और वह पीड़ा लकà¥à¤·à¥à¤¯ में बदल गयी!
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Rajeev ChoudharyDate
24-May-2017Category
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कà¤à¥€-कà¤à¥€ कà¥à¤› घटना हमें तोड़ देती है तो कà¥à¤› घटना हमें जोड़ देती है लेकिन कà¤à¥€ कà¥à¤› घटना जीवन में à¤à¤¸à¥€ à¤à¥€ होती है तो हमें कà¥à¤› करने को पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤¿à¤¤ करती है. यह घटना जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥€ नहीं है लगà¤à¤— à¤à¤• वरà¥à¤· होने को है. उस दिन आरà¥à¤¯ समाज के कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को गति देने के उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ से हम मधà¥à¤¯à¤ªà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ के बमानियाठमें थे जिसे आदिवासी इलाका à¤à¥€ कहा जाता है. मेरे साथ पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤•à¥à¤®à¤¾à¤° अरोड़ा, जोगिनà¥à¤¦à¥à¤° खटà¥à¤Ÿà¤° समेत दो वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ और थे. हमारी गाड़ी बमानियाठसे थानल मारà¥à¤— पर दौड़ रही थी. सà¥à¤¬à¤¹ 9 बजे के बाद से ही गरà¥à¤® हवा ने तपिश बà¥à¤¾ दी थी. आसमान से तीखी धूप मानो आग के गोले बरसा रही हो. जैसे-जैसे दिन चà¥à¤¤à¤¾ गया तापमान में à¤à¥€ बà¥à¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤°à¥€ होती गई. दोपहर से पहले ही सड़कों पर सनà¥à¤¨à¤¾à¤Ÿà¤¾ छा गया था. सडक से दूर-दूर इकà¥à¤•à¤¾ दà¥à¤•à¥à¤•à¤¾ à¤à¥‹à¤ªà¤¡à¥€ नà¥à¤®à¤¾ कचà¥à¤šà¥‡ मकान के अलावा हमें कà¥à¤› दिखाई नहीं पड़ रहा था.
हमारी चरà¥à¤šà¤¾ राजनीति तो कà¤à¥€ समाज में गिरते नैतिक मूलà¥à¤¯ पर चल रही थी, हालाà¤à¤•à¤¿ हमारा किसी राजनैतिक दल से कà¤à¥€ कोई तालà¥à¤²à¥à¤• नहीं रहा, लेकिन हम लोकतंतà¥à¤° में मिले अपने अधिकारों के दायरे में रहकर राजनीति पर à¤à¥€ चरà¥à¤šà¤¾ कर रहे थे. अचानक गाड़ी के हलà¥à¤•à¥‡ बà¥à¤°à¥‡à¤• लेने के कारण हमारी इस चरà¥à¤šà¤¾ पर à¤à¥€ बà¥à¤°à¥‡à¤• लग गया, जब हमने देखा कि सड़क के किनारे 25 से 30 बचà¥à¤šà¥‡à¤‚ उस जलते रेत में नंगे पांव चले आ रहे थे. à¤à¤• दो ने तो पà¥à¤²à¤¾à¤¸à¥à¤Ÿà¤¿à¤• की बोतल को चपटा कर पैरों के नीचे कपडे से बाà¤à¤§à¤¾ हà¥à¤† था ताकि पैर न जले. किसी की कमीज फटी थी तो किसी का पायजामा. शायद किसी सà¥à¤•à¥‚ल से आ रहे थे. à¤à¤• à¤à¤Ÿà¤•à¥‡ में हमारा आतà¥à¤®à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸ और सरकार के बदलते à¤à¤¾à¤°à¤¤ के गीत, उस मासूम बचपन के ननà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पैरों के नीचे दब कर रह गये, हम सब कà¥à¤› पल को मूक दरà¥à¤·à¤• हो गये थे.
पà¥à¤°à¥‡à¤® कà¥à¤®à¤¾à¤° जी ने गाड़ी को रà¥à¤•à¤µà¤¾à¤¯à¤¾ हम सब गाड़ी से उतरकर उन बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ के पास पहà¥à¤‚चे, हमने बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ से पूछा इस जलती रेत में जूते-चपà¥à¤ªà¤² कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ नहीं पहने? उनमे से कà¥à¤› बचà¥à¤šà¥‡ तो घबरा से गये लेकिन à¤à¤• दो सूखे कंठसे थूक गटकते हà¥à¤ जवाब दिया कि हमारे पास नहीं है सà¥à¤•à¥‚ल से साल à¤à¤° में à¤à¤• जोड़ी चपà¥à¤ªà¤² मिलती है जो इतनी ससà¥à¤¤à¥€ होती है कि जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ दिन नहीं चल पाती इसके बाद हम फिर अपने इसी हाल में आ जाते है, हमने उनकी किताबे देखी तो कà¥à¤› के पास किताबे ही नहीं थी वो सिरà¥à¤« सà¥à¤•à¥‚ल के बà¥à¤²à¥‡à¤•à¤¬à¥‹à¤°à¥à¤¡ के à¤à¤°à¥‹à¤¸à¥‡ ही शिकà¥à¤·à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करने को मजबूर थे. मन में यह पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ उमड़ने-घà¥à¤®à¥œà¤¨à¥‡ लगता है कि सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤° देश की लोकतांतà¥à¤°à¤¿à¤• यातà¥à¤°à¤¾ ने देश के इन बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ को कà¥à¤¯à¤¾ दिया है? जिस उमà¥à¤° में उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹à¤¿à¤¤ बचà¥à¤šà¥‡à¤‚ तितलियों और बादलों को पकड़ने के लिठदौड़ते है उस उमà¥à¤° में यह बचà¥à¤šà¥‡à¤‚ नारकीय रहन-सहन को आज à¤à¥€ मजबूर है. लेकिन इसके बाद à¤à¥€ उस मासूम बचपन के à¤à¥€à¤¤à¤° अपने देश और समाज के लिठकà¥à¤› करने जजà¥à¤¬à¤¾ देखकर हमारा अनà¥à¤¤à¤¸à¥ छलक आया.
वो बचà¥à¤šà¥‡ अपनी परेशानी या गरीबी को खà¥à¤¦ को सहज रूप में अà¤à¤¿à¤µà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤ नहीं कर पा रहे थे. लेकिन उनकी यह पहाड़ सी मà¥à¤¸à¥€à¤¬à¤¤ उनके हाल से साफ़ हो चà¥à¤•à¥€ थी. हालाà¤à¤•à¤¿ बमानियाठमें आरà¥à¤¯ समाज और महाशय धरà¥à¤®à¤ªà¤¾à¤² जी ने à¤à¤• बड़ा सà¥à¤•à¥‚ल वहां के गरीब आदिवासी समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ को समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ किया है लेकिन इसके बावजूद à¤à¥€ यह सब देखकर मन में सवाल उà¤à¤°à¤¾ कà¥à¤¯à¤¾ सिरà¥à¤« यह काफी है? हम सब दिलà¥à¤²à¥€ लौट चà¥à¤•à¥‡ थे लेकिन मेरा मन अà¤à¥€ à¤à¥€ उन बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ की इस वà¥à¤¯à¤¥à¤¾ के चारों और घूम रहा रहा था. बार-बार चेतना मनà¥à¤·à¥à¤¯ होने का बोदà¥à¤§ करा रही थी, इसके कई दिन बाद यह पूरा पà¥à¤°à¤¸à¤‚ग महाशय धरà¥à¤®à¤ªà¤¾à¤² जी के सामने रखा. महाशय जी पूरा पà¥à¤°à¤•à¤°à¤£ सà¥à¤¨à¤¨à¥‡ के बाद कहा इसमें दà¥à¤–ी होने के बजाय कà¥à¤› करके दिखाया जाये, इस पीड़ा को अब लकà¥à¤·à¥à¤¯ बनाये तो बेहतर होगा, महाशय जी की इस पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ से हमारा विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ कà¥à¤‚दन की à¤à¤¾à¤‚ति दमक उठा, हम सब ने मिलकर आरà¥à¤¯ समाज की पहल से “सहयोग” नामक à¤à¤• योजना का गठन किया जिसमें यह तय किया गया कि हम सब मिलकर अपने मितà¥à¤°à¥‹ रिशà¥à¤¤à¥‡à¤¦à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ व अनà¥à¤¯ लोगों की मदद से उन बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ के चेहरों पर मà¥à¤¸à¥à¤•à¤¾à¤¨ लाने की कोशिश करेंगे. लोगों से आगà¥à¤°à¤¹ करेंगे कि वो अपने व अपने बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ के दैनिक पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— से बाहर हà¥à¤ कपडे, बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ की पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥€ किताबें, पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥‡ खिलोने आदि जो à¤à¥€ सामान पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— से बाहर हो चूका है उससे इन बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ की दैनिक जरूरते पूरी करने à¤à¤¾à¤—ीदार जरà¥à¤° बने.
“सहयोग” की इस सेवा à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ के कारà¥à¤¯ में सिरà¥à¤« लोगों से कपडे व जरूरी सामान ही नहीं अपितॠइस सहयोग की à¤à¥€ आशा करेंगे कि यदि मूलà¤à¥‚त सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾à¤“ं से जूà¤à¤¤à¥‡ बचà¥à¤šà¥‡à¤‚ उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ मिले तो “सहयोग” को जरà¥à¤° अवगत कराà¤à¤. हालाà¤à¤•à¤¿ सारी दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ से गरीबी का मिटना तो à¤à¤• सपने जैसे है लेकिन फिर à¤à¥€ à¤à¤• इंसान मदद के लिठकहाठजाà¤? यही सोचकर “सहयोग” ने शिकà¥à¤·à¤¾, और जरूरी सामान इन बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ तक पहà¥à¤šà¤¾à¤¨à¥‡ का लकà¥à¤·à¥à¤¯ बना लिया, सहयोग सिरà¥à¤« कपड़ों या सामान तक नहीं है बलà¥à¤•à¤¿ “सहयोग” इन बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ का à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤• रूप से साथी बनेगा, समाज के लिठमन वचन से कारà¥à¤¯ को पà¥à¤°à¤¾à¤¥à¤®à¤¿à¤•à¤¤à¤¾ देने का कारà¥à¤¯ करेगा. मà¥à¤à¥‡ आज लिखते हà¥à¤ बहà¥à¤¤ हरà¥à¤· हो रहा है कि सहयोग के इस कारà¥à¤¯ में जिस तरह लोग अपने कपडे व अनà¥à¤¯ सामान से “सहयोग” को उन बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ के लिठदे रहे है उससे सहयोग कई कदम आगे बà¥à¤•à¤° उस मासूम बचपन के नाजà¥à¤• पैरो और नंगे बदन को सरà¥à¤¦à¥€ गरà¥à¤®à¥€ से बचाने के लिठउनके हाथों में किताबें और मà¥à¤¸à¥à¤•à¤°à¤¾à¤¹à¤Ÿ देने के कारà¥à¤¯ में पूरà¥à¤£ निषà¥à¤ ां के साथ आगे बॠरहा है.
विनय आरà¥à¤¯
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