हमें तो ये हिंदू ही नहीं मानते
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Rajeev ChoudharyDate
10-May-2017Category
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HindiTotal Views
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10-May-2017Download PDF
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कà¥à¤› इसी तरह के शीरà¥à¤·à¤• के साथ बीबीसी ने à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ à¤à¤•à¤¤à¤¾ और जातिगत समरसता पर सवाल खड़ा किया है दरअसल यह मामला उस समय उà¤à¤°à¤•à¤° आया जब पिछले हफà¥à¤¼à¤¤à¥‡ सहारनपà¥à¤° के शबà¥à¤¬à¥€à¤°à¤ªà¥à¤° गांव में à¤à¥œà¤•à¥€ हिंसा के बाद दलितों के घर जलाठजाने के बाद इलाके में तनाव नजर आया. इस दलित बहà¥à¤² गांव में कà¥à¤› तथाकथित ऊà¤à¤šà¥€ जाति के लोग महाराणा पà¥à¤°à¤¤à¤¾à¤ª की जयंती पर शोà¤à¤¾à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤°à¤¾ निकाल रहे थे जिसके बाद हिंसक à¤à¥œà¤ª हो गई थी. दरअसल हिंसा महाराणा पà¥à¤°à¤¤à¤¾à¤ª को लेकर नहीं थी. हिंसा का असली कारण तेज आवाज में संगीत और फूहड़ नाच इस हिंसा की ओर इशारा कर रहा है. इसी तरह की à¤à¤• अनà¥à¤¯ घटना अà¤à¥€ इससे थोड़े दिन पूरà¥à¤µ सहारनपà¥à¤° में ही अमà¥à¤¬à¥‡à¤¡à¤•à¤° शोà¤à¤¾à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤°à¤¾ के दौरान मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ की ओर से दलितों पर हमले की खबर के बाद अखबारों में छाई थी. लेकिन मीडिया ने उस खबर को इतनी पà¥à¤°à¤®à¥à¤–ता नहीं दी थी.
à¤à¤²à¥‡ ही आज लोग इस घटना को जातिवाद से जोड़कर देख रहे हो लेकिन इसमें मेरा मानना है कि धारà¥à¤®à¤¿à¤• जà¥à¤²à¥‚स, शोà¤à¤¾à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ या à¤à¤¾à¤‚कियां जिनमे कोई जिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤° वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿, समाज या संगठन नहीं होता वहां देश के कई हिसà¥à¤¸à¥‹à¤‚ में सामà¥à¤ªà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯à¤¿à¤• तनाव का कारण बन चà¥à¤•à¥€ है. à¤à¤¸à¥‡ आयोजनों में अधिकतर यà¥à¤µà¤¾ वरà¥à¤— शामिल होता है जिसमें चोरी छिपे शराब तक का à¤à¥€ परोसा जाना नकारा नहीं जा सकता. जोशीले गीत, बà¥-चॠकर दिठगये à¤à¤¾à¤·à¤£ कई बार हिंसा के कारक बन जाते है. यदि इस ताजा मामले को देखे तो पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤¸à¤¨à¤¿à¤• अधिकारी à¤à¥€ à¤à¤• दूसरे पर आरोप-पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¤¾à¤°à¥‹à¤ª करते नजर आ रहे हैं. सहारनपà¥à¤° के à¤à¤¸à¤¡à¥€à¤à¤® मनोज सिंह ने à¤à¤• टीवी चैनल को बताया कि अगर पà¥à¤²à¤¿à¤¸ मà¥à¤¸à¥à¤¤à¥ˆà¤¦ होती तो सहारनपà¥à¤° के शबà¥à¤¬à¥€à¤°à¤ªà¥à¤° गांव में हà¥à¤ˆ हिंसा को रोका जा सकता था.
सवाल सिरà¥à¤« à¤à¤• शबà¥à¤¬à¥€à¤°à¤ªà¥à¤° का नहीं है सवाल उठता है कि महापà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ के नाम पर निकाले जाने वाली शोà¤à¤¾ यातà¥à¤°à¤¾à¤à¤‚ उपदà¥à¤°à¤µ और हिंसा का बारूद कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ बनती जा रही हैं? गौरतलब है कि सहारनपà¥à¤° की दोनों की घटनाओं में बिना अनà¥à¤®à¤¤à¤¿ के जà¥à¤²à¥‚स निकाले जा रहे थे. हमें नहीं पता शोà¤à¤¾ यातà¥à¤°à¤¾à¤“ं के नाम पर जà¥à¤²à¥‚स के जरिठदबंगई दिखाने की यह पà¥à¤°à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤à¤¿ कितनी जायज है? लेकिन पहले इस तरह की घटनाà¤à¤ सिरà¥à¤« देश के कà¥à¤› चà¥à¤¨à¤¿à¤¨à¥à¤¦à¤¾ शहरों में देखनें को मिलती थी लेकिन अब यह रोग कसà¥à¤¬à¥‹à¤‚ और गांवों तक पहà¥à¤à¤š गया.
अà¤à¥€ तक इस रोग से गाà¤à¤µ मà¥à¤•à¥à¤¤ थे किसान और मजदà¥à¤° की à¤à¤• दà¥à¤¸à¤°à¥‡ पर निरà¥à¤à¤°à¤¤à¤¾ लोगों को जोड़े रखती थी. जाति सूचक शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² कर कथित ऊà¤à¤šà¥€ जाति दूसरी अनà¥à¤¯ जातियों को पà¥à¤°à¤¤à¤¾à¥œà¤¿à¤¤ ना करती हो इससे कतई इंकार नहीं किया जा सकता है किनà¥à¤¤à¥ वो शबà¥à¤¦ आतà¥à¤®à¤¸à¤®à¥à¤®à¤¾à¤¨ का सवाल नहीं बनते थे. जिस कारण जातीय संघरà¥à¤· इतना नहीं था. लेकिन जिस तरह अब जातीय नेता व मीडिया इन घटनाओं का विशà¥à¤²à¥‡à¤·à¤£ करती है उससे जातिवाद और कई गà¥à¤¨à¤¾ मजबूत हो रहा है. हर à¤à¤• घटना को जातीय तराजू में तोला जाना à¤à¥€ राषà¥à¤Ÿà¥à¤° के लिठशà¥à¤ संकेत नहीं है. कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि जातीय संगरà¥à¤· जोकि मातà¥à¤° कà¥à¤› लोगों के कारण हà¥à¤† मीडिया के दà¥à¤·à¥à¤ªà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° की वजह से पहले अडोस-पडोस के गांवों जिलों इसके राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ सà¥à¤¤à¤° पर फैल जाता है.
इस घटना के बाद जब आरोप-पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¤¾à¤°à¥‹à¤ª का दौर आया तो दलित समाज से समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§ रखने वाले देशराज सिंह कहते हैं, कि “हमें तो ये हिंदू ही नहीं समà¤à¤¤à¥‡ वरना हमारे साथ वो यह सब करते? इस तरह के सवाल à¤à¥€ देश की सामाजिक समरसता पर पà¥à¤°à¤¹à¤¾à¤° करते है में यह नहीं कहता कि कथित ऊà¤à¤šà¥€ जाति के लोगों ने जो किया वह सही था नहीं बलà¥à¤•à¤¿ दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिठताकि निरà¥à¤¬à¤²à¥‹à¤‚ कमजोरों की नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ और पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤¸à¤¨ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ आसà¥à¤¥à¤¾ बढे पर साथ ही इस तरह की बयानबाजी से à¤à¥€ बचना चाहिà¤.
दलितों पर या कमजोरों इस या उस बहाने होने वाले अतà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤¾à¤° नठनहीं है. तथाकथित अगड़ा और पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¶à¤¾à¤²à¥€ वरà¥à¤—, हमेशा से सतà¥à¤¤à¤¾ से अपनी नजदीकी का फायदा उठा कर कमजोर समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ पर अतà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤¾à¤° करता रहा है. गà¥à¤œà¤°à¤¾à¤¤ के ऊना में गौरकà¥à¤·à¤¾ के नाम पर हà¥à¤ˆ हिंसा के विपकà¥à¤· की बड़ी नेता ने तो इसे सामाजिक आतंकवाद का नाम तक दे डाला था. हालाà¤à¤•à¤¿ अब उतà¥à¤¤à¤° पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ की नई नवेली सरकार इस तरह के मामलों के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ सखà¥à¤¤ रà¥à¤– अखà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤° करती दिखाई दे रही है इस वरà¥à¤· अंबेडकर जयंती पर बीजेपी सरकार ने जगह-जगह समरसता à¤à¥‹à¤œ का आयोजन किया था वह दलितों की समानता के हक में हर कदम उठाने के लिठसाथ ही उनके साथ हो रहे à¤à¥‡à¤¦à¤à¤¾à¤µ के खिलाफ à¤à¥€ खड़ी दिखाई à¤à¥€ दे रही है.
à¤à¤¾à¤°à¤¤ के चà¥à¤¨à¤¾à¤µà¥€ बाजार में राजनीतिक निरà¥à¤®à¤¾à¤¤à¤¾à¤“ं दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ तैयार किठगठऔर à¤à¤• दूसरे से आगे बà¥à¤•à¤° दिठजा रहे बयान कà¥à¤¯à¤¾ कà¤à¥€ सामाजिक समरसता का सपना पूरा होने देंगे मà¥à¤à¥‡ नहीं लगता कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि à¤à¤¸à¥€ घटनाओं के बाद यह लोग à¤à¤•-दूसरे के विरà¥à¤¦à¥à¤§ बड़े मोटे-मोटे शीरà¥à¤·à¤• देकर लोगों की à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤à¤‚ à¤à¥œà¤•à¤¾à¤¤à¥‡ हैं और परसà¥à¤ªà¤° सिर फà¥à¤Ÿà¥Œà¤µà¤² करवाते हैं. à¤à¤•-दो जगह ही नहीं, कितनी ही जगहों पर इसलिठदंगे हà¥à¤ हैं कि सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ अख़बारों ने बड़े उतà¥à¤¤à¥‡à¤œà¤¨à¤¾à¤ªà¥‚रà¥à¤£ लेख लिखे हैं. इस समय à¤à¤¸à¥‡ लेखक बहà¥à¤¤ कम हैं, जिनका दिल व दिमाग à¤à¤¸à¥‡ दिनों में à¤à¥€ शांत हो. दूसरा सोशल मीडिया पर à¤à¥à¤°à¤¾à¤®à¤• पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° à¤à¥€ à¤à¤¸à¥‡ माहोल में आग में घी का काम करता दिखाई देता है
आज समय है कि à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ नेता मैदान में उतरे हैं और धरà¥à¤® और जाति को राजनीति से अलग करने का काम करें à¤à¤—ड़ा मिटाने का यह à¤à¥€ à¤à¤• अचà¥à¤›à¤¾ इलाज है और हम इसका समरà¥à¤¥à¤¨ करते हैं. यदि धरà¥à¤® को अलग कर दिया जाठतो देश में सामाजिक समरसता और विकास पूरà¥à¤£ कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ में सà¤à¥€ इकटà¥à¤ े हो सकते हैं. जिससे à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ à¤à¤•à¤¤à¤¾ और जातिगत समरसता पर कोई विदेशी मीडिया सवाल न खड़ा कर सके..
राजीव चौधरी
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