मनà¥à¤¸à¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿, दहन दिवस कà¥à¤¯à¥‹à¤‚?
Author
Rajeev ChoudharyDate
23-Feb-2017Category
लेखLanguage
HindiTotal Views
1350Total Comments
0Uploader
RajeevUpload Date
23-Feb-2017Download PDF
-0 MBTop Articles in this Category
- फलित जयोतिष पाखंड मातर हैं
- राषटरवादी महरषि दयाननद सरसवती
- राम मंदिर à¤à¥‚मि पूजन में धरà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤°à¤ªà¥‡à¤•à¥à¤·à¤¤à¤¾ कहाठगयी? à¤à¤• लंबी सियासी और अदालती लड़ाई के बाद 5 अगसà¥à¤¤ को पà¥
- सनत गरू रविदास और आरय समाज
- बलातकार कैसे रकेंगे
Top Articles by this Author
- राम मंदिर à¤à¥‚मि पूजन में धरà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤°à¤ªà¥‡à¤•à¥à¤·à¤¤à¤¾ कहाठगयी? à¤à¤• लंबी सियासी और अदालती लड़ाई के बाद 5 अगसà¥à¤¤ को पà¥
- साईं बाबा से जीशान बाबा तक कà¥à¤¯à¤¾ है पूरा माजरा?
- शरियत कानून आधा-अधूरा लागू कयों
- तिबà¥à¤¬à¤¤ अब विशà¥à¤µ का मà¥à¤¦à¥à¤¦à¤¾ बनना चाहिà¤
- कà¥à¤¯à¤¾ आतà¥à¤®à¤¾à¤à¤‚ अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ में बोलती है..?
अब समय यह सोचने का कि जातिवाद के असली पोषक मनॠमहाराज है या जातिवादी नेता?
यदि जातिवाद की बात आये तो मेरे हिसाब से इसकी सरà¥à¤µà¤¾à¤§à¤¿à¤• शिकार मनà¥à¤¸à¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ बनी. कारण à¤à¤• कि यह आदरà¥à¤¶ समाज और राजà¥à¤¯ की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ के लिठà¤à¤• उपयà¥à¤•à¥à¤¤ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ था. शायद आदरà¥à¤¶ राजनीति हमारे राजनेताओं के कंठसे नीचे उतरने वाला शबà¥à¤¦ नहीं था इसी कारण हर वरà¥à¤· मनॠसà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ दहन दिवस मनाकर समाज को शà¥à¤¦à¥à¤§ करने की राजनैतिक परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ देश में देखने को मिलती है. बीती शताबà¥à¤¦à¥€ का जब तीसरा दशक था और साल 1927 तब बाबा साहब अंबेडकर ने कà¥à¤› लोगों के साथ मिलकर ‘मनà¥à¤¸à¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿’ की ततà¥à¤•à¤¾à¤²à¥€à¤¨ पà¥à¤°à¤¤à¤¿ जलाई थी. जिसे आज तक कà¥à¤› दलित चिनà¥à¤¤à¤• और नेता आसानी से à¤à¤• रसà¥à¤® सी निà¤à¤¾à¤¤à¥‡ हà¥à¤ दीख जाते है. लेकिन जलाने के पीछे का सच या अमà¥à¤¬à¥‡à¤¡à¤•à¤° का उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ आज तक इन दलित विचारको ने किसी के सामने नहीं रखा. जबकि अंबेडकर ने ही à¤à¤• से जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ अवसरों पर इस बात को सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤°à¤¾ था कि मनà¥à¤¸à¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ के नाम से पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ मौजूदा किताब वासà¥à¤¤à¤µ में मनॠके अलावा मà¥à¤–à¥à¤¯ रूप से किसी अनà¥à¤¯ के विचारों से à¤à¤°à¥€ पोथी थी, जिसमें बाद में à¤à¥€ कई लोगों ने जोड़-तोड़ की. जिसमें जातिवाद बारे में तमाम तरह के परसà¥à¤ªà¤°-विरोधी पà¥à¤°à¤¸à¤‚ग और पौराणिक आखà¥à¤¯à¤¾à¤¨ पाये जाते हैं, जिसमें शिव को लिंगपूजित होने का शाप देने से लेकर, विषà¥à¤£à¥ को लात मारने और फिर उनसे अपनी बेटी बà¥à¤¯à¤¾à¤¹à¤¨à¥‡ तक की कहानियां मौज़ूद हैं. इस वजह से इन à¤à¥‚ठी बातों से à¤à¤°à¥€ किताब को जलाना उचित है.
सबसे पहले हमें à¤à¤• बात समठलेनी होगी कि à¤à¤¾à¤°à¤¤ शà¥à¤°à¥‚ से ही बौदà¥à¤§à¤¿à¤• और अधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• संघरà¥à¤·à¥‹à¤‚ और समनà¥à¤µà¤¯à¥‹à¤‚ की सà¥à¤¥à¤²à¥€ रहा है. शà¥à¤°à¤®à¤£ और बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ से लेकर शैव, वैषà¥à¤£à¤µ, बौदà¥à¤§, जैन और संतमत तक ने वैदिक गà¥à¤°à¤‚थों की अपने-अपने तरीके से वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾ करने का बौदà¥à¤§à¤¿à¤• और साधनापरक पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ किया. लेकिन समय के साथ-साथ बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£-धरà¥à¤®, का जनà¥à¤®à¤¨à¤¾ जिस कारण देश पà¥à¤°à¥‹à¤¹à¤¿à¤¤à¤µà¤¾à¤¦ का शिकार हो गया. लेकिन यहाठसवाल यह उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ होता है कि इस पà¥à¤°à¥‹à¤¹à¤¿à¤¤à¤µà¤¾à¤¦, जातिवाद को जीवित किसने रखा? देश के सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤° होने के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ इन विसंगतियों पर अà¤à¥€ à¤à¥€ अंकà¥à¤¶ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ नहीं? आपको नहीं लगता कि हमारे देश के नेता मनॠमहाराज के नाम पर किताबे जलाकर इन विसंगतियों को जिनà¥à¤¦à¤¾ रखने का à¤à¤°à¤¸à¤• पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ कर रहे है. अमà¥à¤¬à¥‡à¤¡à¤•à¤° के समय मनॠसà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ इसलिठजलाई गयी थी कि पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¨ की घोर लापहरवाही या उसके वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤•à¤¾à¤° ने उसमे तà¥à¤°à¥à¤Ÿà¤¿à¤¯à¤¾à¤ पैदा की थी. लेकिन आज à¤à¥€ उनà¥à¤¹à¥€à¤‚ तà¥à¤°à¥à¤Ÿà¥€ के साथ अनेक पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤• अशà¥à¤¦à¥à¤§ मनॠसà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ को इस वजह से à¤à¥€ छाप रहे है कि उकà¥à¤¤ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ पढने के लिठन सही जलाने के लिठतो बिकेगा ही!
राजनीति की टà¥à¤°à¥‡à¤¨ हमेशा इतिहास की पटरी पर चलती है. इस कारण कà¥à¤›à¥‡à¤• दलित चिंतक और अपनी जेबे à¤à¤°à¤¨à¥‡ वाले विचारक दलित उतà¥à¤¥à¤¾à¤¨ के नाम पर चà¥à¤¨à¤¾à¤µ जीतने वाले नेता आज à¤à¥€ इस कारà¥à¤¯ को जिनà¥à¤¦à¤¾ रखे हà¥à¤ है. कà¥à¤¯à¤¾ पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• जलाने से दलित उदà¥à¤§à¤¾à¤° हो जायेगा? कà¥à¤¯à¤¾ à¤à¤• पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• के जला देने से उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ सामाजिक बराबरी का अधिकार मिल जायेगा? यदि हाठतो फिर 90 सालों में इसके जलाने से कितना लाठहà¥à¤†? यह बात à¤à¥€ सामने रखनी चाहिà¤. देश के कानून में जब समानता का अधिकार है तो सामाजिक जीवन में à¤à¥‡à¤¦à¤à¤¾à¤µ का जिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤° कौन? जहाठइस सवाल पर चरà¥à¤šà¤¾ होनी चाहिठथी वहां विषय बदलकर इसको दूसरा रूप दिया जा रहा है. चलो अशà¥à¤¦à¥à¤§ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ पà¥à¤•à¤° à¤à¤• पल को मान लिया कि इनका गà¥à¤¸à¥à¤¸à¤¾ वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤•à¤¾à¤° पर न होकर मनॠके पà¥à¤°à¤¤à¤¿ है. à¤à¤¾à¤µà¤¾à¤µà¥‡à¤¶ में और सामाजिक-राजनीतिक संदेश देने के लिठउसके नाम से चलने वाली पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• को à¤à¤• बार चंदन की चिता पर रखकर जला à¤à¥€ डाला. चलो वह à¤à¥€ ठीक. लेकिन यह कà¥à¤¯à¤¾ कि हम कà¥à¤¤à¥à¤¸à¤¿à¤¤ दà¥à¤·à¥à¤ªà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° का घिनौना तेल डाल-डाल कर जब-तब उसे जलाते रहें. उस किताब पर जूती रख कर कहें कि हम नारीवादी हैं और सà¤à¥à¤¯ हैं. किसने रोका है, खराब बातों को निकाल बाहर कीजिà¤. चाहें तो अचà¥à¤›à¥€ बातों को रख लीजिà¤, उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ जीवन में à¤à¥€ उतारिà¤. उसे और बेहतर बनाइये. चाहे जैसी à¤à¥€ हो, अपनी धरोहरों और अतीत की गलतियों से निपटने के लिठहमें सतà¥à¤¯à¤¶à¥‹à¤§à¤¨ और सतà¥à¤¯à¤¾à¤—à¥à¤°à¤¹ और सहिषà¥à¤£à¥à¤¤à¤¾ का सहारा लेना à¤à¥€ सीखना चाहिà¤.
हम आज की आधà¥à¤¨à¤¿à¤• पीà¥à¥€ के लोग है, जहाठआज हमे à¤à¤•à¤¤à¤¾ समरसता के साथ आगे बà¥à¤¨à¤¾ था. वहां हमें आज किताबें जलाने जैसे मधà¥à¤¯à¤¯à¥à¤—ीन तरीके शोà¤à¤¾ नहीं देते. अतीत में पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¤¾à¤²à¤¯à¥‹à¤‚ के ही दहन का काम नालंदा से लेकर कई जगह कà¥à¤› सिरफिरे लोगों ने किया था. हम à¤à¤¸à¤¾ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ करें? दहन जो हà¥à¤† सो हà¥à¤†. अब हम थोड़ा रहन, सहन, सीखना चाहिठदलित नेताओं को या राजनैतिक पारà¥à¤Ÿà¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को समà¤à¤¨à¤¾ चाहिठकि आखिर मनॠके नाम पर कब तक अपनी राजनीति करोंगे! à¤à¤¾à¤°à¤¤ में वामपंथ, दकà¥à¤·à¤¿à¤£à¤ªà¤‚थ राजनीतिक इतिहासकारों की बौदà¥à¤§à¤¿à¤• लापरवाही, इसी à¤à¤• गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ पर आकर कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ टिक गयी यदि मनॠसà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ में मनà¥à¤·à¥à¤¯ को सामाजिक तौर पर विà¤à¤•à¥à¤¤ करते समय पैरो को शà¥à¤¦à¥à¤° कहा गया तो इसमें दà¥à¤–ी होने की बात कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ उसी मनॠसà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ में पà¥à¤°à¤¥à¤® पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤® चरणों को ही लिखा गया है न की मसà¥à¤¤à¤• को जिसे उसमें बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ कहा गया.
लेकिन दलितों और पिछड़ों पर राजनीति करने वाले राजनेताओं दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ इसलिठà¤à¤• अनोखा रासà¥à¤¤à¤¾ ढूंढ़ निकाला गया. यदि अपने किसी कà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¥à¤¯ को à¤à¥€ जायज ठहराना हो तो उसे किसी पà¥à¤°à¤¾à¤®à¤¾à¤£à¤¿à¤• गà¥à¤°à¤‚थ के हवाले से कह दो. यही कारà¥à¤¯ आज के नेता सामाजिक जीवन में करते नजर आ रहे है. कà¥à¤¯à¤¾ यह लोग बता सकते है मनॠके विरोध के अलावा इन लोगों ने सामाजिक रूप से पिछड़े लोगों के कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ के लिठकà¥à¤¯à¤¾ किया? सिरà¥à¤« इतना किया कि उनकी सामाजिक दशा पर पारà¥à¤Ÿà¥€ बनाकर सतà¥à¤¤à¤¾ का पान किया न कि उनकी शिकà¥à¤·à¤¾ सरà¥à¤µ समावेशी विकास का कारà¥à¤¯ इस विषय में दलितों को सोचना होगा कि आजादी के इतने दिनों बाद आरकà¥à¤·à¤£ के बावजूद à¤à¥€ वो आजतक दलित कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ है? अब समय यह सोचने का कि जातिवाद के असली पोषक मनॠमहाराज है या जातिवादी नेता?
राजीव चौधरी
ALL COMMENTS (0)