खुद को इस्लागमी राष्ट्र के तौर पर प्रदर्शित करने वाले पाकिस्तान को सऊदी प्रिंस सुलेमान ने अरब का गुलाम बताया है। उनके मुताबिक यहां के मुसलमान दोयम दर्जे के मुस्लिम हैं। उनका मानना है कि सही मायने में मोहम्मद साहब के असली वंशज उन्हीं के देशवासी हैं। वह पाकिस्तान को इस्लामी देश भी नहीं मानते हैं। उनके मुताबिक पाकिस्तान ही नहीं बांग्लासदेश के लोग भी मुस्लिम नहीं हैं, बल्कि ये वह लोग हैं जिन्होंने हिंदू धर्म छोड़कर मुस्लिम धर्म को अपनाया है। लिहाजा यह मुस्लिम नहीं हैं। उनके मुताबिक खुद को मुस्लिम कहने वाले यहां के लोग दरअसल हिन्दू-मुस्लिम हैं। प्रिंस सुलेमान भारत पाकिस्तान और बांग्लादेश के मुसलमानों को अल हिन्दी-मुस्कीन कहते हैं। इसका अर्थ है कि वह दोयम दर्जे के मुस्लिम हैं। भारतीय उपमहाद्वीप के मुस्लिमों के लिए सऊदी प्रिंस का यह बयान वास्तव में ही काफी तकलीफ देने वाले होगा। इसका जिक्र पाकिस्तान के एक पत्रकार ने ट्विटर पर किया है।

 

प्रिंस सुलेमान का यह बयान उस समय आया जब भारतीय उपमहाद्वीप में बसे मुस्लिम खासकर भारत में खुद को मुस्लिम दिखाने के लिए इस्लाम से जुड़े प्रतीकों, चिन्हों भारत की संस्कृति और सभ्यता को रोंदने वाले बाहरी आक्रमणकारियों को श्रेष्ट दिखाने के तमाम हतकंडे अपना रहे हैं चाहे उनका प्रदर्शन इस्लामिक पहनावे को लेकर हो या फिर तीन तलाक जैसी इस्लामिक रीति-रिवाज को कायम रखने के लिए। वह खुद का दिखावा कर यहाँ की मूल संस्कृति, सभ्यता संस्कार आदि के विपरीत जाने की होड़ में शामिल रहना चाहते हैं।

सऊदी प्रिंस का बयान भले ही यहां के मुस्लिमों के लिए कड़वा घूंट हो लेकिन पाकिस्तान का पढ़ा लिखा तबका इस बात को कई बार स्वीकार कर चुका है अभी पिछले दिनों एक न्यूज डिबेट में पाकिस्तान की मशहूर सामाजिक कार्यकर्ता और पत्रकार फौजिया सईद ने स्वीकार करते हुए कहा था कि हम लोगों को नहीं भूलना चाहिए कि हम हिन्दू से मुस्लिम बने है इससे पहले पाकिस्तान के जाने-माने लेखक हसन निसार ने वहां के एक प्रसिद्ध टीवी प्रोग्राम ‘‘मेरे मुताबिक’’ में कहा था कि पाकिस्तान हिन्दुस्तान और बांग्लादेश में मुस्लिम दहशतगर्दी तो होती है किन्तु यहाँ आईएस जैसा खूंखार आतंकी संघटन इस तरह नहीं पनप सकता क्योंकि हम लोग हिन्दू से मुसलमान बने हैं अभी हमारे खून में हिन्दू वाली सहनशीलता शेष है।

एशिया ;भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेशद्ध के मुसलमान अपने आपको अरबों का वंशज मानते हैं और अपने आपको अरबी दिखाने के जुनूनी होते हैं लेकिन 50 साल किसी अरब देश में नौकरी करने पर भी किसी एशिया के मुसलमान को वहाँ की नागरिकता नहीं मिलती। कोई एशिया का मुसलमान वहाँ की अरबी मुसलमान औरत से शादी नहीं कर सकता और अगर कोशिश करे तो मार दिया जाता है।

इस बात को कौन नहीं जनता कि आज से लगभग 1200 वर्ष पहले मुस्लिमां ने संगठित होकर आर्यावर्त पर हमला करना शुरू किया था और इन 1200 वर्षां में उन्होंने भले ही आशातीत सफलता न पाई हो परन्तु वे आर्यावर्त पर काफी हद तक चोट करने में सफल हुए। उन्होंने भारतवर्ष के उन भागों का लगभग पूरी तरह से इस्लामीकरण कर दिया जो पश्चिम में पड़ते थे और अफगानिस्तान और पाकिस्तान नामक दो देश बनाने में भी सफल हो गए। हलांकि ये सफलता विश्व के अन्य हिस्सों में मिली सफलता से काफी कम है क्योंकि इस्लामिक आक्रमणकारी विश्व में जहाँ-जहाँ गए उन-उन सभ्यताआें को पूर्णतः नष्ट करके एक बर्बर कृकृत्रिम और थोपी गयी असभ्यता लाद दी। किन्तु यहाँ के लोगों का धर्म में अगाध प्रेम होने के कारण सम्प्रदाय परिवर्तन इतना आसान काम न था जिसके कारण आक्रमण दर आक्रमण के बावजूद ये इस्लामी शासक भारत वर्ष में पूर्णरूप से इस्लामीकरण करने में असफल रहे परन्तु इन मुस्लिमां ने एक काम बहुत ही चालाकी से कर दिया वह था यहाँ के मजबूर हिन्दुओ को मुस्लिम सम्प्रदाय में बदलना। इस सम्प्रदाय परिवर्तन के लिए जो सबसे आसन शिकार नजर आये वे विभिन्न कारणों से असहाय लोग थे।

         à¤µà¥‡ गरीब लोग शिकार बने जो मुस्लिम शासकां द्वारा लगाये गए जजिया कर को देने में असमर्थ थे और भुखमरी से बचने के लिए मुस्लिम बन गए, वे हिन्दू परिवार जिनके पुरुष इनसे युद्ध के दौरान मार दिए गए तो उनकी बीबी को अपनी रखैल और उनके बच्चों को गुलाम अतः ये मजबूर परिवार भी मुस्लिम बने।  à¤µà¥‡ जातिया जो उस समय समाज में उच्च वर्ग में आती थी उनसे असोभानीय कार्य कराना जैसे कि बाल्मीकि समाज के लोगां को मैला उठाने का काम देना। दूसरा यदि कोई मुस्लिम किसी हिन्दू महिला के साथ जोर जबरदस्ती से सम्बन्ध बना लेता था तो उस महिला का मन न होते हुए भी मुस्लिम बने रहना पड़ता था क्योंकि हिन्दू परिवार उसे अस्वीकार कर देते थे।

इस तरह ज्यादातर लोग विभिन्न मजबूरियों के कारण मुस्लिम सम्प्रदाय में चले गए परन्तु भारत की आत्मा जोकि स्थायी है और यहाँ के लोगों के साथ जन्म जन्मान्तर से जुड़ी है और जुड़ी रहेगी वह आज भी इन बदले हुए मुस्लिमां में विभिन्न रूपों में विद्यमान है हालाँकि ज्यादातर मुस्लिम इन बातां से इन्कार करते है परन्तु यहाँ के मुस्लिमां में तमाम ऐसी बाते पाई जाती है जो की इन्हें केवल मुस्लिम कहने के बजाय हिन्दू ‘मुस्लिम’ कहने पर मजबूर करती है। 

जाति व्यवस्था पूरे विश्व में हिन्दुओं की एक विशिष्ट पहचान के रूप में देखी जाती है परन्तु भारत वर्ष के मुस्लिमां में आज भी विभिन्न जातियां पाई जाती हैं जैसे की पठान, अंसारी, हज्जाम, कसाई, धोबी, मालिक, चौधरी, पटेल आदि और उससे बड़ी बात ये है कि ये समस्त जातियां विवाह के दौरान उसी तरह जाति व्यवस्था का पूर्ण पालन करती है जैसे कि हिन्दू पालन करते हैं। इससे आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह व्यवस्था पूर्ण रूप से हिन्दुत्व से प्रेरित है।

परन्तु गलत और घटिया इतिहास पढ़ाने की वजह से वह आज अपने ही पूर्वजां को भूलकर उन्हीं को मारने-काटने पर उतारू दिखाई दे रहे हैं जिस सम्प्रदाय ने उनके बाप दादाआें पर तमाम तरह के अत्याचार किये आज उसी असभ्यता का गुणगान करते हुए नहीं थकते। गाय से लेकर वंदेमातरम्, योग से लेकर पूर्व भारतीय हिन्दू शाशकों का विरोध करना अपना असली धर्म समझते हैं यदि प्रिंस सुलेमान की बात को गंभीरता से लिया जाये तो सत्य के काफी करीब भी हैं, क्योंकि सयुंक्त अरब अमीरात मंदिर के लिए जमीन दान कर सकता है लेकिन यहाँ का मुस्लिम भारत के आदर्श महापुरुष राम के मंदिर में अड़चने खड़ा करता दिखाई देता है इस वजह से भी साफ कहा जा सकता है कि यहाँ मुस्लिम न होकर सिर्फ सनातन विचारधारा के विरोधियों का एक जमघट मात्र है।

-राजीव चौधरी

 

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