महान राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¦à¥€ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ के धनी थे सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ जी
Author
Rajeev ChoudharyDate
29-Dec-2017Category
लेखLanguage
HindiTotal Views
272Total Comments
0Uploader
RajeevUpload Date
29-Dec-2017Download PDF
-0 MBTop Articles in this Category
- फलित जयोतिष पाखंड मातर हैं
- राषटरवादी महरषि दयाननद सरसवती
- राम मंदिर à¤à¥‚मि पूजन में धरà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤°à¤ªà¥‡à¤•à¥à¤·à¤¤à¤¾ कहाठगयी? à¤à¤• लंबी सियासी और अदालती लड़ाई के बाद 5 अगसà¥à¤¤ को पà¥
- सनत गरू रविदास और आरय समाज
- बलातकार कैसे रकेंगे
Top Articles by this Author
- राम मंदिर à¤à¥‚मि पूजन में धरà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤°à¤ªà¥‡à¤•à¥à¤·à¤¤à¤¾ कहाठगयी? à¤à¤• लंबी सियासी और अदालती लड़ाई के बाद 5 अगसà¥à¤¤ को पà¥
- साईं बाबा से जीशान बाबा तक कà¥à¤¯à¤¾ है पूरा माजरा?
- शरियत कानून आधा-अधूरा लागू कयों
- तिबà¥à¤¬à¤¤ अब विशà¥à¤µ का मà¥à¤¦à¥à¤¦à¤¾ बनना चाहिà¤
- कà¥à¤¯à¤¾ आतà¥à¤®à¤¾à¤à¤‚ अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ में बोलती है..?
महान राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¦à¥€ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ के धनी थे सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ जी
अधिकांश राजनैतिक सतà¥à¤¤à¤¾ की चौखट में कारà¥à¤¯ करनेवाले इतिहासकारों ने à¤à¤¾à¤°à¤¤ के धरà¥à¤® और समाज के इतिहास की खोज करने की जरूरत ही महसूस नहीं की. अपने-अपने कà¥à¤¶à¤²à¤¤à¤¾à¤ªà¥‚रà¥à¤µà¤• तरीके से धारà¥à¤®à¤¿à¤• और सांसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• टकरावों का वो यà¥à¤¦à¥à¤§ तो लिखा जो तलवार और à¤à¤¾à¤²à¥‹à¤‚ से लड़ा गया लेकिन कà¤à¥€ उस वैचारिक यà¥à¤¦à¥à¤§ का जिकà¥à¤° तक नहीं किया जिसे अपने सनातन महापà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ ने अपनी वैदिक विचारधारा के बल पर जीता. हमेशा से इतिहास लेखन में कà¥à¤› अपवादो को छोड़ दे तो इतिहास लेखन सतà¥à¤¤à¤¾ और सतà¥à¤¤à¤¾à¤¤à¤° के बीच बà¤à¤Ÿ गया. जो केंदà¥à¤° में सतà¥à¤¤à¤¾à¤°à¥‚ॠपकà¥à¤· रहा, उनका इतिहास लिखा गया. इस कारण सतà¥à¤¤à¤¾ से बाहर रहने वाले सà¤à¥€ सामाजिक घटकों को इतिहास में अदृशà¥à¤¯ कर दिया गया गया और लोगों ने समà¤à¤¾ बस यही इतिहास है.
19 वीं सदी में इंगà¥à¤²à¥ˆà¤£à¥à¤¡ के अधीन à¤à¤¾à¤°à¤¤ à¤à¤• नई अंगड़ाई ले रहा था. जो अपनी सांसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• विरासत से सीख लेकर आगे बॠरहा था. सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयानंद सरसà¥à¤µà¤¤à¥€, राजा राम मोहन रॉय, समेत अनेक सà¥à¤§à¤¾à¤°à¤• पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¤¾à¤—रणवादी, रूà¥à¤¿à¤µà¤¾à¤¦à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ पर पà¥à¤°à¤¹à¤¾à¤° करने के लिठसंसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ कृतियों-शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ को हथियार बनाकर मैदान में आये इनà¥à¤¹à¥€ इतिहास के पà¥à¤°à¥‹à¤§à¤¾à¤“ं में à¤à¤• योदà¥à¤§à¤¾ थे सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ जी. राषà¥à¤Ÿà¥à¤° में कà¥à¤°à¤¾à¤‚ति के अगà¥à¤°à¤¦à¥‚तों में इस विषय में किये गये अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ में सरà¥à¤µà¤¾à¤§à¤¿à¤• चरà¥à¤šà¤¿à¤¤ राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¦à¥€ कृतिवà¥à¤¯ धनी थे सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ जी, जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने सामाजिक संरचना के à¤à¥€à¤¤à¤° और पितृसतà¥à¤¤à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤• अधीनता के तहत रह रही महिलाओं की शिकà¥à¤·à¤¾ से लेकर उनकी à¤à¥‚मिका को लेकर मà¥à¤–र हà¥à¤, धरà¥à¤® के कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में छà¥à¤†à¤›à¥‚त, जातिवाद आदि पर पà¥à¤°à¤¹à¤¾à¤° किया, साथ ही यà¥à¤µà¤¾à¤“ं में राषà¥à¤Ÿà¥à¤° के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ चेतना को जगाया. लेकिन इनका इतिहास कहाठगया? सही बात तो यह है à¤à¤¾à¤°à¤¤ में छोटी ककà¥à¤·à¤¾à¤“ं में सामाजिक अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ के आवरण में इतिहास को ही गायब कर दिया गया है. जिनका जिकà¥à¤° तक नहीं होता. अब यह हमारी जिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤°à¥€ है कि इतिहास के अंधेरे कोनों की हम खà¥à¤¦à¤¾à¤ˆ करें और इन वीरों, महापà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ की सही तसà¥à¤µà¥€à¤°à¥‹à¤‚ को सामने लायें. जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपना सरà¥à¤µà¤¸à¥à¤µ देश, जाति और धरà¥à¤® के लिठबलिदान कर दिया.
सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤¨à¤‚द के बचपन का नाम मà¥à¤‚शीराम था. वे पढने में बहà¥à¤¤ मेधावी, परनà¥à¤¤à¥ बड़े ही उदंड सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ के थे. पिता जी नानकचंद बरेली में पà¥à¤²à¤¿à¤¸ इंसà¥à¤ªà¥‡à¤•à¥à¤Ÿà¤° थे! बालक के नासà¥à¤¤à¤¿à¤• होने के कारण पिता जी बड़े ही असहज महसूस करते थे. उसी समय महरà¥à¤·à¤¿ दयानंद सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ बरेली पधारे. पिता जी इनको उनके पà¥à¤°à¤µà¤šà¤¨ के लिठलेकर गà¤. उनके उपदेशों को सà¥à¤¨à¤•à¤° ये पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ ही नहीं हà¥à¤ बलà¥à¤•à¤¿ उनके पà¥à¤°à¤¤à¤¿ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾ à¤à¤¾à¤µ उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ हो गया. उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ पà¥à¤¾, जिससे नासà¥à¤¤à¤¿à¤•à¤¤à¤¾ à¤à¥€ समापà¥à¤¤ हो गयी और उनके मन में पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¤¨à¥à¤® के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ जो अनासà¥à¤¥à¤¾ थी वह à¤à¥€ समापà¥à¤¤ हो गयी और आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ के निकट आ गà¤! पढाई पूरà¥à¤£ करने के बाद उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने वकालत के साथ आरà¥à¤¯ समाज के जालंधर जिला अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· के रूप में अपना सारà¥à¤¬à¤œà¤¨à¤¿à¤• जीवन पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤®à¥à¤ किया.
वे महान कà¥à¤°à¤¨à¥à¤¤à¤¿à¤•à¤¾à¤°à¥€ देश à¤à¤•à¥à¤¤ संत थे. उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने वेदों के पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° और वैदिक साहितà¥à¤¯ के लिठगà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤²à¥‹à¤‚ की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ की, देश की आजादी हेतॠहजारो कà¥à¤°à¤¾à¤‚तिकारियों की शà¥à¤°à¥ƒà¤‚खला खडी की! वे देश की आजादी के अगà¥à¤°à¤£à¥€ नेता थे गाà¤à¤§à¥€ जी को महातà¥à¤®à¤¾ की उपाधि देने वाले वही थे! वैदिक धरà¥à¤®, वैदिक संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿, और आरà¥à¤¯ जाति की रकà¥à¤·à¤¾ के लिà¤, मरणासनà¥à¤¨ अवसà¥à¤¥à¤¾ से उसे पà¥à¤¨à¤ƒ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤µà¤¾à¤¨, गतिवान बनाकर उसे सरà¥à¤¬à¥‹à¤šà¥à¤š शिखर पर पहà¥à¤šà¤¾à¤¨à¥‡ हेतॠआरà¥à¤¯ समाज ने सैकड़ों बलिदान दिठहै, उसमे पà¥à¤°à¤¥à¤® पंकà¥à¤¤à¤¿ के पà¥à¤°à¤¥à¤® पà¥à¤·à¥à¤ª सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤¨à¤‚द सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ थे.
लारà¥à¤¡ मैकाले के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤ªà¤¾à¤¦à¤¿à¤¤ शिकà¥à¤·à¤¾ पदà¥à¤§à¤¤à¤¿ का विरोध करते हà¥à¤ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤¨à¤‚द जी ने गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤² पदà¥à¤§à¤¤à¤¿ का पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤‚ठकरके देश में पà¥à¤¨à¤ƒ वैदिक शिकà¥à¤·à¤¾ को समà¥à¤¬à¤² पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ कर महरà¥à¤·à¤¿ दयानंद दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤ªà¤¾à¤¦à¤¿à¤¤ सिदà¥à¤§à¤¾à¤‚तो को पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤°-पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤° व कारà¥à¤¯à¤°à¥‚प में परिणत किया, वेद और आरà¥à¤¯ गà¥à¤°à¤‚थो के आधार पर जिन सिदà¥à¤§à¤¾à¤‚तो का पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ किया था उन सिदà¥à¤§à¤¾à¤‚तो को कारà¥à¤¯ रूप में लाने का शà¥à¤°à¥‡à¤¯ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤¨à¤‚द जी को ही है, गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤² कांगड़ी की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾, अछूतोदà¥à¤§à¤¾à¤°, शà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿, सदà¥à¤§à¤°à¥à¤® पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° पतà¥à¤°à¤¿à¤•à¤¾ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ धरà¥à¤® पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤°, सतà¥à¤¯ धरà¥à¤® के आधार पर साहितà¥à¤¯ रचना, वेद पढने व पà¥à¤¾à¤¨à¥‡ की वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ करना, धरà¥à¤® के पथ पर अडिग रहना, आरà¥à¤¯ à¤à¤¾à¤·à¤¾ के पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° तथा उसे जीवको -पारà¥à¤œà¤¨ की à¤à¤¾à¤·à¤¾ बनाने का सफल पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸, आरà¥à¤¯ जाति की उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ के लिठहर पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ करना आदि à¤à¤¸à¥‡ कारà¥à¤¯ हैं जिनके फलसà¥à¤µà¤°à¥à¤ª सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤¨à¤‚द अनंत काल के लिठअमर हो गà¤, उनका सरà¥à¤µà¤¾à¤§à¤¿à¤• महानतम जो कारà¥à¤¯ था, वह शà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ सà¤à¤¾ का गठन जहाà¤-जहाठआरà¥à¤¯ समाज था वहाà¤-वहाठशà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ सà¤à¤¾ का गठन कराया और शà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ - आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨ के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ सोया हà¥à¤† à¤à¤¾à¤°à¤¤ जागने लगा! कहते हैं जिस देश का नौजवान खड़ा हो जाता है वह देश दौड़ने लगता है! सच ही सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी ने हजारों देश à¤à¤•à¥à¤¤ नौजवानों को खड़ा कर दिया था !
सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤¨à¤‚द जी ने बलातॠहिनà¥à¤¦à¥‚ से मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨ बने लोगों को पà¥à¤¨à¤ƒ हिनà¥à¤¦à¥‚ धरà¥à¤® में शामिल कर आदि जगदà¥à¤—à¥à¤°à¥ शंकराचारà¥à¤¯ के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ शà¥à¤°à¥‚ की परंपरा को पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¥€à¤µà¤¿à¤¤ किया और समाज में यह विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ पैदा किया कि जो किसी à¤à¥€ कारण अपने धरà¥à¤® से पतित हà¥à¤ हà¥à¤ हैं वे सà¤à¥€ वापस अपने हिनà¥à¤¦à¥‚ धरà¥à¤® में आ सकते हैं ! फलसà¥à¤µà¤°à¥‚प देश में हिनà¥à¤¦à¥‚ धरà¥à¤® में वापसी के वातावरण बनने से लहर सी आ गयी! राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ के मलकाना कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° के हजारों लोगों की घर वापसी उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ à¤à¤¾à¤°à¥€ पड़ी, जब महानॠसिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¥‹à¤‚ पर आधारित सांसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• धरातल पर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ कोई पराजित नहीं कर सका तब 23 दिसंबर 1926 को à¤à¤• धरà¥à¤®à¤¾à¤‚ध मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® यà¥à¤µà¤• अबà¥à¤¦à¥à¤² रशीद ने उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ गोली मारकर हतà¥à¤¯à¤¾ कर दी! वे अमर होकर आज à¤à¥€ हमारे पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ शà¥à¤°à¥‹à¤¤ बने हà¥à¤ हैं, आइये उनके उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯à¥‹, उनके विचारों पर चल कर उनको शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤‚जलि दें. तà¤à¥€ इतिहास के इस अà¤à¤§à¥‡à¤°à¥‡ कोने में पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ जगमग दिखाई देगा.
ALL COMMENTS (0)