पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¤¨à¥à¤® का जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤ªà¥‚रà¥à¤£ व बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿à¤¸à¤‚गत कारण व आधार’
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Manmohan Kumar AryaDate
06-Sep-2017Category
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HindiTotal Views
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RajeevUpload Date
06-Sep-2017Download PDF
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मनà¥à¤·à¥à¤¯ जनà¥à¤® का आधार पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¤•à¥à¤· रूप में माता-पिता होते हैं परनà¥à¤¤à¥ अपà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¤•à¥à¤· रूप में इस सृषà¥à¤Ÿà¤¿ में वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• à¤à¤• चेतन सतà¥à¤¤à¤¾ जो सृषà¥à¤Ÿà¤¿ की उतà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ की सामरà¥à¤¥à¥à¤¯ सहित मनà¥à¤·à¥à¤¯ व अनà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की उतà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ व रचना का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ रखती है, वह दोनों हैं। हमने माता-पिता से इतर सृषà¥à¤Ÿà¤¿ में वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• à¤à¤• अजà¥à¤žà¤¾à¤¤ चेतन सतà¥à¤¤à¤¾ की बात इसलिठकी है कि माता-पिता अपनी सनà¥à¤¤à¤¾à¤¨ का पूरा शरीर तो कà¥à¤¯à¤¾ शरीर का à¤à¤• छोटे से छोटा अंग वा पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¤‚ग à¤à¥€ नहीं बना सकते। यदà¥à¤¯à¤ªà¤¿ सृषà¥à¤Ÿà¤¿ में सनà¥à¤¤à¤¾à¤¨ के जनà¥à¤® लेने की पà¥à¤°à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ जटिल नहीं फिर à¤à¥€ माता-पिता जो सनà¥à¤¤à¤¾à¤¨ के जनà¥à¤®à¤¦à¤¾à¤¤à¤¾ होते हैं वह पà¥à¤°à¤¸à¤µ के लिठकिसी योगà¥à¤¯ व अनà¥à¤à¤µà¥€ चिकितà¥à¤¸à¤• की शरण में जाते हैं जिससे किसी à¤à¥€ अपà¥à¤°à¤¿à¤¯ सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ से बचा जा सके। माता-पिता जो सनà¥à¤¤à¤¾à¤¨ के जनà¥à¤®à¤¦à¤¾à¤¤à¤¾ कहलाते हैं उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ यह à¤à¥€ पता नहीं होता कि जनà¥à¤® लेने वाला शिशॠकनà¥à¤¯à¤¾ है अथवा बालक। अधिकांश बालक की कामना करते हैं परनà¥à¤¤à¥ जब परिणाम सामने आता है तो वह अनेक बार कनà¥à¤¯à¤¾ के रूप में होता है जिससे कà¥à¤› माता-पिताओं व उनके परिवारों को मानसिक कषà¥à¤Ÿ à¤à¥€ होता है। अतः माता-पिता का काम केवल जनà¥à¤® देना है न कि जनà¥à¤® लेने वाले शिशॠके शरीर का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ करना व सà¥à¤µà¥‡à¤šà¥à¤›à¤¯à¤¾ उसके कनà¥à¤¯à¤¾ व बालक के रूप में जनà¥à¤® लेने वाली सनà¥à¤¤à¤¾à¤¨ के लिंग का निरà¥à¤§à¤¾à¤°à¤£ करना। शरीर का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ तो सृषà¥à¤Ÿà¤¿ में वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ सरà¥à¤µà¤œà¥à¤ž चेतन सतà¥à¤¤à¤¾ करती है जो न केवल सनà¥à¤¤à¤¾à¤¨ के शरीर का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ करना जानती है अपितॠमाता के गरà¥à¤ में वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होकर सà¥à¤µà¤¨à¤¿à¤°à¥à¤®à¤¿à¤¤ सृषà¥à¤Ÿà¤¿ नियमों के सनà¥à¤¤à¤¾à¤¨ का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ कर उसे यथासमय जनà¥à¤® देती है, उसे परमातà¥à¤®à¤¾ व अनेक नामों परमेशà¥à¤µà¤°, ईशà¥à¤µà¤°, सृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤•à¤°à¥à¤¤à¤¾, बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾, गाड आदि के नाम से जाना जाता है।
हम यदि अपने असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ पर विचार करें तो हमारा मानव शरीर पृथिवी के पंच-ततà¥à¤µà¥‹à¤‚ पृथिवी, अगà¥à¤¨à¤¿, जल, वायॠव आकाश का बना हà¥à¤† है। शरीर में मांस हो या नस नाड़िया, असà¥à¤¥à¤¿, मजà¥à¤œà¤¾, रकà¥à¤¤, तà¥à¤µà¤šà¤¾ व अनà¥à¤¯ पदारà¥à¤¥, यह सब पृथिवीसà¥à¤¥ अनà¥à¤¨, दà¥à¤—à¥à¤§ à¤à¤µà¤‚ फल आदि खादà¥à¤¯ पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ से मिलकर बने हैं। इनका बनना मनà¥à¤·à¥à¤¯ के अधीन नहीं अपितॠपरमातà¥à¤®à¤¾ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ बनाये गये सृषà¥à¤Ÿà¤¿ नियमों पर आधारित है। परमातà¥à¤®à¤¾ का बनाया हà¥à¤† यह à¤à¤• पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° का सà¥à¤µà¤šà¤¾à¤²à¤¿à¤¤ तनà¥à¤¤à¥à¤° व पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤²à¥€ है। आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯ है कि संसार में जनà¥à¤® लेने वाले बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ के शरीर की आकृति मà¥à¤–à¥à¤¯à¤¤à¤ƒ मà¥à¤–ाकृति, आचार, विचार, वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤°, योगà¥à¤¯à¤¤à¤¾ व कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾, वाणी वा आवाज की à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨à¤¤à¤¾ सà¤à¥€ की अलग अलग होती है जबकि मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ बनाई गई सà¤à¥€ आधà¥à¤¨à¤¿à¤• मशीनों से à¤à¤• ही आकृति के à¤à¤• ही पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦ बनते हैं परनà¥à¤¤à¥ मनà¥à¤·à¥à¤¯ आदि पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€ के रूप में जनà¥à¤® लेने वाली संततà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ कनà¥à¤¯à¤¾, बालक व उनके रंग-रूप गोरा, काला, सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤°, à¤à¤¦à¥à¤¦à¥€ शकà¥à¤²-सूरत आदि के उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ हो रहे हैं जो à¤à¤• पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° का आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯ है परनà¥à¤¤à¥ कà¥à¤› अजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€ व अधिक पà¥à¥‡ लिखे लोग जिनके पास उतà¥à¤¤à¤° नहीं और वह इसे ईशà¥à¤µà¤° की कृति किनà¥à¤¹à¥€à¤‚ कारणों से, मà¥à¤–à¥à¤¯à¤¤à¤ƒ अविदà¥à¤¯à¤¾ व सà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥, मानना नहीं चाहते हैं वह इसे जड़ पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के नियम व कारà¥à¤¯ बताकर अपना पलà¥à¤²à¤¾ à¤à¤¾à¥œ लेते हैं। आजकल के पà¥à¥‡ लिखे चालाक पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के लोगों के पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ में चलने वाले अजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€ लोगों ने उनकी इस मिथà¥à¤¯à¤¾ व असतà¥à¤¯ मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ को पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° कर लिया है। उनसे कहें तो à¤à¥€ वह अपनी à¤à¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤ धारणाओं पर विचार कर असतà¥à¤¯ का तà¥à¤¯à¤¾à¤— व सतà¥à¤¯ के गà¥à¤°à¤¹à¤£ करने को तैयार नहीं होते।
वेद और वैदिक विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ तथा सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ ऋषि मà¥à¤¨à¤¿ जब ईशà¥à¤µà¤° व जीवातà¥à¤®à¤¾ की चरà¥à¤šà¤¾ करते हैं तो इसका आधार अविदà¥à¤¯à¤¾, अजà¥à¤žà¤¾à¤¨ वा अनà¥à¤ªà¥à¤§à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸ नहीं होता अपितॠइसका कारà¥à¤¯-कारण का तारà¥à¤•à¤¿à¤• व वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• आघार होता है। हमारी पृथिवी सहित सà¤à¥€ पंच ततà¥à¤µ जड़ पदारà¥à¤¥ हैं। इनमें जà¥à¤žà¤¾à¤¨ संवेदना व चिनà¥à¤¤à¤¨ व मनन तथा सतà¥à¤¯ व असतà¥à¤¯ का विवेचन करने का गà¥à¤£ नहीं है। यह सà¤à¥€ जड़ पदारà¥à¤¥ चेतन गà¥à¤£ से रहित हैं। इन जड़ पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ को किसी à¤à¥€ अनà¥à¤ªà¤¾à¤¤ व परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में मिलने या मिलाने से चेतन जीवातà¥à¤®à¤¾ की उतà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ नहीं हो सकती फिर à¤à¥€ बहà¥à¤¤ से तथाकथित शिकà¥à¤·à¤¿à¤¤ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ व वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• à¤à¥€ बिना पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£ जड़ पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ से ही आतà¥à¤®à¤¾ की उतà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ और मृतà¥à¤¯à¥ के समय उस चेतन जीवातà¥à¤®à¤¾ का विनाश मान लेते हैं। यह उनका अनà¥à¤®à¤¾à¤¨ व कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ तथà¥à¤¯à¥‹à¤‚ के विपरीत है। जीवातà¥à¤®à¤¾ à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• व जड़ पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ से सरà¥à¤µà¤¥à¤¾ रहित à¤à¤• अति सूकà¥à¤·à¥à¤®, अलà¥à¤ª पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£, अनादि, अनà¥à¤¤à¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨, अवनिशी, अमर, नितà¥à¤¯, शाशà¥à¤µà¤¤, सनातन व चेतन पदारà¥à¤¥ है। ईशà¥à¤µà¤° की कृपा, दया व करूणा से मनà¥à¤·à¥à¤¯ आदि शरीर पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कर जà¥à¤žà¤¾à¤¨ व करà¥à¤® करना ही जिसका सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ है। लगà¤à¤— दो अरब वरà¥à¤· पूरà¥à¤µ, वासà¥à¤¤à¤µà¤¿à¤• गणना 1.960853 अरब वरà¥à¤·, उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ इस सृषà¥à¤Ÿà¤¿ से पूरà¥à¤µ à¤à¥€, जो इस सृषà¥à¤Ÿà¤¿ की पà¥à¤°à¤²à¤¯ अवसà¥à¤¥à¤¾ थी, उसमें वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ के सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ जीवातà¥à¤®à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ आकाश में सà¥à¤·à¥à¤ªà¥à¤¤à¤¿ अवसà¥à¤¥à¤¾ में विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ थी। सृषà¥à¤Ÿà¤¿ की रचना हो जाने पर ईशà¥à¤µà¤° की पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ व सृषà¥à¤Ÿà¤¿ व पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€ सृषà¥à¤Ÿà¤¿ की सामरà¥à¤¥à¥à¤¯ से पूरà¥à¤µ कलà¥à¤ª वा पूरà¥à¤µ जनà¥à¤®à¥‹à¤‚ के करà¥à¤®à¤¾à¤¨à¥à¤¸à¤¾à¤° जीवातà¥à¤®à¤¾à¤“ं का माता-पिता से अ नेक योनियों में जनà¥à¤® होता है।
जीवातà¥à¤®à¤¾ à¤à¤• करà¥à¤® करने सà¥à¤µà¤¤à¤¨à¥à¤¤à¥à¤°, फल à¤à¥‹à¤—ने में परतनà¥à¤¤à¥à¤°, अनादि, सनातन, अलà¥à¤ª-पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£, अतिसूकà¥à¤·à¥à¤®, ससीम, अलà¥à¤ªà¤œà¥à¤ž व चेतन सतà¥à¤¤à¤¾ है। इस जीवातà¥à¤®à¤¾ की न कà¤à¥€ उतà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ हà¥à¤ˆ है और न कà¤à¥€ विनाश होगा। ईशà¥à¤µà¤° à¤à¤• सरà¥à¤µà¤µà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤•, सरà¥à¤µà¤¶à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¨, सरà¥à¤µà¤œà¥à¤ž, सचà¥à¤šà¤¿à¤¦à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ सà¥à¤µà¤°à¥‚प चेतन सतà¥à¤¤à¤¾ हे। सृषà¥à¤Ÿà¤¿ की उतà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿, पालन व पà¥à¤°à¤²à¤¯ करना, जीवों को करà¥à¤®à¤¾à¤¨à¥à¤¸à¤¾à¤° जनà¥à¤® देना व सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के आरमà¥à¤ में वेदों का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ देना उसका मà¥à¤–à¥à¤¯ कारà¥à¤¯ है। उस परमातà¥à¤®à¤¾ से ही मनà¥à¤·à¥à¤¯ व अनà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को अपने पूरà¥à¤µ जनà¥à¤®à¥‹à¤‚ के करà¥à¤®à¥‹à¤‚ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° जनà¥à¤® व योनि पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होती है। इसका à¤à¤• पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£ यह है कि यह सृषà¥à¤Ÿà¤¿ लगà¤à¤— दो अरब वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ से चल रही है और इसमें जीवातà¥à¤®à¤¾à¤“ं के मनà¥à¤·à¥à¤¯ व अनà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€ योनियों में निरनà¥à¤¤à¤° जनà¥à¤® होते आ रहे हैं। इस सृषà¥à¤Ÿà¤¿ की उतà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ का कारण à¤à¥€ à¤à¤•à¤®à¤¾à¤¤à¥à¤° यही है कि जीवातà¥à¤®à¤“ं को करà¥à¤®à¤¾à¤¨à¥à¤¸à¤¾à¤° जनà¥à¤® देने व फल à¤à¥‹à¤— के लिठईशà¥à¤µà¤° ने सृषà¥à¤Ÿà¤¿ को बनाया है। सृषà¥à¤Ÿà¤¿ उतà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ का अनà¥à¤¯ कोई पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤œà¤¨ है ही नहीं। जीवातà¥à¤®à¤¾à¤“ं की आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾à¤“ं का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ à¤à¥€ परमातà¥à¤®à¤¾ को सदा से रहा है। यही कारण है कि शरीर में देखने, सà¥à¤¨à¤¨à¥‡, सूंघने, सà¥à¤µà¤¾à¤¦ व रस गà¥à¤°à¤¹à¤£ करने, सà¥à¤ªà¤°à¥à¤¶ का गà¥à¤£ व करà¥à¤® करने के लिठहाथ, पैर सहित मन व बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ आदि अवयव पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ किये गये हैं। इन जà¥à¤žà¤¾à¤¨ व करà¥à¤®à¥‡à¤¨à¥à¤¦à¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की सहायता से ही मनà¥à¤·à¥à¤¯ अपने पूरà¥à¤µ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ के फलों को à¤à¥‹à¤—ता है और नये करà¥à¤® करता है। करà¥à¤®à¥‹à¤‚ का à¤à¥‹à¤— और नये करà¥à¤®à¥‹à¤‚ का संचय चलता रहता है। कà¥à¤› काल बाद वृदà¥à¤§à¤¾à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ में व अनà¥à¤¯ कारणों से आकसà¥à¤®à¤¿à¤• मृतà¥à¤¯à¥ हो जाती है। मृतà¥à¤¯à¥ के समय जिन शà¥à¤ व अशà¥à¤ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ का संचय होता है, उनका साकà¥à¤·à¥€ ईशà¥à¤µà¤° होता है। उसी के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° वह पà¥à¤°à¤¸à¥à¤•à¤¾à¤° व सजा के रूप में जीवातà¥à¤®à¤¾à¤“ं को मनà¥à¤·à¥à¤¯ व अनà¥à¤¯ योनियों में शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ व निकृषà¥à¤Ÿ जनà¥à¤® देता है।
पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¤¨à¥à¤® विषयक अनेक पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ किये जाते हैं जिन सà¤à¥€ के उतà¥à¤¤à¤° वैदिक धरà¥à¤®à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के पास हैं। पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¤¨à¥à¤® पर अनेक पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£à¥‹à¤‚ से यà¥à¤•à¥à¤¤ अनेक विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ ने गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ à¤à¥€ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ किये हैं। ऋषि दयाननà¥à¤¦ ने à¤à¥€ 17 जà¥à¤²à¤¾à¤ˆ सनॠ1875 को पूना में ‘पूरà¥à¤µà¤œà¤¨à¥à¤®-जनà¥à¤®-मृतà¥à¤¯à¥-पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¤¨à¥à¤®’ के असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ पर पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£à¥‹à¤‚ सहित à¤à¤• सारगरà¥à¤à¤¿à¤¤ उपदेश दिया था जो कि पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ रूप में उपलबà¥à¤§ है। इससे पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¤¨à¥à¤® विषयक सà¤à¥€ शंकाओं का समाधान हो जाता है। पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¤¨à¥à¤® की चरà¥à¤šà¤¾ करने पर पहला आकà¥à¤·à¥‡à¤ª यह होता है कि यदि पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¤¨à¥à¤® होता है तो हमें अपना पूरà¥à¤µà¤œà¤¨à¥à¤® याद कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ नहीं है। इसका उतà¥à¤¤à¤° यह है कि हमें समय के साथ-साथ विसà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ होती जाती है। हम जो बातें करते हैं यदि कोई कहे कि उनà¥à¤¹à¥€à¤‚ शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ को उसी करà¥à¤® व उसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤°, बिना आगे पीछे किये, उसी गति व à¤à¤¾à¤µ-à¤à¤‚गिमा सहित दोहरा दें, तो शायद à¤à¤¸à¤¾ कोई नहीं कर सकता। हमने कल à¤à¥‹à¤œà¤¨ में किस समय कà¥à¤¯à¤¾-कà¥à¤¯à¤¾ à¤à¥‹à¤œà¤¨ व पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ का सेवन किया, परसो पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤ƒ से सायं कà¥à¤¯à¤¾ कà¥à¤¯à¤¾ पदारà¥à¤¥ खायें, यह à¤à¥€ हम à¤à¥‚ल जाते हैं। इससे पूरà¥à¤µ का तो पता ही किसी को नहीं होता। परसों व उससे कà¥à¤› दिन पहले हमने कौन से वसà¥à¤¤à¥à¤° पहने थे, किन-2 से मिले थे, कहां-कहां कब गये व रहे, इसका जà¥à¤žà¤¾à¤¨ à¤à¥€ हमें नहीं रहता अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ हम à¤à¥‚ल जाते हैं। जब हम दो चार दिन पूरà¥à¤µ की घटनाओं को याद नहीं रख सकते तो विगत जनà¥à¤® जिसमें हमारी मृतà¥à¤¯à¥ हà¥à¤ˆ, हमारे पूरà¥à¤µ जनà¥à¤® के शरीर को जला दिया गया, आतà¥à¤®à¤¾ कà¥à¤› समय आकाश में रही, फिर ईशà¥à¤µà¤°à¥€à¤¯ पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ से पिता व उसके बाद माता के गरà¥à¤ में आयी, गरà¥à¤ में हिनà¥à¤¦à¥€ मासों के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° 10 माह रही, फिर शिशॠरूप में जनà¥à¤® लिया, जनà¥à¤® के समय हमें बोलना नहीं आता था, माता पिता से कई वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ में à¤à¤¾à¤·à¤¾ सीखी, धीरे धीरे बोलना सीखा, अब यदि वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ पूरà¥à¤µ, इस जनà¥à¤® से à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ शरीर में घटी घटनाओं को हम à¤à¥‚ल चà¥à¤•à¥‡ हैं तो इसमे किसी को आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯ नहीं करना चाहिये। यदि हम पूरà¥à¤µ जनà¥à¤® में किसी पशॠयोनि में रहे हों और इस जनà¥à¤® में मनà¥à¤·à¥à¤¯ बने, तो फिर उस जीवन की बातों का धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ रहना à¤à¥€ समà¥à¤à¤µ नहीं है। इसको इतना ही जान सकते हैं कि नया जनà¥à¤®à¤¾ बचà¥à¤šà¤¾ पूरà¥à¤µ जनà¥à¤® के संसà¥à¤•à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ को लेकर पैदा होता है। वह माता का सà¥à¤¤à¤¨à¤ªà¤¾à¤¨ करता है तो उसे सिखाने की जरà¥à¤°à¤¤ नहीं पड़ती। वह बचपन में कà¤à¥€ हंसता है तो कà¤à¥€ रोता है, यह उसके पूरà¥à¤µ जनà¥à¤® के संसà¥à¤•à¤¾à¤° ही तो हैं अनà¥à¤¯à¤¥à¤¾ वह हंसता कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ हैं? कई बार सोते हà¥à¤ सà¥à¤µà¤ªà¥à¤¨à¤¾à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ में à¤à¥€ वह हंसता व रोता है। इसका कारण पूरà¥à¤µ जनà¥à¤®à¥‹à¤‚ की कà¥à¤› सà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का होना ही सिदà¥à¤§ होता है, अनà¥à¤¯à¤¥à¤¾ मà¥à¤¸à¥à¤•à¤°à¤¾à¤¨à¤¾ तो किसी बात के याद आने पर ही होता है। उसके पीछे कोई सà¥à¤–द अनà¥à¤à¤µ ही हà¥à¤† करता है। यह सब पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¤¨à¥à¤® के पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£ ही हैं जिसे आजकल के लोग न तो जानते हैं न समà¤à¤¨à¥‡ की कोशिश करते हैं।
पूरà¥à¤µà¤œà¤¨à¥à¤® की सà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ न होने का à¤à¤• कारण यह à¤à¥€ है कि मनà¥à¤·à¥à¤¯ को à¤à¤• समय में à¤à¤• ही बात का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ होता है। उसे हर कà¥à¤·à¤£ ‘मैं हूं’ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ अपने असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ का बोध वा जà¥à¤žà¤¾à¤¨ रहता है। मन में à¤à¤• साथ दो पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के जà¥à¤žà¤¾à¤¨ नहीं हो सकते। यदि हम सà¥à¤µà¤¯à¤‚ को à¤à¥‚लकर अनà¥à¤¯ पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ करें तो पहले तो वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ व कम समय पहले की पà¥à¤°à¤®à¥à¤– यादें ही आयेंगी। पूरà¥à¤µà¤œà¤¨à¥à¤® की सà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ दो जनà¥à¤®à¥‹à¤‚ में शरीर के बदल जाने, योनि परिवरà¥à¤¤à¤¨ व समय की सीमा, दीरà¥à¤˜à¤•à¤¾à¤² के अनà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤² के कारण विसà¥à¤®à¥ƒà¤¤ हो चà¥à¤•à¥€ होती हैं, यह पà¥à¤°à¤®à¥à¤– कारण हैं। अतः पूरà¥à¤µà¤œà¤¨à¥à¤® की सà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का न होना पूरà¥à¤µà¤œà¤¨à¥à¤® का निषेध नहीं करता। हम à¤à¤¸à¥€ बहà¥à¤¤ सी बातों को मानते हैं जिनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ हमने देखा नहीं होता। वहां हमें अपने विवेक व बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ का सहारा लेना होता है। हमने अपने दादा, परदादा व उससे पूरà¥à¤µ की पीà¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को नहीं देखा परनà¥à¤¤à¥ हमारे परिवारजनों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ कहने पर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ बिना देखे, जाने व अनà¥à¤à¤µ किये ही मान लेते हैं। इसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° पूरà¥à¤µà¤œà¤¨à¥à¤® à¤à¥€ à¤à¤• आवशà¥à¤¯à¤• व अनिवारà¥à¤¯ जीवातà¥à¤®à¤¾ की अवसà¥à¤¥à¤¾ है। यदि हम अपनी आतà¥à¤®à¤¾ पर अजà¥à¤žà¤¾à¤¨ व अविदà¥à¤¯à¤¾ के आवरण तथा मिथà¥à¤¯à¤¾ संसà¥à¤•à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ को हटा सकें तो हमारी आतà¥à¤®à¤¾ सà¥à¤µà¤¤à¤ƒ पूरà¥à¤µà¤œà¤¨à¥à¤® और पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¤¨à¥à¤® दोनों को सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° कर लेगी, इसमें कोई सनà¥à¤¦à¥‡à¤¹ नहीं है।
संसार में वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• नियम है कि न कोई पदारà¥à¤¥ नषà¥à¤Ÿ होता है और न बनाया ही जा सकता है, उसका रूप परिवरà¥à¤¤à¤¨ होता है। जीवातà¥à¤®à¤¾ अनादि व अविनाशी है। यह सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤ आतà¥à¤®à¤¾ पर à¤à¥€ लागू होता है। यदि हमारी व अनà¥à¤¯à¥‹à¤‚ की जीवातà¥à¤®à¤¾à¤“ं को यह जनà¥à¤® मिला है तो इससे पूरà¥à¤µ à¤à¥€ उन सà¤à¥€ जीवातà¥à¤®à¤¾à¤“ं को जनà¥à¤® मिला होगा और इसके बाद à¤à¥€ मिलेगा। यदि नहीं मिलेगा तो पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ है कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ नहीं मिलेगा? यह तà¤à¥€ समà¥à¤à¤µ है कि जब ईशà¥à¤µà¤° जनà¥à¤® न दें सके। ईशà¥à¤µà¤° सरà¥à¤µà¤œà¥à¤ž à¤à¤µà¤‚ सरà¥à¤µà¤¶à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¨ है। सृषà¥à¤Ÿà¤¿ को चलाने के लिठपà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¤¨à¥à¤® की आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ है। नितà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¤à¤¿ सà¤à¥€ योनियों में सहसà¥à¤°à¥‹à¤‚ व लाखों जीवातà¥à¤®à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ जनà¥à¤® ले रही हैं। यह मृतक जीवातà¥à¤®à¤¾à¤“ं के पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¤¨à¥à¤® ही तो हैं। इसका समाधान व उतà¥à¤¤à¤° पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¤¨à¥à¤® न मानने वालों के पास नहीं है। यदि यह जनà¥à¤® है तो इसका पूरà¥à¤µà¤œà¤¨à¥à¤® à¤à¥€ है और पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¤¨à¥à¤® à¤à¥€ अवशà¥à¤¯ होगा। यदि à¤à¤¸à¤¾ न होता तो हमारा वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ जनà¥à¤® à¤à¥€ न होता। यदि हम कृषि जगत में देखें तो à¤à¤• बीज बोने से à¤à¤• पौधा उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ होता है। बड़े होने पर उसमें फल लगते हैं और उस फल में ही अनेक बीज होते हैं जिनसे अनेकानेक उसी जाति व आकृति-पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के पौधे व फल पैदा होते हैं। हम यह à¤à¥€ देखते हैं कि सृषà¥à¤Ÿà¤¿ में मृतà¥à¤¯à¥ का सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤ काम कर रहा है। मृतà¥à¤¯à¥ के बाद यदि जनà¥à¤® न हो तो यह सृषà¥à¤Ÿà¤¿ समापà¥à¤¤ व नषà¥à¤Ÿ हो जाये। ईशà¥à¤µà¤° ने न केवल मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ योनि अपितॠपशà¥à¤“ं व पकà¥à¤·à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में à¤à¥€ सृषà¥à¤Ÿà¤¿ को चलाने के लिठउन-उन योनियों में सनà¥à¤¤à¤¤à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की वृदà¥à¤§à¤¿ का नियम बना रखा है। पशॠव पकà¥à¤·à¥€ सृषà¥à¤Ÿà¤¿ को जारी रखने के लिठईशà¥à¤µà¤°à¥€à¤¯ व पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• नियमों का पालन करते हà¥à¤ इस सृषà¥à¤Ÿà¤¿ को अब तक बनाये हà¥à¤ हैं और आगे à¤à¥€ यह कà¥à¤°à¤® चलता रहेगा। नये नये बचà¥à¤šà¥‹à¤‚, सनà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ व सनà¥à¤¤à¤¤à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में जो जीवातà¥à¤®à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ आती हैं वह उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ नहीं होती अपितॠपूरà¥à¤µ मृतà¥à¤¯à¥ के बाद जनà¥à¤® लिया करती हैं। यह पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¤¨à¥à¤® की पà¥à¤°à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ या सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤ सृषà¥à¤Ÿà¤¿ में विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ है। यह सदा से चलता आ रहा है और आगे à¤à¥€ चलता रहेगा। ईशà¥à¤µà¤° व जीवातà¥à¤®à¤¾ के सतà¥à¤¯ सà¥à¤µà¤°à¥‚प को जानने व मानने से ही जनà¥à¤® व पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¤¨à¥à¤® की गà¥à¤¤à¥à¤¥à¥€ हल होती है। अतः सà¤à¥€ जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€ व अजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को वैदिक धरà¥à¤® की शरण में आकर इसे समà¤à¤¨à¤¾ व मानना चाहिये। लेख विसà¥à¤¤à¥ƒà¤¤ हो गया है, अतः लेखनी को विराम देते हैं। ओ३मॠशमà¥à¥¤
-मनमोहन कà¥à¤®à¤¾à¤° आरà¥à¤¯
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