तिनका तिनका उठाना पड़ता है
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Rajeev ChoudharyDate
30-May-2017Category
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HindiTotal Views
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RajeevUpload Date
30-May-2017Download PDF
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लगà¤à¤— 10 साल का चनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¦à¥‡à¤µ आरà¥à¤¯ जो उतà¥à¤¤à¤° पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ से आया है आज बेहद खà¥à¤¶ था उसकी खà¥à¤¶à¥€ सिरà¥à¤« इस बात में थी कि उसने वैचारिक कà¥à¤°à¤¾à¤‚ति शिविर में 21 मई को यजà¥à¤žà¥‹à¤ªà¤µà¥€à¤¤ संसà¥à¤•à¤¾à¤° पर नया यजà¥à¤žà¥‹à¤ªà¤µà¥€à¤¤ धारण किया था। शायद उसका मन उन बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ की खà¥à¤¶à¥€ से कई गà¥à¤¨à¤¾ खà¥à¤¶ था जो हजारों रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ के खिलौने लेकर à¤à¥€ नहीं मà¥à¤¸à¥à¤•à¥à¤°à¤¾ पाते। वह बड़े गरà¥à¤µ के साथ यजà¥à¤žà¥‹à¤ªà¤µà¥€à¤¤ की ओर इशारा कर बता रहा था कि यह मैंने कल ही धारण किया है। नागालैणà¥à¤¡ की राजधानी दीमापà¥à¤° से करीब 80 किलोमीटर दूर à¤à¤• छोटे से गाà¤à¤µ से आया केविलोन बेà¤à¤¿à¤à¤• कहता है कि आरà¥à¤¯ समाज के कारण वह आज ईसाईयत के जहर से बच गया। अपने सनातन धरà¥à¤® अपनी संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ पर गरà¥à¤µ करता हà¥à¤† बताता है कि हम खà¥à¤¶ हैं। हमें नहीं पता हम किन-किन मारà¥à¤—ो से गà¥à¤œà¤°à¤•à¤° यहाठपहà¥à¤‚चे, लेकिन यहाठआकर जो सीखा उसे जीवन में उतारकर अपने देश, अपने धरà¥à¤® के लिठकारà¥à¤¯ करेंगे। अब आप खà¥à¤¦ अंदाजा लगा सकते हैं कि आरà¥à¤¯ समाज किन-किन कठिन रासà¥à¤¤à¥‹à¤‚ से होकर इन बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ तक पहà¥à¤‚चा होगा!
यह खबर देश, समाज और वैदिक धरà¥à¤® के लिठकà¥à¤› कर गà¥à¤œà¤°à¤¨à¥‡ को पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤¿à¤¤ ही नहीं करेगी बलà¥à¤•à¤¿ राषà¥à¤Ÿà¥à¤° और धरà¥à¤® के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ उऋण होने का मौका à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करेगी। आपने देश तोड़ने वाली बहà¥à¤¤ विचारधारा इस देश में अà¤à¤¿à¤µà¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ की आजादी के नाम पर मà¥à¤¹à¤‚ खोले खड़ी देखी होगी। उस समय गà¥à¤¸à¥à¤¸à¤¾ à¤à¥€ आता होगा, मन यह à¤à¥€ सोचता होगा कि कà¥à¤¯à¤¾ इस देश में कोई à¤à¤¸à¥€ विचारधारा à¤à¥€ है जो बिना किसी राजनैतिक à¤à¤œà¥‡à¤‚डे के सारे देश को à¤à¤• सूतà¥à¤° में पिरोने का कारà¥à¤¯ करती हो? यदि हाठतो आरà¥à¤¯ समाज रानी बाग दिलà¥à¤²à¥€ के दयाननà¥à¤¦ सेवाशà¥à¤°à¤® संघ के सानिधà¥à¤¯ में वनवासी बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ को शिकà¥à¤·à¤¾ के साथ धारà¥à¤®à¤¿à¤• व राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ संसà¥à¤•à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ से जोड़ा जा रहा है।
यहाठतà¥à¤°à¤¿à¤ªà¥à¤°à¤¾ से आये à¤à¤• बचà¥à¤šà¥‡ की उमà¥à¤° करीब 9 साल है सफेद कà¥à¤°à¤¤à¤¾ पायजामा पहने, गले में यजà¥à¤žà¥‹à¤ªà¤µà¥€à¤¤ धारण किये वह खेल रहा था। हमारे लिठपूरà¥à¤µà¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤° à¤à¤¾à¤°à¤¤ के इस मासूम से बचपन को करीब से देखने जानने का यह à¤à¤• बेहतर मौका था। अचानक उसकी नजर कà¥à¤°à¥à¤¸à¥€ पर जमी हलà¥à¤•à¥€ सी धूल पर गयी वह दौड़कर à¤à¤• कपड़ा लेकर आया और कà¥à¤°à¥à¤¸à¥€ को साफ करने लगा। शायद यह आरà¥à¤¯ समाज के दिठसंसà¥à¤•à¤¾à¤°à¤¾à¤‚ का पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ था। जब हमने उससे पूछा कि यहाठआकर कैसा लगा? उसने बेहद उतà¥à¤¸à¥à¤•à¤¤à¤¾ के साथ हाथ जोड़कर नमसà¥à¤¤à¥‡ कर बताया बहà¥à¤¤ अचà¥à¤›à¤¾à¥¤ उसका हिनà¥à¤¦à¥€ à¤à¤¾à¤·à¤¾ में जवाब सà¥à¤¨à¤•à¤° मन गदगद हो गया कि देश की सà¥à¤µà¤¤à¤¨à¥à¤¤à¥à¤°à¤¤à¤¾ के 70 सालों बाद जिन पूरà¥à¤µà¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤° पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¥‹à¤‚ को सरकारें सीधा रेल या सड़क मारà¥à¤— से नहीं जोड़ पाइंरॠवहां आरà¥à¤¯ समाज दयाननà¥à¤¦ सेवाशà¥à¤°à¤® संघ देश के मासूम बचपन को इन à¤à¥€à¤·à¤£ परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के बाद à¤à¥€ हिनà¥à¤¦à¥€ à¤à¤¾à¤·à¤¾ व वैदिक संसà¥à¤•à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ से जोड़ने का कारà¥à¤¯ कर रहा है।
बबलू डामर मधà¥à¤¯à¤ªà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ के आदिवासी कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° à¤à¤¾à¤¬à¥à¤¬à¤¾ से आया है। महाशय धरà¥à¤®à¤ªà¤¾à¤² आरà¥à¤¯ विदà¥à¤¯à¤¾ निकेतन बमानिया में पà¥à¤¤à¤¾ है और थोड़ा शरà¥à¤®à¥€à¤²à¥‡ सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ का है। जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ बात नहीं कर पा रहा था, लेकिन उसकी खà¥à¤¶à¥€ उसकी ननà¥à¤¹à¥€à¤‚ मासूम आà¤à¤–ों में सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ दिख रही थी। जेमà¥à¤¸ आसाम से आया है। महाशय धरà¥à¤®à¤ªà¤¾à¤² आरà¥à¤¯ विदà¥à¤¯à¤¾ निकेतन धनशà¥à¤°à¥€ सà¥à¤•à¥‚ल का छातà¥à¤° है वह बताता है कि वह उन इलाकों से आया है जहाठसà¥à¤•à¥‚ल कॉलेजों से जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ चरà¥à¤š मिलेंगे हलà¥à¤•à¤¾ गेरà¥à¤ रंग का कà¥à¤°à¥à¤¤à¤¾ सफेद पायजामा पहने जेमà¥à¤¸ की नजरे मानों आरà¥à¤¯ समाज का आà¤à¤¾à¤° पà¥à¤°à¤•à¤Ÿ कर रही हों। जेमà¥à¤¸ नाम सà¥à¤¨à¤•à¤° आप à¤à¤• पल को चांक गये होंगे लेकिन बाद में उसने बताया कि वहां उन कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में सनातन नामावली à¤à¥€ करीब-करीब मिट चà¥à¤•à¥€ है। इससे पहले हम और बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ से मिलते यहाठà¤à¤• सांसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® शà¥à¤°à¥‚ हो चà¥à¤•à¤¾ था। बचà¥à¤šà¥‡ कतारब( होकर अपना-अपना सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ गà¥à¤°à¤¹à¤£ करने लगे थे। à¤à¤¸à¥‡ à¤à¤• दो नहीं इस शिविर में करीब 200 से जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ बचà¥à¤šà¥‡ जो ओड़िशा, मधà¥à¤¯à¤ªà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤·, राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨, उतà¥à¤¤à¤°à¤ªà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶, आसाम, छतà¥à¤¤à¥€à¤¸à¤—à¥, उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ नागालैंड, à¤à¤¾à¤°à¤–णà¥à¤¡ आदि पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶à¥‹à¤‚ से आये हैं। ये बचà¥à¤šà¥‡ कहते हैं हमने कà¤à¥€ सोचा à¤à¥€ नहीं था कि हम लोग इतनी अचà¥à¤›à¥€ जगह शिकà¥à¤·à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करेंगे।
अधिकांश बचà¥à¤šà¥‡ उन पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¥‹à¤‚ से है जहाठइसाई मिशनरीज खà¥à¤²à¥‡à¤†à¤® मतमतांतर का कारà¥à¤¯ रही है। जिसे बहà¥à¤¤ पहले रूस के जोसेफ सà¥à¤Ÿà¤¾à¤²à¤¿à¤¨ ने वेटिकन दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ चरà¥à¤š की ‘‘अदृशà¥à¤¯ सेना’’ माना था। जो लोगों को उनकी जड़ों से काटकर पाशà¥à¤šà¤¾à¤¤à¥à¤¯ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का नामहीन और वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µà¤¹à¥€à¤¨ नकलची à¤à¤° बनाते है तथा इसके बदले उनकी पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥€ धारà¥à¤®à¤¿à¤• मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं को न केवल समापà¥à¤¤ करने बलà¥à¤•à¤¿ उनसे और अपने राषà¥à¤Ÿà¥à¤° से घृणा करना सिखाते हैं। लेकिन इसके विपरीत जब आप इन बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ के करीब जाà¤à¤‚गे तो सांसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• आधार पर à¤à¤¾à¤°à¤¤ के सà¥à¤¦à¥‚र पà¥à¤°à¤¾à¤‚तों से आये इन बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ के बीच समरसता और आतà¥à¤®à¥€à¤¯à¤¤à¤¾ मिलेगी। इनकी आà¤à¤–ों में आपको सà¥à¤¨à¥‡à¤¹ के साथ आà¤à¤¾à¤° दिखाई देगा। आप कà¥à¤› देर चà¥à¤ªà¤šà¤¾à¤ª किसी सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर बैठकर देखना फिर आपको सà¥à¤µà¤¯à¤‚ अहसास होगा कि धरà¥à¤® संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के बीच उगने वाले ये छोटे-छोटे पोधे कल जब विशाल वृकà¥à¤· बनेंगे तो इसका मीठा फल राषà¥à¤Ÿà¥à¤° को सांसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• रूप से जरà¥à¤° उजà¥à¤œà¤µà¤² बनाने के काम आà¤à¤—ा।
कहते हैं समाज को विदà¥à¤¯à¤¾ और विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ जानने वाला वरà¥à¤— ही लेकर आगे बà¥à¤¤à¤¾ है। पहले à¤à¥€ à¤à¤¸à¤¾ ही था और आगे à¤à¥€ à¤à¤¸à¤¾ ही होगा। यही सोचकर आरà¥à¤¯ समाज विपरीत परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚, में जन और धन के अà¤à¤¾à¤µ में à¤à¥€ निरंतर आज यह कारà¥à¤¯ कर रहा है। ताकि पूरà¥à¤µ से पशà¥à¤šà¤¿à¤® तक उतà¥à¤¤à¤° से दकà¥à¤·à¤¿à¤£ तक वैदिक सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾ का पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° कर अपनी संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ को वहां सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ करे सके जहाठआरà¥à¤¯ लोग हजारों वरà¥à¤· पहले कर चà¥à¤•à¥‡ हैं। देश के à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨-à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¥‹à¤‚ के बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ को जोड़कर राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ मिलन का यह सबसे उतà¥à¤¤à¤® पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ है जिसके लिठतन-मन-धन के सहयोग की जरूरत होगी कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि यह à¤à¥€ सब à¤à¤²à¥€à¤à¤¾à¤‚ति जानते हैं कि कोई à¤à¤• अकेला इनà¥à¤¸à¤¾à¤¨ यह सब नहीं कर सकता।
किसी कवि ने कहा है- मंजिल यूठही नहीं मिलती राही को जà¥à¤¨à¥‚न सा दिल में जगाना पड़ता है,
पूछा चिड़िया से कि घोसला कैसे बनता है वह बोली ‘‘तिनका तिनका उठाना पड़ता है।’’
----राजीव चौधरी
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