सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ सरà¥à¤µà¤¦à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ के हृदय परिवरà¥à¤¤à¤¨ वा ऋषि à¤à¤•à¥à¤¤ और आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œà¥€ बनने की कहानी’
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Manmohan Kumar AryaDate
06-Sep-2017Category
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RajeevUpload Date
06-Sep-2017Download PDF
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सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ सरà¥à¤µà¤¦à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ (1865-1941) आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ के पà¥à¤°à¤®à¥à¤– संनà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¥€ व विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ में à¤à¤• थे। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपने जीवनकाल में आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ की उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ के अनेक कारà¥à¤¯ किये। अलीगॠकी कालीनदी के समीप सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€à¤œà¥€ ने à¤à¤• आशà¥à¤°à¤® व गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤² à¤à¥€ खोला था जिसके आचारà¥à¤¯ सà¥à¤ªà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ पद-वाकà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£à¤œà¥à¤ž पं. बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¦à¤¤à¥à¤¤ जिजà¥à¤žà¤¾à¤¸à¥ जी थे। आरà¥à¤¯ समाज के दो पà¥à¤°à¤®à¥à¤– शीरà¥à¤· विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ महामहोपाधà¥à¤¯à¤¾à¤¯ पं. यà¥à¤§à¤¿à¤·à¥à¤ िर मीमांसक और आचारà¥à¤¯ à¤à¥à¤°à¤¦à¤¸à¥‡à¤¨ जी इसी गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤² में पà¥à¥‡ थे। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी ने यतà¥à¤° ततà¥à¤° घूम घूम कर आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ का पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° à¤à¥€ किया। आप à¤à¤• पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¶à¤¾à¤²à¥€ लेखक थे। आपने सनà¥à¤®à¤¾à¤°à¥à¤—दरà¥à¤¶à¤¨ नाम से धारà¥à¤®à¤¿à¤• मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं का à¤à¤• सरà¥à¤µà¤¾à¤‚गपूरà¥à¤£ वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤• गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ लिखा है। सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ और ऋषि दयाननà¥à¤¦ जी के अनà¥à¤¯ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ के बाद इस गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ के अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ से वैदिक मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं का बहà¥à¤¤ सरलता से यथारà¥à¤¥ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ पाठक को हो जाता है। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ सरà¥à¤µà¤¦à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ जी ने आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ के संसà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤• सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ जी के दिलà¥à¤²à¥€ में साकà¥à¤·à¤¾à¤¤à¥ दरà¥à¤¶à¤¨ à¤à¥€ किये थे। पà¥à¤°à¤¾. राजेनà¥à¤¦à¥à¤° जिजà¥à¤žà¤¾à¤¸à¥ जी ने सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी का विसà¥à¤¤à¥ƒà¤¤ à¤à¤µà¤‚ पà¥à¤°à¤¾à¤®à¤¾à¤£à¤¿à¤• जीवन चरितà¥à¤° लिखा है जिसका अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ लाà¤à¤•à¤¾à¤°à¥€ है।
आज इस लेख में हम सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ सरà¥à¤µà¤¦à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ जी के हृदय परिवरà¥à¤¤à¤¨ की घटना, जिसने उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ ऋषि दयाननà¥à¤¦ à¤à¤•à¥à¤¤ व आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œà¥€ बनाया था, पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ कर रहे हैं। यह घटना आरà¥à¤¯à¥‹à¤ªà¤¦à¥‡à¤¶à¤• शà¥à¤°à¥€ उमेश चनà¥à¤¦à¥à¤° कà¥à¤²à¤¶à¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ , आगरा पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ अपने वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ में पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¶à¤¾à¤²à¥€ रूप में सà¥à¤¨à¤¾à¤¤à¥‡ हैं। हमने कई बार उनके शà¥à¤°à¥€à¤®à¥à¤– से इस घटना को सà¥à¤¨à¤¾ है। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ सरà¥à¤µà¤¦à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ जी देशाटन करते हà¥à¤ à¤à¤• सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ से दूसरे सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर आते जाते रहते थे। तीरà¥à¤¥ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ पर जाने में उनकी विशेष रूचि थी। à¤à¤• बार वह तीरà¥à¤¥ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ चितà¥à¤°à¤•à¥‚ट पधारे। यहां आपने यमà¥à¤¨à¤¾ तट पर निवास किया। उन दिनों शीत ऋतॠचल रही थी। आप वहां नदी के किनारे नगà¥à¤¨ शरीर पड़े रहते थे। शरीर कितना à¤à¥€ बलवान व सà¥à¤¦à¥ƒà¤£ हो, उसकी सहन शकà¥à¤¤à¤¿ की à¤à¥€ à¤à¤• सीमा होती है। शीत के पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ व नगà¥à¤¨ शरीर रहने के कारण आपको शीत ने जकड़ लिया जिसके परिणामसà¥à¤µà¤°à¥‚प आपकी छाती व पीठमें दरà¥à¤¦ होने लगा और इसकी तीवà¥à¤°à¤¤à¤¾ बहà¥à¤¤ अधिक बॠगई। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी à¤à¥‹à¤œà¤¨ की à¤à¥€ चिनà¥à¤¤à¤¾ नहीं करते थे। कोई à¤à¤•à¥à¤¤ à¤à¥‹à¤œà¤¨ करा दें तो कर लेते थे, मांगते किसी से नहीं थे।
सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी जब रà¥à¤—à¥à¤£ हà¥à¤ तो वहां के à¤à¤• ठाकà¥à¤° को इसकी जानकारी मिली। वह वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी के चरणों में उनके दरà¥à¤¶à¤¨ à¤à¤µà¤‚ उपदेशारà¥à¤¥ पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ आया करता था। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी की शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾ व à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ से सेवा à¤à¥€ किया करता था। यह ठाकà¥à¤° महोदय ऋषि दयाननà¥à¤¦ जी के à¤à¤•à¥à¤¤ और आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ के अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥€ थे। वह जानते थे कि सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ सरà¥à¤µà¤¦à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ जी नवीन वेदानà¥à¤¤ वा अदà¥à¤µà¥ˆà¤¤à¤µà¤¾à¤¦ के मानने वाले थे। उसने सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी को अपने बारे में यह नहीं बताया कि वह आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œà¥€ है और न सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी को इसका जà¥à¤žà¤¾à¤¨ ही हà¥à¤†à¥¤ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी के रूगà¥à¤£ होने पर वह सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी को सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥ करने के सà¤à¥€ उपाय करने लगा और उसने पूरी शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾ सहित सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी की सेवा की à¤à¤µà¤‚ औषधि उपचार कराया। इस ठाकà¥à¤° à¤à¤•à¥à¤¤ की सेवा से सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी का रोग दूर हो गया और वह पूरà¥à¤µà¤µà¤¤à¥ सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥ हो गये। उनकी दिनचरà¥à¤¯à¤¾ अब सामानà¥à¤¯ रूप से समà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ होने लगी।
जब सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी निरोग हो गये तो उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपने à¤à¤•à¥à¤¤ से पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤¨ की अनà¥à¤®à¤¤à¤¿ मांगी। इस à¤à¤•à¥à¤¤ ने à¤à¤• रेशमी वसà¥à¤¤à¥à¤° में à¤à¤• पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• लपेटकर सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी को à¤à¥‡à¤‚ट की और सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी से बोले कि यदि आप मेरी सेवा से कà¥à¤› à¤à¥€ सनà¥à¤¤à¥à¤·à¥à¤Ÿ हैं तो मेरी विनती है कि जब à¤à¥€ आपको अवकाश मिले आप इस गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ को अवशà¥à¤¯ पà¥à¥‡à¥¤ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी उस à¤à¤•à¥à¤¤ की सेवा से अतà¥à¤¯à¤§à¤¿à¤• पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ थे अतः उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने उसे वचन दिया कि वह अवशà¥à¤¯ ही इस गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ करेंगे। चितà¥à¤°à¤•à¥‚ट से सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी ने गोरखपà¥à¤° की ओर पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤¨ किया। मारà¥à¤— में उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ विचार आया कि देखें à¤à¤•à¥à¤¤ ने कौन सा गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ दिया है? गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ खोलकर देखा तो यह ऋषि दयाननà¥à¤¦ का लिखा हà¥à¤† सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ था। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी ने इस गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ के विषय में सà¥à¤¨ रखा था। सà¥à¤¨à¤•à¤° उनमें यह संसà¥à¤•à¤¾à¤° बना था कि यह गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ पà¥à¤¨à¥‡ योगà¥à¤¯ नहीं है। इसे पà¥à¤•à¤° लाठकà¥à¤› नहीं होता अपितॠहानि हो सकती है। अनेक पौराणिकों ने यह à¤à¥€ अफवाह उड़ायी थी कि सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥‹à¤‚ के à¤à¤œà¥‡à¤¨à¥à¤Ÿ थे। अतः सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ को देखते ही वह कà¥à¤°à¥‹à¤§à¤¿à¤¤ हà¥à¤ और गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ को उठाकर फेंक दिया। कà¥à¤› समय बाद उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ अपने उस ठाकà¥à¤° à¤à¤•à¥à¤¤ की सेवा का धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ आया जिसने रात दिन निःसà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥ à¤à¤¾à¤µ से उनकी सेवा की थी। उस सेवा को याद कर वह उसके पà¥à¤°à¤¤à¤¿ दà¥à¤°à¤µà¤¿à¤¤ हà¥à¤ और विचार किया कि गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ को पà¥à¤¨à¥‡ से कोई हानि तो होनी नहीं है। मैं इसकी बातों को मानूगां ही नहीं। अपना वचन पूरा करने और à¤à¤•à¥à¤¤ की सेवा से अà¤à¤¿à¤à¥‚त सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी ने उस गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ को पà¥à¤¨à¥‡ का मन बनाया। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ आरमà¥à¤ कर दिया और नियमित पà¥à¤¤à¥‡ हà¥à¤ उसे आदà¥à¤¯à¥‹à¤ªà¤¾à¤‚त पॠडाला। गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ पूरा होने से पूरà¥à¤µ ही सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी के हृदय पर गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ की बातों व मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं का गहरा पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ पड़ा। वेदानà¥à¤¤ के सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤ उनसे दूर हो गये और वह सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ की सà¤à¥€ बातों से सहमत हो गये। इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° सनातन धरà¥à¤® व वेदानà¥à¤¤ का à¤à¤• बहà¥à¤¤ बड़ा शीरà¥à¤· विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ à¤à¤• आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œà¥€ à¤à¤•à¥à¤¤ की सेवा व सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ की अनà¥à¤¤à¤°à¥à¤¨à¤¿à¤¹à¤¿à¤¤ महिमा व गौरव से पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ होकर ऋषि दयाननà¥à¤¦ और आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ का à¤à¤•à¥à¤¤ बना। हम à¤à¥€ सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ पà¥à¤•à¤° और आरà¥à¤¯ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ के वैदिक जà¥à¤žà¤¾à¤¨ व समाजोतà¥à¤¥à¤¾à¤¨ के वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¨ सà¥à¤¨à¤•à¤° ही ऋषि à¤à¤•à¥à¤¤ व आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œà¥€ बने हैंं। जो à¤à¥€ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ को पà¥à¥‡à¤—ा और समà¤à¥‡à¤—ा वह अवशà¥à¤¯ ही वेद वा आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ का अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥€ बनेगा। अतीत में अनेक मतों सहित ईसाई व इसà¥à¤²à¤¾à¤® मत के अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥€ à¤à¥€ वेद और आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ के अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥€ बने हैं। सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ वह गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ है जिसे पà¥à¤•à¤° मनà¥à¤·à¥à¤¯ का हृदय परिवरà¥à¤¤à¤¨ हो जाता है। पूरà¥à¤µ वह किसी à¤à¥€ मत का अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥€ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ न रहा हो परनà¥à¤¤à¥ सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ को पूरा पà¥à¤¨à¥‡ के बाद वह उसका à¤à¤•à¥à¤¤ हो जाता है। शरà¥à¤¤ यही है कि वह निसà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥ à¤à¤¾à¤µ से पà¥à¥‡ और अनà¥à¤¯ किसी मत से उसका किसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° का सà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥ जà¥à¥œà¤¾ हà¥à¤† न हो।
वैदिक धरà¥à¤® पर शहीद हà¥à¤ लाहौर के महाशय राजपाल जी ने इस घटना पर टिपà¥à¤ªà¤£à¥€ करते हà¥à¤ कहा है कि सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी कà¥à¤› और थे और सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ पॠकर वह उसके à¤à¤•à¥à¤¤ बन गये। आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ के à¤à¤• पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ पं. चमूपति जी ने लिखा है कि इचà¥à¤›à¤¾ न होते हà¥à¤ à¤à¥€ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ सरà¥à¤µà¤¦à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ जी ने सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ किया जिससे वेदानà¥à¤¤ पर उनका विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ जाता रहा और वह आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œà¥€ बन गये। अनà¥à¤®à¤¾à¤¨ है कि चितà¥à¤°à¤•à¥‚ट में सनॠ1905 में उनका हृदय परिवरà¥à¤¤à¤¨ हà¥à¤† और वह आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œà¥€ बने थे।
सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ सरà¥à¤µà¤¦à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ जी के हृदय परिवरà¥à¤¤à¤¨ की यह घटना अतà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤ पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¶à¤¾à¤²à¥€ à¤à¤µà¤‚ पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾à¤¦à¤¾à¤¯à¤• है। वेदानà¥à¤¤ का à¤à¤• शीरà¥à¤· विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ संनà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¥€ और ऋषि दयाननà¥à¤¦ तथा सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ का विरोधी वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ à¤à¤• वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ की सेवा के परिणामसà¥à¤µà¤°à¥‚प सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ पà¥à¤•à¤° यदि आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œà¥€ बन सकता है तो यह सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ को à¤à¤• दैवीय व सतà¥à¤¯ मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं की à¤à¤• अदà¥à¤à¥à¤¦à¥ पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• सिदà¥à¤§ करती है। हमें गरà¥à¤µ है कि हम अकà¥à¤¸à¤° सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ करते रहते हैं और हमें इससे इतना अधिक लाठहà¥à¤† है कि हम उसका वरà¥à¤£à¤¨ नहीं कर सकते। इसके पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ से ही हमारी सà¤à¥€ धारà¥à¤®à¤¿à¤• व सामाजिक शंकाओं व à¤à¥à¤°à¤®à¥‹à¤‚ की निवृतà¥à¤¤à¤¿ हà¥à¤ˆ है। जो à¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯ इसे पà¥à¥‡à¤—ा उसे यह लाठअवशà¥à¤¯ ही पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होंगे। अतः सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ के अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ में विलमà¥à¤¬ नहीं करना चाहिà¤à¥¤ आज ही सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ को आदà¥à¤¯à¥‹à¤ªà¤¾à¤¨à¥à¤¤ पà¥à¤¨à¥‡ का संकलà¥à¤ª लें। ओ३णà¥à¤®à¥ शमà¥à¥¤
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