मन को ईशà¥à¤µà¤° में लगाने से मन में निरà¥à¤®à¤²à¤¤à¤¾ आती हैः डा. सोमदेव शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥€â€™
Author
Manmohan Kumar AryaDate
07-Jun-2017Category
लेखLanguage
HindiTotal Views
857Total Comments
0Uploader
RajeevUpload Date
07-Jun-2017Download PDF
-0 MBTop Articles in this Category
- फलित जयोतिष पाखंड मातर हैं
- राषटरवादी महरषि दयाननद सरसवती
- राम मंदिर à¤à¥‚मि पूजन में धरà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤°à¤ªà¥‡à¤•à¥à¤·à¤¤à¤¾ कहाठगयी? à¤à¤• लंबी सियासी और अदालती लड़ाई के बाद 5 अगसà¥à¤¤ को पà¥
- सनत गरू रविदास और आरय समाज
- बलातकार कैसे रकेंगे
Top Articles by this Author
- ईशवर
- बौदध-जैनमत, सवामी शंकराचारय और महरषि दयाननद के कारय
- अजञान मिशरित धारमिक मानयता
- यदि आरय समाज सथापित न होता तो कया होता ?
- ईशवर व ऋषियों के परतिनिधि व योगयतम उततराधिकारी महरषि दयाननद सरसवती
मन को ईशà¥à¤µà¤° में लगाने से मन में निरà¥à¤®à¤²à¤¤à¤¾ आती हैः डा. सोमदेव शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥€â€™
आज इस लेख में हम गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤² पौंधा देहरादून में आयोजित ऋगà¥à¤µà¥‡à¤¦à¤¾à¤¦à¤¿à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯à¤à¥‚मिका सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ शिविर के दूसरे दिन 30 मई 2017 को आयोजित अपरानà¥à¤¹ सतà¥à¤° में आरà¥à¤¯ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ डा. सोमदेव शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ वरà¥à¤£à¤¿à¤¤ कà¥à¤› विषयों पर पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ डाला रहे हैं। आचारà¥à¤¯ जी ने बताया कि सांखà¥à¤¯ दरà¥à¤¶à¤¨ में जड़ व चेतन का विवेचन है। आपने à¤à¤• अनà¥à¤§à¥‡ व à¤à¤• लंगड़े की कथा सà¥à¤¨à¤¾à¤ˆ और कहा अनà¥à¤§à¤¾ व लगड़ा à¤à¤• दूसरे की सहायता करके अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ अनà¥à¤§à¤¾ लंगडे को अपने कनà¥à¤§à¥‡ पर बैठाकर दोनों गनà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ पर पहà¥à¤‚च सकते हैं। आचारà¥à¤¯ जी ने शरीर और आतà¥à¤®à¤¾ का उदाहरण देकर कहा कि आतà¥à¤®à¤¾ à¤à¥€ अनà¥à¤§à¥‡ शरीर की सहायता से अपने लकà¥à¤·à¥à¤¯ धरà¥à¤® अरà¥à¤¥ काम व मोकà¥à¤· की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ करता हे। कथा में आचारà¥à¤¯ जी ने आतà¥à¤®à¤¾ को लगंड़ा à¤à¤µà¤‚ शरीर को अनà¥à¤§à¤¾ बताया। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा कि शरीर जीवातà¥à¤®à¤¾ को उसके गनà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ पर पहà¥à¤‚चा कर उससे पृथक हो जाता है। आचारà¥à¤¯ जी ने कहा कि जीवातà¥à¤®à¤¾ पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ से अलग है। शरीर व आतà¥à¤®à¤¾ का विवेचन सांखà¥à¤¯ दरà¥à¤¶à¤¨ में होता है। योग दरà¥à¤¶à¤¨ में आतà¥à¤®à¤¾ और परमातà¥à¤®à¤¾ इन दो चेतन पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ का वरà¥à¤£à¤¨ है। वेद मनà¥à¤¤à¥à¤° के आधार पर विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ आचारà¥à¤¯ जी ने कहा कि शरीर में रहने वाले जीवातà¥à¤®à¤¾ को 10 अंगà¥à¤² वाले शरीर की आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ होती है। बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤£à¥à¤¡ में रहने वाले परमातà¥à¤®à¤¾ को 10 अंगà¥à¤²à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ वाले शरीर की आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ नहीं है। योग दरà¥à¤¶à¤¨ में इनका विसà¥à¤¤à¥ƒà¤¤ वरà¥à¤£à¤¨ है। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ जी के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° वेदों का कोई मनà¥à¤¤à¥à¤° à¤à¤¸à¤¾ नहीं है जिसमें कि बà¥à¤°à¤¹à¥à¤® का वरà¥à¤£à¤¨ न हो। सतà¥à¤¯ उसे कहते हैं जिसका कोई कारण न हो। सतà¥à¤¯ नितà¥à¤¯ होता है। जो तीनों कालों में रहता है उसे सतà¥à¤¯ कहते हैं। आचारà¥à¤¯ जी ने कहा कि जहां ईशà¥à¤µà¤°, जीव और पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ का विवेचन किया जाता है उसे सतà¥à¤¸à¤‚ग कहते हैं। जिसको अपनी सतà¥à¤¤à¤¾ का अनà¥à¤à¤µ होता है उसे चित वा चेतन पदारà¥à¤¥ कहते हैं। जहां पर इचà¥à¤›à¤¾, दà¥à¤µà¥‡à¤·, सà¥à¤–, दà¥à¤ƒà¤–, जà¥à¤žà¤¾à¤¨ व पà¥à¤°à¤¯à¤¤à¥à¤¨ होता है वहां आतà¥à¤®à¤¾ होता है। जà¥à¤žà¤¾à¤¨ व पà¥à¤°à¤¯à¤¤à¥à¤¨ को उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने आतà¥à¤®à¤¾ की पहचान बताया। जीवातà¥à¤®à¤¾ पà¥à¤°à¤¯à¤¤à¥à¤¨ सà¥à¤–ों की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ तथा दà¥à¤ƒà¤–ों को छोड़ने के लिठकरता है। आननà¥à¤¦ हमारा वा जीवातà¥à¤®à¤¾ का सà¥à¤µà¤¾à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤• गà¥à¤£ नहीं अपितॠनैमितà¥à¤¤à¤¿à¤• गà¥à¤£ है।
अगà¥à¤¨à¤¿ में पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ को जलाने का गà¥à¤£ उसका सà¥à¤µà¤¾à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤• गà¥à¤£ है। पाणिनी के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° अनà¥à¤¤à¤°à¥à¤¯à¤¾à¤®à¥€ उसे कहते हैं जो अनà¥à¤¦à¤° से नियमन करता है। ईशà¥à¤µà¤° सब पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ के अनà¥à¤¦à¤° विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ है। इसलिये वह अनà¥à¤¦à¤° से सब वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ करता है। आचारà¥à¤¯ जी ने कहा कि परमातà¥à¤®à¤¾ का कोई à¤à¥€ निरà¥à¤£à¤¯ गलत नहीं होता कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि वह सबका हर काल में साकà¥à¤·à¥€ होता है। विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ आचारà¥à¤¯ जी ने कहा कि ईशà¥à¤µà¤° की सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ करने से ईशà¥à¤µà¤° से पà¥à¤°à¥€à¤¤à¤¿ होती है। ईशà¥à¤µà¤° की पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ करने में मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को निरà¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¨à¤¤à¤¾ का गà¥à¤£ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता है। ईशà¥à¤µà¤° की वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ में सà¥à¤µà¤¯à¤‚ को समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ कर देने से ईशà¥à¤µà¤° उस मनà¥à¤·à¥à¤¯ को ठीक पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से संà¤à¤¾à¤²à¤¤à¤¾ है। आचारà¥à¤¯ जी ने कहा योग दरà¥à¤¶à¤¨ पर वà¥à¤¯à¤¾à¤¸ मà¥à¤¨à¤¿ का à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ पà¥à¤¨à¤¾ चाहिये। मनà¥à¤·à¥à¤¯ का मन संकलà¥à¤ª और विकलà¥à¤ª करता है तथा बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ उनका निरà¥à¤£à¤¯ करती है।
आचारà¥à¤¯ जी ने कहा कि योग चितà¥à¤¤ की वृतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के निरोध को कहते हैं। आतà¥à¤®à¤¾ के साधन शरीर में मन, बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿, चितà¥à¤¤, अहंकार, सà¤à¥€ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ व करà¥à¤®à¥‡à¤¨à¥à¤¦à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ आदि हैं। पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¤¾à¤¹à¤¾à¤° की चरà¥à¤šà¤¾ कर आचारà¥à¤¯ जी ने कहा कि à¤à¥‹à¤œà¤¨ करना बà¥à¤°à¤¾ नहीं है अपितॠà¤à¥‹à¤œà¤¨ की उतनी मातà¥à¤° लेनी चाहिये जो हमारे सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ को किसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से हानि न पहà¥à¤‚चायें। आतà¥à¤®à¤¾ को उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने शरीर रूपी रथ का सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ बताया। मन को लगाम, बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ को चालक, इनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को रथ के घोड़े, विषयों को रासà¥à¤¤à¥‡ तथा जीवातà¥à¤®à¤¾ को उस रथ का रथी बताया। वृतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की चरà¥à¤šà¤¾ कर आचारà¥à¤¯ जी ने कहा कि कà¥à¤·à¤¿à¤ªà¥à¤¤, मूढ, विकà¥à¤·à¤¿à¤ªà¥à¤¤, à¤à¤•à¤¾à¤—à¥à¤° और निरà¥à¤¦à¥à¤§ यह 6 पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की वृतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ होती हैं। कà¥à¤·à¤¿à¤ªà¥à¤¤ वह वृतà¥à¤¤à¤¿ है जिसमें तमो गà¥à¤£à¥‹à¤‚ की अधिकता होती है। मृॠवह अवसà¥à¤¥à¤¾ है जिसमें मà¥à¤¨à¤·à¥à¤¯ सही और गलत का निरà¥à¤£à¤¯ नहीं कर पाता। यह रजो गà¥à¤£ की पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨à¤¤à¤¾ के कारण होता है। विकà¥à¤·à¤¿à¤ªà¥à¤¤ वृतà¥à¤¤à¤¿ में रजोगà¥à¤£ व तमोगà¥à¤£ मिलकर सतोगà¥à¤£ को दबा देते हैं। सतोगà¥à¤£ की पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨à¤¤à¤¾ से à¤à¤•à¤¾à¤—à¥à¤°à¤¤à¤¾ की सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ बनती है। आचारà¥à¤¯ जी ने कहा कि पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤ƒ 3 से 6 बजे तक सतोगà¥à¤£ पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨ रहता है जिसमें अशानà¥à¤¤à¤¿ नहीं रहती। दिन निकलने पर रजोगà¥à¤£ पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨ हो जाता है। सायं व रातà¥à¤°à¤¿ को तमोगà¥à¤£ पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨ रहता है जिसके पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ से मनà¥à¤·à¥à¤¯ में आलसà¥à¤¯ रहता है व वह आराम करना पसनà¥à¤¦ करता है। आचारà¥à¤¯ जी ने कहा कि आतà¥à¤®à¤¾, सत, रज व तम गà¥à¤£à¥‹à¤‚ से ऊपर है। वृृतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का परमातà¥à¤®à¤¾ में रूक जाना निरà¥à¤¦à¥à¤§ अवसà¥à¤¥à¤¾ है। à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ का सचà¥à¤šà¤¾ अरà¥à¤¥ ईशà¥à¤µà¤° की आजà¥à¤žà¤¾ पालन में ततà¥à¤ªà¤° रहना है। मन की वृतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को बाहà¥à¤¯ विषयों से रोकने पर वह परमातà¥à¤®à¤¾ में सà¥à¤¥à¤¿à¤° होती हैं।
आचारà¥à¤¯ जी ने सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥ व असà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥ मनà¥à¤·à¥à¤¯ की मीमांसा à¤à¥€ की व उसके अनेक उदाहरण दिये। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा कि कोई मनà¥à¤·à¥à¤¯ मकान की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ तो कोई शरीर के रोगों में टिका हà¥à¤† है। चिकितà¥à¤¸à¤¾ शासà¥à¤¤à¥à¤° का उलà¥à¤²à¥‡à¤– कर आचारà¥à¤¯ जी ने कहा कि शरीर में रोग के दो कारण होते हैं। शारीरिक व मानसिक। जीवन में पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨à¤¤à¤¾ की अलà¥à¤ªà¤¤à¤¾ à¤à¥€ शरीर को रोगी बनाती है। अतः मनà¥à¤·à¥à¤¯ को पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ रहने का अà¤à¥à¤¯à¤¾à¤¸ करना चाहिये जिससे वह असà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥ न हो। आचारà¥à¤¯ जी ने कहा कि जीवातà¥à¤®à¤¾ अपने सà¥à¤µà¤°à¥‚प सतà¥à¤¯ व चितà¥à¤¤ में सà¥à¤¥à¤¿à¤° होकर सचà¥à¤šà¤¿à¤¦à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ परमातà¥à¤®à¤¾ में सà¥à¤¥à¤¿à¤° हो जाता है। अपने सà¥à¤µà¤°à¥‚प में सà¥à¤¥à¤¿à¤° हà¥à¤ बिना जीवातà¥à¤®à¤¾ परमातà¥à¤®à¤¾ में सà¥à¤¥à¤¿à¤° व सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ नहीं हो सकता। आचारà¥à¤¯ जी ने कहा कि मन को ईशà¥à¤µà¤° में लगाने से मन में निरà¥à¤®à¤²à¤¤à¤¾ आती है। जो परमातà¥à¤®à¤¾ का चिनà¥à¤¤à¤¨ नहीं करते उनके मन में कलà¥à¤·à¤¤à¤¾ आती है। आचारà¥à¤¯ जी ने पांच वृतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤¤à¤¾, पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£, पà¥à¤°à¤®à¥‡à¤¯ व पà¥à¤°à¤®à¤¾ आदि की à¤à¥€ चरà¥à¤šà¤¾ की व उनके सà¥à¤µà¤°à¥‚प पर पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ डाला और इसके उदाहरण à¤à¥€ दिये।
इसी के साथ मंगलवार 30 मई, 2017 का अपरानà¥à¤¹ सतà¥à¤° का ऋगà¥à¤µà¥‡à¤¦à¤¾à¤¦à¤¿à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯à¤à¥‚मिका सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ शिविर समà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ हà¥à¤†à¥¤ इसके बाद दिलà¥à¤²à¥€ आरà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¨à¤¿à¤§à¤¿ सà¤à¤¾ के अधिकारी शà¥à¤°à¥€ सà¥à¤–वीर सिंह जी ने आचारà¥à¤¯ जी का धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ करते हà¥à¤ कà¥à¤› सूचनायें दी। शानà¥à¤¤à¤¿ पाठके साथ शिविर के सदसà¥à¤¯ विसृजित हà¥à¤à¥¤
---मनमोहन कà¥à¤®à¤¾à¤° आरà¥à¤¯
ALL COMMENTS (0)