à¤à¤¾à¤°à¤¤ की “आवारा à¤à¥€à¤¡à¤¼ के खतरेâ€
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Rajeev ChoudharyDate
30-May-2017Category
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30-May-2017Download PDF
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जब उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ ततà¥à¤•à¤¾à¤² सजा सà¥à¤¨à¤¾à¤¨à¥‡ के अधिकार हासिल हो चà¥à¤•à¤¾ हो तो वे पà¥à¤²à¤¿à¤¸ या अदालतों की परवाह कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ करें,
लोग फिर जमा हो रहे हैं धरà¥à¤® के नाम पर, जातियों-उपजातियों के नाम पर, कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° और समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ से लेकर गौरकà¥à¤·à¤¾ के नाम पर पर। सवाल यह है इंसानों की रकà¥à¤·à¤¾ के लिठकितने लोग जà¥à¥œ रहे हैं? शà¥à¤¦à¥à¤§ हवा, पेड़ और सà¥à¤µà¤šà¥à¤› पानी को बचाने के लिठकितने संगठन बने? कà¥à¤ªà¥‹à¤·à¤£, बेरोजगारी समाज को शिकà¥à¤·à¤¿à¤¤ करने के लिठकितने लोग सामने आये? सवाल ही मेरा बचकाना है, à¤à¤²à¤¾ शà¥à¤¦à¥à¤§ हवा, सà¥à¤µà¤šà¥à¤› पानी, बीमारी से बचाने वाले को कौन वोट देगा?
जातियां बचाने को देश के अनà¥à¤¦à¤° सेनाà¤à¤‚ बन रही है। à¤à¥€à¤® सेना, करणी सेना, सनातन संसà¥à¤¥à¤¾, हिंदू यà¥à¤µà¤¾ वाहिनी, बजरंग दल, शà¥à¤°à¥€à¤°à¤¾à¤® सेना, à¤à¥‹à¤‚सला मिलिटà¥à¤°à¥€ और ना जाने कितनी सेना! हर कोई जाति और धरà¥à¤® के नाम पर हर रोज संगठन या सेना रजिसà¥à¤Ÿà¤°à¥à¤¡ करा रहा है। à¤à¤• दूसरे के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ à¤à¤¯ का माहौल खड़ा किया जा रहा है। देश में विपकà¥à¤· बचा ही नहीं जो à¤à¥€ बचे हैं वो नई परिà¤à¤¾à¤·à¤¾ के हिसाब से गदà¥à¤¦à¤¾à¤° और देशदà¥à¤°à¥‹à¤¹à¥€ बचे हैं। आखिर ये पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¤¾ à¤à¤¾à¤°à¤¤ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ बदल रहा है?
सालों पहले à¤à¤¸à¥€ ही à¤à¥€à¥œ ने सिखों का क़तà¥à¤²à¥‡à¤†à¤® किया, पिछले साल मालदा में हिंसा करने वाली à¤à¤¸à¥€ ही à¤à¥€à¥œ ने बाजार फूंका था। सहारनपà¥à¤° में गरीबों के घर फूंकने वाली à¤à¥€à¥œ, कशà¥à¤®à¥€à¤° के पतà¥à¤¥à¤°à¤¬à¤¾à¤œà¥‹ से लेकर हमने à¤à¥€à¥œ का à¤à¤¯à¤¾à¤µà¤¹ रूप कई देखा है लेकिन उसके ख़तरों को बिलà¥à¤•à¥à¤² नहीं समà¤à¤¾ है। बहà¥à¤¤ सारे लोग इस बात पर नाराज़ हो सकते हैं कि हिंदà¥à¤“ं की तà¥à¤²à¤¨à¤¾ मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ से न की जाà¤, लेकिन हिंदू धरà¥à¤® को शांतिपà¥à¤°à¤¿à¤¯ और अहिंसक मानने वालों को à¤à¥‚ठा साबित कर रही है महाराणा पà¥à¤°à¤¤à¤¾à¤ª और अमà¥à¤¬à¥‡à¤¡à¤•à¤° के नाम हतà¥à¤¯à¤¾à¤à¤‚ करने वाली ये à¤à¥€à¤¡à¤¼à¥¤
महाराणा पà¥à¤°à¤¤à¤¾à¤ª को लेकर सहारनपà¥à¤° जल रहा है जिसने देश-धरà¥à¤® बचाने के लिठघास की रोटी खाई लेकिन उसके कथित वंशज आज उसके नाम पर मलाई चाट रहे है। शोà¤à¤¾à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ के लिठमर रहे हैं और मार रहे हैं, मूरà¥à¤¤à¤¿ सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ को लेकर मर रहे हैं और मार रहे हैं, जातीय पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¸à¥à¤ªà¤°à¥à¤§à¤¾, राजनीति और हिंसा का इससे विकृत रूप और कà¥à¤¯à¤¾ हो सकता है à¤à¤²à¤¾?
असल समसà¥à¤¯à¤¾à¤à¤‚ कूड़ेदान में चली गयी। नयी-नयी अजीबोगरीब समसà¥à¤¯à¤¾à¤à¤‚ पैदा हो रही है और उनसे राजनीति हो रही है. लोगों को इस बात की जरा à¤à¥€ परवाह नहीं वे किन चीजों के लिठमर और मार रहे हैं. संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ और परंपरा पर गरà¥à¤µ करने और इसकी माला फेरने वालों à¤à¤¾à¤°à¤¤ को सिरà¥à¤« बà¥à¤¤à¥‹à¤‚, पà¥à¤¤à¤²à¥‹à¤‚, पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤•à¥‹à¤‚ और मूरà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का देश बना देने में कोई कसर न छोड़ना. शायद यही धरà¥à¤® की परिà¤à¤¾à¤·à¤¾ शेष रह गयी है!!
मसलन हम जो आज कर रहे है पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ चालीस साल पहले करके देख चà¥à¤•à¤¾ है। इसी का नतीजा है कि आज सà¥à¤ªà¥‡à¤¸ में उसके उपगà¥à¤°à¤¹ के बजाय दिन दहाड़े उसके बाजारों में बम विसà¥à¤«à¥‹à¤Ÿ हो रहे हैं। पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ में जनरल जिया उल हक की सरकार के दौर में देश का इसà¥à¤²à¤¾à¤®à¥€à¤•à¤°à¤£ हà¥à¤† था। पाठà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® बदले गये। विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ की जगह बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ को मजहब थमाया गया था। जिसके बाद मजहब से निकले लोगों ने संगठन बनाà¤à¥¤ संगठने राजनीति पर हावी हà¥à¤ˆà¥¤ राजनीति उनकी गà¥à¤²à¤¾à¤® बनी और पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ à¤à¥€à¤– पर पलने वाला देश बनकर रह गया।
पिछले कà¥à¤› सालों में समय का चकà¥à¤° सà¥à¤ªà¥€à¤¡ से घूमा है और दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ के कई हिसà¥à¤¸à¥‹à¤‚ में बड़ा बदलाव आया अमरीका में à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ मूल के लोगों की लगातार हो रही हतà¥à¤¯à¤¾à¤“ं, बांगà¥à¤²à¤¾à¤¦à¥‡à¤¶ में पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ में मानवतावादी पतà¥à¤°à¤•à¤¾à¤°à¥‹à¤‚, बà¥à¤²à¤¾à¤—रों की हतà¥à¤¯à¤¾ समेत à¤à¤¾à¤°à¤¤ में गौरकà¥à¤·à¤¾ के नाम पर हतà¥à¤¯à¤¾ à¤à¥€ अंतरà¥à¤°à¤¾à¤·à¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ चिनà¥à¤¤à¤¾à¤“ं के सवाल बने हैं।
आज पूरे विशà¥à¤µ में राजनैतिक सतà¥à¤¤à¤¾ के लिठजो दूध बिलोया जा रहा है कहीं उसका मकà¥à¤–न अतिवादी चरमपंथी ना खा जाये यह à¤à¥€ सोचना होगा! हमारे देश में à¤à¥€ à¤à¤• à¤à¥€à¤¡à¤¼ बॠरही है, इसका उपयोग à¤à¥€ हो रहा है, आगे इस à¤à¥€à¤¡à¤¼ का उपयोग सारे राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ और मानव मूलà¥à¤¯à¥‹à¤‚ समेत लोकतंतà¥à¤° के नाश के लिठकिया जा सकता है। आज मेरी बात à¤à¤²à¥‡ ही बकवास और तरà¥à¤•à¤¹à¥€à¤¨ दिखाई दे लेकिन मेरी यह बात पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ लेखक हरिशंकर परसाई को समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ है जिसकी दशकों पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥€ रचना “आवारा à¤à¥€à¤¡à¤¼ के ख़तरे” को लोगों ने वà¥à¤¯à¤‚ग समà¤à¤¾ था। लेकिन परसाई की लिखी सैकड़ों बातें कई महान à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯à¤µà¤•à¥à¤¤à¤¾à¤“ं से सटीक निकली।
पिछले दिनों बीबीसी की पर आलेख पà¥à¤¾ था कि हमारा आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨à¥‹à¤‚ से à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¤¾ नाता रहा है कई बार शांत तो कई बार आंदोलन हिंसक हो जाते हैं, जाट और गà¥à¤œà¥à¤œà¤° आंदोलन की तरह। हमारा दंगों का इतिहास à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¤¾ है, दंगे à¤à¥œà¤•à¤¤à¥‡ रहे हैं, इंसानों को लीलते है मकान दà¥à¤•à¤¾à¤¨ फूंकते है फिर शांत हो जाते है। कोई चिंगारी कहीं से उड़ती है, कहीं से आग का गà¥à¤¬à¥à¤¬à¤¾à¤° निकलता है, करता कोई है, à¤à¤°à¤¤à¤¾ कोई है। धीरे-धीरे सब सामानà¥à¤¯ हो जाता है। यदि कà¥à¤› कायम नहीं होता तो वह है फिर से वही सौहारà¥à¤¦à¥¤
इस समय देश में बड़े दंगे नहीं हो रहे लेकिन जो कà¥à¤› हो रहा है वो शायद जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ ख़तरनाक है। दंगा घटना है, मगर अà¤à¥€ जो चल रहा है वो à¤à¤• पà¥à¤°à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ है। शà¥à¤°à¥‚आती कामयाबियों और गà¥à¤ªà¤šà¥à¤ª शाबाशियों के बाद कà¥à¤› लोगों को विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ हो रहा है कि वे सही राह पर हैं। धरà¥à¤® और सतà¥à¤¤à¤¾ की शह से पनपने वाली ये à¤à¥€à¤¡à¤¼ ख़à¥à¤¦ को क़ानून-वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ और नà¥à¤¯à¤¾à¤¯-वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ से ऊपर मानने लगी है। जब उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ ततà¥à¤•à¤¾à¤² सजा सà¥à¤¨à¤¾à¤¨à¥‡ के अधिकार हासिल हो चà¥à¤•à¤¾ हो तो वे पà¥à¤²à¤¿à¤¸ या अदालतों की परवाह कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ करें, या उनसे कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ डरें?
जब à¤à¤• नई राह बनाई जाà¤à¤—ी तो पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥€ मिट जाà¤à¤—ी। जिन देशों में मजहबी कटà¥à¤Ÿà¤°à¤¤à¤¾ ने अनà¥à¤¯ पंथो, समà¥à¤¦à¤¾à¤¯à¥‹à¤‚ को मिटाकर कटà¥à¤Ÿà¤°à¤¤à¤¾ का धà¥à¤µà¤œ लहराया था आज उस कटà¥à¤Ÿà¤°à¤¤à¤¾ का शिकार उसका बड़ा वरà¥à¤— ही हो रहा है। दिन के उजाले में इतिहास पढने वाले जानते कि जब à¤à¥€ किसी देश में धारà¥à¤®à¤¿à¤• कटà¥à¤Ÿà¤°à¤¤à¤¾ का बोलबाला हà¥à¤† तो सिरà¥à¤«à¤¼ अलà¥à¤ªà¤¸à¤‚खà¥à¤¯à¤•à¥‹à¤‚ का नहीं बलà¥à¤•à¤¿ वहां के बहà¥à¤¸à¤‚खà¥à¤¯à¤• समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ का à¤à¥€ अतà¥à¤¯à¤§à¤¿à¤• नà¥à¤•à¤¼à¤¸à¤¾à¤¨ हà¥à¤†à¥¤
मसलन, जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥€ बात नहीं, जब सीरिया à¤à¤• ख़à¥à¤¶à¤¹à¤¾à¤² देश हà¥à¤† करता था। लेकिन पिछले कà¥à¤› सालों से कई हिसà¥à¤¸à¥‹à¤‚ में बंटा समाज हिंसक हो गया। बिगड़ते हालात में सरकार की गलत नीतियों ने आग को और हवा दी। जिस कारण आज सीरिया गृह यà¥à¤¦à¥à¤§ में जल रहा है। ये à¤à¤• सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾, à¤à¤• ख़à¥à¤¶à¤¹à¤¾à¤² देश के बहà¥à¤¤ कम वकà¥à¤¤ में बरà¥à¤¬à¤¾à¤¦ होने की मिसाल है। या कहो à¤à¤• विचारधारा ने सीरया को मलबे, लाशों और कबà¥à¤°à¤¿à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤¨ का देश बना दिया। लेकिन अब पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥€ राह पर लौटना आसान नहीं जाहिर सी बात है उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ नई राह खोजनी होगी।
----राजीव चौधरी
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