कà¥à¤¯à¤¾ 22वीं शताबà¥à¤¦à¥€ धरती की तबाही के नाम होगी?
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Rajeev ChoudharyDate
14-Jun-2017Category
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14-Jun-2017Download PDF
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सवाल बहà¥à¤¤ सारे हैं कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि सवाल सिरà¥à¤« à¤à¤• जिंदगी का नहीं बलà¥à¤•à¤¿ पूरी मानव सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾ का है. धरती में जलï¿
दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ के महान और मशहूर à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤•à¤¶à¤¾à¤¸à¥à¤¤à¥à¤°à¥€ सà¥à¤Ÿà¥€à¤«à¤¨ हॉकिंग ने 5 मई को दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ को चेतावनी देते हà¥à¤ कहा है कि धरती के पास सिरà¥à¤« 100 साल, बचे हैं, इंसान को दूसरे गà¥à¤°à¤¹ में अपना ठिकाना तलाशना होगा. à¤à¤¸à¥‡ में सवाल उपजता है कà¥à¤¯à¤¾ धरती का काउंटडाउन शà¥à¤°à¥‚ हो गया है? कà¥à¤¯à¤¾ धरती की उमà¥à¤° सिरà¥à¤« 100 साल बची है? कà¥à¤¯à¤¾ 22वीं शताबà¥à¤¦à¥€ धरती की तबाही के नाम होगी? कà¥à¤¯à¤¾ मानव सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾ धरती पर पूरी तरह 100 साल में खतà¥à¤® हो जाà¤à¤—ी? सवाल बहà¥à¤¤ सारे हैं कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि सवाल सिरà¥à¤« à¤à¤• जिंदगी का नहीं बलà¥à¤•à¤¿ पूरी मानव सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾ का है. धरती में जलवायॠपरिवरà¥à¤¤à¤¨, तेजी से बà¥à¤¤à¥€ जनसंखà¥à¤¯à¤¾, करीब से गà¥à¤œà¤°à¤¤à¥‡ उलà¥à¤•à¤¾ पिंडों के टकराने का खतरा तो यà¥à¤¦à¥à¤§ उनà¥à¤®à¤¾à¤¦ में डूबे आकà¥à¤°à¤®à¤• होते इंसानों के हाथों में नà¥à¤¯à¥‚कलियर हथियारों का होना अनिशà¥à¤šà¤¿à¤¤ à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ का संकेत है. à¤à¤¸à¥‡ में हॉकिंग का सौ साल का अलà¥à¤Ÿà¤¿à¤®à¥‡à¤Ÿà¤® ही सिहरन पैदा करने के लिये काफी है.
धरती के परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ का चीरहरण आदि से अनंत की तरफ बॠरहा है. धरती की खूबसूरती में इंसानी अतिकà¥à¤°à¤®à¤£ ही उसके बेदखल होने की वजह बनेगा. कटते जंगल और बà¥à¤¤à¥‡ सीमेंट के जंगलों से बने शहरों से निकलता विषैला धà¥à¤†à¤‚, फैकà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚, कारखानों और मोटर-कारों से निकलता जहर आब-ओ-हवा को गैस चैंबर बनाता जा रहा है. न जमीन पर जीवों के लिये साफ जल और वायॠबचा है और न पानी के à¤à¥€à¤¤à¤° मौजूद जीवों के लिये पानी. समà¥à¤¦à¥à¤° के किनारों पर वà¥à¤¹à¥‡à¤² मछलियों का मृत मिलना तो आसमान से पकà¥à¤·à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का बेसà¥à¤§ होकर जमीन पर गिरना अजब-गजब खबरों में गà¥à¤® हो जाता है.
लेकिन इसके बावजूद à¤à¥€ कोई जंग के लिठसंसाधन जà¥à¤Ÿà¤¾ रहा है तो कोई मà¥à¤•à¥à¤¤ वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¾à¤° का रासà¥à¤¤à¤¾ खोजकर दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ पर शाशन करना चाह रहा है. लेकिन इस समय कà¥à¤› à¤à¤¸à¥‡ à¤à¥€ लोग है जो मानवता के लिठउसके जीवन के लिठआने वाली à¤à¤¾à¤µà¥€ पीà¥à¥€ के लिठसाफ हवा, पीने योगà¥à¤¯ पानी और सà¥à¤µà¤šà¥à¤› वातावरण कैसे रहे इस पर शोध कर रहे है. ताकि आने वाली मानवता उनà¥à¤®à¥à¤•à¥à¤¤ साà¤à¤¸ ले सके. परनà¥à¤¤à¥ जब सांस ही जहरीली हो जाà¤, तब उससे जीवन की आशा कà¥à¤¯à¤¾ की जा सकती है? वसà¥à¤¤à¥à¤¤à¤ƒ सांस की सारà¥à¤¥à¤•à¤¤à¤¾ वातावरण की मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¤à¤¾ में निहित है. आज वातावरण मà¥à¤•à¥à¤¤ है कहाà¤? मà¥à¤•à¥à¤¤ वातावरण का अरà¥à¤¥ है आवशà¥à¤¯à¤• गैसों की मातà¥à¤°à¤¾ में सनà¥à¤¤à¥à¤²à¤¨ का बना रहना. चूà¤à¤•à¤¿ पेड़ à¤à¤µà¤‚ जनà¥à¤¤à¥ दोनों ही वातावरण-सनà¥à¤¤à¥à¤²à¤¨ के पà¥à¤°à¤®à¥à¤– घटक हैं, इसलिठदोनों ही का सनà¥à¤¤à¥à¤²à¤¿à¤¤ अनà¥à¤ªà¤¾à¤¤ में रहना परमावशà¥à¤¯à¤• है. वेदों में वृकà¥à¤·-पूजन का विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ है. इसके विपरीत, आज पेड़-पौधों की निरà¥à¤®à¤®à¤¤à¤¾-पूरà¥à¤µà¤• कटाई से वातावरण में कारà¥à¤¬à¤¨-डाइऑकà¥à¤¸à¤¾à¤‡à¤¡ की मातà¥à¤°à¤¾ में अतिशय वृदà¥à¤§à¤¿ हो रही है. इससे तापमान अनपेकà¥à¤·à¤¿à¤¤ मातà¥à¤°à¤¾ में बà¥à¤¤à¤¾ जा रहा है, जो परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ के लिठसंकट का सूचक है.
यदि बात जलवायॠपरिवरà¥à¤¤à¤¨ से लेकर परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ से जà¥à¥œà¥‡ संवेदनशील मामले पर हों तो हमें दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ को वेद का मारà¥à¤— बताने में हिचक नहीं चाहिठवेद जो जो सफल जीवन का निरà¥à¤®à¤¾à¤¤à¤¾-अगà¥à¤°à¤£à¥€ नेता है. उसे सà¥à¤µà¤¯à¤‚ आगे आकर समसà¥à¤¤ परिवेश का हित करनेवाला, मनà¥à¤·à¥à¤¯ और समाज सचà¥à¤šà¤¾ संचालक माना गया है. पृथà¥à¤µà¥€ पर होने वाली कà¥à¤› रासायनिक कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤“ं से परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ में फैलने वाले पà¥à¤°à¤¦à¥‚षण के कारण आकाश सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ ओजोन की परत में à¤à¤• बड़ा छिदà¥à¤° हà¥à¤† है यदि इसी गति से होते रहेंगे तो पैराबैंगनी किरणों को रोकना संà¤à¤µ नहीं रहेगा. मतलब साफ है की जहरीली किरणों को रोकने का कोई उपाय हमारे पास नहीं रहेगा. और इसका परिणाम यह होगा कि कैनà¥à¤¸à¤°, आà¤à¤–ों की गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¤¿ आदि à¤à¤¯à¤‚कर रोगों का शिकार होंगे.
आप सब जानते है आज जब हमें पà¥à¤¯à¤¾à¤¸ लगती है तो उसे बà¥à¤à¤¾à¤¨à¥‡ के लिठबीस रूपये की मिनरल वाटर की बोतल खरीदनी पड़ती है. कारण आज हमारे आस-पास पानी दूषित हो चूका लेकिन कल अगर हम सà¥à¤µà¤šà¥à¤› वायॠके लिठओकà¥à¤¸à¥€à¤œà¤¨ सिलेंडर पीठपर बांधकर चले तो इस समà¥à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ से इंकार नहीं किया जा सकता. यदि कोई सोच हो कि नहीं à¤à¤¸à¤¾ तो नहीं होगा तो उनसे बस यह सवाल है कि कà¥à¤¯à¤¾ आज से बीस वरà¥à¤· पहले किसी ने सोचा था कि हमें साफ पानी के लिठघरों में फिलà¥à¤Ÿà¤° आदि लगाने पड़ेंगे? यदि आज पà¥à¤°à¤¦à¥‚षण से उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ महाविनाश के विरà¥à¤¦à¥à¤§ सामूहिक रूप से कोई उपाय नहीं किया जायेगा तो इस यà¥à¤— में मानव जीवित नहीं रह पायेगा.
पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के इस à¤à¤¯à¤¾à¤µà¤¹ असंतà¥à¤²à¤¨ से बचने के लिठजहाठविशà¥à¤µ के लोग विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ के और दौड़ रहे है वहीं अनेकों वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• उपाय समाधान और आशा की खोज में हमारे वेदों की और लौट रहे है. रूस के पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• शिरोविच ने लिखा है कि गाय के घी को अगà¥à¤¨à¤¿ में डालने से उससे उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ धà¥à¤‚आ परमाणॠविकिरण के पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ को बड़ी मातà¥à¤°à¤¾ में दूर कर देता है. हमारी आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• पदà¥à¤§à¤¤à¤¿ में इस कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ को यजà¥à¤ž कहा जाता है. जलती शकà¥à¤•à¤° में वायॠशà¥à¤¦à¥à¤§ करने बड़ी शकà¥à¤¤à¤¿ विधमान है इससे चेचक, हेजा, तपेदिक आदि बीमारियाठतà¥à¤°à¤‚त नषà¥à¤Ÿ हो जाती है. परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ पर शोध करने वाले फà¥à¤°à¤¾à¤‚स के वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• टà¥à¤°à¤¿à¤²à¤µà¤°à¥à¤Ÿ ने यह बात दावे के साथ लिखी है कि मà¥à¤¨à¤•à¥à¤•à¤¾, किशमिश आदि फलों को (जिनमें शकà¥à¤•à¤° अधिक होती है) को जलाकर देखा तो पता चला कि आनà¥à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤• जà¥à¤µà¤° के कीटाणॠ30 मिनट और दà¥à¤¸à¤°à¥‡ कीटाणॠà¤à¤• या दो घंटे में नषà¥à¤Ÿ होते है. परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ के इस विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ में डॉ. करà¥à¤¨à¤² किंग कहते है कि केसर तथा चावल को मिलाकर हवन करने से पà¥à¤²à¥‡à¤— के कीटाणॠà¤à¥€ समापà¥à¤¤ हो जाते है.
आज यजà¥à¤ž विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ को दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ के बड़े-बड़े शोधकरà¥à¤¤à¤¾ परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ को बचाने में à¤à¤•à¤®à¤¾à¤¤à¥à¤° सबसे सरल उपयोग का साधन बता रहे है हमारे ततà¥à¤¤à¥à¤µà¤¦à¤°à¥à¤¶à¥€ ऋषियों के निरà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥‹à¤‚ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° जीवन वà¥à¤¯à¤¤à¥€à¤¤ करने पर परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£-असनà¥à¤¤à¥à¤²à¤¨ की समसà¥à¤¯à¤¾ ही उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ नहीं हो सकती. परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£-सनà¥à¤¤à¥à¤²à¤¨ से तातà¥à¤ªà¤°à¥à¤¯ है जीवों के आसपास की समसà¥à¤¤ जैविक à¤à¤µà¤‚ अजैविक परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के बीच पूरà¥à¤£ सामंजसà¥à¤¯. इस सामंजसà¥à¤¯ का महतà¥à¤¤à¥à¤µ वेदों में विसà¥à¤¤à¤¾à¤°à¤ªà¥‚रà¥à¤µà¤• वरà¥à¤£à¤¿à¤¤ है विशà¥à¤µ विखà¥à¤¯à¤¾à¤¤ इतिहासकार आरà¥à¤¨à¥‹à¤²à¥à¤¡ टॉयनबी ने मानवता के लिठà¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ की राह देखी थी. उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा है कि बीसवीं सदी के अंत तक विशà¥à¤µ पर पशà¥à¤šà¤¿à¤®à¥€ पà¥à¤°à¤à¥à¤¤à¥à¤µ रहेगा किनà¥à¤¤à¥ 21वीं सदी में à¤à¤¾à¤°à¤¤ उन देशों को जीत लेगा जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कà¤à¥€ उसे पराजित किया था. और à¤à¤¾à¤°à¤¤ की यह जीत उसके अधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤® के बल पर होगी, हथियारों के बल पर नहीं. टॉयनबी का सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ विचार था कि मानवता को यदि आतà¥à¤®à¤µà¤¿à¤¨à¤¾à¤¶ से बचना है तो उसे पशà¥à¤šà¤¿à¤®à¥€ तौर-तरीके से पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤‚ठहà¥à¤ अधà¥à¤¯à¤¾à¤¯ का समापन à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ रीति-रिवाज और वेदों के माधà¥à¤¯à¤® से करना ही होगा. बात सच होती दिख रही है. दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤® में संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ की सà¥à¤—ंध अनà¥à¤à¤µ कर रही है. लेकिन इसमें आप और हम मिलकर सहयोग करेंगे तà¤à¥€ मानवता बच सकती है.
---विनय आरà¥à¤¯
bahot achchha