रमजान माह, शानà¥à¤¤à¤¿ का या जिहाद का!
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Rajeev ChoudharyDate
27-Jun-2017Category
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शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤—र की जामा मसà¥à¤œà¤¿à¤¦ के बाहर सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾ में तैनात पà¥à¤²à¤¿à¤¸ अधिकारी मोहमà¥à¤®à¤¦ अयूब पंडित की à¤à¥€à¥œ ने पीट-पीटकर हतà¥à¤¯à¤¾ कर दी थी। यह इसà¥à¤²à¤¾à¤® में पवितà¥à¤° मानी गई रात शब-à¤-कदà¥à¤° का मौका था। इसके बाद पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ में करांची, कà¥à¤µà¥‡à¤Ÿà¤¾ और मकरान में à¤à¤• बाद à¤à¤• बम धमाके होना मासूमों की हतà¥à¤¯à¤¾ यहीं नहीं रà¥à¤•à¤¤à¥€à¥¤ 22 जून को अफगानिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ के हेलमंड पà¥à¤°à¤¾à¤‚त के लशà¥à¤•à¤°à¤—ाह में à¤à¤• बैंक में हà¥à¤ धमाके में लगà¤à¤— 29 लोगों की मौत हो गई और अनेक घायल हà¥à¤à¥¤ 27 मई से इसà¥à¤²à¤¾à¤® धरà¥à¤® को मानने वालों के लिठरमजान का पहला दिन था। à¤à¤• महीने चलने वाले रमजान के दौरान पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ और उपवास किया जाता है। लेकिन अफगानिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ के पूरà¥à¤µà¥€ हिसà¥à¤¸à¥‡ में हà¥à¤ à¤à¤• आतà¥à¤®à¤˜à¤¾à¤¤à¥€ कार बम धमाके में कम से कम 13 लोगों की मौत हो गई। तब से लेकर अà¤à¥€ तक मजहबी हतà¥à¤¯à¤¾à¤“ं का यह सिलसिला बदसà¥à¤¤à¥‚र जारी है। बलà¥à¤•à¤¿ यह आंकड़ा पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤µà¤°à¥à¤· की तरह ही सेंकड़ों के पार पहà¥à¤à¤š गया है। à¤à¤¸à¤¾ नहीं कि रमजान में à¤à¥€à¤·à¤£ रकà¥à¤¤à¤ªà¤¾à¤¤ की यह कोई नई शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤ है बलà¥à¤•à¤¿ दिन के उजाले में इतिहास उठाकर देखें तो पिछले या उससे पिछले वरà¥à¤·, हर वरà¥à¤· और जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ पीछे जायें तो करीब 1400 वरà¥à¤·à¥‹ से ये सिलसिला लगातार जारी है।
हालांकि इसà¥à¤²à¤¾à¤®à¤¿à¤• कैलेंडर में रमजान को सबसे मà¥à¤¬à¤¾à¤°à¤• और आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• महीना माना जाता है। तीस दिन के लिठमà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨ दिन के वकà¥à¤¤ खाना नहीं खाते और पानी नहीं पीते। उनका मानना है कि इस दौरान अलà¥à¤²à¤¾à¤¹ उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ हर à¤à¥‚ल के लिठकà¥à¤·à¤®à¤¾ कर देता है। मसà¥à¤œà¤¿à¤¦ में नमाजियों की à¤à¥€à¥œ होती है, जो ऊपर वाले से कà¥à¤·à¤®à¤¾ और दà¥à¤† मांगने आते हैं। लेकिन उसके उलट इसà¥à¤²à¤¾à¤® के रकà¥à¤·à¤• के रूप में दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ में अपनी छवि गà¥à¤¨à¥‡ वाले कटà¥à¤Ÿà¤°à¤ªà¤‚थी à¤à¤¸à¤¾ à¤à¥€ मानते हैं कि इस महीने में जीत दरà¥à¤œ करनी और लूट मचानी चाहिà¤à¥¤ वह मानते हैं कि ये सही मौका है जब लड़ाई को दोगà¥à¤¨à¤¾ तेज कर देना चाहिà¤à¥¤ इसलिठइस दौरान वह सामानà¥à¤¯ से जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ हमले करते हैं।
खबर है मकà¥à¤•à¤¾ में काबा की मसà¥à¤œà¤¿à¤¦ को निशाना बनाने की à¤à¤• चरमपंथी योजना को नाकाम कर दिया गया है। वैसे देखा जाये तो रमजान को यà¥à¤¦à¥à¤§ का महीना मानने की पà¥à¤°à¤¥à¤¾ इसà¥à¤²à¤¾à¤®à¤¿à¤• इतिहास से ही आती है। पैगंबर मोहमà¥à¤®à¤¦ ने अपनी पहली जिहाद, जिसे बदà¥à¤° की लड़ाई के नाम से जाना जाता है, वरà¥à¤· 624 में रमजान के महीने में ही लड़ी थी। इसके आठसाल बाद उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने रमजान के ही महीने में मकà¥à¤•à¤¾ पर जीत हासिल की थी। शायद इस कारण à¤à¥€ पिछले वरà¥à¤· सीरिया में अलकायदा के आधिकारिक संगठन नà¥à¤¸à¥à¤°à¤¾ फà¥à¤°à¤‚ट ने रमजान को विजय अà¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤¨ का महीना बताया था और रमजान के नजदीक आते ही आईà¤à¤¸ के पà¥à¤°à¤µà¤•à¥à¤¤à¤¾ अबॠमोहमà¥à¤®à¤¦ अल-अदनानी ने दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾à¤à¤° के अपने समरà¥à¤¥à¤•à¥‹à¤‚ से कहा था, तैयार हो जाओ. काफिरों के लिठइसे आपदा का महीना बनाने के लिठतैयार हो जाओ, शायद यही वह अपील थी जिसने उमर मतीन, जैसे अकेले आतंकी को फà¥à¤²à¥‹à¤°à¤¿à¤¡à¤¾ के ऑरलैंडो में à¤à¤• कà¥à¤²à¤¬ में 49 लोगों की हतà¥à¤¯à¤¾ के लिठपà¥à¤°à¥‹à¤¤à¥à¤¸à¤¾à¤¹à¤¿à¤¤ किया था।
अà¤à¥€ ताजा घटनाकà¥à¤°à¤® पर नजर डालें तो खà¥à¤¦ को इसà¥à¤²à¤¾à¤® का सबसे बड़ा रखवाला कहने वाले इसà¥à¤²à¤¾à¤®à¤¿à¤• सà¥à¤Ÿà¥‡à¤Ÿ ने मूसल में सबसे पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥€ अल-नूरी मसà¥à¤œà¤¿à¤¦ को उड़ा दिया है। यह वही मसà¥à¤œà¤¿à¤¦ है जहाठसे आईà¤à¤¸ के नेता अबू बकà¥à¤° अल-बगदादी ने 2014 में खिलाफत की घोषणा की थी। दरअसल आईà¤à¤¸ जिस कटà¥à¤Ÿà¤°à¤µà¤¾à¤¦à¥€ इसà¥à¤²à¤¾à¤® में यकीन रखता है, उसमें उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ लगता है कि इस दरगाह के होने की वजह से लोगों का धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ अलà¥à¤²à¤¾à¤¹ से परे हट रहा है, इसलिठइसे à¥à¤¹à¤¾ देना चाहिà¤. ‘‘आधà¥à¤¨à¤¿à¤• जिहाद के जनक’’ माने जाने वाले अबà¥à¤¦à¥à¤²à¥à¤²à¤¾ अजाम ने 1980 के दशक में अफगानिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ में अरब विदेशी लड़ाकों का नेतृतà¥à¤µ किया था। वह तरà¥à¤• देते हैं कि जिहाद की उपेकà¥à¤·à¤¾ करना à¤à¤• किसà¥à¤® से उपवास और नमाज छोड़ने के बराबर है। बाद में उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने लिखा, जिहाद, इबादत करने का सबसे बेहतरीन तरीका है। इस रासà¥à¤¤à¥‡ से ही मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨ को जनà¥à¤¨à¤¤ हासिल हो सकती है।
जिहाद और रमजान से उसके समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§ की इन वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤“ं को लेकर आम मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨ निराश हो सकता है। उनके लिठये महीना है संयम और खà¥à¤¦ के अंदर à¤à¤¾à¤‚कने का है, लेकिन इसà¥à¤²à¤¾à¤® में संकट कà¥à¤› à¤à¤¸à¤¾ है कि चरमपंथियों की वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾, पà¥à¤°à¤¾à¤®à¤¾à¤£à¤¿à¤•à¤¤à¤¾ और हिंसा समठसे परे है कटà¥à¤Ÿà¤°à¤ªà¤‚थी तो ये à¤à¥€ मानते हैं कि रमजान के महीने में अगर जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ नमाज पà¥à¤¨à¥‡ और दान देने को पà¥à¤°à¥‹à¤¤à¥à¤¸à¤¾à¤¹à¤¨ दिया जाता है तो जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ रकà¥à¤¤à¤ªà¤¾à¤¤ को कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ नहीं? यदि इसको इस तरीके से देखेंगे तो समठमें आà¤à¤—ा कि आखिर कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ हर वरà¥à¤· रमजान के महीने में इतनी à¤à¤¯à¤¾à¤¨à¤• घटनाà¤à¤, हतà¥à¤¯à¤¾à¤à¤‚ रकà¥à¤¤à¤ªà¤¾à¤¤ होता हैं।
हाल की घटनाओं ने दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ के मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ में ये à¤à¤¹à¤¸à¤¾à¤¸ ताजा कर दिया है कि इसà¥à¤²à¤¾à¤® का डर बाकी शेष दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ में बॠचà¥à¤•à¤¾ है। ये मसला महज नसà¥à¤²à¤ªà¤°à¤¸à¥à¤¤à¥‹à¤‚ और अलà¥à¤ªà¤¸à¤‚खà¥à¤¯à¤•à¥‹à¤‚ का ही नहीं बलà¥à¤•à¤¿ समाज की à¤à¤• असली सचà¥à¤šà¤¾à¤ˆ à¤à¥€ है। इन सबके बाद यदि अपनी नजर विशà¥à¤µ के अनà¥à¤¯ कोनों में दौड़ायें तो 11 सितंबर, 2001 के हमलों को 15 साल से अधिक हो गठहैं, लेकिन सही मायने में पशà¥à¤šà¤¿à¤®à¥€ समाज में इसà¥à¤²à¤¾à¤® का असली डर अब फलफूल रहा है। पिछले दो साल की राजनीतिक घटनाओं ने इन सबमें बड़ी à¤à¥‚मिका निà¤à¤¾à¤ˆ है। बà¥à¤°à¤¿à¤Ÿà¥‡à¤¨ में जून से पहले तीन चरमपंथी हमलों में शामिल सारे लोग मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨ थे। जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने जिहादी इसà¥à¤²à¤¾à¤® का हवाला देकर लोगों का मजहब के नाम पर कतà¥à¤² किया।
11 सितंबर के बाद की अवधि में यह सोच तो बॠरही थी कि मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨ पशà¥à¤šà¤¿à¤®à¥€ समाज के लिठà¤à¤• समसà¥à¤¯à¤¾ है और उनकी सोच और धरà¥à¤® का पशà¥à¤šà¤¿à¤®à¥€ समाज के मूलà¥à¤¯à¥‹à¤‚ से कोई तालमेल नहीं है। लेकिन हाल ही के हमलों और खूनी खेल की आहट अपनी देहलीज पर देख यूरोप वासी à¤à¥€ खà¥à¤¦ को असहज महसूस करने लगे हैं। वेसà¥à¤Ÿà¤®à¤¿à¤‚सà¥à¤Ÿà¤°, मैनचेसà¥à¤Ÿà¤° à¤à¤°à¥€à¤¨à¤¾ और लंदन बà¥à¤°à¤¿à¤œ के पास होने वाले हमलों के बाद लोगों ने खà¥à¤²à¥‡à¤†à¤® मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ को कसूरवार ठहराना शà¥à¤°à¥‚ कर दिया। मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ को केवल या तो असहिषà¥à¤£à¥ या रूà¥à¤¿à¤µà¤¾à¤¦à¥€ या फिर अति आधà¥à¤¨à¤¿à¤• और धरà¥à¤® से दूर रहने वालों के रूप में देखा जाता है और इन दोनों विरोधी विचारों के बीच सोच रखने वाले बà¥à¤°à¤¿à¤Ÿà¤¿à¤¶ मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ को जान-बूà¤à¤•à¤° नजरअंदाज किया जाने लगा है। आलम यह कि लोग मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨ होने पर शरà¥à¤®à¤¿à¤‚दगी तक महसूस करने लगे हैं और लोगों को समà¤à¤¾à¤¨à¥‡ की उनकी वह हर कोशिश बेकार जा रही कि इसà¥à¤²à¤¾à¤®à¤¿à¤• चरमपंथी उनके धरà¥à¤® का पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¨à¤¿à¤§à¤¿à¤¤à¥à¤µ नहीं करते हैं लेकिन उनकी यह कोशिश उस समय और बेकार हो जाती है जब रमजान के महीने में ही अंधाधà¥à¤‚ध फायरिंग या फिर बम धमाकों के बीच मासूम लोगों की चीख पà¥à¤•à¤¾à¤° सà¥à¤¨à¤¾à¤ˆ देती है।
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