“गायतà¥à¤°à¥€ मनà¥à¤¤à¥à¤° के जप से मनà¥à¤¦ बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ बालक विखà¥à¤¯à¤¾à¤¤ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ बनाâ€
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Manmohan Kumar AryaDate
05-Sep-2017Category
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05-Sep-2017Download PDF
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“गायतà¥à¤°à¥€ मनà¥à¤¤à¥à¤° के जप से मनà¥à¤¦ बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ बालक विखà¥à¤¯à¤¾à¤¤ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ बनाâ€
महातà¥à¤®à¤¾ आननà¥à¤¦ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी (पूरà¥à¤µ आशà¥à¤°à¤® का नाम खà¥à¤¶à¤¹à¤¾à¤² चनà¥à¤¦) का नाम आज à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ का सकà¥à¤°à¤¿à¤¯ अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥€ जानता है। आपके पà¥à¤°à¤µà¤šà¤¨ पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• रूप में पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ मिलते हैं जिनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ लोग बहà¥à¤¤ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾ से पà¥à¤¤à¥‡ हैं। इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पà¥à¤•à¤° कोई à¤à¥€ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ वैदिक मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं व सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¥‹à¤‚ का जानकार बन सकता है। जो à¤à¥€ पà¥à¥‡à¤—ा उसका निशà¥à¤šà¤¿à¤¤ रूप से जà¥à¤žà¤¾à¤¨ व चरितà¥à¤° सà¥à¤§à¤°à¥‡à¤—ा, उसकी पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§à¤¿ बà¥à¥‡à¤—ी और वह सà¥à¤µà¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ की उपलबà¥à¤§à¤¿ à¤à¥€ अवशà¥à¤¯ ही करेगा à¤à¤¸à¤¾ निशà¥à¤šà¤¯à¤ªà¥‚रà¥à¤µà¤• कहा जा सकता है। महातà¥à¤®à¤¾ जी की जो पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥‡à¤‚ उपलबà¥à¤§ हैं उनमें से कà¥à¤› पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥‹à¤‚ के नाम हैं महामनà¥à¤¤à¥à¤°, ततà¥à¤µà¤œà¥à¤žà¤¾à¤¨, दो रासà¥à¤¤à¥‡, पà¥à¤°à¤à¥ दरà¥à¤¶à¤¨, पà¥à¤°à¤à¥ à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿, सà¥à¤–ी गृहसà¥à¤¥, à¤à¤• ही रासà¥à¤¤à¤¾, घोर घने जंगल में, मानव जीवन गाथा, à¤à¤•à¥à¤¤ और à¤à¤—वान, उपनिषदों का सनà¥à¤¦à¥‡à¤¶, यह धन किसका है, दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ में रहना किस तरह? आदि। जिन लोगों ने इन पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥‹à¤‚ को पà¥à¤¾ है वह à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯à¤¶à¤¾à¤²à¥€ हैं कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि यह पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥‡à¤‚ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ की उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ कर मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ में विवेक उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ करती हैं जो जीवन के लकà¥à¤·à¥à¤¯ मोकà¥à¤· तक पहà¥à¤‚चाता है। महातà¥à¤®à¤¾ जी का बालà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤² मनà¥à¤¦ बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ बालकों के समान था। वह सà¥à¤•à¥‚ल जाते थे परनà¥à¤¤à¥ परीकà¥à¤·à¤¾à¤“ं में फेल हो जाते थे। पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¤¨ सà¥à¤•à¥‚ल में उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पाठयाद न करने तथा होम वरà¥à¤• न करने आदि के कारण डांट पड़ती थी। घर में बचà¥à¤šà¥‡ की पà¥à¤¾à¤ˆ में रूचि न होने के कारण à¤à¥€ माता-पिता से डांट खानी पड़ती थी। इस कारण यह बालक अपने पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤®à¥à¤à¤¿à¤• जीवन में पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ रहने के सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर निराशा से à¤à¤°à¤¾ रहा करता था। इसे समठमें नहीं आता था कि वह कà¥à¤¯à¤¾ करे जिससे कि उसकी सà¥à¤®à¤°à¤£ शकà¥à¤¤à¤¿ उनà¥à¤¨à¤¤ हो, उसे पाठयाद हो जाया करें और पà¥à¤¾à¤ˆ में उसका मन लगे।
महातà¥à¤®à¤¾ आननà¥à¤¦ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी का बचपन का खà¥à¤¶à¤¹à¤¾à¤² चनà¥à¤¦ था। आपके पà¥à¤¤à¥à¤° रणवीर जी के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° आपका जनà¥à¤® सनॠ1883 की कारà¥à¤¤à¤¿à¤• मास में हà¥à¤† था। जनà¥à¤® दिवस को कारà¥à¤¤à¤¿à¤• मास, शà¥à¤•à¥à¤² पकà¥à¤· की à¤à¤•à¤¾à¤¦à¤¶à¥€ और दिन मंगलवार था। जनà¥à¤® सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ का गांव जलालपà¥à¤° जटà¥à¤Ÿà¤¾à¤‚ था। पिता का नाम मà¥à¤‚शी गणेश दास था। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ जी अपने जीवन काल में गणेश दास जी के गांव आये थे। यह परिवार सहित ईसाई बन रहे थे। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी के पà¥à¤°à¤µà¤šà¤¨à¥‹à¤‚ ने इनकी रकà¥à¤·à¤¾ की और इनका पूरा परिवार ईसाई होने से बच गया। खà¥à¤¶à¤¹à¤¾à¤² चनà¥à¤¦ जी के जनà¥à¤® के पांच छः वरà¥à¤· बाद सनॠ1883 में इनको पाठशाला में पà¥à¤°à¤µà¤¿à¤·à¥à¤Ÿ किया गया। इतिहास व गणित विषय इनको समठनहीं आते थे। पिता के साथ à¤à¤œà¤¨ गाना, à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ के पà¥à¤°à¤¸à¤‚ग सà¥à¤¨à¤¨à¤¾ व सà¥à¤¨à¤¾à¤¨à¤¾, सतà¥à¤¸à¤‚ग आदि करना ही इनको अचà¥à¤›à¤¾ लगता थां इतिहास व गणित में पास न होने के कारण इनके अधà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• इनकी ताड़ना करते थे। अपने पà¥à¤¤à¥à¤° की इस सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ से पिता गणेश दास जी खिनà¥à¤¨ व दà¥à¤ƒà¤–ी थे। अतः उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने सà¥à¤•à¥‚ल से आने के बाद इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पशॠचराने का काम सौंपा जिससे इनकी बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ कà¥à¤› उनà¥à¤¨à¤¤ हो सके। इस पà¥à¤°à¤¯à¤¤à¥à¤¨ का à¤à¥€ खà¥à¤¶à¤¹à¤¾à¤² चनà¥à¤¦ जी पर कोई विशेष पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ नहीं पड़ा। समय आने पर पिता ने अपने पà¥à¤¤à¥à¤° का यजà¥à¤žà¥‹à¤ªà¤µà¥€à¤¤ संसà¥à¤•à¤¾à¤° à¤à¥€ कराया परनà¥à¤¤à¥ इसका à¤à¥€ उनकी बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ पर कोई विशेष पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ नहीं पड़ा।
इनà¥à¤¹à¥€à¤‚ दिनों आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ के विखà¥à¤¯à¤¾à¤¤ संनà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¥€ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ नितà¥à¤¯à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ जी जलालपà¥à¤° में वैदिक धरà¥à¤® के पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥ पहà¥à¤‚चें। मà¥à¤‚शी गणेश दास जी ने उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ ‘महनà¥à¤¤à¥‹à¤‚ के बाग’ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर ठहराया जो उनके गांव से लगà¤à¤— दो मील दूर था। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी की à¤à¥‹à¤œà¤¨ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ का à¤à¤¾à¤° à¤à¥€ गणेशदास जी पर था। पिता ने इस काम पर अपने पà¥à¤¤à¥à¤° खà¥à¤¶à¤¹à¤¾à¤² चनà¥à¤¦ को लगाया। वह पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤ƒ व सायं दोनों समय सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ नितà¥à¤¯à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ जी के लिठà¤à¥‹à¤œà¤¨ ले जाया करते और उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ à¤à¥‹à¤œà¤¨ कराकर बरà¥à¤¤à¤¨ लेकर अपने घर लौटा करते थे। बालक पर सà¥à¤•à¥‚ल व घर में माता-पिता की डांट व ताड़ना का पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ रहता जिसके कारण उसका चेहरा निराश व मà¥à¤°à¤à¤¾à¤¯à¤¾ सा रहता था। à¤à¤• दो दिन तो सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी ने यह देखा परनà¥à¤¤à¥ जब उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने देखा कि इसके चेहरे पर पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨à¤¤à¤¾ का कोई चिनà¥à¤¹ आता ही नहीं है तो उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने à¤à¥‹à¤œà¤¨ करके उससे पूछा कि खà¥à¤¶à¤¹à¤¾à¤²à¤šà¤¨à¥à¤¦ ! बताओं तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ कà¥à¤¯à¤¾ दà¥à¤ƒà¤– है? तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥‡ चेहरे से लगता है कि तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡ कोई चिनà¥à¤¤à¤¾ व दà¥à¤ƒà¤– सता रहा है जिसके कारण तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¤¾ चेहरा हरà¥à¤·à¤¿à¤¤ न होकर चिनà¥à¤¤à¤¾à¤“ं से गà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤ लगता है। खà¥à¤¶à¤¹à¤¾à¤²à¤šà¤¨à¥à¤¦ जी ने सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी के यह शबà¥à¤¦ सà¥à¤¨à¥‡ तो उनकी आंखे आंसà¥à¤“ं से à¤à¤° गई और आंसॠछलक गये। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी बोले कि तà¥à¤® मेरे लिये दोनों समय à¤à¥‹à¤œà¤¨ लाते हो। कितना अचà¥à¤›à¤¾ काम करते हो परनà¥à¤¤à¥ तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¤¾ चेहरा देखकर मà¥à¤à¥‡ अचà¥à¤›à¤¾ नहीं लगता। मà¥à¤à¥‡ अपना दà¥à¤ƒà¤– सच सच बताओ। यदि मैं कà¥à¤› कर सकूंगा तो तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥‡ लिठअवशà¥à¤¯ करूंगा। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी के सहानà¥à¤à¥‚तिपूरà¥à¤£ शबà¥à¤¦ सà¥à¤¨à¤•à¤° तो उसके आंसॠअनियंतà¥à¤°à¤¿à¤¤ होकर धारा पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¹ से बहने लगे। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी ने उसे पà¥à¤šà¤•à¤¾à¤°à¤¾ और कहा कि रोओ नहीं, जो à¤à¥€ बात हो मà¥à¤à¥‡ बता दो। खà¥à¤¶à¤¹à¤¾à¤² चनà¥à¤¦ जी ने सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी की आतà¥à¤®à¥€à¤¯à¤¤à¤¾ देखकर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ कहा कि सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी मैं मनà¥à¤¦ बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ हूं। पाठशाला में जो पà¥à¤¾à¤¯à¤¾ जाता है वह मà¥à¤à¥‡ याद नहीं होता। वह सब à¤à¥‚ल जाता हूं। पाठशाला में अधà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• डांटते हैं, घर में पिता जी और माता जी à¤à¥€ ताड़ना करती हैं। यही मेरी इस सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ का मà¥à¤–à¥à¤¯ कारण है।
सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी ने यह सà¥à¤¨à¤•à¤° आतà¥à¤®à¥€à¤¯à¤¤à¤¾ से कहा बस इतनी सी बात से घबरा गये? इसका समाधान तो बहà¥à¤¤ सरल है। मैं तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡ गायतà¥à¤°à¥€ मनà¥à¤¤à¥à¤° अरà¥à¤¥ सहित लिखकर देता हूं। इससे कà¥à¤› ही दिनों में तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥€ मनà¥à¤¦ बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ तीवà¥à¤° बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ में बदल जायेगी। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी ने उसे कहा कि पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤ƒ नितà¥à¤¯ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ को करके और रातà¥à¤°à¤¿ को सोने से पूरà¥à¤µ गायतà¥à¤°à¥€ मनà¥à¤¤à¥à¤° का अरà¥à¤¥ सहित, अरà¥à¤¥ के अनà¥à¤°à¥‚प à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ करके पूरी शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾ के साथ नियमित जप करना। यह कहकर सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी ने खà¥à¤¶à¤¹à¤¾à¤² चनà¥à¤¦ जी को मनà¥à¤¤à¥à¤° व उसका अरà¥à¤¥ लिखकर व उसे समà¤à¤¾à¤•à¤° वह कागज दे दिया।
खà¥à¤¶à¤¹à¤¾à¤²à¤šà¤¨à¥à¤¦ जी ने सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी की शिकà¥à¤·à¤¾ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° गायतà¥à¤°à¥€ मनà¥à¤¤à¥à¤° का शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤ªà¥‚रà¥à¤µà¤• जप इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से किया कि आगामी कà¥à¤› ही दिनों में उसके जीवन में चमतà¥à¤•à¤¾à¤° हो गया। अब उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पà¥à¤¾à¤ˆ के लिठन तो सà¥à¤•à¥‚ल में डांट पड़ती थी और न घर में। सà¤à¥€ ओर उनकी पà¥à¤°à¤¶à¤‚सा की जाने लगी। जब पहला छठी ककà¥à¤·à¤¾ का परिणाम आया तो उसके सब विषयों में पास हो जाने पर माता-पिता व अधà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤•à¥‹à¤‚ को आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯ हà¥à¤†à¥¤ सातवीं ककà¥à¤·à¤¾ में वह अपनी ककà¥à¤·à¤¾ में सबसे अधिक अंक लेकर पास हà¥à¤ तो यह सिदà¥à¤§ हो गया कि वह मनà¥à¤¦ बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ बालक नहीं हैं। आठवीं ककà¥à¤·à¤¾ में à¤à¥€ वह पास हà¥à¤à¥¤ बाद में आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ का विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ बनने पर जब à¤à¥€ गायतà¥à¤°à¥€ मनà¥à¤¤à¥à¤° की महिमा का पà¥à¤°à¤¸à¤‚ग आता तो वह अपनी निजी जीवन की कथा à¤à¥€ सà¥à¤¨à¤¾à¤¤à¥‡ थे। जीवन के अनà¥à¤¤à¤¿à¤® दिनों में à¤à¥€ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा कि ‘जीवन में मैंने जो कà¥à¤› à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ किया, वह गायतà¥à¤°à¥€ माता की कृपा से ही पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ किया।’
गायतà¥à¤°à¥€ मंतà¥à¤° के जप से खà¥à¤¶à¤¹à¤¾à¤² चनà¥à¤¦ जी में आतà¥à¤®à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸ उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ हà¥à¤†à¥¤ वह जीवन में निरनà¥à¤¤à¤° आगे बà¥à¤¤à¥‡ रहे। अपने पà¥à¤°à¥à¤·à¤¾à¤°à¥à¤¥ से आपने 13 अपà¥à¤°à¥ˆà¤², 1923 को लाहौर से उरà¥à¤¦à¥‚ का दैनिक समाचार पतà¥à¤° ‘मिलाप’ निकाला जो अपने समय में देश का पà¥à¤°à¤®à¥à¤– उरà¥à¤¦à¥‚ पतà¥à¤° था। वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ में दिलà¥à¤²à¥€ से उरà¥à¤¦à¥‚ à¤à¤µà¤‚ जालनà¥à¤§à¤° से उरà¥à¤¦à¥‚ व हिनà¥à¤¦à¥€ में मिलाप पतà¥à¤° का पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¨ होता है। महातà¥à¤®à¤¾ आननà¥à¤¦ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी के पौतà¥à¤° पदà¥à¤®à¤¶à¥à¤°à¥€ शà¥à¤°à¥€ पूनम सूरी जी इन पतà¥à¤°à¥‹à¤‚ के कà¥à¤› समय पूरà¥à¤µ तक पà¥à¤°à¤¬à¤¨à¥à¤§ निदेशक रहे हैं। यह पतà¥à¤° वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ में à¤à¥€ पूरà¥à¤£ सफलता के साथ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ हो रहे हैं। यह à¤à¥€ बता दें कि खà¥à¤¶à¤¹à¤¾à¤² चनà¥à¤¦ जी ही à¤à¤¾à¤µà¥€ जीवन में संनà¥à¤¯à¤¾à¤¸ लेकर महातà¥à¤®à¤¾ आननà¥à¤¦ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी के नाम से विखà¥à¤¯à¤¾à¤¤ हà¥à¤à¥¤ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ योगेशà¥à¤µà¤°à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ जी उनके योग गà¥à¤°à¥‚ थे। अपने वà¥à¤¯à¤¸à¥à¤¤ जीवन से समय निकाल कर महाशय खà¥à¤¶à¤¹à¤¾à¤² चनà¥à¤¦ जी महीने दो महीनों के लिठवैदिक साधन आशà¥à¤°à¤® तपोवन देहरादून आ जाया करते थे और यहां रहकर कठोर तप व धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ साधना करते थे। यह आशà¥à¤°à¤® à¤à¥€ आपकी ही पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ से अमृतसर के बावा गà¥à¤°à¤®à¥à¤– सिंह जी दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ किया गया था जो आरमà¥à¤à¤¿à¤• दिनों में लगà¤à¤— 300 à¤à¤•à¥œ à¤à¥‚मि में विसà¥à¤¤à¥€à¤°à¥à¤£ था। हमारा सौà¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ है कि हम à¤à¥€ सनॠ1970 से इस आशà¥à¤°à¤® से जà¥à¥œà¥‡ हà¥à¤ हैं। हमने सनॠ1975 में दिलà¥à¤²à¥€ के रामलीला मैदान में आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ शताबà¥à¤¦à¥€ के समारोह में महातà¥à¤®à¤¾ आननà¥à¤¦ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी को देखा à¤à¥€ और उनके पà¥à¤°à¤µà¤šà¤¨ à¤à¥€ सà¥à¤¨à¥‡à¥¤ à¤à¤• बार आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ अनारकली, दिलà¥à¤²à¥€ के उस ककà¥à¤· में à¤à¥€ रातà¥à¤°à¤¿ विशà¥à¤°à¤¾à¤® किया जिसमें सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी रहा करते थे। महातà¥à¤®à¤¾ आननà¥à¤¦ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी समाज सà¥à¤§à¤¾à¤°à¤• à¤à¥€ थे और महातà¥à¤®à¤¾ हंसराज जी के साथ आपने समाज रकà¥à¤·à¤¾ व सà¥à¤§à¤¾à¤° के अनेक कारà¥à¤¯ किये। मोपला विदà¥à¤°à¥‹à¤¹ के अवसर पर सहसà¥à¤°à¥‹à¤‚ धरà¥à¤®à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤°à¤¿à¤¤ सà¥à¤µà¤§à¤°à¥à¤® बनà¥à¤§à¥à¤“ं का पà¥à¤¨à¤ƒ वैदिक धरà¥à¤® में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ कराया व उनकी रकà¥à¤·à¤¾ के पà¥à¤°à¤¬à¤² उपाय किये। आप à¤à¤• अचà¥à¤›à¥‡ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨, वकà¥à¤¤à¤¾ व लेखक à¤à¥€ रहे। आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ में सरà¥à¤µà¤¤à¥à¤° आपका यश छाया हà¥à¤† है और हमेशा छाया रहेगा। आपके सà¤à¥€ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ ही आपके यशः शरीर हैं जो सदा सदा के लिठअमर है। उनका अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ कर हम à¤à¥€ सà¥à¤µà¤¯à¤‚ को उनà¥à¤¨à¤¤ बना सकते हैं।
---मनमोहन कà¥à¤®à¤¾à¤° आरà¥à¤¯
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