अनादि से अननà¥à¤¤ काल की यातà¥à¤°à¤¾ में जीवातà¥à¤®à¤¾ करà¥à¤®à¤¾à¤¨à¥à¤¸à¤¾à¤° अनेक पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€ योनियों में विचरता रहा है और आग
Author
Manmohan Kumar AryaDate
06-Sep-2017Category
लेखLanguage
HindiTotal Views
415Total Comments
0Uploader
RajeevUpload Date
06-Sep-2017Download PDF
-0 MBTop Articles in this Category
- फलित जयोतिष पाखंड मातर हैं
- राषटरवादी महरषि दयाननद सरसवती
- राम मंदिर à¤à¥‚मि पूजन में धरà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤°à¤ªà¥‡à¤•à¥à¤·à¤¤à¤¾ कहाठगयी? à¤à¤• लंबी सियासी और अदालती लड़ाई के बाद 5 अगसà¥à¤¤ को पà¥
- सनत गरू रविदास और आरय समाज
- बलातकार कैसे रकेंगे
Top Articles by this Author
- ईशवर
- बौदध-जैनमत, सवामी शंकराचारय और महरषि दयाननद के कारय
- अजञान मिशरित धारमिक मानयता
- यदि आरय समाज सथापित न होता तो कया होता ?
- ईशवर व ऋषियों के परतिनिधि व योगयतम उततराधिकारी महरषि दयाननद सरसवती
यदि हम आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ की बात न करें और इतर मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ व समà¥à¤¦à¤¾à¤¯à¥‹à¤‚ की बातें करें तो हम देखते हैं कि मनà¥à¤·à¥à¤¯ को जड़ व चेतन का à¤à¥‡à¤¦ व उसका ततà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥ जà¥à¤žà¤¾à¤¤ नहीं है। मनà¥à¤·à¥à¤¯ का जनà¥à¤® होता है, माता-पिता उसका पालन करते हैं, सà¥à¤•à¥‚ल व कालेजों में पà¥à¤¨à¥‡ के लिठउसे à¤à¥‡à¤œà¤¾ जाता है, वहां जो पà¥à¤¾à¤¯à¤¾ जाता है वह पà¥à¤¤à¤¾ है, उसके बाद वह अपने à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ के कारà¥à¤¯ व वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¤¾à¤¯ को चà¥à¤¨à¤¤à¤¾ है और उसके लिठजो करना होता है, उसे करते हà¥à¤ वह अपने मà¥à¤•à¤¾à¤® व लकà¥à¤·à¥à¤¯ को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करने का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ करता है। मà¥à¤•à¤¾à¤® पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हो जाये तो सà¥à¤– मिलता है, नहीं तो वह कà¥à¤› दà¥à¤ƒà¤–ी व चिनà¥à¤¤à¤¾ में रहते हà¥à¤ अपना जीवन वà¥à¤¯à¤¤à¥€à¤¤ कर देता है। वृदà¥à¤§à¤¾à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ आती है, कà¥à¤› को रोग हो जाते हैं, उपचार चलता है और 50 से 80 के बीच अधिकांश सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ व पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ की जीवनलीला समापà¥à¤¤ होकर मृतà¥à¤¯à¥ हो जाती है। यदि इनमें कोई बचता है तो वह कà¥à¤› वरà¥à¤· बाद चल बसता है। जीवित व मृतक मनà¥à¤·à¥à¤¯ कहां से आये थे यह उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पता नहीं होता। कहां जाना है व मरकर गये, इसका पता न उनको था न माता-पिता व परिवार के लोगों को ही होता है। परिवार के छोटे व बड़े लोग हैं, वह à¤à¥€ अपने कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ में लगे हà¥à¤ सà¥à¤–ों को à¤à¥‹à¤—ने की इचà¥à¤›à¤¾ रखते हà¥à¤ व पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ करते हà¥à¤ अपने जीवन को आगे बà¥à¤¾à¤¤à¥‡ रहते हैं और जब तक मृतà¥à¤¯à¥ न आये यही कà¥à¤°à¤® चलता है। पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ सà¤à¥€ लोग इसी को जीवन मानते हैं। उनके अनà¥à¤¸à¤¾à¤° जीवन का और कोई विशेष लकà¥à¤·à¥à¤¯ आदि नहीं है। वेद से इतर अनेक मत-मतानà¥à¤¤à¤° हैं, सबकी अपनी अपनी मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ हैं। कà¥à¤› बातें सतà¥à¤¯ हैं तो बहà¥à¤¤ सी मिथà¥à¤¯à¤¾ व अविवेकपूरà¥à¤£ à¤à¥€ हैं। वह सब अपने अपने अनà¥à¤¸à¤¾à¤° अपना जीवन वà¥à¤¯à¤¤à¥€à¤¤ करते हैं।
वैदिक धरà¥à¤®à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के पास सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के आरमà¥à¤ में ईशà¥à¤µà¤° दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ दिया गया वेदेां का सतà¥à¤¯ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ है जिसमें मनà¥à¤·à¥à¤¯ जीवन के उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ व लकà¥à¤·à¥à¤¯ को तो बताया ही गया है, उसकी पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ के साधनों ईशà¥à¤µà¤°à¥‹à¤ªà¤¾à¤¸à¤¨à¤¾, अगà¥à¤¨à¤¿à¤¹à¥‹à¤¤à¥à¤° यजà¥à¤ž, पितृयजà¥à¤ž आदि सहित परोपकार व सेवा आदि के कामों का विधान à¤à¥€ किया गया है। वेदों के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° यह संसार ईशà¥à¤µà¤°, जीव व पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ इन तीन मौलिक सतà¥à¤¤à¤¾à¤“ं व ततà¥à¤µà¥‹à¤‚ से मिलकर बना है। ईशà¥à¤µà¤° व जीव चेतन ततà¥à¤µ हैं। ईशà¥à¤µà¤° सरà¥à¤µà¤œà¥à¤ž à¤à¤µà¤‚ जीव अलà¥à¤ªà¤œà¥à¤ž है, ईशà¥à¤µà¤° सरà¥à¤µà¤µà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• है तो जीवातà¥à¤®à¤¾ à¤à¤•à¤¦à¥‡à¤¶à¥€, अलà¥à¤ªà¤ªà¤°à¤¿à¤®à¤¾à¤£, ससीम, करà¥à¤®à¤¾à¤¨à¥à¤¸à¤¾à¤° जनà¥à¤® व मृतà¥à¤¯à¥ के बनà¥à¤§à¤¨à¥‹à¤‚ में बंधा हà¥à¤† है। ईशà¥à¤µà¤° सचà¥à¤šà¤¿à¤¦à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦à¤¸à¥à¤µà¤°à¥‚प होने से सदा-सरà¥à¤µà¤¦à¤¾ आननà¥à¤¦ से यà¥à¤•à¥à¤¤ रहता है। वह सरà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤°à¥à¤¯à¤¾à¤®à¥€ होने से जीवातà¥à¤®à¤¾ के अनà¥à¤¦à¤° व बाहर सरà¥à¤µà¤¼à¤µà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• है। जीवातà¥à¤®à¤¾ सचà¥à¤šà¤¿à¤¤ (सतà¥à¤¯$चेतन) है, आननà¥à¤¦ से यà¥à¤•à¥à¤¤ नहीं है जैसा कि ईशà¥à¤µà¤° है। चेतन सतà¥à¤¤à¤¾ होने के कारण इसे आननà¥à¤¦ वा सà¥à¤–ों की अà¤à¤¿à¤²à¤¾à¤·à¤¾ रहती है। अजà¥à¤žà¤¾à¤¨ के कारण यह à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ की ओर अपना मà¥à¤– करता है। à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ में सीमित व अलà¥à¤ª मातà¥à¤°à¤¾ में सà¥à¤– हैं। उसी में यह उलजà¥à¤ž जाता है। à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• सà¥à¤–ों के लिठही यह धन व दà¥à¤°à¤µà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का संगà¥à¤°à¤¹ करता है। परिगà¥à¤°à¤¹à¥€ बनता है। धनोपारà¥à¤œà¤¨ व à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• सà¥à¤–ों में à¤à¤¸à¤¾ लिपà¥à¤¤ होता है कि ईशà¥à¤µà¤° व जीवातà¥à¤®à¤¾ के सà¥à¤µà¤°à¥‚प व इनके गà¥à¤£à¥‹à¤‚ की उपेकà¥à¤·à¤¾ कर देता है। जीवातà¥à¤®à¤¾ को लकà¥à¤·à¥à¤¯ का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ कराने में सबसे बड़ी बाधा मत-मतानà¥à¤¤à¤° हैं। इसका कारण है कि इनमें ईशà¥à¤µà¤° व जीवातà¥à¤®à¤¾ का यथारà¥à¤¥, तरà¥à¤• व यà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¸à¤‚गत जà¥à¤žà¤¾à¤¨ नहीं है और न ही यह जानना चाहते हैं। इन मत-मतानà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ की नींव अविदà¥à¤¯à¤¾ पर है। à¤à¤¸à¤¾ नहीं कि सà¤à¥€ मत-मतानà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ में शत पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ अविदà¥à¤¯à¤¾ ही हो, किसी में कम व किसी में अधिक à¤à¤¾à¤— अविदà¥à¤¯à¤¾ का है परनà¥à¤¤à¥ इनमें जितनी अविदà¥à¤¯à¤¾ है उसके कारण यह ईशà¥à¤µà¤° व जीवातà¥à¤®à¤¾ को à¤à¤²à¥€ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से जान नहीं पा रहे हैं। यह सà¤à¥€ मत-मतानà¥à¤¤à¤° अपने जीवन के उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ व लकà¥à¤·à¥à¤¯ ‘धरà¥à¤®, अरà¥à¤¥, काम व मोकà¥à¤·’ तथा उसके साधनों को जानकर उनकी पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ के लिठपà¥à¤°à¤¯à¤¤à¥à¤¨ नहीं करते कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ इनका यथारà¥à¤¥ सà¥à¤µà¤°à¥‚प विदित नहीं है। संसार में अशानà¥à¤¤à¤¿ का कारण à¤à¥€ अविदà¥à¤¯à¤¾ व मिथà¥à¤¯à¤¾ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ ही सिदà¥à¤§ होता है। यदि यह अविदà¥à¤¯à¤¾ व मिथà¥à¤¯à¤¾à¤œà¥à¤žà¤¾à¤¨ समापà¥à¤¤ हो जाये तो संसार से दà¥à¤ƒà¤– व अशानà¥à¤¤à¤¿ अपने आप दूर हो सकती है। संसार व जीवन विषयक सतà¥à¤¯ सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ को जानकर कोई मनà¥à¤·à¥à¤¯ किसी के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯ व अतà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤¾à¤° नही कर सकता। हिंसा व चोरी सहित धन व दà¥à¤°à¤µà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का परिगà¥à¤°à¤¹ à¤à¥€ नहीं कर सकता। इसका कारण यह है कि उसे जà¥à¤žà¤¾à¤¤ हो जाता है कि सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के सà¤à¥€ पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ ईशà¥à¤µà¤° ने सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ व पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के लिठबना रखे हैं और इन पर सबका समान अधिकार है। ईशà¥à¤µà¤° की आजà¥à¤žà¤¾ ‘तेन तà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¥‡à¤¨ à¤à¥à¤‚जीथा’ है कि मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को सà¤à¥€ सांसारिक पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ का à¤à¥‹à¤— तà¥à¤¯à¤¾à¤—पूरà¥à¤µà¤• करना है। नहीं करेंगे तो दणà¥à¤¡à¤¨à¥€à¤¯ होंगे। यह दणà¥à¤¡ मनà¥à¤·à¥à¤¯ को इस जनà¥à¤® व परजनà¥à¤® में कब कैसे ईशà¥à¤µà¤° से पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होगा उसका जà¥à¤žà¤¾à¤¨ ईशà¥à¤µà¤° ने आवशà¥à¤¯à¤• न समठकर वेदों में नहीं दिया है। फिर à¤à¥€ हम अपने अपने विवेक से व शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में ऋषियों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ किये गये विवेचन को पà¥à¤•à¤° कà¥à¤› कà¥à¤› जान सकते हैं।
ईशà¥à¤µà¤°, जीव व पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ तीनों अनादि, अनà¥à¤¤à¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨, सनातन, सदा रहने वाले, अननà¥à¤¤ काल तक रहने वाले, अमर व अविनाशी मौलिक पदारà¥à¤¥ हैं। ईशà¥à¤µà¤° अजनà¥à¤®à¤¾ होने से उसका जनà¥à¤® व अवतार कà¤à¥€ नहीं होता। मनà¥à¤·à¥à¤¯ व अनà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के रूप में जीवातà¥à¤®à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ ईशà¥à¤µà¤°à¥€à¤¯ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ से जनà¥à¤® लेती हैं। इसका आधार पूरà¥à¤µ जनà¥à¤® के करà¥à¤® होते हैं। ईशà¥à¤µà¤° हमारे पूरà¥à¤µ के सà¤à¥€ अननà¥à¤¤ जनà¥à¤®à¥‹à¤‚ का साकà¥à¤·à¥€ है। किसी जीवातà¥à¤®à¤¾ के जिन करà¥à¤®à¥‹à¤‚ का à¤à¥‹à¤— करना शेष है, उनमें से कà¥à¤› व सà¤à¥€ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ के आधार पर ईशà¥à¤µà¤° जीव को मनà¥à¤·à¥à¤¯ व अनà¥à¤¯ योनियों में पकà¥à¤·à¤ªà¤¾à¤¤à¤°à¤¹à¤¿à¤¤ होकर जनà¥à¤® देता है। यही कà¥à¤°à¤® अननà¥à¤¤ काल तक आगे à¤à¥€ चलना है। इस जनà¥à¤® में हम मनà¥à¤·à¥à¤¯ बने हैं। हमें अपने जनà¥à¤® से अब तक घटी पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤®à¥à¤– बातों का किसी का कम व किसी का पूरà¥à¤£ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ है। जनà¥à¤® से पूरà¥à¤µ हम थे या नहीं, थे तो कहां थे और नहीं थे तो इस जनà¥à¤® में हमारी आतà¥à¤®à¤¾ जो कि à¤à¤• चेतन सतà¥à¤¤à¤¾ है, जो सà¥à¤–, दà¥à¤ƒà¤–, हानि, लाà¤, मान, अपमान, ईषà¥à¤°à¥à¤¯à¤¾ व दà¥à¤µà¥‡à¤· का अनà¥à¤à¤µ व वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° करती है, वह कहां से व कैसे इस मानव शरीर में आ गई। इन सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨à¥‹à¤‚ का समà¥à¤šà¤¿à¤¤ निà¤à¥à¤°à¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤ उतà¥à¤¤à¤° मत-मतानà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ के गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ व आचारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ से नहीं मिलता, केवल वेद और वैदिक साहितà¥à¤¯ में मिलता है। पà¥à¤°à¤¾à¤£ आदि गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ इस विषय में परसà¥à¤ªà¤° विरोघी व अविशà¥à¤µà¤¸à¤¨à¥€à¤¯ बातें करते हैं। इस जनà¥à¤® से पूरà¥à¤µ सà¥à¤– व दà¥à¤– का अनà¥à¤à¤µ करने वाली हमारी आतà¥à¤®à¤¾ का असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ नहीं था, इसका किसी के पास कोई à¤à¥€ पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£ नहीं है। बिना पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£ के ही हम यह मानते रहते हैं कि हमारा असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ नहीं था। हमें तो यह वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿à¤¹à¥€à¤¨à¤¤à¤¾ व मूरà¥à¤–ता का पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤¤ होता है। हम जीवातà¥à¤®à¤¾ के असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ, उसके सà¥à¤µà¤°à¥‚प, गà¥à¤£-करà¥à¤®-सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ व उतà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ विषयक पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨à¥‹à¤‚ को जानने का à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ नहीं करते। यदि हमारा इस जनà¥à¤® से पूरà¥à¤µ असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ न होता अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ हमारा पूरà¥à¤µà¤œà¤¨à¥à¤® न होता तो संसार के सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯ व पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में, जिनके शरीरों में à¤à¤•-à¤à¤• चेतन आतà¥à¤®à¤¾ है, किसी à¤à¥€ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° का à¤à¥‡à¤¦ नहीं होना चाहिये था। सबकी आकृति, पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿, संवेदनायें, जà¥à¤žà¤¾à¤¨ व करà¥à¤® तथा परिवेश à¤à¤• जैसे होने चाहिये थे। दो व अधिक मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ के देश, काल व परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ तथा गà¥à¤£-करà¥à¤® व सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ में à¤à¥‡à¤¦ ‘करà¥à¤®à¤«à¤² सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤ व पूरà¥à¤µà¤œà¤¨à¥à¤®’ को सिदà¥à¤§ करता है। हमारा पूरà¥à¤µà¤œà¤¨à¥à¤® था, हमारे करà¥à¤® अलग अलग थे, उसी के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° पà¥à¤°à¤¸à¥à¤•à¤¾à¤° व दणà¥à¤¡ सà¥à¤µà¤°à¥‚प हम मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ व इतर पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को नाना पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के शरीर व अचà¥à¤›à¥€-बà¥à¤°à¥€ परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ ईशà¥à¤µà¤° दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ हम सà¤à¥€ को दी रà¥à¤—इं हंै। हमारा करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ है कि हम ईशà¥à¤µà¤°, जीव व पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के सà¥à¤µà¤°à¥‚प पर विचार व चिनà¥à¤¤à¤¨-मनन करें। जिन पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨à¥‹à¤‚ के उतà¥à¤¤à¤° न मिले उसके लिठहमें सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶, ऋगà¥à¤µà¥‡à¤¦à¤¾à¤¦à¤¿à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯à¤à¥‚मिका, वेद, दरà¥à¤¶à¤¨ व उपनिषदॠआदि गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ करना चाहिये। अनà¥à¤§à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸ के आधार पर किसी गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ की कोई बात न मानें। जो तरà¥à¤• व यà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¸à¤‚गत हो, सृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤•à¤°à¥à¤® के अनà¥à¤•à¥‚ल हो तथा जिसे अपनी आतà¥à¤®à¤¾ सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° करे, उसी बात को ही मानना चाहिये। à¤à¤¸à¤¾ करके जीवातà¥à¤®à¤¾ के सतà¥à¤¯, सà¥à¤µà¤¤à¤¨à¥à¤¤à¥à¤°, अनादि, अनà¥à¤¤à¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨, जनà¥à¤®-मरण धरà¥à¤®à¤¾, करà¥à¤®à¤¾à¤¨à¥à¤¸à¤¾à¤° सà¥à¤– व दà¥à¤–ों को à¤à¥‹à¤—ने वाले चेतन सà¥à¤µà¤°à¥‚प का निà¤à¥à¤°à¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ होता है। ईशà¥à¤µà¤° व पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के सतà¥à¤¯à¤¸à¥à¤µà¤°à¥‚प सहित अपने लकà¥à¤·à¥à¤¯, उसकी पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ के साधनों व करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ à¤à¥€ हो जाता है।
मनà¥à¤·à¥à¤¯ के रूप में हम विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ है। हमारा असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ चेतन जीवातà¥à¤®à¤¾ व मरणधरà¥à¤®à¤¾ शरीर का à¤à¤• संयà¥à¤•à¥à¤¤ जीवनà¥à¤¤ रूप है। सà¤à¥€ लोगों की जीवनयातà¥à¤°à¤¾ अनादि काल से चल रही है। लकà¥à¤·à¥à¤¯ दà¥à¤ƒà¤–ों से सरà¥à¤µà¤¥à¤¾ मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ है जिसे मोकà¥à¤· कहते हैं। मोकà¥à¤· पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ के लिठईशà¥à¤µà¤° का सतà¥à¤¯ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ व उपासना से उसका साकà¥à¤·à¤¾à¤¤à¥à¤•à¤¾à¤° करना आवशà¥à¤¯à¤• है। साकà¥à¤·à¤¾à¤¤à¥à¤•à¤¾à¤° तà¤à¥€ होता है जब जीवातà¥à¤®à¤¾ अपने पूरà¥à¤µ अशà¥à¤ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ को पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ à¤à¥‹à¤— लेता है और सदà¥à¤•à¤°à¥à¤®à¥‹à¤‚ को करके आतà¥à¤®à¤¾ को पवितà¥à¤° व दोषरहित कर लेता है। हमें लगता है कि उपासना में देर से सफलता मिलने का à¤à¤• कारण हमारे जनà¥à¤® जनà¥à¤®à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤° के अशà¥à¤ करà¥à¤® व उनका पूरà¥à¤£à¤¤à¤¯à¤¾ à¤à¥‹à¤— कर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ समापà¥à¤¤ करना है। जब तक अशà¥à¤ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ का à¤à¥‹à¤— पूरा नहीं होता, पà¥à¤°à¤¯à¤¤à¥à¤¨ व पà¥à¤°à¥à¤·à¤¾à¤°à¥à¤¥ करने पर à¤à¥€ जीवातà¥à¤®à¤¾ को ईशà¥à¤µà¤° साकà¥à¤·à¤¾à¤¤à¥à¤•à¤¾à¤° नहीं होता। यदि अशà¥à¤ करà¥à¤® अधिक होंगे तो उपासना आदि साधनों को करने पर à¤à¥€ ईशà¥à¤µà¤° साकà¥à¤·à¤¾à¤¤à¥à¤•à¤¾à¤° में विलमà¥à¤¬ हो सकता है। अतः मनà¥à¤·à¥à¤¯ जीवन में वेदाधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ से सतà¥à¤¯ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कर ईशà¥à¤µà¤° की उपासना व सदà¥à¤•à¤°à¥à¤®à¥‹à¤‚ पर धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ देना चाहिये। अशà¥à¤ करà¥à¤® पूरà¥à¤£à¤¤à¤ƒ बनà¥à¤¦ कर देने चाहिये। à¤à¤¸à¥€ अवसà¥à¤¥à¤¾ बना लेने पर à¤à¥€ à¤à¥‹à¤— के लिठबचे हà¥à¤ पूरà¥à¤µ के अशà¥à¤ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ के कारण जीवन में दà¥à¤ƒà¤– आ सकते हैं। à¤à¤¸à¤¾ होने पर दà¥à¤ƒà¤–ी न होकर अपने मोकà¥à¤· के साधनों के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ पथ का अनà¥à¤¸à¤°à¤£ व अनà¥à¤—मन करते रहना चाहिये। ईशà¥à¤µà¤° का साकà¥à¤·à¤¾à¤¤à¥à¤•à¤¾à¤° हो या न हो, हमें लगता है कि शà¥à¤ करà¥à¤® व उपासना आदि साधनों का सही पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से सेवन करने से हम उपासना व ईशà¥à¤µà¤°-साकà¥à¤·à¤¾à¤¤à¥à¤•à¤¾à¤° में आगे बà¥à¤¤à¥‡ हैं। इसे जारी रखना चाहिये और सà¥à¤µà¤¯à¤‚ को ईशà¥à¤µà¤° में समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ रखना चाहिये। à¤à¤¸à¤¾ होने पर हम तीवà¥à¤° गति से आगे बॠसकते हैं। यह विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ रखना चाहिये कि हम ईशà¥à¤µà¤° दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ वेदों में कही गई ईशà¥à¤µà¤° की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¥€ की यातà¥à¤°à¤¾ पर सही दिशा में चल रहे हैं तो मंजिल कà¤à¥€ न कà¤à¥€ तो आयेगी ही। मंजिल दूर है अतः समय लग सकता है। यह जरूरी नहीं की हमें हमारी मंजिल मोकà¥à¤· इसी जनà¥à¤® में मिल जाये। हमारे ऋषि व विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ बताते हैं कि मोकà¥à¤· पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ में अनेक जनà¥à¤® à¤à¥€ लग सकते हैं। इसके लिठधैरà¥à¤¯ की आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ है। शायद इसी लिठधैरà¥à¤¯ को धरà¥à¤® का पà¥à¤°à¤¥à¤® लकà¥à¤·à¤£ बनाया गया है।
जीवातà¥à¤®à¤¾ अनादि काल से जनà¥à¤® मरण के बंधनों में बंधता व छूटता आ रहा है। हमारा अनेक बार मोकà¥à¤· à¤à¥€ हà¥à¤† है और अनेकानेक, अननà¥à¤¤ बार जनà¥à¤® व मरण à¤à¥€ हà¥à¤† है। हम संसार में दृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤—ोचर होने वाली पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ सà¤à¥€ योनियों में à¤à¤• व अनेक बार हम रह आये हैं और आगे à¤à¥€ यह कà¥à¤°à¤® जारी रहेगा। हम व अनà¥à¤¯ कोई जीव दà¥à¤ƒà¤– नही चाहता। इन अनचाहे सà¤à¥€ दà¥à¤ƒà¤–ों से बचने का à¤à¤•à¤®à¤¾à¤¤à¥à¤° उपाय केवल मोकà¥à¤· के साधनों का सेवन व वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° है। मोकà¥à¤· को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होकर जीवातà¥à¤®à¤¾ बहà¥à¤¤ लमà¥à¤¬à¥€ अवधि, 31 नील 10 खरब 40 अरब वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ तक, मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ में दà¥à¤ƒà¤–ों से सरà¥à¤µà¤¥à¤¾ मà¥à¤•à¥à¤¤ रहेंगे और ईशà¥à¤µà¤° के सानà¥à¤¨à¤¿à¤§à¥à¤¯ से उसके आननà¥à¤¦ को à¤à¥‹à¤—ेंगे। उसके बाद पà¥à¤¨à¤ƒ जनà¥à¤®, मरण, पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¤¨à¥à¤® होगा और देर में व शीघà¥à¤° फिर मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ हो सकती है। यह वेद व शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ है। इसमें वेद सहित हमारे दरà¥à¤¶à¤¨ व उपनिषदकार आपà¥à¤¤ ऋषि पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£ हैं जो असतà¥à¤¯ व अनà¥à¤šà¤¿à¤¤ कथन व शबà¥à¤¦ पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— कà¤à¥€ नहीं करते। अतः इस पर पूरà¥à¤£ विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ रखना चाहिये। हम यह à¤à¥€ बता दें कि हम कोई बड़े साधक नहीं है। हमने जो पà¥à¤¾, विचार किया व हमें उचित लगा, उसे हमने इस लेख में दिया है। हमें लगता है कि हमारे विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ हमसे इन विषयों में पूरà¥à¤£à¤¤à¤ƒ व कà¥à¤› सीमा तक सहमत होंगे। इसी के साथ इस लेख को विराम देते हैं। ओ३मॠशमà¥à¥¤
ALL COMMENTS (0)