दिगà¥à¤à¥à¤°à¤®à¤¿à¤¤ विशà¥à¤µ के लिठवेदों की उपेकà¥à¤·à¤¾ अहितकर à¤à¤µà¤‚ हानिकारक’
Author
Manmohan Kumar AryaDate
05-Sep-2017Category
लेखLanguage
HindiTotal Views
210Total Comments
0Uploader
RajeevUpload Date
05-Sep-2017Download PDF
-0 MBTop Articles in this Category
- फलित जयोतिष पाखंड मातर हैं
- राषटरवादी महरषि दयाननद सरसवती
- राम मंदिर à¤à¥‚मि पूजन में धरà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤°à¤ªà¥‡à¤•à¥à¤·à¤¤à¤¾ कहाठगयी? à¤à¤• लंबी सियासी और अदालती लड़ाई के बाद 5 अगसà¥à¤¤ को पà¥
- सनत गरू रविदास और आरय समाज
- बलातकार कैसे रकेंगे
Top Articles by this Author
- ईशवर
- बौदध-जैनमत, सवामी शंकराचारय और महरषि दयाननद के कारय
- अजञान मिशरित धारमिक मानयता
- यदि आरय समाज सथापित न होता तो कया होता ?
- ईशवर व ऋषियों के परतिनिधि व योगयतम उततराधिकारी महरषि दयाननद सरसवती
दिगà¥à¤à¥à¤°à¤®à¤¿à¤¤ विशà¥à¤µ के लिठवेदों की उपेकà¥à¤·à¤¾ अहितकर à¤à¤µà¤‚ हानिकारक’
मनà¥à¤·à¥à¤¯ जीवन को संसार के वेदेतर सà¤à¥€ मत अदà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤§à¤¿ पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ समठनहीं सके हैं। यही कारण है कि यह जानते हà¥à¤ कि सतà¥à¤¯ à¤à¤• है, संसार में आज के आधà¥à¤¨à¤¿à¤• व उनà¥à¤¨à¤¤ यà¥à¤— में à¤à¥€ à¤à¤• नहीं अपितॠसैकड़ो व सहसà¥à¤°à¤¾à¤§à¤¿à¤• मत-मतानà¥à¤¤à¤° पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ हैं जिनकी कà¥à¤› बातें उचित व अधिकांश असतà¥à¤¯ à¤à¤µà¤‚ अजà¥à¤žà¤¾à¤¨ पर आधारित हैं। वेदमत, वैदिक धरà¥à¤® अथवा आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ वेदपà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° मिशन के अतिरिकà¥à¤¤ हमें संसार में à¤à¤¸à¤¾ कोई धारà¥à¤®à¤¿à¤• व सामाजिक मत दृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤—ोचर नहीं होता जो अपने मत की सà¤à¥€ मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं की समीकà¥à¤·à¤¾ करता हो और अनà¥à¤¯ मतों की समालोचना व समीकà¥à¤·à¤¾ को धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ में रखकर उनकी सतà¥à¤¯à¤¤à¤¾ को जानने व तरà¥à¤• व यà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ सहित उदाहरणों सहित उनके सतà¥à¤¯ होने की पà¥à¤·à¥à¤Ÿà¤¿ करने का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ करता हो। यही कारण है कि वेदेतर सà¤à¥€ मत मधà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤²à¥€à¤¨ अजà¥à¤žà¤¾à¤¨ व अनà¥à¤§à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸à¥‹à¤‚ से à¤à¤°à¥‡ हà¥à¤ हैं जिनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ यह तक जà¥à¤žà¤¾à¤¤ नहीं है कि ईशà¥à¤µà¤°à¥‹à¤ªà¤¾à¤¸à¤¨à¤¾ का उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ कà¥à¤¯à¤¾ है व इसकी सही व सरà¥à¤µà¤®à¤¾à¤¨à¥à¤¯ विधि कà¥à¤¯à¤¾ है वा हो सकती है। इसे आज के यà¥à¤— का सबसे बड़ा आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯ ही कहेंगे। à¤à¤• बचà¥à¤šà¤¾ सà¥à¤•à¥‚ल में पà¥à¤°à¤µà¤¿à¤·à¥à¤Ÿ कराया जाता है तो वह वहां अपने अधà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤•à¥‹à¤‚ से जो पà¥à¤¾à¤¯à¤¾ जाता है उसे सीखता है। अधà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• à¤à¥€ उससे पूछते हैं कि उसे समठमें आया या नहीं। उसकी परीकà¥à¤·à¤¾ à¤à¥€ ली जाती है और जितना पà¥à¤¾à¤¯à¤¾ गया होता है उसे जान लेने वा समठलेने के बाद ही उसे उससे ऊपर की ककà¥à¤·à¤¾ में पà¥à¤°à¥‹à¤¨à¥à¤¨à¤¤ कर आगे के विषयों का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ दिया जाता है। विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¥€ को अपने अधà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤•à¥‹à¤‚ से पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ पूछने, शंका पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ करने व उसके सनà¥à¤¤à¥‹à¤·à¤ªà¥à¤°à¤¦ उतà¥à¤¤à¤° पाने का अधिकार होता है परनà¥à¤¤à¥ जीवन के सबसे पà¥à¤°à¤®à¥à¤– अंग जिससे हमारा वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ व à¤à¤¾à¤µà¥€ जीवन सहित परजनà¥à¤® की उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ वा अवनति जà¥à¥œà¥€ हà¥à¤ˆ है, उस पर शंका करने व उतà¥à¤¤à¤° पाने का अधिकार किसी मत-पंथ में नहीं है। ऋषि दयाननà¥à¤¦ à¤à¤• पौराणिक मत के अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥€ माता-पिता के यहां जनà¥à¤®à¥‡à¤‚ थे। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने पहले अपने माता-पिता-आचारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ व बाद में देश के सà¤à¥€ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ से मूरà¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥‚जा की निसà¥à¤¸à¤¾à¤°à¤¤à¤¾ पर पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ किये, परनà¥à¤¤à¥ आज तक कोई विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ व आचारà¥à¤¯ उनके पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨à¥‹à¤‚ का समाधान नहीं कर पाया। à¤à¤¸à¤¾ होने पर à¤à¥€ देश-विदेश में बड़ी संखà¥à¤¯à¤¾ में लोगों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ पाषाण, लौह व अनà¥à¤¯ धातà¥à¤“ं की मूरà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की पूजा जारी है। मूरà¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥‚जा न केवल वेद विरà¥à¤¦à¥à¤§ है अपितॠइससे इस संसार को बनाने, चलाने व यथासमय पà¥à¤°à¤²à¤¯ करने वाले ईशà¥à¤µà¤°, जो घट-घट का वासी, सरà¥à¤µà¤µà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤•, सरà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤°à¥à¤¯à¤¾à¤®à¥€ व सचà¥à¤šà¤¿à¤¦à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦à¤¸à¥à¤µà¤°à¥‚प है, उसके जà¥à¤žà¤¾à¤¨ वेदों में दी गई शिकà¥à¤·à¤¾ वा आजà¥à¤žà¤¾ की अवजà¥à¤žà¤¾ होती है। देश व विशà¥à¤µ में पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ सà¤à¥€ मतों की नà¥à¤¯à¥‚नाधिक यही अवसà¥à¤¥à¤¾ है। आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤°à¤¿à¤¤ वेद से इतर किसी मत, पंथ, समà¥à¤ªà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯ व तथाकथित धरà¥à¤® आदि को यह जानने की चिनà¥à¤¤à¤¾ ही नहीं है कि उनके मतों की मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं को जीवन में मानने व न मानने व उसके कà¥à¤› अनà¥à¤•à¥‚ल व विपरीत आचरण करने वालों की मृतà¥à¤¯à¥ के बाद कà¥à¤¯à¤¾ अवसà¥à¤¥à¤¾, दशा, गति, सदà¥à¤—ति व दà¥à¤°à¥à¤—ति, उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ व अवनति होती है?
महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ के जीवन में उनके सामने à¤à¤¸à¥‡ अनेक पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ थे जिन पर विचार कर ही उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अजà¥à¤žà¤¾à¤¨, अविदà¥à¤¯à¤¾, अनà¥à¤§à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸, कà¥à¤°à¥€à¤¤à¤¿, मिथà¥à¤¯à¤¾ परमà¥à¤ªà¤°à¤¾à¤“ं पर विचार किया था और अथक पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸à¥‹à¤‚ के बाद उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ वेद मत के रूप में à¤à¤• सचà¥à¤šà¤¾, अविदà¥à¤¯à¤¾ व अजà¥à¤žà¤¾à¤¨ से सरà¥à¤µà¤¥à¤¾ मà¥à¤•à¥à¤¤, सदà¥à¤œà¥à¤žà¤¾à¤¨ व सदाचरणों से यà¥à¤•à¥à¤¤ जीवन को उनà¥à¤¨à¤¤ करने वाला, मनà¥à¤·à¥à¤¯ जीवन में अà¤à¥à¤¯à¥à¤¦à¤¯ व मृतà¥à¤¯à¥ होने पर मोकà¥à¤· पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करने वाला मत जà¥à¤žà¤¾à¤¤ व पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हà¥à¤† था। ऋषि दयाननà¥à¤¦ को सचà¥à¤šà¥€ ईशà¥à¤µà¤°à¥‹à¤ªà¤¾à¤¸à¤¨à¤¾ से विशà¥à¤µ का कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ करने की ईशà¥à¤µà¤°à¥€à¤¯ पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हà¥à¤ˆ थी। इसी à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ से उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने सनॠ1863 व उसके बाद अपनी मृतà¥à¤¯à¥à¤ªà¤°à¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤ वेद की शिकà¥à¤·à¤¾à¤“ं के पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° व पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤° के कारà¥à¤¯ किये जिसमें मूरà¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥‚जा व अनà¥à¤¯ विषयों पर अनेक मत-मतानà¥à¤¤à¤° के लोगों से शासà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥, देशाटन कर लोगों को सदà¥à¤ªà¤¦à¥‡à¤¶ से लाà¤à¤¾à¤¨à¥à¤µà¤¿à¤¤ करना, आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾, सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ सहित ऋगà¥à¤µà¥‡à¤¦à¤¾à¤¦à¤¿à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯à¤à¥‚मिका आदि अनेक गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ का पà¥à¤°à¤£à¤¯à¤¨, समाज सà¥à¤§à¤¾à¤° व देश को सà¥à¤µà¤¤à¤¨à¥à¤¤à¥à¤° कराने की पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ सहित जीवन के सà¤à¥€ धारà¥à¤®à¤¿à¤• व सामाजिक कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में अपूरà¥à¤µ योगदान दिया। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने जो कारà¥à¤¯ किया वैसा महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ काल के बाद देश व विशà¥à¤µ के किसी महापà¥à¤°à¥à¤· ने नहीं किया। इसे देश व समाज की विडमà¥à¤¬à¤¨à¤¾ ही कह सकते हैं कि मत-मतानà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ को मानने वाले सà¤à¥€ लोग अपने अपने मत के आचारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ की अचà¥à¤›à¥€ व अजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¤à¤¾ की बà¥à¤°à¥€ बातों को तो गà¥à¤°à¤¹à¤£ कर लेते हैं परनà¥à¤¤à¥ सतà¥à¤¯à¤®à¤¤ वेद, धरà¥à¤®, विचार, सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤, आचरण आदि को जानने की किसी में विशेष उतà¥à¤¸à¥à¤•à¤¤à¤¾ व पिपासा नहीं देखी जाती। यदि à¤à¤¸à¤¾ होता तो आज विशà¥à¤µ में à¤à¤• ही मत व धरà¥à¤® होता जो केवल सतà¥à¤¯ मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं व सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¥‹à¤‚ पर ही आधारित होता जिसे जानने व अपनाने का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ ऋषि दयाननà¥à¤¦ ने अपने जीवनकाल में किया था। सफलता मिलने पर ऋषि दयाननà¥à¤¦ ने देश व विशà¥à¤µ के लोगों का कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ करने के लिठवेदों के पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° के निमितà¥à¤¤ आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ कर सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ à¤à¤µà¤‚ वेदà¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ सहित सतà¥à¤¯ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ यà¥à¤•à¥à¤¤ अनेक गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ की रचना की जिससे देश देशानà¥à¤¤à¤° के लोगों का यà¥à¤—-यà¥à¤—ानà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ तक मारà¥à¤— दरà¥à¤¶à¤¨ हो सके।
सतà¥à¤¯ पर आधारित पà¥à¤°à¤®à¥à¤– धारà¥à¤®à¤¿à¤• व सामाजिक मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ कà¥à¤¯à¤¾ हैं जिनसे मनà¥à¤·à¥à¤¯ अà¤à¥à¤¯à¥à¤¦à¤¯ व मोकà¥à¤· को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता है? इसके लिठसà¤à¥€ मत-पनà¥à¤¥à¥‹à¤‚ के गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ सहित वेद व वैदिक साहितà¥à¤¯ की परीकà¥à¤·à¤¾ करना अपेकà¥à¤·à¤¿à¤¤ है। यह कारà¥à¤¯ ऋषि दयाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ ने सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ à¤à¤µà¤‚ अनà¥à¤¯ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ लिख कर किया। अपनी शिकà¥à¤·à¤¾ पूरà¥à¤£ करने तक उनका उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ सतà¥à¤¯ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ की खोज करना था। अपना अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ पूरा होने पर उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने पाया संसार में वेद जà¥à¤žà¤¾à¤¨ के मूल सà¥à¤°à¥‹à¤¤ हैं। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने वेदों की परीकà¥à¤·à¤¾ की तो पाया कि वेद सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के आरमà¥à¤ में ईशà¥à¤µà¤° से उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ हà¥à¤ थे। वेद ईशà¥à¤µà¤° का निज जà¥à¤žà¤¾à¤¨ है जो वह हर कलà¥à¤ª में सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के आरमà¥à¤ में चार ऋषियों को उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ कर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ à¤à¤• à¤à¤• वेद का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ देता है। यह चार वेद ऋगà¥à¤µà¥‡à¤¦, यजà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦, सामवेद और अथरà¥à¤µà¤µà¥‡à¤¦ हैं और जिन ऋषियों को यह जà¥à¤žà¤¾à¤¨ दिया जाता है उनके नाम कà¥à¤°à¤®à¤¶à¤ƒ अगà¥à¤¨à¤¿, वायà¥, आदितà¥à¤¯ व अंगिरा हैं। चारों वेद सब सतà¥à¤¯ विदà¥à¤¯à¤¾à¤“ं की पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥‡à¤‚ हैं। इनमें इतिहास व सृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤•à¥à¤°à¤® के विपरीत कोई बात नहीं है। वेद बतातें हैं कि इस संसार को बनाने, चलाने व पà¥à¤°à¤²à¤¯ करने वाली à¤à¤• सचà¥à¤šà¤¿à¤¦à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦, सरà¥à¤µà¤µà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤•, सरà¥à¤µà¤¶à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¨, सरà¥à¤µà¤œà¥à¤ž व पूरà¥à¤µ कलà¥à¤ªà¥‹à¤‚ में अननà¥à¤¤ बार सृषà¥à¤Ÿà¤¿ रचना करने वाली à¤à¤• अनà¥à¤à¤µà¥€ सतà¥à¤¤à¤¾ ‘ईशà¥à¤µà¤°’ है। ईशà¥à¤µà¤°, जीवातà¥à¤®à¤¾ और पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के यथारà¥à¤¥ सà¥à¤µà¤°à¥‚प, गà¥à¤£, करà¥à¤® व सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ à¤à¥€ वेदों में यथारà¥à¤¥ रूप में वरà¥à¤£à¤¿à¤¤ हैं। वेदों मत-मतानà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ के गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ की तरह à¤à¤• हजार व दो हजार वरà¥à¤· पूरà¥à¤µ की बातों का इतिहास व कहानी किसà¥à¤¸à¥‡ नहीं हैं अपितॠकलà¥à¤ª-कलà¥à¤ªà¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤° में à¤à¤• समान व à¤à¤• रस रहने वाला सदà¥à¤œà¥à¤žà¤¾à¤¨ है। वेदों का ईशà¥à¤µà¤° सरà¥à¤µà¤œà¥à¤ž है। कà¤à¥€ à¤à¥‚ल नहीं करता और न कà¤à¥€ किसी के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ पकà¥à¤·à¤ªà¤¾à¤¤ ही करता है। वह आरà¥à¤¯à¥‹à¤‚ की संखà¥à¤¯à¤¾ बà¥à¤¾à¤¨à¥‡ के लिठहिंसा की पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ नहीं देता और न मनà¥à¤·à¥à¤¯ जाति को मत-मतानà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ में बांटता है। उसका जà¥à¤žà¤¾à¤¨ व शिकà¥à¤·à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ सारà¥à¤µà¤à¥Œà¤®à¤¿à¤•, सरà¥à¤µà¤•à¤¾à¤²à¤¿à¤• à¤à¤µà¤‚ मनà¥à¤·à¥à¤¯ मातà¥à¤° सहित पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के हित के लिठहैं। वेदों के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ व शà¥à¤ करà¥à¤® वा आचरण करने वाले लोग आरà¥à¤¯ होते हैं और इसके विपरीत अशà¥à¤ करà¥à¤® व आचरण करने वाले अनारà¥à¤¯, दà¥à¤·à¥à¤Ÿ, राकà¥à¤·à¤¸ व पिशाच होते हैं।
जीवातà¥à¤®à¤¾ सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µà¤¤à¤ƒ अलà¥à¤ªà¤œà¥à¤ž है और वेदों का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ कर विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ बनता है। वेदों की शिकà¥à¤·à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ à¤à¤¸à¥€ हैं जिनका आचरण करने से देश व संसार में सà¥à¤– व शानà¥à¤¤à¤¿ की वृदà¥à¤§à¤¿ होती है। वेदों के अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ व आचरण से मनà¥à¤·à¥à¤¯ का शारीरिक, मानसिक, बौदà¥à¤§à¤¿à¤• व आतà¥à¤®à¤¿à¤• विकास वा उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ होती है। परिवार में पà¥à¤°à¥‡à¤® व सौहारà¥à¤¦ की वृदà¥à¤§à¤¿ होने से सà¤à¥€ सदसà¥à¤¯à¥‹à¤‚ की सारà¥à¤µà¤¤à¥à¤°à¤¿à¤• उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ होती है। वेद मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को यà¥à¤µà¤¾à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ में à¤à¤• पà¥à¤°à¥à¤· का à¤à¤• सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ से à¤à¤• बार ही विवाह करने का विधान करते हैं। वेदों के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° समाज को शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ समाज बनाने के लिठमनà¥à¤·à¥à¤¯ के गà¥à¤£, करà¥à¤® व सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° वरà¥à¤£ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ का विधान है जिसका जनà¥à¤® की जाति आदि से कà¥à¤› लेना देना नहीं होता। वेद किसी मनà¥à¤·à¥à¤¯ को उसके जà¥à¤žà¤¾à¤¨ व करà¥à¤®à¥‹à¤‚ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° महानॠव पतित मानते हैं। वेद मूरà¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥‚जा का विधान नहीं करते अपितॠईशà¥à¤µà¤° के गà¥à¤£, करà¥à¤® व सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° उसकी सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿, पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ व उपासना का विधान करते हैं जिसका विसà¥à¤¤à¤¾à¤° महरà¥à¤·à¤¿ पतंजलि के योगदरà¥à¤¶à¤¨ में मिलता है। अवतारवाद, मृतक शà¥à¤°à¤¾à¤¦à¥à¤§, बहà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¨à¥€à¤ªà¥à¤°à¤¥à¤¾, परदा-पà¥à¤°à¤¥à¤¾, असंयमित जीवन व वà¥à¤¯à¤à¤¿à¤šà¤¾à¤°, पालन पोषण की कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾ से अधिक सनà¥à¤¤à¤¾à¤¨ को निषिदà¥à¤§ करते हैं। वेद के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ व अनà¥à¤¤à¥à¤¯à¤œà¥‹à¤‚ तक को अनà¥à¤¯ बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ आदि के समान वेदों का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ करने का पूरा अधिकार है। किसी à¤à¥€ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की असà¥à¤ªà¤°à¥à¤¶à¤¯à¤¤à¤¾, छà¥à¤†à¤›à¥‚त व दूसरों के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ असमानता का वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° वेदों के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° निषिदà¥à¤§ हैं। यà¥à¤µà¤¾ विधवाओं का पà¥à¤¨à¤°à¥à¤µà¤¿à¤µà¤¾à¤¹ आपदà¥à¤§à¤°à¥à¤® है। वेद ईशà¥à¤°à¥‹à¤ªà¤¾à¤¸à¤¨à¤¾ वा बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¯à¤œà¥à¤ž सहित देवयजà¥à¤ž अगà¥à¤¨à¤¿à¤¹à¥‹à¤¤à¥à¤°, पितृयजà¥à¤ž, अतिथियजà¥à¤ž सहित बलिवैशà¥à¤µà¤¦à¥‡à¤µà¤¯à¤œà¥à¤ž का विधान à¤à¥€ करते हैं। इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ करने से देश व समाज उनà¥à¤¨à¤¤ होता है और मनà¥à¤·à¥à¤¯ के शà¥à¤ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ में वृदà¥à¤§à¤¿ होने से ईशà¥à¤µà¤° के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ उसको जनà¥à¤®-जनà¥à¤®à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ में सà¥à¤– मिलने सहित मोकà¥à¤· की à¤à¥€ यथासमय पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ होती है। वेदों के अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ व आचरण से मनà¥à¤·à¥à¤¯ अंधविशà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥‹à¤‚ à¤à¤µà¤‚ पाखणà¥à¤¡à¥‹à¤‚ से मà¥à¤•à¥à¤¤ होकर सचà¥à¤šà¤¾ मानव जीवन वà¥à¤¯à¤¤à¥€à¤¤ करने में सकà¥à¤·à¤® होते हैं।
संसार में सà¥à¤–, शानà¥à¤¤à¤¿, सबका कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ व उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ का वातावरण बनता है। सब à¤à¤• दूसरे की सà¥à¤– समृदà¥à¤§à¤¿ सहित दà¥à¤ƒà¤–ों में सहायक होते हैं। वेदों का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कर उसके अनà¥à¤¸à¤¾à¤° आचरण करने से मनà¥à¤·à¥à¤¯ सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥ रहता है व उसके बल व आयॠमें à¤à¥€ वृदà¥à¤§à¤¿ होती है। à¤à¤¸à¥‡ अनेक लाठवेदों के अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ व तदवतॠआचरण करने से पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होते हैं जबकि मत-मतानà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ के गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ को पà¥à¤¨à¥‡ से बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ व जà¥à¤žà¤¾à¤¨ की वृदà¥à¤§à¤¿ न होकर मनà¥à¤·à¥à¤¯ मधà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤²à¥€à¤¨ अविदà¥à¤¯à¤¾ व अजà¥à¤žà¤¾à¤¨ से गà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤ होकर अनà¥à¤šà¤¿à¤¤ व अनावशà¥à¤¯à¤• अनेक कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को करके सà¥à¤µà¤¯à¤‚ दà¥à¤ƒà¤–ी होते हैं व देश व समाज को à¤à¥€ दà¥à¤ƒà¤–ी करतं हैं। आज संसार में जो अशानà¥à¤¤à¤¿, पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¸à¥à¤ªà¤°à¥à¤§à¤¾, छीना-छपटी, गलत तरीकों से समà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ में वृदà¥à¤§à¤¿, निरà¥à¤¦à¥‹à¤·à¥‹à¤‚ की हतà¥à¤¯à¤¾ वा हिंसा, अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯, शोषण, येन-केन-पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤°à¥‡à¤£ सीà¤à¤® व पीà¤à¤® बनने व सतà¥à¤¤à¤¾à¤§à¥€à¤¶ बनने की होड़, करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ की उपेकà¥à¤·à¤¾ व अवहेलता, अनाचार, अतà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤¾à¤° व à¤à¥à¤°à¤·à¥à¤Ÿà¤¾à¤šà¤¾à¤° आदि की बातें हैं वह सब मत-मतानà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ की अविदà¥à¤¯à¤¾ व वेदों के अपà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° के कारण ही हैं। वेदानà¥à¤¸à¤¾à¤° आचरण करने से मनà¥à¤·à¥à¤¯ का वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ जीवन उनà¥à¤¨à¤¤ होता व सà¥à¤§à¤°à¤¤à¤¾ है साथ ही ईशà¥à¤µà¤°à¥‹à¤ªà¤¾à¤¸à¤¨à¤¾, अगà¥à¤¨à¤¿à¤¹à¥‹à¤¤à¥à¤°, परोपकार, दान व शà¥à¤à¤•à¤°à¥à¤®à¥‹à¤‚ से मृतà¥à¤¯à¥‹à¤ªà¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤ जनà¥à¤®-मरण के बनà¥à¤§à¤¨à¥‹à¤‚ व दà¥à¤ƒà¤–ों से मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ सहित मोकà¥à¤· की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ à¤à¥€ होती है जो कि अनà¥à¤¯ किसी मत-मतानà¥à¤¤à¤° की मानà¥à¤¤à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं पर आचरण करने से नहीं होती। वेदाधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ करने वाला पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ वेदों के कथन को जà¥à¤žà¤¾à¤¨ व विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ से पूरà¥à¤£ होने के कारण उस पर विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ करता है न कि बाबा वाकà¥à¤¯à¤‚ पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£à¤®à¥ के कारण। वेदों में मधà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤²à¥€à¤¨ अजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¤à¤¾ व इनकी सà¥à¤µà¤¹à¤¿à¤¤ व परहानि जैसी शिकà¥à¤·à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ नहीं हैं। अतः सà¤à¥€ को सब मतों का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ सहित वेदों का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ कर वेदों को अपनाना चाहिये जिससे उनका यह जनà¥à¤® व परजनà¥à¤® उनà¥à¤¨à¤¤ व सफल हो सके। यदि हमने वेदाधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ कर विवेक पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कर सतà¥à¤¯ का आचरण व असतà¥à¤¯ का तà¥à¤¯à¤¾à¤— नहीं किया तो हमें इसके परिणाम इस जनà¥à¤® सहित à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ में अनेक नीच योनियों में जनà¥à¤® लेकर à¤à¥‹à¤—ने पड़ेगे। इसी के साथ इस लेख को विराम देते हैं। ओ३मॠशमà¥à¥¤
ALL COMMENTS (0)