केवल जलीकटà¥à¤Ÿà¥‚ का विरोध गलत!!
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Rajeev ChoudharyDate
08-Feb-2017Category
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HindiTotal Views
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amitUpload Date
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जलà¥à¤²à¥€à¤•à¤Ÿà¥à¤Ÿà¥‚ à¤à¤• खेल है या धारà¥à¤®à¤¿à¤• आसà¥à¤¥à¤¾ से जà¥à¤¡à¥€ à¤à¤• परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ का सवाल? पिछले कई दिनों से यह मामला उà¤à¤°à¤•à¤° सामने आया है. दरअसल जलà¥à¤²à¥€à¤•à¤Ÿà¥à¤Ÿà¥‚ को धारà¥à¤®à¤¿à¤• आसà¥à¤¥à¤¾ से इस वजह से à¤à¥€ जोड़ा जा रहा है कि पोंगल तà¥à¤¯à¥‹à¤¹à¤¾à¤° के दौरान यह खेल पिछले चार सौ वरà¥à¤·à¥‹ से खेला जाता रहा है. हो सकता है उस समय कोई और खेल न रहा हो अपने बल और पराकà¥à¤°à¤® को साबित करने के लिठइस खेल का आयोजन होता हो! पर आज à¤à¤¸à¤¾ नहीं है आज के आधà¥à¤¨à¤¿à¤• यà¥à¤— में सैंकड़ो खेल उà¤à¤° कर सामने आये है जिनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ बिना किसी हिंसा या चोट के खेला जाता है. परनà¥à¤¤à¥ इस खेल की पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨à¤¤à¤¾ को लेकर उà¤à¤°à¥‡ इस नये विवाद में राजनीतिक हसà¥à¤¤à¤•à¥à¤·à¥‡à¤ª से à¤à¥€ इंकार नहीं किया जा सकता. अकà¥à¤¸à¤° हमारे देश में बहà¥à¤¤à¥‡à¤°à¥‡ फैसले जन à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤“ं को धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ में रखकर लिठजाते है.लेकिन पिछले कà¥à¤› समय में सबने देखा कि जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¤à¤° फैसलों में सà¥à¤ªà¥à¤°à¥€à¤® कोरà¥à¤Ÿ को विरोध का सामना ही करना पड़ा है चाहें उसमें जनà¥à¤®à¤¾à¤·à¥à¤ मी की दही हांड़ी पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤—िता हो या महाराषà¥à¤Ÿà¥à¤°, करà¥à¤¨à¤¾à¤Ÿà¤•, पंजाब, हरियाणा, केरल व गà¥à¤œà¤°à¤¾à¤¤ में परंपरागत बैलगाड़ी दौड़ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤—िता.
जलà¥à¤²à¥€à¤•à¤Ÿà¥à¤Ÿà¥‚ तमिलनाडॠके गà¥à¤°à¤¾à¤®à¥€à¤£ इलाकों का à¤à¤• परंपरागत खेल है जिसमे बैलों से इंसानों की लड़ाई कराई जाती है. जलà¥à¤²à¥€à¤•à¤Ÿà¥à¤Ÿà¥‚ को तमिलनाडॠके गौरव तथा संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ का पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤• कहा जाता है. तमिलनाडॠसे सà¥à¤ªà¥à¤°à¥€à¤® कोरà¥à¤Ÿ के वकील वी. सालियन के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° ये 5000 साल पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¤¾ खेल है जो उनकी संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ से जà¥à¥œà¤¾ है. पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ काल में महिलाà¤à¤‚ अपने वर को चà¥à¤¨à¤¨à¥‡ के लिठजलीकटà¥à¤Ÿà¥‚ खेल का सहारा लेती थी. जलीकटà¥à¤Ÿà¥‚ खेल का आयोजन सà¥à¤µà¤‚यवर की तरह होता था जो कोई à¤à¥€ योदà¥à¤§à¤¾ बैल पर काबू पाने में कामयाब होता था महिलाà¤à¤‚ उसे अपने वर के रूप में चà¥à¤¨à¤¤à¥€ थी हालाà¤à¤•à¤¿ इस तरह का खेल सà¥à¤ªà¥‡à¤¨ में à¤à¥€ होता है जिसे बà¥à¤² फाइट कहते हैं और वहां ये खेल काफी लोकपà¥à¤°à¤¿à¤¯ है. कई बार जलीकटà¥à¤Ÿà¥‚ के इस खेल की तà¥à¤²à¤¨à¤¾ सà¥à¤ªà¥‡à¤¨ की बà¥à¤²à¤«à¤¾à¤‡à¤Ÿà¤¿à¤‚ग से à¤à¥€ की जाती है लेकिन ये खेल सà¥à¤ªà¥‡à¤¨ के खेल से काफी अलग है इसमें बैलों को काबू करने वाले यà¥à¤µà¤• किसी तरह के हथियार का इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² नहीं करते हैं.
2014 में जानवरों की सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾ करने वाली संसà¥à¤¥à¤¾ पेटा इस मामले को सà¥à¤ªà¥à¤°à¥€à¤® कोरà¥à¤Ÿ में ले गयी. अदालत ने इस खेल पर पाबंदी लगाने का फैसला सà¥à¤¨à¤¾à¤¯à¤¾. जलीकटà¥à¤Ÿà¥‚ सामंती यà¥à¤— की à¤à¤• परंपरा है जो न सिरà¥à¤« पशà¥à¤“ं बलà¥à¤•à¤¿ इसमें शामिल इंसानों के लिठà¤à¥€ घातक है पिछले दो दशक में करीब दो सौ लोगों ने इसमें अपनी जान गवां दी है. लेकिन परंपरा के नाम पर इसे आज à¤à¥€ ढोया जा रहा है. परनà¥à¤¤à¥ यदि इसमें तमिल लोगों की राय माने तो वो कहते है कि पशॠपà¥à¤°à¥‡à¤®à¥€ संसà¥à¤¥à¤¾ पेटा को परंपराओं के नाम पर पशà¥à¤“ं के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ कà¥à¤°à¥‚रता और जगह कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ दिखाई नहीं देती उनका साफ तौर पर इसका इशारा बकरीद पर होने वाले पशà¥à¤“ं के सामूहिक नरसंहार की ओर है.
पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¨à¤•à¤¾à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की माने तो जलà¥à¤²à¥€à¤•à¤Ÿà¥à¤Ÿà¥‚ पर पाबंदी तमिलों की à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤“ं की अनदेखी है और इसे तमिल सà¥à¤µà¤¾à¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¨ पर चोट के रूप में देखा जाना चाहिà¤. उनका कहना है कि कà¥à¤¯à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ सांसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• तà¥à¤¯à¥‹à¤¹à¤¾à¤° अब अदालतें तय करेंगी? तमिल समाज यह मानने के लिठतैयार है कि जिस चौखटे में और जिस रूपरेखा में अदालत उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ जलà¥à¤²à¥€à¤•à¤Ÿà¥à¤Ÿà¥‚ मनाने की इजाजत दे वे उसे सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° करेंगे तो फिर इजाजत कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ नहीं मिलती? हालाà¤à¤•à¤¿ इसे कà¥à¤› लोग उतà¥à¤¤à¤° à¤à¤¾à¤°à¤¤ बनाम दकà¥à¤·à¤¿à¤£ की सांसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• जंग बनाने का विकृत पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ à¤à¥€ कर रहे है जो हमारी राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ à¤à¤•à¤¤à¤¾ के लिठअचà¥à¤›à¥€ नहीं है. लेकिन इस सारे मामले में यह à¤à¥€ समà¤à¤¨à¤¾ चाहिठकि इतनी बड़ी संखà¥à¤¯à¤¾ में कà¥à¤¯à¤¾ तमिल यà¥à¤µà¤¾ बिना नेतृतà¥à¤µ, बिना किसी संगठन और बिना किसी राजनीतिक दल के हसà¥à¤¤à¤•à¥à¤·à¥‡à¤ª सड़कों पर उतर आठहैं?
जलीकटà¥à¤Ÿà¥‚ हो या बकरीद, ताजिये हो या बली पà¥à¤°à¤¥à¤¾ à¤à¤¸à¥€ बहà¥à¤¤à¥‡à¤°à¥€ पà¥à¤°à¤¥à¤¾à¤“ं का चलन जब शà¥à¤°à¥‚ हà¥à¤†, तब हमारे जीवन मूलà¥à¤¯ कà¥à¤› और थे. हमारे जीने का ढंग दूसरा था.आज हमारे रहन-सहन के तौर-तरीके में काफी परिवरà¥à¤¤à¤¨ आया है. लेकिन हम आज à¤à¥€ अकà¥à¤¸à¤° इनकी पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨à¤¤à¤¾ को संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ का नाम देकर बचाने की दà¥à¤¹à¤¾à¤ˆ देने लगते है. बल और पराकà¥à¤°à¤® दरà¥à¤¶à¤¾à¤•à¤° सà¥à¤µà¤‚यवर रचा उससे जीवन संगनी हासिल करना पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥‡ समय की पà¥à¤°à¤¥à¤¾ थी. आज à¤à¤¸à¤¾ नहीं है सोशल मीडिया से लेकर कारà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯à¥‹à¤‚ में साथी महिला करà¥à¤®à¤šà¤¾à¤°à¥€ से à¤à¥€ विवाह होते देखे जाते है. आमतौर पर बल से अपनी मादा हासिल करना सब जानवरों में देखा जाता है कि नर पशॠअपनी मादा को रिà¤à¤¾à¤¨à¥‡ के लिठअपनी शà¥à¤°à¥‡à¤£à¥€ के अनà¥à¤¯ नर पशà¥à¤“ं पर अपनी ताकत का हिंसक पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¨ करते है.
समय के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° मनà¥à¤·à¥à¤¯ समाज परिवरà¥à¤¤à¤¨ करता आया है. उसी समाज के बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿à¤œà¥€à¤µà¥€ लोग अपनी कà¥à¤ªà¥à¤°à¤¥à¤¾à¤“ के विरà¥à¤¦à¥à¤§ आवाज उठाने लगते है. सती पà¥à¤°à¤¥à¤¾ जैसी कà¥à¤°à¥‚र पà¥à¤°à¤¥à¤¾ आज समाज से खतà¥à¤® हो चà¥à¤•à¥€ है. पेटा जैसी संसà¥à¤¥à¤¾ का आगे आना पशà¥à¤“ं के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ दया दिखाना जायज है और समà¥à¤®à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ à¤à¥€ लेकिन तमिल लोग इस संसà¥à¤¥à¤¾ की आलोचना करते हà¥à¤ सवाल रख रहे है कि ईद पर पशà¥à¤“ं की कà¥à¤°à¥à¤¬à¤¾à¤¨à¥€ पर चà¥à¤ª रहते हैं, कà¥à¤°à¤¿à¤¸à¤®à¤¸ पर टरà¥à¤•à¥€ नामक पकà¥à¤·à¥€ को à¤à¥‚नकर खाने पर नहीं बोलते हैं और रेसकोरà¥à¤¸ की घà¥à¥œà¤¦à¥Œà¥œ की अनदेखी करते हैं वे उनकी संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ से जà¥à¥œà¥‡ खेल उतà¥à¤¸à¤µ को कैसे बंद करा सकते हैं? देश के अनà¥à¤¯ हिसà¥à¤¸à¥‹à¤‚ की तरह तमिलों के घरों में नंदी बैल पर समसà¥à¤¤ शिव परिवार विराजित दिखाने वाले चितà¥à¤° लगे रहते हैं. आम तमिलों का सवाल है कि कà¥à¤¯à¤¾ अब पेटा की याचिका पर शिवजी को नंदी से उतारा जाà¤à¤—ा, हो सकता है नंदी बैल को कषà¥à¤ होता हो? और à¤à¤¸à¥‡ चितà¥à¤° बैलों पर अतà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤¾à¤° की पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ देते हैं. वह सवाल उठा रहे है कि सरà¥à¤µà¥‹à¤šà¥à¤š नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ ने आतंकी याकूब के वकीलों की दलीलें सà¥à¤¨à¤¨à¥‡ आधी रात को à¤à¥€ दरवाजे खोल दिठथे, लेकिन à¤à¤• सांसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• उतà¥à¤¸à¤µ पर पाबंदी की जलà¥à¤¦ सà¥à¤¨à¤µà¤¾à¤ˆ करने से मना कर दिया. कà¥à¤¯à¤¾ यह खेल à¤à¤• आतंकवादी के हिंसक कारनामों से à¤à¥€ बà¥à¤°à¤¾ है? कà¥à¤¯à¤¾ पेटा बकरीद पर हिंसा के नाम पर अपील कर सकती है यदि नहीं तो फिर केवल जलीकटà¥à¤Ÿà¥‚ का विरोध गलत है..
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