जब वह सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ बन गये
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Rajeev ChoudharyDate
29-Dec-2017Category
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जब वह सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ बन गये
à¤à¤¾à¤°à¤¤ à¤à¤• à¤à¤¸à¤¾ देश जहाठकी मिटà¥à¤Ÿà¥€ की हर परत में बलिदान की à¤à¤• परत छà¥à¤ªà¥€ हà¥à¤ˆ है, किसी पृषà¥à¤ पर सामाजिक कà¥à¤°à¥€à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से उपजे वेदना का दरà¥à¤¦ अंकित है, तो कहीं उन महापà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ की वाणी और कारà¥à¤¯ छिपे हà¥à¤ हैं जो कि इस राषà¥à¤Ÿà¥à¤° को महान बनाने के लिठअपना सरà¥à¤µà¤¸à¥à¤µ बलिदान कर गये. कà¥à¤¯à¤¾ आज यह अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ का विषय नहीं है कि अपना घर, अपना परिवार यहाठतक कि अपने पà¥à¤°à¤¾à¤£ à¤à¥€ इस देश धरà¥à¤® और समाज के लिठकà¥à¤¯à¥‹à¤‚ बलिदान किये ? ताकि अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ के बाद लोगों को सà¥à¤µà¤¯à¤‚ के मनà¥à¤·à¥à¤¯ होने का अरà¥à¤¥ समठआ सके. यूठतो à¤à¤¾à¤°à¤¤ को सैंकड़ो वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ के लमà¥à¤¬à¥‡ दरà¥à¤¦à¤¨à¤¾à¤• संघरà¥à¤· के बाद 15 अगसà¥à¤¤ 1947 को आजादी मिली थी. ये संघरà¥à¤· केवल विदेशी बà¥à¤°à¤¿à¤Ÿà¤¿à¤¶ शासन के ही खिलाफ नहीं था बलà¥à¤•à¤¿ सदियों से चली आ रही सामाजिक बà¥à¤°à¤¾à¤ˆà¤¯à¥‹à¤‚ जैसे छूआछूत-जातिवाद आदि के खिलाफ à¤à¥€ था.
लेकिन इस आजादी से पहले 23 दिसमà¥à¤¬à¤° 1926 को इस महान à¤à¤¾à¤°à¤¤ ने अपना à¤à¤• सपूत खोया था जो उसकी सामाजिक राजनितिक और धारà¥à¤®à¤¿à¤• आजादी के लिठसंघरà¥à¤· कर रहा था. à¤à¤¸à¥€ अमर हà¥à¤¤à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¾ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ के नाम से à¤à¤²à¤¾ कौन सà¥à¤ªà¤°à¤¿à¤šà¤¿à¤¤ नहीं होगा ! मà¥à¤¨à¥à¤¶à¥€à¤°à¤¾à¤® से सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ बने इस महापà¥à¤°à¥à¤· का मरà¥à¤®à¤¸à¥à¤ªà¤°à¥à¤¶à¥€ जीवन पà¥à¤•à¤° कठोर हृदय मानव की पलकें à¤à¥€ नम हो जायें. सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी का जनà¥à¤® पंजाब राजà¥à¤¯ के जालंधर जिले के तलवन गाà¤à¤µ में 1856 में हà¥à¤† था. बचपन में अधिक लाड-पà¥à¤¯à¤¾à¤° में सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤¤à¤¾ मिली, नासà¥à¤¤à¤¿à¤•à¤¤à¤¾ के विचारों ने उस समय आ घेरा, जब पूजारà¥à¤šà¤¨à¤¾ के लिठपहले रीवा की महारानी को मनà¥à¤¦à¤¿à¤° में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ दिये जाते देखा. इस घटना से à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥‚रà¥à¤£ हृदय को आघात हà¥à¤† à¤à¤—वानॠके दरबार में à¤à¥‡à¤¦à¤à¤¾à¤µ देखकर नासà¥à¤¤à¤¿à¤• बनकर लौटे.
पिताजी के तबादले के बाद मà¥à¤¨à¥à¤¶à¥€à¤°à¤¾à¤® बरेली आ गये. 1879 में महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ बरेली आये. उनकी सà¤à¤¾ का पà¥à¤°à¤¬à¤¨à¥à¤§ à¤à¤¾à¤° इनके पिताजी पर ही था. पहले दिन के वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¨ से पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ हो पिता ने नासà¥à¤¤à¤¿à¤• पà¥à¤¤à¥à¤° के सà¥à¤§à¤¾à¤° की आशा से पà¥à¤¤à¥à¤° को सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ जी के पà¥à¤°à¤µà¤šà¤¨ सà¥à¤¨à¤¨à¥‡ के लिठपà¥à¤°à¥‡à¤°à¤¿à¤¤ किया. बेमन से वहां चले तो गये, वहाठजाने पर ‘‘उस आदितà¥à¤¯ मूरà¥à¤¤à¤¿” को देखकर कà¥à¤› शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾ उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ हà¥à¤ˆ. परनà¥à¤¤à¥ जब पादरी टी.जे. सà¥à¤•à¤¾à¤Ÿ और अनà¥à¤¯ यूरोपियनों को उतà¥à¤¸à¥à¤•à¤¤à¤¾ से बैठे देखा, तो शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾ और à¤à¥€ बà¥à¥€. अà¤à¥€ à¤à¤¾à¤·à¤£ 10 मिनट का à¤à¥€ नहीं सà¥à¤¨à¤¾ था कि मन में विचार किया. यह विचितà¥à¤° वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ है कि केवल संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤œà¥à¤ž होते हà¥à¤ à¤à¤¸à¥€ यà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿-यà¥à¤•à¥à¤¤ बातें करता है कि विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥ à¤à¥€ दंग रह जायें. उपदेश सà¥à¤¨à¤•à¤° आतà¥à¤®à¤¿à¤• शानà¥à¤¤à¤¿ अनà¥à¤à¤µ हà¥à¤ˆ. नासà¥à¤¤à¤¿à¤•à¤¤à¤¾ की रसà¥à¤¸à¥€ à¥à¥€à¤²à¥€ हà¥à¤ˆ. इसका पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ ये रहा कि आपने वकालत करते हà¥à¤ कà¤à¥€ à¤à¥‚ठका आशà¥à¤°à¤¯ नहीं लिया.
अब मà¥à¤¨à¥à¤¶à¥€à¤°à¤¾à¤® जी पूरà¥à¤£ रूप से महरà¥à¤·à¤¿ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ होकर देश और आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ के काम में जà¥à¤Ÿ गये. तनà¥à¤®à¤¯ होकर महरà¥à¤·à¤¿ के गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ का सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ करते, पà¥à¤°à¤µà¤šà¤¨ करते और आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ पड़ने पर शासà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥ à¤à¥€ करते. सनॠ1888 में धमकियों के बावजूद à¤à¥€ पटियाला रियासत में कई बार धरà¥à¤® पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° के लिठगà¤. शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ जी की बड़ी पà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ वेदकà¥à¤®à¤¾à¤°à¥€ ईसाइयों के विदà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ में पढने जाती थी. 19 अकà¥à¤Ÿà¥‚बर 1888 के दिन जब कचहरी से आठतो वेदकà¥à¤®à¤¾à¤°à¥€ दौड़ी आई और गीत सà¥à¤¨à¤¾à¤¨à¥‡ लगी- “इकबार ईसा-ईसा बोल, तेरा कà¥à¤¯à¤¾ लगेगो मोल. ईसा मेरा राम रसिया, ईसा मेरा कृषà¥à¤£ कनà¥à¤¹à¥ˆà¤¯à¤¾.’’ पूछने पर लड़की ने बताया कि आरà¥à¤¯ जाति की पà¥à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को अपने शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ की निनà¥à¤¦à¤¾ सिखाई जाती है. उसी दिन मà¥à¤¨à¥à¤¶à¥€à¤°à¤¾à¤® ने निशà¥à¤šà¤¯ किया कि अपना कनà¥à¤¯à¤¾ विदà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ अवशà¥à¤¯ होना चाहिà¤. और जालनà¥à¤§à¤° में à¤à¤¾à¤°à¤¤ के सबसे पहले आरà¥à¤¯ कनà¥à¤¯à¤¾ विदà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ की नींव रख दी.
सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ में लिखी पठन-पाठन विधि को साकार रूप देने के लिठशà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ जी ने पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤² पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤²à¥€ शà¥à¤°à¥ करने के लिठगà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤² खोलने का अपना निशà¥à¤šà¤¯ आरà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¨à¤¿à¤§à¤¿ सà¤à¤¾ जालनà¥à¤§à¤°, लाहौर के सामने रखा. तो आवाज आई-‘‘कहाठसे आà¤à¤—ा गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤² के लिठपैसा ?’’ यह सà¥à¤¨à¤•à¤° उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹ का धनी सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ बिजली की à¤à¤¾à¤à¤¤à¤¿ खड़े हà¥à¤ और बादल की à¤à¤¾à¤‚ति गरजते हà¥à¤ बोले ‘‘ जब तक गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤² के लिठतीस हजार रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ इकटà¥à¤ े नहीं कर लूंगा. घर में पैर नहीं रखूंगा.’’ यह पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤œà¥à¤žà¤¾ करके अनोखा फकीर घर से निकल पड़ा. देश में अकाल पड़ा हà¥à¤† था फिर à¤à¥€ लखनऊ से पेशावर और मदà¥à¤°à¤¾à¤¸ तक का दौरा करके लोगों को पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤¿à¤¤ किया और 6 मास में ही 40 हजार रà¥à¤ªà¤¯à¤¾ इकटà¥à¤ ा हो गया और लाहौर में इनका अà¤à¤¿à¤¨à¤¨à¥à¤¦à¤¨ हà¥à¤† .
जन-मन को पवितà¥à¤° करने वाली गंगा के तट पर हिमालय की गोद में दानवीर मà¥à¤¨à¥à¤¶à¥€ अमन सिंह ने अपने गांव काà¤à¤—ड़ी में 700 बीघा जमीन गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤² के लिठदान दे दी. सनॠ1900 ई. में गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤² घास-फूस की à¤à¥‹à¤ªà¥œà¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से आरमà¥à¤ हà¥à¤†. 2 मारà¥à¤š 1902 में गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤² की विधिवतॠसà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ हà¥à¤ˆ. सरà¥à¤µà¤ªà¥à¤°à¤¥à¤® अपने पà¥à¤¤à¥à¤°-पà¥à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को शिषà¥à¤¯ बनाया और सà¥à¤µà¤¯à¤‚ आचारà¥à¤¯ बन गये. अपने पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¤¾à¤²à¤¯ को à¤à¥€ गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤² को à¤à¥‡à¤‚ट कर दिया. गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤² ने अचà¥à¤›à¥€ खà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कर ली. विरोधियों ने पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° किया कि गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤² में बम बनते हैं. अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ सरकार आतंकित हो गई. इसकी गूंज इगà¥à¤²à¥ˆà¤£à¥à¤¡ तक à¤à¥€ होने लगी. बà¥à¤°à¤¿à¤Ÿà¤¿à¤¶ सरकार ने अपने अनेक अधिकारी गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤² में à¤à¥‡à¤œà¥‡. परनà¥à¤¤à¥ फिर à¤à¥€ सनà¥à¤¦à¥‡à¤¹ बना रहा. गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤² में बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤šà¤°à¥à¤¯, शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾, विशà¥à¤µà¤¾à¤¸, सà¥à¤µà¤¾à¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¨, नैतिकता तथा देश-पà¥à¤°à¥‡à¤® कूट-कूट कर à¤à¤°à¤¾ जाता था. अनà¥à¤§-विशà¥à¤µà¤¾à¤¸, जात-पात तथा अनेक सामाजिक कà¥à¤°à¥€à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को हटाने में गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤² ने अहमॠà¤à¥‚मिका अदा की. गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤² में बड़े-बडे़ अंगà¥à¤°à¥‡à¤œ अधिकारी महातà¥à¤®à¤¾ जी के गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤² को देखने आया करते थे.
अपना सरà¥à¤µà¤¸à¥à¤µ गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤² को पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ कर देश के कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ की ओर मà¥à¤– कर लिया. 30 मारà¥à¤š 1919 में रौलट à¤à¤•à¥à¤Ÿ के विरोध में सतà¥à¤¯à¤¾à¤—à¥à¤°à¤¹ शà¥à¤°à¥ हà¥à¤. दिलà¥à¤²à¥€ में सांयकाल के समय बीस पचà¥à¤šà¥€à¤¸ हजार की अपार à¤à¥€à¥œ à¤à¤• कतार में ’à¤à¤¾à¤°à¤¤ माता की जय’ के नारे लगाती हà¥à¤ˆ घंटाघर की और सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी के नेतृतà¥à¤µ में चल पड़ी. अचानक कमà¥à¤ªà¤¨à¥€ बाग के गोरखा फौज के किसी सैनिक ने गोली चला दी जनता कà¥à¤°à¥‹à¤§à¤¿à¤¤ हो गई. लोगों को वहीं खडे़ रहने का आदेश देकर सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी आगे जा खडे़ हà¥à¤ और धीर गमà¥à¤à¥€à¤° वाणी में पूछा- ‘‘तà¥à¤®à¤¨à¥‡ गोली कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ चलाई ?’’
सैनिकों ने बनà¥à¤¦à¥à¤•à¥‹à¤‚ की संगीने आगे बà¥à¤¾à¤¤à¥‡ हà¥à¤ कहा- ‘हट जाओ नहीं तो हम तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ छेद देंगे।’’ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी à¤à¤• कदम और आगे बॠगà¤. अब संगीन की नोक सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी की छाती को छू रही थी. सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी शेर की à¤à¤¾à¤‚ति गरजते हà¥à¤ बोले- ‘‘मेरी छाती खà¥à¤²à¥€ है, हिमà¥à¤®à¤¤ है तो चलाओ गोली.’’ अंगà¥à¤°à¥‡à¤œ अधिकारी के आदेश से सैनिकों ने अपनी संगीने à¤à¥à¤•à¤¾ ली. जलूस फिर चल पड़ा.
इस घटना के बाद सब और उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹ का वातावरण बना. 4 अपà¥à¤°à¥ˆà¤² को दोपहर बाद मौलाना अबà¥à¤¦à¥à¤²à¤¾ चूड़ी वाले ने ऊà¤à¤šà¥€ आवाज में कहा सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ की तकरीर (à¤à¤¾à¤·à¤£) होनी चाहिà¤. कà¥à¤› नौजवान सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी को उनके नया बाजार सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ मकान से ले आà¤. सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी मसà¥à¤œà¤¿à¤¦ की वेदी पर खडे़ हà¥à¤. उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने ऋगà¥à¤µà¥‡à¤¦ के मनà¥à¤¤à¥à¤° “तà¥à¤µà¤‚ हि नः पिता वसो” से अपना à¤à¤¾à¤·à¤£ पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤®à¥à¤ किया. à¤à¤¾à¤°à¤¤ ही नहीं इसà¥à¤²à¤¾à¤® के इतिहास में यह पà¥à¤°à¤¥à¤® घटना थी कि किसी गैर मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® ने मसà¥à¤œà¤¿à¤¦ के मिमà¥à¤¬à¤° से à¤à¤¾à¤·à¤£ किया हो.
उसी समय काà¤à¤—à¥à¤°à¥‡à¤¸ का अधिवेशन अहमदाबाद में हà¥à¤†. इसकी अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤·à¤¤à¤¾ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी ने की. बाद में कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ से मतà¤à¥‡à¤¦ होने के कारण सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी ने उसे छोड़ दिया. हिनà¥à¤¦à¥‚-संगठन तथा हिनà¥à¤¦à¥‚ महासà¤à¤¾ में काम करने लगे. सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ जी ने शà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ कारà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤®à¥à¤ किया. जब मौलाना मौहमà¥à¤®à¤¦ ने à¤à¤¾à¤°à¤¤ के अछूतों की हिनà¥à¤¦à¥‚-मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ में बराबर बाà¤à¤Ÿà¤¨à¥‡ का पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤µ रखा तो सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी अपने à¤à¤¾à¤ˆà¤¯à¥‹à¤‚ को बचाने के लिठतैयार हà¥à¤. इसके बाद शà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ सà¤à¤¾à¤à¤‚ शà¥à¤°à¥ हो गई. दलितों को जनेऊ पहनाà¤à¤‚ गà¤, धरà¥à¤®à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤°à¤¿à¤¤ हà¥à¤ लोगों को पà¥à¤¨: उनके मूल धरà¥à¤® में लाया जाने लगा. इससे मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® नेता नाराज हो गà¤. सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी के पास रोजाना धमकी à¤à¤°à¥‡ पतà¥à¤° आने लगे. और सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी की हतà¥à¤¯à¤¾ का षडà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤à¥à¤° रचकर 23 दिसमà¥à¤¬à¤°, 1926 को मतानà¥à¤§ अबà¥à¤¦à¥à¤² रशीद ने सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी की गोली मारकर हतà¥à¤¯à¤¾ कर दी. 25 दिसमà¥à¤¬à¤° शाम के वकà¥à¤¤ यमà¥à¤¨à¤¾ के किनारे जनता अपने नेता के à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• शरीर को अगà¥à¤¨à¤¿ की पवितà¥à¤° जà¥à¤µà¤¾à¤²à¤¾à¤“ं को à¤à¥‡à¤‚ट कर खाली हाथ लौट आई.
किसी शायर ने कहा है कि à¤à¤¸à¤¾ कà¥à¤¯à¥‚ं है कि मशाल सारे चà¥à¤ª हैं, वतन परसà¥à¤¤à¥‹à¤‚ की कतारे चà¥à¤ª हैं. अà¤à¤§à¥‡à¤°à¥‡ से जंग कब तक à¤à¥‹à¤ªà¥œà¥‡ करेंगे, अà¤à¥€ à¤à¥€ महलों की दीवारे चà¥à¤ª हैं.
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