कशà¥à¤®à¥€à¤° आगे का रासà¥à¤¤à¤¾ कà¥à¤¯à¤¾ है?
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Rajeev ChoudharyDate
03-May-2017Category
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HindiTotal Views
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03-May-2017Download PDF
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लेकिन अà¤à¥€ यह जो नठदौर का कटà¥à¤Ÿà¤°à¤ªà¤‚थ है, पतà¥à¤¥à¤°à¤¬à¤¾à¤œà¥€ वाला दौर, यह कई गà¥à¤¨à¤¾ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ कटà¥à¤Ÿà¤° चरमपंथी है, जिनकï¿
सवाल थोडा अटपटा सा है जिस पर कà¥à¤› देर को ही सही पर नेहरॠको à¤à¥€ कोसा जाना लाजिमी है लेकिन सवाल फिर वही उà¤à¤°à¤•à¤° आà¤à¤—ा कà¥à¤¯à¤¾ नेहरॠको दोष देकर कशà¥à¤®à¥€à¤° का हल निकल जायेगा? कशà¥à¤®à¥€à¤° पर नेहरू की नीतियों को लेकर आज बहà¥à¤¤ कोसा जाता है. लेकिन कोसने से आगे का रासà¥à¤¤à¤¾ कà¥à¤¯à¤¾ है? सब जानते है जब आजादी मिली तो कशà¥à¤®à¥€à¤° में राजा हिंदू था और पà¥à¤°à¤œà¤¾ मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨. हिंदू राजा हिंदà¥à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤¨ में रहने को राजी नहीं था, वो अपने लिठसà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤° राजà¥à¤¯ चाहता था. लेकिन वहां की मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® पà¥à¤°à¤œà¤¾ ने जिनà¥à¤¨à¤¾ के पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ के बजाय नेहरॠके हिंदà¥à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤¨ में रहने का फैसला किया. कà¥à¤¯à¤¾ उसी फैसले की बà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾à¤¦ पर कशà¥à¤®à¥€à¤° की मà¥à¤¶à¥à¤•à¤¿à¤²à¥‹à¤‚ का हल नहीं ढूंà¥à¤¾ जाना चाहिà¤? कशà¥à¤®à¥€à¤° के जिस यà¥à¤µà¤¾ ने आज कशà¥à¤®à¥€à¤° के नये जिनà¥à¤¨à¤¾à¤“ं की बदोलत अलगाववाद को अपना करियर बनाया है. जो आजादी की बात करते हैं. उनको à¤à¥€ अपने दिल में पता है कि राजनीतिक à¤à¥‚गोल के लिहाज से यह कà¤à¥€ संà¤à¤µ नहीं है.
आज हर कोई कहता है कि कशà¥à¤®à¥€à¤° में पिछले कà¥à¤› सालों में हालत बेहद खराब हो गये है पर इस खराब हालात का जिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤° कौन है? यहाठआकर लोग थूक गटक लेते है, या फिर सेना, सरकार पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ का नाम लेकर अपने राजनैतिक करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ से पलà¥à¤²à¤¾ à¤à¤¾à¥œ लेते है. हम à¤à¥€ मानते है आज हालात 1990 की सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ से बहà¥à¤¤ अलग है. 1990 में जो लोग सीमा पार गठऔर टà¥à¤°à¥‡à¤¨à¤¿à¤‚ग लेकर वापस आà¤, उनमें से जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾à¤¤à¤° सिरà¥à¤« इसà¥à¤²à¤¾à¤®à¥€ समठके ततà¥à¤µ थे. उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ कà¥à¤› खास समठनहीं थी, दिमाग में सिरà¥à¤« à¤à¤• बात थी कि कशà¥à¤®à¥€à¤°à¥€ पंडितों को बाहर à¤à¤—ाना है. à¤à¤¾à¤°à¤¤ से जà¥à¥œà¥‡ किसी à¤à¥€ किसà¥à¤® के पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤•à¥‹à¤‚, चिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ को घाटी से हटाना है और वहां के समाज को मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं के आधार पर à¤à¤•à¤°à¥‚प बनाना है. उनकी यही मंशा थी और वे इसमें काफी हद तक कामयाब à¤à¥€ हà¥à¤.
लेकिन अà¤à¥€ यह जो नठदौर का कटà¥à¤Ÿà¤°à¤ªà¤‚थ है, पतà¥à¤¥à¤°à¤¬à¤¾à¤œà¥€ वाला दौर, यह कई गà¥à¤¨à¤¾ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ कटà¥à¤Ÿà¤° चरमपंथी है, जिनके हाथों में पतà¥à¤¥à¤° और मà¥à¤¹à¤‚ में आजादी है. आज कशà¥à¤®à¥€à¤° से पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ अखबार, à¤à¤¾à¤°à¤¤ में बैठे कथित मानवतावादी इन लोगों के साथ खड़े दिखाई दे रहे है. लेकिन à¤à¥€à¤·à¤£ दमन को à¤à¥‡à¤²à¤¨à¥‡ के बाद à¤à¥€ à¤à¤¸à¤¾ कोई नहीं दिख रहा जो कशà¥à¤®à¥€à¤°à¥€ पंडितों के साथ खड़ा हो. वामपंथी पारà¥à¤Ÿà¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ जो कि दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ à¤à¤° में अलà¥à¤ªà¤¸à¤‚खà¥à¤¯à¤•à¥‹à¤‚ के साथ खड़े रहने का दावा करती हैं, वे आज तक बिलà¥à¤•à¥à¤² उदासीन रहीं है, कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ का à¤à¥€ यही रà¥à¤– था और देश की सिविल सोसाइटी à¤à¥€ इस सवाल से मà¥à¤‚ह मोड़े रही. आज फिर हर कोई à¤à¤• सà¥à¤µà¤° में कह रहा है कि à¤à¤¾à¤°à¤¤ सरकार को इस मसले पर बात करनी चाहिà¤. लेकिन बात किससे करें? उनसे जिनके हाथ में पतà¥à¤¥à¤° और दिमाग में मजहबी आजादी का जूनून?
हमेशा से जब मामला कशà¥à¤®à¥€à¤°à¥€ पंडितों का मामला आता है उस पर मौन साध लिया जाता है. अà¤à¥€ à¤à¤• नà¥à¤¯à¥‚ज़ वेबसाइट पर कशà¥à¤®à¥€à¤°à¥€ पंडितों का दरà¥à¤¦ उनà¥à¤¹à¥€ की जà¥à¤¬à¤¾à¤¨à¥€ पॠरहा था कि वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ हालात से जूà¤à¤¤à¥‡ पंडित à¤à¥€ अब जनमत संगà¥à¤°à¤¹ की बात करने लगे है. वो कहते है कि साल 2010 में बारामूला शहर से करीब तीन किलोमीटर दूर, à¤à¥‡à¤²à¤® के किनारे à¤à¤• बेहद खूबसूरत कॉलोनी कशà¥à¤®à¥€à¤°à¥€ पंडितों के लिठबनाई गई है जिनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ दोबारा कशà¥à¤®à¥€à¤° में बसाने के उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ से पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ पैकेज के तहत सरकारी नौकरियां दी गई हैं. à¤à¥‡à¤²à¤® के बिलकà¥à¤² नजदीक बसी यह कॉलोनी दूर से तो बेहद खूबसूरत दिखती है, लेकिन इसमें रह चà¥à¤•à¥‡ या रह रहे लोगों का दरà¥à¤¦ जानकार इस à¤à¥Œà¤—ोलिक खूबसूरती की कोई अहमियत नहीं रह जाती. इस कॉलोनी में आज बमà¥à¤¶à¥à¤•à¤¿à¤² दस कशà¥à¤®à¥€à¤°à¥€ पंडितों के परिवार ही रह रहे हैं. à¤à¤¸à¤¾ नहीं है कि पंडितों को निशाना बनाया जा रहा हो लेकिन यहां जो माहौल अब बन गया है, उसमें पंडितों का रहना नामà¥à¤®à¤•à¤¿à¤¨ हो गया है.’ बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ की पà¥à¤¾à¤ˆ से जà¥à¥œà¥€ उनकी à¤à¤• बड़ी समसà¥à¤¯à¤¾ ये à¤à¥€ है कि यहां के लगà¤à¤— सà¤à¥€ निजी सà¥à¤•à¥‚लों में इसà¥à¤²à¤¾à¤® की पà¥à¤¾à¤ˆ कराई जाती है. वो नहीं चाहते कि उनके बचà¥à¤šà¥‡ इसà¥à¤²à¤¾à¤® सीखें.
घाटी में बचे कà¥à¤šà¥‡ कशà¥à¤®à¥€à¤°à¥€ पंडित कहने लगे हैं, कशà¥à¤®à¥€à¤° की समसà¥à¤¯à¤¾ का समाधान अब जनमत संगà¥à¤°à¤¹ के अलावा कà¥à¤› नहीं हो सकता. जनमत संगà¥à¤°à¤¹ हो जाना चाहिà¤. जब तक ये नहीं होगा कशà¥à¤®à¥€à¤° जलता रहेगा. अब आर या पार हो जाना चाहिà¤. और उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ लगता है कि अà¤à¥€ à¤à¤²à¥‡ ही कशà¥à¤®à¥€à¤° की आजादी की मांग जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ दिखती है लेकिन अगर जनमत संगà¥à¤°à¤¹ हà¥à¤† और वोट की नौबत आई, तो लोग à¤à¤¾à¤°à¤¤ से अलग होने के नà¥à¤•à¤¸à¤¾à¤¨ पर à¤à¥€ विचार करेंगे और अंततः à¤à¤¾à¤°à¤¤ के पकà¥à¤· में बहà¥à¤®à¤¤ होगा. जबकि यह हर कोई जानता है कि कशà¥à¤®à¥€à¤° से à¤à¤¾à¤°à¤¤ अपना हक छोड़ दे यह संà¤à¤µ है ही नहीं. 1947 में यह संà¤à¤µ था लेकिन तब à¤à¥€ कबायलियों के हमले से बचने के लिठवहां लोगों ने à¤à¤¾à¤°à¤¤ के साथ आने का फैसला किया. जिस दिन à¤à¤¾à¤°à¤¤ की सेना ने शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤—र के हवाईअडà¥à¤¡à¥‡ पर लैंड किया उसी दिन कशà¥à¤®à¥€à¤° का à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ à¤à¤¾à¤°à¤¤ साथ जà¥à¥œ गया था. अब इस जोड़ को तोड़ना कशà¥à¤®à¥€à¤° के राजनीतिक à¤à¥‚गोल के महतà¥à¤µ के चलते संà¤à¤µ नहीं है. अशà¥à¤µà¤¿à¤¨à¥€ पंडिता कहते हैं, ‘जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कà¤à¥€ कशà¥à¤®à¥€à¤° देखा नहीं, उसे कà¤à¥€ जाना नहीं, जो हमेशा दिलà¥à¤²à¥€ में बैठकर बड़ी-बड़ी बातें करते हैं, उनà¥à¤¹à¥€à¤‚ का खून जनमत संगà¥à¤°à¤¹ के नाम से खौलता है. हमने कशà¥à¤®à¥€à¤° को जलते देखा है और सबसे जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ इसे à¤à¥‹à¤—ा है. हम जानते हैं कि ये अब à¤à¤• à¤à¤¸à¤¾ नासूर बन गया है जिसे अनदेखा करने से काम नहीं चलेगा.”
आज कशà¥à¤®à¥€à¤° सिरà¥à¤« à¤à¥‚मि का टà¥à¤•à¥œà¤¾ नहीं है. वो à¤à¤¾à¤°à¤¤ के लिठराषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯à¤¤à¤¾ की सबसे बड़ी परख है, लेकिन इस परख को अगर राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¦ के उनà¥à¤®à¤¾à¤¦ की पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤—शाला बनाया जाà¤à¤—ा तो मà¥à¤¶à¥à¤•à¤¿à¤²à¥‡à¤‚ और बà¥à¥‡à¤‚गी. जमà¥à¤®à¥‚-कशà¥à¤®à¥€à¤° में राज किसका चलेगा, महबूबा मà¥à¤–à¥à¤¯à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ रहेंगी या राजà¥à¤¯à¤ªà¤¾à¤² शासन लागू होगा. मà¥à¤¦à¥à¤¦à¤¾ यह है कि कशà¥à¤®à¥€à¤° कैसे बचेगा. और उसको बचाने के लिठअगर विरोधी विचारधारा के किसी राजनेता की à¤à¥€ सà¥à¤¨à¤¨à¥€ पड़े तो सà¥à¤¨à¤¨à¤¾ चाहिà¤. देश चलाने के लिठहमेशा बाहà¥à¤¬à¤² नहीं दिखाया जाता, कई बार मिनà¥à¤¨à¤¤ à¤à¥€ करनी पड़ती है. दूसरा à¤à¤• सबको समठलेनी होगी कि हम सीमा और नियंतà¥à¤°à¤£ रेखा पर हम पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ से आने वाले आतंकवादियों को रोक सकते हैं लेकिन घाटी में लोगों के दिलो-दिमाग में आने वाले मजहबी उनà¥à¤®à¤¾à¤¦ को कैसे रोकेंगे? यदि हम कà¥à¤› देर के लिठमान à¤à¥€ लें कि à¤à¤¾à¤°à¤¤ बहà¥à¤¤ बड़ा निरà¥à¤£à¤¯ लेकर कशà¥à¤®à¥€à¤° को आजाद कर à¤à¥€ दे तो कशà¥à¤®à¥€à¤° जैसा जमीन का छोटा सा टà¥à¤•à¥œà¤¾ जो कि राजनीतिक à¤à¥‚गोल के लिहाज से इतना अहम है, कà¥à¤¯à¤¾ उसको कोई उसको आजाद रहने देगा? 1947 के अनà¥à¤à¤µ से हमें लगता है कि अगर à¤à¤¾à¤°à¤¤ वहां से अपनी सेना हटा देता है तो कà¥à¤› घंटे के अंदर-अंदर पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ या चीन या दोनों वहां मौजूद होंगे. तो उनका आजाद रहना संà¤à¤µ नहीं होगा?..राजीव चौधरी
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