गोरकà¥à¤·à¤¾ आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨ के आदà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤µà¤°à¥à¤¤à¤• ऋषि दयाननà¥à¤¦
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Manmohan Kumar AryaDate
06-Sep-2017Category
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HindiTotal Views
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RajeevUpload Date
06-Sep-2017Download PDF
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ऋषि दयाननà¥à¤¦ ने गोरकà¥à¤·à¤¾à¤°à¥à¤¥ गोहतà¥à¤¯à¤¾ बनà¥à¤¦ किये जाने के पकà¥à¤· में गोकरà¥à¤£à¤¾à¤¨à¤¿à¤§à¤¿ नामक à¤à¤• लघॠपà¥à¤¸à¥à¤¤à¤¿à¤•à¤¾ लिखी है। यह पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• अपने विषय की गागर में सागर के समान पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• है। इस पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• से हम ऋषि दयाननà¥à¤¦ के कà¥à¤› विचार पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ कर रहे है। ऋषि दयाननà¥à¤¦ लिखते हैं कि ‘वे धरà¥à¤®à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¾, विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ लोग धनà¥à¤¯ हैं, जो ईशà¥à¤µà¤° के गà¥à¤£-करà¥à¤®, सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ, अà¤à¤¿à¤ªà¥à¤°à¤¾à¤¯, सृषà¥à¤Ÿà¤¿-कà¥à¤°à¤®, पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¤•à¥à¤·à¤¾à¤¦à¤¿ पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£ और आपà¥à¤¤à¥‹à¤‚ के आचार से अविरà¥à¤¦à¥à¤§ चलके सब संसार को सà¥à¤– पहà¥à¤‚चाते हैं और शोक है उन पर जो कि इनसे विरà¥à¤¦à¥à¤§ सà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥à¥€, दयाहीन होकर जगतॠकी हानि करने के लिठवरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ हैं। पूजनीय जन वो हैं जो अपनी हानि हो तो à¤à¥€ सबका हित करने में अपना तन, मन, धन, सब कà¥à¤› लगाते हैं और तिरसà¥à¤•à¤°à¤£à¥€à¤¯ वे हैं जो अपने ही लाठमें सनà¥à¤¤à¥à¤·à¥à¤Ÿ रहकर अनà¥à¤¯ के सà¥à¤–ों का नाश करते हैं।’
सृषà¥à¤Ÿà¤¿ में à¤à¤¸à¤¾ कौन मनà¥à¤·à¥à¤¯ होगा जो सà¥à¤– और दà¥à¤ƒà¤– को सà¥à¤µà¤¯à¤‚ न मानता हो? कà¥à¤¯à¤¾ à¤à¤¸à¤¾ कोई à¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯ है कि जिसके गले को काटे वा रकà¥à¤·à¤¾ करे, वह दà¥à¤ƒà¤– और सà¥à¤– को अनà¥à¤à¤µ न करे? जब सबको लाठऔर सà¥à¤– ही में पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨à¤¤à¤¾ है, तब बिना अपराध किसी पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€ का पà¥à¤°à¤¾à¤£ वियोग करके अपना पोषण करना सतà¥à¤ªà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ के सामने निनà¥à¤¦à¥à¤¯ करà¥à¤® कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ न होवे? सरà¥à¤µà¤¶à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¨à¥ जगदीशà¥à¤µà¤° इस सृषà¥à¤Ÿà¤¿ में मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ की आतà¥à¤®à¤¾à¤“ं में अपनी दया और नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ को पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ करे कि जिससे ये सब दया और नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ होकर सरà¥à¤µà¤¦à¤¾ सरà¥à¤µà¥‹à¤ªà¤•à¤¾à¤°à¤• काम करें और सà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¤¨ से पकà¥à¤·à¤ªà¤¾à¤¤à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ होकर कृपापातà¥à¤° गाय आदि पशà¥à¤“ं का विनाश न करें कि जिससे दà¥à¤—à¥à¤§ आदि पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ और खेती आदि कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ की सिदà¥à¤§à¤¿ से यà¥à¤•à¥à¤¤ होकर सब मनà¥à¤·à¥à¤¯ आननà¥à¤¦ में रहें।
ऋषि दयाननà¥à¤¦ बताते हैं कि सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के सà¤à¥€ पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ को ईशà¥à¤µà¤° ने जिन पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤œà¤¨à¥‹à¤‚ के लिठबनाया है उनसे वही उपयोग लेना उचित है। इस संबंध में वह लिखते हैं कि सरà¥à¤µà¤¶à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¨à¥ जगदीशà¥à¤µà¤° ने इस सृषà¥à¤Ÿà¤¿ में जो-जो पदारà¥à¤¥ बनाये हैं, वे-वे निषà¥à¤ªà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤œà¤¨ नहीं, किनà¥à¤¤à¥ à¤à¤•-à¤à¤• वसà¥à¤¤à¥ अनेक-अनेक पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤œà¤¨ के लिठरचा है, इसलिठउनसे वही पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤œà¤¨ लेना नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ है, अनà¥à¤¯à¤¥à¤¾ अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥¤ देखिà¤, जिस लिठनेतà¥à¤° बनाया है, इससे वही कारà¥à¤¯ लेना उचित होता है, न कि उससे पूरà¥à¤£ पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤œà¤¨ न लेकर बीच ही में नषà¥à¤Ÿ कर दिया जावे। कà¥à¤¯à¤¾ जिन-जिन पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤œà¤¨à¥‹à¤‚ के लिठपरमातà¥à¤®à¤¾ ने जो-जो पदाथ बनाये हैं, उन-उनसे वे-वे पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤œà¤¨ न लेकर उनको पà¥à¤°à¤¥à¤® ही नषà¥à¤Ÿ कर देना सतà¥à¤ªà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ के विचार में बà¥à¤°à¤¾ करà¥à¤® नहीं है? पकà¥à¤·à¤ªà¤¾à¤¤ छोड़कर देखिà¤, गाय आदि पशॠऔर कृषि आदि करà¥à¤®à¥‹à¤‚ से सब संसार को असंखà¥à¤¯ सà¥à¤– पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होते हैं वा नहीं? जैसे दो और दो चार (होते हैं), वैसे ही सतà¥à¤¯à¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾ से जो-जो विषय जाने जाते हैं, वे (परिणाम व निषà¥à¤•à¤°à¥à¤·) अनà¥à¤¯à¤¥à¤¾ कà¤à¥€ नहीं हो सकते।
गोरकà¥à¤·à¤¾ से बैलों की संखà¥à¤¯à¤¾ में वृदà¥à¤§à¤¿ होकर अनà¥à¤¨ का उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ à¤à¥€ अधिक होता है। दà¥à¤—à¥à¤§ व अनà¥à¤¨ का अधिक उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ होने से यह पदारà¥à¤¥ ससà¥à¤¤à¥‡ सà¥à¤²à¤ होते हैं जिससे निरà¥à¤§à¤¨ लोगों को ससà¥à¤¤à¤¾ à¤à¥‹à¤œà¤¨ उपलबà¥à¤§ होने से वह लाà¤à¤¾à¤¨à¥à¤µà¤¿à¤¤ होते हैं। आज देश की आधी व उससे कà¥à¤› कम आबादी जो अनà¥à¤¨ व अरà¥à¤¥ के अà¤à¤¾à¤µ में à¤à¥‚खी सोती है उसका हमारी दृषà¥à¤Ÿà¤¿ में पà¥à¤°à¤®à¥à¤– कारण à¤à¥€ गोरकà¥à¤·à¤¾ विरोधी सरकारी नीतियां व देशवासियों के गोहतà¥à¤¯à¤¾ व गोमांसाहार आदि कारà¥à¤¯ हैं। ऋषि के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° गोदà¥à¤—à¥à¤§ की पà¥à¤°à¤šà¥à¤°à¤¤à¤¾ से अनà¥à¤¨ कम खाने से वायॠव जल सहित सृषà¥à¤Ÿà¤¿ का पà¥à¤°à¤¦à¥à¤·à¤£ à¤à¥€ कम होता है। इस विषय पर पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ डालते हà¥à¤ वह लिखते हैं कि यजà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦ के पà¥à¤°à¤¥à¤® ही मनà¥à¤¤à¥à¤° में परमातà¥à¤®à¤¾ की आजà¥à¤žà¤¾ है कि-‘अघà¥à¤¨à¥à¤¯à¤¾’, ‘यजमानसà¥à¤¯ पशूनॠपाहि’ हे मनà¥à¤·à¥à¤¯ ! तू पशà¥à¤“ं को कà¤à¥€ मत मार, और यजमान, अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ सबको सà¥à¤– देनेवाले मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ के समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§à¥€ पशà¥à¤“ं की रकà¥à¤·à¤¾ कर, जिनसे तेरी à¤à¥€ पूरी रकà¥à¤·à¤¾ होवे, इसी लिठबà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾ से लेके आज परà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤ आरà¥à¤¯ लोग पशà¥à¤“ं की हिंसा में पाप और अधरà¥à¤® समà¤à¤¤à¥‡ थे और उनकी रकà¥à¤·à¤¾ से अनà¥à¤¨ à¤à¥€ महंगा नहीं होता, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि दूध-आदि के अधिक होने से दरिदà¥à¤° को à¤à¥€ खान-पान में मिलने पर नà¥à¤¯à¥‚न ही अनà¥à¤¨ खाया जाता है और अनà¥à¤¨ के नà¥à¤¯à¥‚न खाने से मल à¤à¥€ कम होता है। मल के नà¥à¤¯à¥‚न होने से दà¥à¤°à¥à¤—नà¥à¤§ à¤à¥€ नà¥à¤¯à¥‚न होता है, दà¥à¤°à¥à¤—नà¥à¤§ के सà¥à¤µà¤²à¥à¤ª होने से वायॠऔर वृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤œà¤² की अशà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ (वा पà¥à¤°à¤¦à¥à¤·à¤£) à¤à¥€ नà¥à¤¯à¥‚न होती है, उससे रोगों की नà¥à¤¯à¥‚नता होने से सबका सà¥à¤– बà¥à¤¤à¤¾ है।
ऋषि दयाननà¥à¤¦ गोरकà¥à¤·à¤¾ को राषà¥à¤Ÿà¥à¤° की रकà¥à¤·à¤¾ मानते थे और इनकी हतà¥à¤¯à¤¾ होने से राजा और पà¥à¤°à¤œà¤¾ का नाश होना मानते थे। सà¤à¥€ पशà¥à¤“ं की रकà¥à¤·à¤¾ के लिठउनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने ईशà¥à¤µà¤° से मारà¥à¤®à¤¿à¤• पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ की है। गोकरà¥à¤£à¤¾à¤¨à¤¿à¤§à¤¿ में इसका उलà¥à¤²à¥‡à¤– करते हà¥à¤ वह लिखते हैं कि यह ठीक है कि गो आदि पशà¥à¤“ं का नाश होने से राजा और पà¥à¤°à¤œà¤¾ का à¤à¥€ नाश हो जाता है, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि जब पशॠनà¥à¤¯à¥‚न होते हैं, तब दूध आदि पदारà¥à¤¥ और खेती आदि करà¥à¤®à¥‹à¤‚ की à¤à¥€ घटती होती है। देखो, इसी से जितने मूलà¥à¤¯ से जितना दूध और घी आदि पदारà¥à¤¥ तथा बैल आदि पशॠसात सौ वरà¥à¤· पूरà¥à¤µ मिलते थे, उतना दूध, घी और बैल आदि पशॠइस समय दश गà¥à¤£à¥‡ मूलà¥à¤¯ से à¤à¥€ नहीं मिल सकते, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि सात सौ वरà¥à¤· के पीछे इस देश में गवादि पशà¥à¤“ं को मारनेवाले मांसाहारी विदेशी मनà¥à¤·à¥à¤¯ आ बसे हैं। वे उन सरà¥à¤µà¥‹à¤ªà¤•à¤¾à¤°à¥€ पशà¥à¤“ं के हाड़-मांस तक à¤à¥€ नहीं छोड़ते, तो ‘नषà¥à¤Ÿà¥‡ मूले नैव फलं न पà¥à¤·à¥à¤ªà¤®à¥’, जब कारण का नाश कर दें तो कारà¥à¤¯ नषà¥à¤Ÿ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ न हो जावे? हे मांसाहारियों! तà¥à¤® लोगों को कà¥à¤› काल के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤à¥ जब पशॠन मिलेंगे, तब मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ का मांस à¤à¥€ छोड़ोगे वा नहीं? हे परमेशà¥à¤µà¤° ! तू कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ इन पशà¥à¤“ं पर, जो कि बिना अपराध मारे जाते हैं, दया नहीं करता? कà¥à¤¯à¤¾ उन पर तेरी पà¥à¤°à¥€à¤¤à¤¿ नहीं है, कà¥à¤¯à¤¾ उनके लिठतेरी नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ सà¤à¤¾ बनà¥à¤¦ हो गई है? कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ उनकी पीड़ा छà¥à¥œà¤¾à¤¨à¥‡ पर धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ नहीं देता, और उनकी पà¥à¤•à¤¾à¤° नहीं सà¥à¤¨à¤¤à¤¾? कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ इन मांसाहारियों की आतà¥à¤®à¤¾à¤“ं में दया का पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ कर निषà¥à¤ à¥à¤°à¤¤à¤¾, कठोरता, सà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¤¨ और मूरà¥à¤–ता आदि दोषों को दूर नहीं करता, जिससे ये इन बà¥à¤°à¥‡ कमों से बचें।
गोकरूणानिधि पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• के अनà¥à¤¤ में ऋषि दयाननà¥à¤¦ लिखते हैं कि जैसा दà¥à¤ƒà¤–-सà¥à¤– अपने को होता है, वैसा ही औरों को à¤à¥€ समà¤à¤¾ कीजिठऔर यह à¤à¥€ धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ में रखिठकि वे पशॠआदि और उनके सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ तथा खेती आदि करà¥à¤® करनेवाले पà¥à¤°à¤œà¤¾ के पशॠआदि और मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ के अधिक पà¥à¤°à¥à¤·à¤¾à¤°à¥à¤¥ ही से राजा का à¤à¤¶à¥à¤µà¤°à¥à¤¯ अधिक बà¥à¤¤à¤¾ और नà¥à¤¯à¥‚न से नषà¥à¤Ÿ हो जाता है, इसीलिठराजा पà¥à¤°à¤œà¤¾ से कर लेता है कि उनकी रकà¥à¤·à¤¾ यथावतॠकरे, न कि राजा और पà¥à¤°à¤œà¤¾ के जो सà¥à¤– के कारण गाय आदि पशॠहैं उनका नाश किया जावे, इसलिठआज तक जो हà¥à¤† सो हà¥à¤†, आगे आंखें खोलकर सबके हानिकारक करà¥à¤®à¥‹à¤‚ को न कीजिठऔर न करने दीजिà¤à¥¤ हां, हम लोगों का यही काम है कि आप लोगों को à¤à¤²à¤¾à¤ˆ और बà¥à¤°à¤¾à¤ˆ के काम जता देवें और आप लोगों का यही काम है कि पकà¥à¤·à¤ªà¤¾à¤¤ छोड़ सबकी रकà¥à¤·à¤¾ और बà¥à¤¤à¥€ करने में ततà¥à¤ªà¤° रहें। सरà¥à¤µà¤¶à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¨à¥ जगदीशà¥à¤µà¤° हम और आप पर पूरà¥à¤£ कृपा करें कि जिससे हम और आप लोग विशà¥à¤µ के हानिकारक करà¥à¤®à¥‹à¤‚ को छोड़ सरà¥à¤µà¥‹à¤ªà¤•à¤¾à¤°à¤• कामों को करके सब लोग आननà¥à¤¦ में रहें। इन सब बातों को सà¥à¤¨ मत डालना, किनà¥à¤¤à¥ सà¥à¤¨ रखना, उन अनाथ पशà¥à¤“ं के पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥‹à¤‚ को शीघà¥à¤° बचाओ। हे महाराजाधिराज जगदीशवर ! जो इनको कोई न बचावे तो आप इनकी रकà¥à¤·à¤¾ करने और हमसे कराने में शीघà¥à¤° उदà¥à¤¯à¤¤ हूजिà¤à¥¤
ऋषि दयाननà¥à¤¦ ने 24 फरवरी, सनॠ1881 को गोकरूणानिधि गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ की रचना की थी। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने गोहतà¥à¤¯à¤¾ बनà¥à¤¦ करने के लिठदेश वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥€ आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨ à¤à¥€ चलाया था। इस विषय पर पं. यà¥à¤§à¤¿à¤·à¥à¤ िर मीमांसक जी ने अपनी पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• ‘ऋषि दयाननà¥à¤¦ के गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ का इतिहास’ में पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ डाला है। वह लिखते हैं कि करà¥à¤£à¤¾à¤¨à¤¿à¤§à¤¿ दयामय दयाननà¥à¤¦ ने अपने कारà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤² में गौ आदि मूक पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की रकà¥à¤·à¤¾à¤°à¥à¤¥ महान आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨ किया था। वायसराय तथा à¤à¤¾à¤°à¤¤ सरकार के पास दो करोड़ à¤à¤¾à¤°à¤¤à¤µà¤¾à¤¸à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के हसà¥à¤¤à¤¾à¤•à¥à¤·à¤°à¥‹à¤‚ से यà¥à¤•à¥à¤¤ पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ पतà¥à¤° à¤à¥‡à¤œà¤¨à¥‡ के लिठà¤à¥€ बहà¥à¤¤ उदà¥à¤¯à¥‹à¤— किया था। इसके लिठअनेक सजà¥à¤œà¤¨à¥‹à¤‚ को पतà¥à¤° à¤à¥€ लिखे थे। पं. देवेनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¨à¤¾à¤¥ मà¥à¤–ोपाधà¥à¤¯à¤¾à¤¯ लिखित उनके पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£à¤¿à¤• जीवन चरित से विदित होता है कि गोहतà¥à¤¯à¤¾ बनà¥à¤¦ करने के लिठउनके पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾à¤°à¥‚पी मैमोरेणà¥à¤¡à¤® पर उदयपà¥à¤° के महाराजणा शà¥à¤°à¥€ सजà¥à¤œà¤¨à¤¸à¤¿à¤‚ह, जोधपà¥à¤° नरेश महाराज यशवनà¥à¤¤à¤¸à¤¿à¤‚ह, शाहपà¥à¤°à¤¾à¤§à¥€à¤¶ नाहरसिंह और महाराजा बूंदी ने à¤à¥€ हसà¥à¤¤à¤¾à¤•à¥à¤·à¤° कर दिये थे। अनेक महानà¥à¤à¤¾à¤µà¥‹à¤‚ ने गोरकà¥à¤·à¤¾ के देशोनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ के काम में बड़े उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹à¤ªà¥‚रà¥à¤µà¤• à¤à¤¾à¤— लिया था। यह महानॠउदà¥à¤¯à¥‹à¤— महरà¥à¤·à¤¿ के अकाल में काल-कवलित हो जाने से अधूरा रह गया। ऋषि दयाननà¥à¤¦ के इस गोरकà¥à¤·à¤¾ व गोहतà¥à¤¯à¤¾ बनà¥à¤¦à¥€ आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨ को à¤à¤¾à¤°à¤¤ के इतिहास में पà¥à¤°à¤¥à¤® व अपूरà¥à¤µ आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨ कहा जा सकता है।
वेद ईशà¥à¤µà¤°à¥€à¤¯ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ है जो सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के आरमà¥à¤ में ईशà¥à¤µà¤° दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ अमैथà¥à¤¨à¥€ सृषà¥à¤Ÿà¤¿ में उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ चार ऋषियों के हृदय में दिया था। इसमें परमातà¥à¤®à¤¾ ने गाय को ‘अघà¥à¤¨à¤¯à¤¾’ कहा है। इसका अरà¥à¤¥ होता है ‘न मारने योगà¥à¤¯’। अतः ईशà¥à¤µà¤° ने ही वेद के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के आरमà¥à¤ में ही गोहतà¥à¤¯à¤¾ को पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¬à¤¨à¥à¤§à¤¿à¤¤ किया था। गोहतà¥à¤¯à¤¾ करना ईशà¥à¤µà¤°à¤¾à¤œà¥à¤žà¤¾ का उलà¥à¤²à¤‚घन है, अशà¥à¤ व पापकरà¥à¤® है à¤à¤µà¤‚ दणà¥à¤¡à¤¨à¥€à¤¯ है। आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯ है कि महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ यà¥à¤¦à¥à¤§ के परवरà¥à¤¤à¥€ लोगों ने अपनी अविदà¥à¤¯à¤¾ व मूरà¥à¤–ता से इस महानॠउपकारी पशॠकी हतà¥à¤¯à¤¾ कर उसके मांस का खाना आरमà¥à¤ किया और अब अनेक तथà¥à¤¯à¥‹à¤‚ के पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ में आने पर à¤à¥€ वह अपने इस घृणित सà¥à¤µà¤¾à¤¦ को छोड़ नहीं रहे हैं।
महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ ने गोकरà¥à¤£à¤¾à¤¨à¤¿à¤§à¤¿ पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• में गाय की à¤à¤• पीà¥à¥€ से पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ दà¥à¤—à¥à¤§ व बैलों की सहायता से उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ खादà¥à¤¯à¤¾à¤¨à¥à¤¨ की गणितीय रीति से गणना कर सिदà¥à¤§ किया है कि इससे 4,10,440 लोगों का à¤à¤• समय का à¤à¥‹à¤œà¤¨ हो सकता है जबकि à¤à¤• गाय के मांस से à¤à¤• समय में कà¥à¤› सौ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ की ही कà¥à¤·à¥à¤§à¤¾ शानà¥à¤¤ होती है। महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ ने गोकरà¥à¤£à¤¾à¤¨à¤¿à¤§à¤¿ पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• में à¤à¥ˆà¤‚स, ऊंटनी, à¤à¥‡à¥œ, बकरी व मोर आदि की à¤à¥€ चरà¥à¤šà¤¾ की है और इनकी व अनà¥à¤¯ सà¤à¥€ पशà¥à¤“ं की रकà¥à¤·à¤¾ की वकालत की है। बकरी की à¤à¤• पीà¥à¥€ से होने वाले मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ के à¤à¤• समय के à¤à¥‹à¤œà¤¨ की गणना कर उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने 25,920 मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ का à¤à¤• दिन में पालन होना लिखा है। गोकरà¥à¤£à¤¾à¤¨à¤¿à¤§à¤¿ में ही दिये गये ऋषि के मारà¥à¤®à¤¿à¤• वचनों को लिखने का लोठà¤à¥€ छोड़ नहीं कर पा रहे हैं। वह लिखते हैं कि देखिà¤, जो पशॠनिःसार घास-तृण, पतà¥à¤¤à¥‡, फल-फूल आदि खावें और दà¥à¤—à¥à¤§ आदि अमृतरूपी रतà¥à¤¨ देवें, हल-गाड़ी आदि में चलके अनेकविध अनà¥à¤¨ आदि उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ कर, सबके बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿, बल, पराकà¥à¤°à¤® को बà¥à¤¾à¤•à¥‡ नीरोगता करें, पà¥à¤¤à¥à¤°-पà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ और मितà¥à¤° आदि के समान मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ के साथ विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ और पà¥à¤°à¥‡à¤® करें, जहां बांधे वहां बंधे रहें, जिधर चलावें उधर चलें, जहां से हटावें वहां से हट जावें, देखने और बà¥à¤²à¤¾à¤¨à¥‡ पर समीप चले आवें, जब कà¤à¥€ वà¥à¤¯à¤¾à¤˜à¥à¤°à¤¾à¤¦à¤¿ पशॠवा मारनेवाले को देखें, अपनी रकà¥à¤·à¤¾ के लिठपालन करनेवाले के समीप दौड़कर आवें कि यह हमारी रकà¥à¤·à¤¾ करेगा। जिसके मरे पर चमड़ा à¤à¥€ कणà¥à¤Ÿà¤• आदि से रकà¥à¤·à¤¾ करे, जंगल में चरके अपने बचà¥à¤šà¥‡ और सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ के लिठदूध देने के नियत सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर नियत समय पर चलें आवें, अपने सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ की रकà¥à¤·à¤¾ के लिठतन-मन लगावें, जिनका सरà¥à¤µà¤¸à¥à¤µ राजा और पà¥à¤°à¤œà¤¾ आदि मनà¥à¤·à¥à¤¯ के सà¥à¤– के लिठहै, इतà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿ शà¥à¤à¤—à¥à¤£à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤, सà¥à¤–कारक पशà¥à¤“ं के गले छà¥à¤°à¥‹à¤‚ से काटकर जो मनà¥à¤·à¥à¤¯ अपना पेट à¤à¤°, सब संसार की हानि करते हैं, कà¥à¤¯à¤¾ संसार में उनसे à¤à¥€ अधिक कोई विशà¥à¤µà¤¾à¤¸à¤˜à¤¾à¤¤à¥€, अनà¥à¤ªà¤•à¤¾à¤°à¤•, दà¥à¤ƒà¤– देने वाले और पापी मनà¥à¤·à¥à¤¯ होंगे?
ऋषि दयाननà¥à¤¦ गोरकà¥à¤·à¤¾ व गोहतà¥à¤¯à¤¾ बनà¥à¤¦ कराने के आदà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤µà¤°à¥à¤¤à¤• थे। आज देश के बड़े नेता जब गोरकà¥à¤·à¤¾ के समरà¥à¤¥à¤¨ में बोलते हैं तो वह गोरकà¥à¤·à¤¾ के समरà¥à¤¥à¤• राजनीतिक व सामाजिक नेताओं के नाम तो लेते हैं परनà¥à¤¤à¥ जाने व अनजाने ऋषि दयाननà¥à¤¦ के गोरकà¥à¤·à¤¾ के लिठयोगदान की उपेकà¥à¤·à¤¾ करते हैं। गोरकà¥à¤·à¤¾ विषयक अनà¥à¤¯ महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ जानकारियां हम इस लेख के विसà¥à¤¤à¤¾à¤° के कारण नहीं दे पा रहे हैं। अनà¥à¤¯ लेख के माधà¥à¤¯à¤® से हम उसे पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ करेंगे। इस विषय में हमारे सामने देशà¤à¤•à¥à¤¤ व गोरकà¥à¤·à¤• शà¥à¤°à¥€ राजीव दीकà¥à¤·à¤¿à¤¤ का सà¥à¤ªà¥à¤°à¥€à¤® कोरà¥à¤Ÿ में गोरकà¥à¤·à¤¾ विषयक दिये गये तथà¥à¤¯ व कोरà¥à¤Ÿ का 26-10-2005 का आदेश है जो गोरकà¥à¤·à¤¾ के पकà¥à¤· में है। हमने कà¤à¥€ नेताओं के मà¥à¤– न मीडिया से इसकी चरà¥à¤šà¤¾ सà¥à¤¨à¥€à¥¤ इसका कारण à¤à¥€ उनकी जाने अनजाने उपेकà¥à¤·à¤¾ व सà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥ को पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¿à¤¤ करता है। इनके लिठअपना सà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥ हित सरà¥à¤µà¥‹à¤ªà¤°à¤¿ होता है। ओ३मॠशमà¥à¥¤
-मनमोहन कà¥à¤®à¤¾à¤° आरà¥à¤¯
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