फतवों में यह दोगलापन कà¥à¤¯à¥‹à¤‚?
Author
Rajeev ChoudharyDate
16-Mar-2017Category
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HindiTotal Views
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Sandeep AryaUpload Date
16-Mar-2017Download PDF
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पर सवाल यह है कि अजान à¤à¥€ तो à¤à¤• किसà¥à¤® का गीत या संगीत है जो दिन पांच बार इनà¥à¤¹à¥€ इलेकà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥‹à¤¨à¤¿à¤• माधà¥à¤¯à¤®à¥‹à¤‚
जहाठआज पूरा विशà¥à¤µ अपनी आधà¥à¤¨à¤¿à¤• शिकà¥à¤·à¤¾, सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥, मूलà¤à¥‚त सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾à¤“ं के लिठमेहनत कर रहा है वही मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® समाज आज à¤à¥€ इसà¥à¤²à¤¾à¤® को लेकर दà¥à¤—à¥à¤¨à¤¾ आकà¥à¤°à¤®à¤• होता दिख रहा है. हालाà¤à¤•à¤¿ हमेशा से इसà¥à¤²à¤¾à¤® पर बोलना लिखना à¤à¤• वरà¥à¤œà¤¿à¤¤ और संवेदनशील विषय समà¤à¤¾ जाता रहा है. लेकिन हाल के दिनों में कई खबरें à¤à¤¸à¥€ आई जो रोचकता à¤à¤²à¥‡ ही ना रखती हो लेकिन इसà¥à¤²à¤¾à¤®à¥€ समाज को समà¤à¤¨à¥‡ के लिठकाफी मायने रखती है. महज 16 साल की मासूम नाहिद आफरीन को 46 मौलवियों के फतवे का सामना करना पड़ रहा है. नाहिद का कसूर सिरà¥à¤« इतना है कि अपनी à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤“ं की अà¤à¤¿à¤µà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ के लिठउसने संगीत को चà¥à¤¨à¤¾ और इसà¥à¤²à¤¾à¤®à¤¿à¤• आतंक के खिलाफ गाना गाया. जिस पर मौलवियों ने यह कहकर फतवे जारी कर दिठकि इसà¥à¤²à¤¾à¤® में गीत, संगीत हराम है. जबकि न जाने कितने मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® गीतकार, संगीतकार, गायक और कलाकार इस à¤à¤¾à¤°à¤¤ में जनà¥à¤®à¥‡ जिनके खिलाफ कà¤à¥€ कोई फतवा नहीं आया. आखिर फतवों में यह दोगलापन कà¥à¤¯à¥‹à¤‚? कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ हमेशा इन फतवों का शिकार महिला या फिर उà¤à¤°à¤¤à¥€ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤à¤¾à¤à¤‚ बनती है? टेनिस में सानिया मिरà¥à¤œà¤¾, दंगल फिलà¥à¤® में पहलवान की किरदार अदा करने वाली जयरा वसीम और अब नाहिद आफरीन. जबकि कà¥à¤› दिन पहले कशà¥à¤®à¥€à¤° मांगे आजादी वाले गेंग के खिलाफ इनका कोई फतवा नहीं आया.
इस मामले में उलेमा-à¤-कराम का कहना है कि संसà¥à¤¥à¤¾ नाचने गाने के संबंध में काफी समय पहले फतवा जारी कर चà¥à¤•à¥€ है. नाहिद हो या कोई और गाना बजाना इसà¥à¤²à¤¾à¤® मजहब में नाजायज है. पर सवाल यह है कि अजान à¤à¥€ तो à¤à¤• किसà¥à¤® का गीत या संगीत है जो दिन पांच बार इनà¥à¤¹à¥€ इलेकà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥‹à¤¨à¤¿à¤• माधà¥à¤¯à¤®à¥‹à¤‚ से मसà¥à¤œà¤¿à¤¦ में गाया जाता है कà¥à¤¯à¤¾ वो à¤à¥€ गलत है? यदि नहीं तो फिर मजहब के नाम पर किसी महिला पर गल घोटू फतवों को जारी करने का ओचितà¥à¤¯ कà¥à¤¯à¤¾ है?
इसà¥à¤²à¤¾à¤® के नाम पर चल रहे कटà¥à¤Ÿà¤° धारà¥à¤®à¤¿à¤• संगठन जैसे तालिबान, आईà¤à¤¸ और बोको हराम ने पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨, अफगानिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨, इराक, सीरिया और नाइजीरिया में महिलाओं को दूसरे नंबर का दरà¥à¤œà¤¾ तो दे ही दिया है. लेकिन दà¥à¤–द सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ यह है कि à¤à¤¾à¤°à¤¤ जैसे पà¥à¤°à¤—तिशील देश में à¤à¥€ आज à¤à¤¸à¥€ विचारधाराà¤à¤‚ किसी न किसी रूप में पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ हैं. जो यह पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ उठती हैं कि मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® महिला को पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ के समान अधिकार है या नहीं? मैं शरियत या इसà¥à¤²à¤¾à¤®à¥€ मजहबी मामलों का कोई जानकार तो नहीं हूं, लेकिन मैंने इसà¥à¤²à¤¾à¤®à¥€ समाज का जितना अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ किया है, उसके आधार पर कह सकता हूं कि इसà¥à¤²à¤¾à¤® में अजान à¤à¤²à¥‡ ही à¤à¤• हो लेकिन आवाज अनेक आवाज है, जà¥à¤°à¥à¤® के खिलाफ, महिलाओं समà¥à¤®à¤¾à¤¨ के लिà¤, सामाजिक à¤à¥‡à¤¦à¤à¤¾à¤µ के लिठया आतंक के लिठइसà¥à¤²à¤¾à¤®à¥€ समाज में हर किसी के अपने तरà¥à¤• और अनà¥à¤à¤µ है आयतों की अलग-अलग वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾ है जिनको लेकर अकà¥à¤¸à¤° मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® समाज को मीडिया के à¤à¤• बड़े वरà¥à¤— के सामने रà¥à¤¬à¥à¤°à¥ होना पड़ता है.
हाल ही में हिंदी सिनेमा की जानीमानी à¤à¤•à¥à¤Ÿà¥à¤°à¥‡à¤¸ शबाना आजमी ने बà¥à¤°à¤¿à¤Ÿà¤¿à¤¶ संसद परिसर में आयोजित à¤à¤• समारोह में कहा, मà¥à¤à¥‡ किसी à¤à¤• नजरिठसे मत देखिà¤, अपनी इचà¥à¤›à¤¾ के मà¥à¤¤à¤¾à¤¬à¤¿à¤• मà¥à¤à¥‡ सीमित करने का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ मत करिठतà¥à¤šà¥à¤› राजनीतिक फायदों के लिठसà¤à¥€ मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ को à¤à¤• चशà¥à¤®à¥‡ से न देखे. आज पूरी दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ में यह पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ किया जा रहा है कि हमारी पहचान को सिरà¥à¤« धरà¥à¤® के दायरे में रख दिया जाà¤. मैं à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® हूं और मैं सउदी अरब के मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® के साथ कोई लगाव महसूस नहीं करती. हो सकता है बेशक उनका यह à¤à¤¾à¤·à¤£ à¤à¤¾à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ हो जो सà¤à¥€ मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤®à¥‹à¤‚ के à¤à¤• नजरिये से न देखने की वकालत करता हो लेकिन शबाना का यह कहना कि अरब से कोई लगाव नहीं, शायद सही नहीं बैठता. कारण शबाना आजमी का नाम अरबी à¤à¤¾à¤·à¤¾ में न कि à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ à¤à¤¾à¤·à¤¾ में दूसरा जिस दिन à¤à¤¾à¤°à¤¤ का मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨ अरब के दिठनामों से मà¥à¤•à¥à¤¤ हो जायेगा तब उसे लोग जरà¥à¤° इसà¥à¤²à¤¾à¤® से अलग चशà¥à¤®à¥‡ से देखना शà¥à¤°à¥‚ कर देंगे.
अà¤à¥€ पिछले दिनों की अरब à¤à¤• घटना ने मानवीय संवेदना को खà¥à¤°à¤š दिया था लेकिन तब à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ इसà¥à¤²à¤¾à¤® की पैरवी करने वाले सेलेबà¥à¤°à¥‡à¤Ÿà¥€ या इसà¥à¤²à¤¾à¤® की रकà¥à¤·à¤¾ के बहाने फतवे जारी करने वाले मौलाना चà¥à¤ª बने रहे. अहमदाबाद की à¤à¤• महिला नूरजहां अकबर हसन ने अरब की पोल खोली थी कि अरब में किस तरह सेकà¥à¤¸ दासी के रूप में उसे काम करना पड़ा. कैसे मालिक की मांग पूरी न करने पर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पà¥à¤°à¤¤à¤¾à¥œà¤¿à¤¤ किया जाता था. उसने खà¥à¤¦ बताया कि मà¥à¤à¥‡ पीटा जाता था, बाल खींच-खींचकर मेरे सिर को दीवार पर मारा जाता था. मैं बचने के लिठपहली और दूसरी मंजिल से छलांग तक लगा दिया करती थीं. वहां से à¤à¤¾à¤°à¤¤ लौटीं लड़कियां इस मामले में चà¥à¤ª रहना पसंद करती हैं लेकिन बीते साल अकà¥à¤Ÿà¥‚बर में à¤à¤¾à¤°à¤¤ लौटीं नूरजहां ने इस बारे में आवाज उठाना ठीक समà¤à¤¾. पर कोई आवाज इसके पकà¥à¤· में सà¥à¤¨à¤¾à¤ˆ नहीं दी कारण मामला अरब से जà¥à¤¡à¤¾ था. हालाà¤à¤•à¤¿ में खà¥à¤¦ इस खबर को पà¥à¤•à¤° à¤à¥‚ल चूका था पर जब शबाना ने खà¥à¤¦ को अरब से अलग कहा तो मेरी संवेदना के सà¥à¤° नूरजहाठसे जà¥à¥œà¤¤à¥‡ पाà¤. यदि à¤à¤¾à¤°à¤¤ में कोई à¤à¤¸à¥€ घटना घटित होती तो मेरे खà¥à¤¯à¤¾à¤² से इसके तार अà¤à¥€ तक सरकार पर विपकà¥à¤· दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ जोड़ दिठजाते. और मà¥à¤²à¥à¤²à¤¾ मौलवियों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ इसà¥à¤²à¤¾à¤® पर सवाल बना दिया गया होता.
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