गणतनà¥à¤¤à¥à¤° में गनतंतà¥à¤° कब तक ?
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Rajeev ChoudharyDate
10-May-2017Category
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HindiTotal Views
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10-May-2017Download PDF
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सरकार को चाहिठकि कोई ठोस कदम उठाठजिससे हमारे जवान बार-बार अपने लहू से à¤à¤¾à¤°à¤¤ माता की सेवा न करें.
इस साल मारà¥à¤š के अंत तक 80 अरà¥à¤§à¤¸à¥ˆà¤¨à¤¿à¤• मारे जा चà¥à¤•à¥‡ हैं. देश में हर वरà¥à¤· आतंकवाद नकà¥à¤¸à¤²à¤µà¤¾à¤¦ से लड़ने के मसौदे तैयार किये जाते है लेकिन बाद में या तो सरकार बदल जाती है या फिर मंतà¥à¤°à¥€ जिस कारण तैयार मसौदे गोलियों की तडतडाहट में कहीं उड़ जाते है. फिर ढाक के तीन पात वाली कहावत दिखाई देती है. लोगों को मà¥à¤–à¥à¤¯à¤§à¤¾à¤°à¤¾ में लाये जाने की बात होगी या फिर सेना की और दस पांच टà¥à¤•à¥œà¥€ à¤à¥‚खे à¤à¥‡à¤¡à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के à¤à¥à¤£à¥à¤¡ में फेंक दी जाती है.
दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ की कोई à¤à¥€ विचारधारा हो, यदि वह समगà¥à¤° चिंतन पर आधारित है और उसमें मनà¥à¤·à¥à¤¯ व जीव-जंतà¥à¤“ं सहित सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ निहित होता है लेकिन पृथà¥à¤µà¥€ पर सामà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ à¤à¤• à¤à¤¸à¥€ विचारधारा है जिसके संदरà¥à¤ में गà¤à¥€à¤° चिंतन-मंथन करने से à¤à¤¸à¤¾ पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤¤ होता है कि मातà¥à¤° कà¥à¤› समसà¥à¤¯à¤¾à¤“ं के आधार पर और वह à¤à¥€ पूरà¥à¤µà¤¾à¤—à¥à¤°à¤¹ से गà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¤ होकर, इस रासà¥à¤¤à¥‡ को खोजा गया. यही कारण है जिस तेजी से कà¤à¥€ यह विचारधारा पनपी थी उसी तरीके से अब यह अपने अंत की ओर अगà¥à¤°à¤¸à¤° है. राजनीतिक विशà¥à¤²à¥‡à¤·à¤• अजय साहनी की माने तो हाल के दिनों में कई माओवादियों ने आतà¥à¤®à¤¸à¤®à¤°à¥à¤ªà¤£ किया है. उनसे पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ जिलों की संखà¥à¤¯à¤¾ कम हà¥à¤ˆ है. वो कहते हैं, नकà¥à¤¸à¤²à¤µà¤¾à¤¦à¥€ के दबदबे वाले 223 जिले थे जो अब सिकà¥à¥œ कर 107 रह गठहैं.
कोई कà¥à¤› à¤à¥€ कहे पर à¤à¤¾à¤°à¤¤ में नकà¥à¤¸à¤² की उमà¥à¤° अà¤à¥€ बहà¥à¤¤ बची है उसके कà¥à¤›à¥‡à¤• कारण है. à¤à¤• तो नकà¥à¤¸à¤²à¤µà¤¾à¤¦ को कलम और मगरमचà¥à¤› के मानवतावादी आसà¥à¤“ं से बहà¥à¤¤ तेज डोज दी जा रही है. दूसरा नकà¥à¤¸à¤²à¤µà¤¾à¤¦ का नेटवरà¥à¤• कई राजà¥à¤¯à¥‹à¤‚ में फैला है और नकà¥à¤¸à¤²à¤µà¤¾à¤¦ से लड़ने के लिठअलग-अलग राजà¥à¤¯à¥‹à¤‚ की à¤à¤• नीति के बजाय अनेक नीति है. तीसरा नकà¥à¤¸à¤² पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ राजà¥à¤¯à¥‹à¤‚ में अशिकà¥à¤·à¤¾ और गरीबी à¤à¥€ इसका मूल कारण है इसके बाद पà¥à¤°à¤²à¥‹à¤à¤¨ और à¤à¤¯. पà¥à¤°à¤²à¥‹à¤à¤¨ यह कि जिस दिन नकà¥à¤¸à¤²à¤µà¤¾à¤¦ जीत जायेगा उस दिन देश में समता आ जाà¤à¤—ी, कोई गरीब नहीं रहेगा, ना किसी पास आरà¥à¤¥à¤¿à¤• परेशानी होगी न कोई दिकà¥à¤•à¤¤ खà¥à¤µà¤¾à¤¬ कà¥à¤› इस तरह दिखाया जाता है जैसे इस खूनी लड़ाई में à¤à¤¾à¤— लेने वाला हर कोई सीधा पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ बन जायेगा. यह सब बगदादी के जिहाद से मिलती जà¥à¤²à¤¤à¥€ पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ है, उसमे मरने के बाद लाठदिखाया जाता है इसमें जीत सà¥à¤¨à¤¿à¤¶à¥à¤šà¤¿à¤¤ होने पर. आज नकà¥à¤¸à¤²à¤µà¤¾à¤¦ देश के लिठविधà¥à¤µà¤‚सक साबित हो रहा है। इन कथित कà¥à¤°à¤¾à¤‚तिकारियों की गतिविधियों से देश की जनता तà¥à¤°à¤¾à¤¹à¤¿-तà¥à¤°à¤¾à¤¹à¤¿ कर रही है। सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾à¤¬à¤² और पà¥à¤²à¤¿à¤¸ के सैंकड़ों जवानों सहित अनगिनत निरà¥à¤¦à¥‹à¤· लोग इस कथित आंदोलन के शिकार हà¥à¤ हैं. आदिवासी लोगों की मà¥à¤–à¥à¤¯ समसà¥à¤¯à¤¾ यह है कि सेना और इस खà¥à¤¨à¥€ विचारधारा का वो लोग दोनों का शिकार बन रहे है.
पिछले कà¥à¤› महीनों से à¤à¤¾à¤°à¤¤ सरकार की तरफ से जो ये संदेश देने की कोशिश की जा रही है कि नकà¥à¤¸à¤²à¥€ समसà¥à¤¯à¤¾ लगà¤à¤— ख़तà¥à¤® होने की कगार पर है, हर दिन मीडिया में नकà¥à¤¸à¤²à¥€ आतà¥à¤®à¤¸à¤®à¤°à¥à¤ªà¤£ के ढोल बजते सà¥à¤¨à¤¾à¤ˆ देते है जिसे देखकर लगता है कि थोड़े बहà¥à¤¤ समयमें इसका पूरा उनà¥à¤®à¥‚लन हो जाà¤à¤—ा- ये गलत है. जब इस तरह की बात सरकार के तरफ से की जाती है तो इसकी पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ नकà¥à¤¸à¤²à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में होती है और वो कà¥à¤› à¤à¤¸à¤¾ करके दिखाने की कोशिश करते हैं कि वो अà¤à¥€ ख़तà¥à¤® नहीं हà¥à¤ हैं.वो ये जता देना चाहते हैं कि, हमारे में अà¤à¥€ à¤à¥€ शकà¥à¤¤à¤¿ बची हà¥à¤ˆ है और हम आपके अरà¥à¤§à¤¸à¥ˆà¤¨à¤¿à¤• बलों पर हमला कर सकते हैं और उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ नà¥à¤•à¤¸à¤¾à¤¨ पहà¥à¤‚चा सकते हैं. ये उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने संदेश देने की कोशिश की है. दूसरी महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ बात ये है कि राजà¥à¤¯ पà¥à¤²à¤¿à¤¸ के à¤à¤• जवान के घायल होने की à¤à¥€ ख़बर तक नहीं आती है, मरने की बात तो दूर रही. हालत बहà¥à¤¤ चिंताजनक है. आज मà¥à¤à¥‡ नहीं दिखता कि कोई à¤à¤¸à¥€ नीति हो जिसके आधार पर à¤à¤¾à¤°à¤¤ à¤à¤° में माओवादियों के ख़िलाफ कोई अà¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤¨ चल रहा हो. सबकà¥à¤› अपनी-अपनी डफली और अपना-अपना राग के सिदà¥à¤§à¤¾à¤‚त पर चल रहा है.
माना जाता है कि à¤à¤¾à¤°à¤¤ के कà¥à¤² छह सौ से जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ जिलों में से à¤à¤• तिहाई नकà¥à¤¸à¤²à¤µà¤¾à¤¦à¥€ समसà¥à¤¯à¤¾ से जूठरहे हैं. विशà¥à¤²à¥‡à¤·à¤• मानते हैं कि नकà¥à¤¸à¤²à¤µà¤¾à¤¦à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की सफलता की वजह उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ सà¥à¤¤à¤° पर मिलने वाला समरà¥à¤¥à¤¨ है. सरकार को चाहिठकि कोई ठोस कदम उठाठजिससे हमारे जवान बार-बार अपने लहू से à¤à¤¾à¤°à¤¤ माता की सेवा न करें. à¤à¤• सैनिक की मौत के साथ à¤à¤• पूरे परिवार के सपनों की और उमà¥à¤®à¥€à¤¦à¥‹à¤‚ की मौत हो जाती है. इसका दरà¥à¤¦ नकà¥à¤¸à¤²à¥€ नहीं समà¤à¥‡à¤‚गे. कà¥à¤¯à¥‚ंकि उनके लिठतो ये गरीब जवान केवल “वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ के दलाल” हैं. और इस तरह की अमानवीय घटना को अंजाम देने वालों के समरà¥à¤¥à¤¨ में सबसे पहले तथाकथित माननवाधिकार संगठन à¤à¤‚डा बà¥à¤²à¤‚द कर देते हैं. बोलते हैं, सीआरपीà¤à¤« जबरदसà¥à¤¤à¥€ करती है, à¤à¤¨à¤•à¤¾à¤‰à¤‚टर फरà¥à¤œà¥€ होते हैं. उनà¥à¤¹à¥€à¤‚ से मेरा यह सवाल है कि सà¥à¤•à¤®à¤¾ में जो हà¥à¤† है, उसमें किसका दोष है? किसके मानवाधिकार का हनन हà¥à¤† है? कà¥à¤¯à¤¾ ये à¤à¥€ फरà¥à¤œà¥€ à¤à¤¨à¤•à¤¾à¤‰à¤‚टर था? है कोई जवाब! नहीं होगा.. कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि जवाब देना इनके लिठशायद ‘राजनीति के लिहाज से सही नहीं होगा. लेकिन जवाब तो à¤à¤• ना à¤à¤• दिन देना ही होगा आखिर कब तक गणतंतà¥à¤° में यह गनतनà¥à¤¤à¥à¤° चलता रहेगा?
राजीव चौधरी
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