समाज की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ की। वेदों का पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° करने के लिठउनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने पूरे देश का दौरा करके पंडित और विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ को वेदों की महतà¥à¤¤à¤¾ के बारे में समà¤à¤¾à¤¯à¤¾à¥¤ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी ने धरà¥à¤® परिवरà¥à¤¤à¤¨ कर चà¥à¤•à¥‡ लोगों को पà¥à¤¨à¤ƒ हिनà¥à¤¦à¥‚ बनने की पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ देकर शà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ आंदोलन चलाया। पà¥à¤¨à¤ƒ वैदिक कॉलेजों की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ होने लगी। हिनà¥à¤¦à¥‚ समाज को इससे नई चेतना मिली और अनेक संसà¥à¤•à¤¾à¤°à¤—त कà¥à¤°à¥€à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से छà¥à¤Ÿà¤•à¤¾à¤°à¤¾ मिलना आरमà¥à¤ हो गया। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी ने à¤à¤•à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤°à¤µà¤¾à¤¦ का रासà¥à¤¤à¤¾ दिखाया। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने जातिवाद और बाल-विवाह का विरोध किया और नारी शिकà¥à¤·à¤¾ तथा विधवा विवाह को पà¥à¤°à¥‹à¤¤à¥à¤¸à¤¾à¤¹à¤¿à¤¤ किया। उनका कहना था कि किसी à¤à¥€ अहिनà¥à¤¦à¥‚ को हिनà¥à¤¦à¥‚ धरà¥à¤® में लिया जा सकता है जिस कारण उस समय हिनà¥à¤¦à¥à¤“ं का धरà¥à¤® परिवरà¥à¤¤à¤¨ रà¥à¤• गया। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने इस सरà¥à¤µ समाज को सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ जैसा सही रासà¥à¤¤à¤¾ दिखाने वाला गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ दिया। अपनी यà¥à¤µà¤¾à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾, अपना जीवन, अपना सरà¥à¤µà¤¸à¥à¤µ इस देश और समाज को दिया। कà¥à¤¯à¤¾ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी का यह बलिदान कोई à¤à¥‚ल सकता है। वे पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• की पूरà¥à¤¤à¤¿ के लिठमनसा, वाचा, करà¥à¤®à¤£à¤¾ मरण-परà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤ पà¥à¤°à¤¯à¤¤à¥à¤¨à¤¶à¥€à¤² रहे उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपने उपदेशों, लेखों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ और लोगों के समà¥à¤®à¥à¤– अपना पावन आदरà¥à¤¶ तथा शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ चरितà¥à¤° उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ करके देश में जागृति उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ कर दी जिससे à¤à¤¾à¤µà¥€ राजनैतिक नेताओं का कारà¥à¤¯ बहà¥à¤¤ ही सà¥à¤—म व सरल हो गया।निःसंदेह सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयानंद सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ राषà¥à¤Ÿà¥à¤°-निरà¥à¤®à¤¾à¤¤à¤¾ थे। महरà¥à¤·à¤¿ देव दयाननà¥à¤¦ जी के जनà¥à¤®à¥‹à¤¤à¥à¤¸à¤µ पर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ शतà¥-शतॠनमन।
-राजीव चौधरी
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