कà¥à¤¯à¤¾ वेदों में जादू-टोना आदि अनà¥à¤§à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸ का वरà¥à¤£à¤¨ हैं?
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Dr. Vivek AryaDate
02-May-2017Category
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वेदों के विषय में à¤à¤• à¤à¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ हो गई है कि वेदों में जादू-टोने आदि अनà¥à¤§à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸ का वरà¥à¤£à¤¨ हैं। इसका मà¥à¤–à¥à¤¯ कारण सायणाचारà¥à¤¯, महीधर आदि दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ वेदों के कà¥à¤› पà¥à¤°à¤•à¤°à¤£à¥‹à¤‚ में जादू-टोना को अनà¥à¤§à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸ के रूप में अपने à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ में वरà¥à¤£à¤¨ हैं। विदेशी लेखकों जैसे बà¥à¤²à¥‚मफीलà¥à¤¡[i] आदि à¤à¥€ इस मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ का समरà¥à¤¥à¤¨ करते दीखते हैं। अनेक à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ लेखक à¤à¥€ उनà¥à¤¹à¥€à¤‚ का अनà¥à¤¸à¤°à¤£ कर इसी मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ का समरà¥à¤¥à¤¨ करते पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤¤ होते हैं[ii]। वैदिक विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ शà¥à¤°à¥€ पà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤°à¤¤à¥à¤¨ आरà¥à¤·[iii] के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° जादू शबà¥à¤¦ वेद के "यातà¥" शबà¥à¤¦ का रूपानà¥à¤¤à¤° या अपà¤à¥à¤°à¤¶ है। यातॠशबà¥à¤¦ का अरà¥à¤¥ निघणà¥à¤Ÿà¥ 2/19 के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° हिंसा है। अथरà¥à¤µà¤µà¥‡à¤¦ 8/8/6/18 में जादू, इंदà¥à¤°à¤œà¤¾à¤² आदि का पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— शतà¥à¤°à¥ सेना को नषà¥à¤Ÿ करने के लिठहà¥à¤† हैं जो पूरà¥à¤£ रूप से वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• à¤à¤µà¤‚ सतà¥à¤¯ है। जबकि तांतà¥à¤°à¤¿à¤• गà¥à¤°à¤‚थों में जादू-टोने के नाम पर कलà¥à¤ªà¤¿à¤¤ और अवैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• वरà¥à¤£à¤¨ मिलते हैं। इस विषय में रामदास गौड़ की हिंदà¥à¤¤à¥à¤µ नामक पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• में लिखते है कि "तंतà¥à¤°à¥‹à¤•à¥à¤¤, मरणोचà¥à¤šà¤¾à¤Ÿà¤¨, वशीकरण, अà¤à¤¿à¤šà¤¾à¤°à¤¿à¤• कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ का पà¥à¤°à¤¸à¤‚ग अथरà¥à¤µà¤µà¥‡à¤¦ संहिता में पाया जाता है सही, किनà¥à¤¤à¥ तनà¥à¤¤à¥à¤° के अनà¥à¤¯à¤¾à¤¨à¥à¤¯ पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨ लकà¥à¤·à¤£ नहीं मिलते। à¤à¤¸à¥€ दशा में तंतà¥à¤° को हम अथरà¥à¤µ संहितामूलक नहीं कह सकते"। अथरà¥à¤µà¤µà¥‡à¤¦ के विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ मनà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में शारीरिक और मानसिक रोगों का उपचार , शतà¥à¤°à¥ घात,अपने अंदर के रोगों और दोषों को हटाकर सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ à¤à¤µà¤‚ अचà¥à¤›à¥‡ गà¥à¤£à¥‹à¤‚ को गà¥à¤°à¤¹à¤£ करने का सनà¥à¤¦à¥‡à¤¶ दिया गया हैं। इन मनà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ के मूल सनà¥à¤¦à¥‡à¤¶ को न समठपाने के कारण इस à¤à¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤¿ का पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¨ हà¥à¤†à¥¤
हम यहाठअथरà¥à¤µà¤µà¥‡à¤¦ के कà¥à¤› सूकà¥à¤¤à¥‹ à¤à¤µà¤‚ मंतà¥à¤°à¥‹ पर विचार कर यह सिदà¥à¤§ करेगे की वेदों में जादू टोना या अशà¥à¤²à¥€à¤²à¤¤à¤¾ नहीं है। अथरà¥à¤µà¤µà¥‡à¤¦ के सूकà¥à¤¤à¥‹à¤‚ में मणि शबà¥à¤¦ का पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— कई सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ पर हà¥à¤† है। सायण आदि à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯à¤•à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ ने मणि का अरà¥à¤¥ वह पदारà¥à¤¥ किया हैं जिसे शरीर के किसी अंग पर बांधकर मंतà¥à¤° का पाठकरने से अà¤à¤¿à¤·à¥à¤Ÿ फल के पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ अथवा किसी अनिषà¥à¤Ÿ का निवारण किया जादू टोने से किया जा सकता हैं। मणि अथवा रतà¥à¤¨ शबà¥à¤¦ किसी à¤à¥€ अतà¥à¤¯à¤‚त उपयोगी अथवा मूलà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¨ वसà¥à¤¤à¥ के लिठपà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— हà¥à¤† हैं। उस वसà¥à¤¤à¥ को अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ मणि को शरीर से बांधने का अरà¥à¤¥ है उसे वश में कर लेना, उसका उपयोग लेना, उसका सेवन करना आदि।
कà¥à¤› मणि सूकà¥à¤¤ इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° हैं
1. परà¥à¤£à¤®à¤£à¤¿- अथरà¥à¤µà¤µà¥‡à¤¦ 3/5 सूकà¥à¤¤ का अरà¥à¤¥ करते हà¥à¤ सायण आचारà¥à¤¯ लिखते हैं “जो वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ तेज, बल, आयॠऔर धन आदि को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करना चाहता हो, वह परà¥à¤£ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ दाक के वृकà¥à¤· की बनी हà¥à¤ˆ मणि को तà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤¦à¤¶à¥€ के दिन दही और सहद में à¤à¤¿à¤—ोकर तीन दिन रखे और चौथे दिन निकलकर उस मणि को इस सूकà¥à¤¤ के मंतà¥à¤°à¥‹ का पाठकरके बांध ले और दही और शहद को खा ले। इसी सूकà¥à¤¤ में सायण लिखते हैं की यदि किसी राजा का राजà¥à¤¯ छीन जाये तो कामà¥à¤ªà¥€à¤² नमक वृकà¥à¤· की टहनियों से चावल पकाकर मंतà¥à¤° का पाठकर गà¥à¤°à¤¹à¤£ करे तो उसे राजà¥à¤¯ की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ हो जाà¤à¤—ी।”
सायण का अरà¥à¤¥ अगर इतना कारगर होता तो à¤à¤¾à¤°à¤¤ के लोग जो की वेदों के जà¥à¤žà¤¾à¤¨ से परिचित थे कà¤à¥€ à¤à¥€ पराधीन नहीं बनते, अगर बनते तो जादू टोना करके अपने आपको फिर से सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤° कर लेते। परà¥à¤£ का अरà¥à¤¥ होता हैं पतà¥à¤° और मणि का बहà¥à¤®à¥‚लà¥à¤¯ इससे परà¥à¤£à¤®à¤£à¤¿ का अरà¥à¤¥ हà¥à¤† बहà¥à¤®à¥‚लà¥à¤¯ पतà¥à¤°à¥¤ अगर कोई वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ राजà¥à¤¯ का राजा बनना चाहता है तो राजà¥à¤¯ के नागरिको का समरà¥à¤¥à¤¨ (vote or veto) जो की बहà¥à¤®à¥‚लà¥à¤¯ है, उसे पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हो जाये तà¤à¥€ वह राजा बन सकता हैं। इसी सूकà¥à¤¤ के दà¥à¤¸à¤°à¥‡ मंतà¥à¤° में पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ हैं की राजà¥à¤¯ के कà¥à¤·à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹ को मेरे अनà¥à¤•à¥‚ल कर, तीसरे मंतà¥à¤° में राजà¥à¤¯ के देव अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ को अनà¥à¤•à¥‚ल कर, छठे में राजà¥à¤¯ के धीवर, रथकार लोग, कारीगर लोग, मनीषी लोग हैं उनके मेरे अनà¥à¤•à¥‚ल बनाने की पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ करी गई हैं। इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° इस सूकà¥à¤¤ में à¤à¤• अà¤à¥à¤¯à¤°à¥à¤¥à¥€ की राषà¥à¤Ÿà¥à¤° के नेता बनने की पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ कावà¥à¤¯à¤®à¤¯ शैली में परà¥à¤£-मणि दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤ करी गयी हैं। जादू टोने का तो कहीं पर नामो निशान ही नहीं है।
2. जांगिडमणि
अथरà¥à¤µà¤µà¥‡à¤¦ 2/4 सूकà¥à¤¤ तथा 19/34-35 सूकà¥à¤¤à¥‹à¤‚ में जांगिडमणि की महिमा बताते हà¥à¤ सायण लिखते हैं “जो वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ कृतà¥à¤¯à¤¾ (हिंसा) से बचना चाहता हो, अपनी रकà¥à¤·à¤¾ चाहता हो तथा विघà¥à¤¨à¥‹à¤‚ की शांति चाहता हो, वह जांगिड पेड़ से बनी विशेष पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की मणि को शण (सन) के धागे में पिरोकर मणि बांधने की विधि से इस सूकà¥à¤¤ के मंतà¥à¤°à¥‹ को पड़कर बांध ले।” उसका मंतवà¥à¤¯ पूरà¥à¤£ हो जायेगा।
अथरà¥à¤µà¤µà¥‡à¤¦ के इन सूकà¥à¤¤à¥‹à¤‚ का धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ से विशà¥à¤²à¥‡à¤·à¤£ करने पर पता चलते हैं की जांगिड किसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की मणि नहीं हैं, जिसको बांधने से हिंसा से रकà¥à¤·à¤¾ हो सके अपितॠà¤à¤• औषधि है जो à¤à¥‚मि से उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ होने वाली वनसà¥à¤ªà¤¤à¤¿ हैं , जो रोगों का निवारण करने वाली है। (अथरà¥à¤µ 19/34/9) रोगों की चिकितà¥à¤¸à¤¾ करने वाली हैं (अथरà¥à¤µ 19/35/1,अथरà¥à¤µ 19/35/5, अथरà¥à¤µ 2/4/3) इस सूकà¥à¤¤ में जो राकà¥à¤·à¤¸à¥‹à¤‚ को मारने की बात कहीं गयी हैं। वो रोगजनक कृमिरूप (Microbes) शतà¥à¤°à¥ हैं जो रोगी बनाते हैं।
यहाठà¤à¥€ कहीं जादू टोने का नहीं अपितॠआयà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦ का वरà¥à¤£à¤¨ हैं
3. शंखमणि
अथरà¥à¤µà¤µà¥‡à¤¦ 4/10 सूकà¥à¤¤ में शंखमणि का वरà¥à¤£à¤¨ हैं. सायण के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° उपनयन संसà¥à¤•à¤¾à¤° के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ बालक की दीरà¥à¤˜ आयॠके लिठशंख को इस सूकà¥à¤¤ के मंतà¥à¤°à¥‹ के साथ बांध दे तथा यह à¤à¥€ लिखा हैं बाढ़ आ जाने पर रकà¥à¤·à¤¾ करने के लिठà¤à¥€ शंख बांध लेने से डूबने का à¤à¤¯ दूर हो जाता हैं।
सायण का मंतवà¥à¤¯ विधान रूप से असंà¤à¤µ हैं अगर शंख बांधने से आयॠबॠसकती हैं तो सायण ने सà¥à¤µà¤¯à¤‚ अपनी आयॠकà¥à¤¯à¥‹à¤‚ नहीं बढाकर 100 वरà¥à¤· से ऊपर कर ली होती। अगर शंख बांधने से डूबने का खतरा नहीं रहता, तब तो किसी की à¤à¥€ डूबने से मृतà¥à¤¯à¥ ही नहीं होती। सतà¥à¤¯ यह है शंख को अथरà¥à¤µà¤µà¥‡à¤¦ 4/10/3 में विशà¥à¤µ à¤à¥‡à¤¸à¤œ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ अनेक पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के रोगों को दूर करने वाला बताया गया है। अथरà¥à¤µà¤µà¥‡à¤¦ 4/10/1 में रोगों को दà¥à¤°à¥à¤¬à¤² करने वाला बताया गया है। अथरà¥à¤µà¤µà¥‡à¤¦ 4/10/2 में शंख को कृमि राकà¥à¤·à¤¸ को मरने वाला बताया गया है। अथरà¥à¤µà¤µà¥‡à¤¦ 4/10/4 में शंख को आयॠबढाने वाली औषधि बताया गया है। आयà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦ में शंख को बारीक़ पिस कर शंख à¤à¤¸à¥à¤® बनाठका वरà¥à¤£à¤¨ हैं जिससे अनेक रोगों से मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ मिलती हैं।
4. शतवारमणि
अथरà¥à¤µà¤µà¥‡à¤¦ 19/36 सूकà¥à¤¤ का à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ करते हà¥à¤ सायण लिखते हैं “जिस वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ की संताने मर जाती हो और इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° उसके कà¥à¤² का कà¥à¤·à¤¯ हो रहा हो , वह इस सूकà¥à¤¤ के मंतà¥à¤°à¥‹ को पढकर शतवारमणि को बांध ले तो उसका यह संकट दूर हो जाता है। ”
शतवारमणि कोई जादू टोने करने वाली वसà¥à¤¤à¥ नहीं हैं अपितॠà¤à¤• औषधी है जिससे शरीर को बल मिलता है और रोगों का नाश होता हैं।
ऊपर की पंकà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹ में हमने चार मणियो की समीकà¥à¤·à¤¾ पाठको के समà¥à¤®à¥à¤– दी गई है। इनमे किसी में à¤à¥€ जादू टोने का उलà¥à¤²à¥‡à¤– नहीं है। पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥à¤¤ चार गà¥à¤£à¤•à¤¾à¤°à¥€ औषधियो का वरà¥à¤£à¤¨ हैं। जिनसे रोगनिवारण में बहà¥à¤¤ उपयोगी होने के कारण मूलà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¨ मणि कह दिया गया हैं।
5. कृतà¥à¤¯à¤¾ और अà¤à¤¿à¤šà¤¾à¤°
अथरà¥à¤µà¤µà¥‡à¤¦ में बहà¥à¤¤ से सà¥à¤¥à¤²à¥‹à¤‚ (19/34/4,2/4/6,8/5/2) पर कृतà¥à¤¯à¤¾-अà¤à¤¿à¤šà¤¾à¤° के पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤—ों का वरà¥à¤£à¤¨ मिलता है। सायण के à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ को पॠकर लगता हैं की अà¤à¤¿à¤šà¤¾à¤° शबà¥à¤¦ का अरà¥à¤¥ हैं किसी शतà¥à¤°à¥ को पीड़ा पहà¥à¤šà¤¾à¤¨à¥‡ के लिà¤, उसे रोगी बनाने के लिठअथवा उसकी मृतà¥à¤¯à¥ के लिठकोई विशेष हवन अथवा करà¥à¤® काणà¥à¤¡ का करना। कृतà¥à¤¯à¤¾ का अरà¥à¤¥ हैं à¤à¤¸à¥‡ यजà¥à¤ž आदि अनà¥à¤·à¥à¤ ान दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ किसी की हिंसा कर उसे मार डालना।
अà¤à¤¿à¤šà¤¾à¤° का अरà¥à¤¥ बनता हैं विरोधी दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ से पà¥à¤°à¤¹à¤¾à¤° अथवा आकà¥à¤°à¤®à¤£ तथा कृतà¥à¤¯à¤¾ का अरà¥à¤¥ बनता हैं उस पà¥à¤°à¤¹à¤¾à¤° से हà¥à¤ घाव बनता हैं। मणि सूकà¥à¤¤ की औषधियो से उस घाव की पीड़ा को दूर किया जा सकता हैं। यही इन मनà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ का मूल सनà¥à¤¦à¥‡à¤¶ हैं।
इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° जहाठà¤à¥€ वेदों में मणि आदि का उलà¥à¤²à¥‡à¤– हैं। वह किसी à¤à¥€ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° जादू टोने से समà¥à¤¬à¤‚धित नहीं हैं। आयà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦ के साथ अथरà¥à¤µà¤µà¥‡à¤¦ का समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§ कर के विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ औषधियो को अगर देखे तो मणि शबà¥à¤¦ से औषधी का अरà¥à¤¥ सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ हो जाता हैं।
अथरà¥à¤µà¤µà¥‡à¤¦ को विनियोगो की छाया से मà¥à¤•à¥à¤¤ कर सà¥à¤µà¤‚तà¥à¤° रूप से देखे तो वेद मंतà¥à¤° बड़ी सà¥à¤‚दर और जीवन उपयोगी शिकà¥à¤·à¤¾ देने वाले दिखने लगेगे और अथरà¥à¤µà¤µà¥‡à¤¦ में जादू टोना होने के मिथक की à¤à¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤¿ दूर होगी।
डॉ विवेक आरà¥à¤¯
[i] Hymns of the Atharva Veda translated by Maurice Bloomfield Sacred Books of the East, Vol. 42,1897
[ii] The Atharva Veda is the chief source of our knowledge of popular magic, hypnotism, black magic etc. P.6 Hinduism: Analytical Study by Amulya Mohapatra, Bijaya Mohapatra
[iii] अथरà¥à¤µà¤µà¥‡à¤¦à¥€à¤¯ मनà¥à¤¤à¥à¤°à¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾ पृषà¥à¤ 2
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