लो, चलाओ गोलियां
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Rajeev ChoudharyDate
29-Dec-2017Category
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लो, चलाओ गोलियां
सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ जी के सामने लड़ाई à¤à¤• मोरà¥à¤šà¥‡ पर नहीं थी बलà¥à¤•à¤¿ लड़ाई के मोरà¥à¤šà¥‡ तीन थे, à¤à¤• विदेशी शाशन, दूसरा यहाठफैला अनà¥à¤§à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸ जो धरà¥à¤® को निरंतर पतित कर रहा था और तीसरा धरà¥à¤®à¤¾à¤‚तरण जिसकी फसल जातिवाद के नाम पर काटी जा रही थी. कहते है जो लोग सिरà¥à¤« राषà¥à¤Ÿà¥à¤° के काम आते है à¤à¤¸à¥‡ लोग काल की उपज नहीं होते, अपितॠकाल को बनाया करते हैं. उनकी काल निरà¥à¤®à¤¾à¤£ की कà¥à¤¶à¤²à¤¤à¤¾, उनकी राषà¥à¤Ÿà¥à¤° धरà¥à¤® के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ निषà¥à¤ ां और सेवाà¤à¤¾à¤µ इसी कारण वे असाधारण महापà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ की पंकà¥à¤¤à¤¿ में शामिल हो जाते है और उनका मà¥à¤‚शीराम से सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ तक का सफर पूरे विशà¥à¤µ के लिठपà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾à¤¦à¤¾à¤¯à¥€ बन जाता है. à¤à¤¾à¤°à¤¤ में लारà¥à¤¡ मैकाले दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ बनाई गयी अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ माधà¥à¤¯à¤® की पशà¥à¤šà¤¿à¤®à¥€ शिकà¥à¤·à¤¾ नीति के सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ विकलà¥à¤ª के रूप में राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤à¤¾à¤·à¤¾ हिनà¥à¤¦à¥€ के माधà¥à¤¯à¤® से वैदिक साहितà¥à¤¯, à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ दरà¥à¤¶à¤¨, à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ à¤à¤µà¤‚ साहितà¥à¤¯ के साथ-साथ आधà¥à¤¨à¤¿à¤• विषयों की उचà¥à¤š शिकà¥à¤·à¤¾ के अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨-अधà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¨ तथा अनà¥à¤¸à¤‚धान के गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤² कांगड़ी विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ करने वाले सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ का जीवन चरितà¥à¤° मातà¥à¤° कà¥à¤› शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ में कैसे पिरोया जा सकता. जब काशी विशà¥à¤µà¤¨à¤¾à¤¥ मंदिर के कपाट सिरà¥à¤« रीवा की रानी के लिठखोलने और साधारण जनता के लिठबंद किठजाने व à¤à¤• पादरी के वà¥à¤¯à¤à¤¿à¤šà¤¾à¤° का दृशà¥à¤¯ देख मà¥à¤‚शीराम का धरà¥à¤® से विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ उठगया और वह बà¥à¤°à¥€ संगत में पड़ गà¤. किनà¥à¤¤à¥, सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयानंद सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ के साथ बरेली में हà¥à¤ सतà¥à¤¸à¤‚ग ने उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ जीवन का अनमोल आनंद दिया, जिसे उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने सारे संसार को वितरित किया.
सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤¨à¤‚द उन महापà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ में से à¤à¤• थे जो अपने राषà¥à¤Ÿà¥à¤° के निरà¥à¤®à¤¾à¤£ लिठअपनी धन संपदा, अपना घर, अपना परिवार और तो और सà¥à¤µà¤¯à¤‚ को à¤à¥€ इस राषà¥à¤Ÿà¥à¤° के लिठदान कर गये. समाज सà¥à¤§à¤¾à¤°à¤• के रूप में उनके जीवन का अवलोकन करें तो पाते हैं कि उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने पà¥à¤°à¤¬à¤² विरोध के बावजूद सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ शिकà¥à¤·à¤¾ के लिठअगà¥à¤°à¤£à¥€ à¤à¥‚मिका निà¤à¤¾à¤ˆ. सà¥à¤µà¤¯à¤‚ की बेटी अमृत कला को जब उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने “ईस-ईसा बोल, तेरा कà¥à¤¯à¤¾ लगेगा मोल” गाते सà¥à¤¨à¤¾ तो घर-घर जाकर चंदा इकटà¥à¤ ा कर गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤² कांगडी विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° में कर अपने बेटे हरीशà¥à¤šà¤‚दà¥à¤° और इंदà¥à¤° को सबसे पहले à¤à¤°à¥à¤¤à¥€ करवाया. सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी का विचार था कि जिस समाज और देश में शिकà¥à¤·à¤• सà¥à¤µà¤¯à¤‚ चरितà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¨ नहीं होते उसकी दशा अचà¥à¤›à¥€ हो ही नहीं सकती. उनका कहना था कि हमारे यहां टीचर हैं, पà¥à¤°à¥‹à¤«à¥‡à¤¸à¤° हैं, पà¥à¤°à¤¿à¤¸à¤¿à¤‚पल हैं, उसà¥à¤¤à¤¾à¤¦ हैं, मौलवी हैं पर आचारà¥à¤¯ नहीं हैं. आचारà¥à¤¯ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ आचारवान वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ की सबसे बड़ी आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ है.
उनका कहना था जिस राषà¥à¤Ÿà¥à¤° के शिकà¥à¤·à¤• उनà¥à¤¨à¤¤ होंगे तो उस राषà¥à¤Ÿà¥à¤° का à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ सà¥à¤µà¤¯à¤‚ ही उनà¥à¤¨à¤¤ होगा. चरितà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¨ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के अà¤à¤¾à¤µ में महान से महान व धनवान से धनवान राषà¥à¤Ÿà¥à¤° à¤à¥€ समापà¥à¤¤ हो जाते हैं. जात-पात व ऊंच-नीच के à¤à¥‡à¤¦à¤à¤¾à¤µ को मिटाकर समगà¥à¤° समाज के कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ के लिठउनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अनेक कारà¥à¤¯ किà¤. पà¥à¤°à¤¬à¤² सामाजिक विरोधों के बावजूद अपनी बेटी अमृत कला, बेटे हरिशà¥à¤šà¤¦à¥à¤° व इंदà¥à¤° का विवाह जात-पात के समसà¥à¤¤ बंधनों को तोड कर कराया. उनका विचार था कि छà¥à¤†à¤›à¥‚त को लेकर इस देश में अनेक जटिलताओं ने जनà¥à¤® लिया है तथा वैदिक वरà¥à¤£ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ ही इसका अंत कर अछूतोदà¥à¤§à¤¾à¤° संà¤à¤µ है. उनका दलितों के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ अटूट पà¥à¤°à¥‡à¤® व सेवा à¤à¤¾à¤µ अविसà¥à¤®à¤°à¤£à¥€à¤¯ है.
गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤² में à¤à¤• बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤šà¤¾à¤°à¥€ के रà¥à¤—à¥à¤£ होने पर जब उसने उलà¥à¤Ÿà¥€ की इचà¥à¤›à¤¾ जताई तब सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ सà¥à¤µà¤¯à¤‚ की हथेली में उलà¥à¤Ÿà¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को लेते देख सà¤à¥€ हतà¥à¤ªà¥à¤°à¤ रह गà¤. à¤à¤¸à¥€ सेवा और सहानà¥à¤à¥‚ति और कहां मिलेगी? सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ का विचार था कि अजà¥à¤žà¤¾à¤¨, सà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥ व पà¥à¤°à¤²à¥‹à¤à¤¨ के कारण धरà¥à¤®à¤¾à¤‚तरण कर बिछà¥à¥œà¥‡ सà¥à¤µà¤œà¤¨à¥‹à¤‚ की शà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ करना देश को मजबूत करने के लिठपरम आवशà¥à¤¯à¤• है. इसीलिà¤, सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी ने à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ हिंदू शà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ सà¤à¤¾ की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ कर दो लाख से अधिक मलकानों को शà¥à¤¦à¥à¤§ किया. à¤à¤• बार शà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ सà¤à¤¾ के पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨ को उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने पतà¥à¤° लिख कर कहा कि “अब तो यही इचà¥à¤›à¤¾ है कि दूसरा शरीर धारण कर शà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ के अधूरे काम को पूरा करूं”
वह निराले वीर थे. लौह पà¥à¤°à¥à¤· सरदार बलà¥à¤²à¤ à¤à¤¾à¤ˆ पटेल ने कहा था कि सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ की याद आते ही 1919 का दृशà¥à¤¯ आंखों के आगे आ जाता है. सिपाही फायर करने की तैयारी में हैं. सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी छाती खोल कर आगे आते हैं और कहते हैं- “लो, चलाओ गोलियां.” इस वीरता पर कौन मà¥à¤—à¥à¤§ नहीं होगा? महातà¥à¤®à¤¾ गांधी के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° वह वीर सैनिक थे. वीर सैनिक रोग शैयà¥à¤¯à¤¾ पर नहीं, परंतॠरणांगण में मरना पसंद करते हैं. वह वीर के समान जीये तथा वीर के समान मरे. जब à¤à¤• मतानà¥à¤§ यà¥à¤µà¤• ने उनसे चरà¥à¤šà¤¾ करने के बहाने छल से गोली दाग दी थी.
देश की अनेक समसà¥à¤¯à¤¾à¤“ं तथा हिनà¥à¤¦à¥à¤“ं के उदà¥à¤§à¤¾à¤° हेतॠउनकी à¤à¤• पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• “हिनà¥à¤¦à¥‚ संगठन- मरणोनà¥à¤®à¥à¤– जाति का रकà¥à¤·à¤•” आज à¤à¥€ हमारा मारà¥à¤—दरà¥à¤¶à¤¨ कर रही है. राजनीतिजà¥à¤žà¥‹à¤‚ के बारे में सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी का मत था कि à¤à¤¾à¤°à¤¤ को सेवकों की आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ है लीडरों की नहीं. शà¥à¤°à¥€ राम का कारà¥à¤¯ इसीलिठसफल हà¥à¤† कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ हनà¥à¤®à¤¾à¤¨ जैसा सेवक मिला. वह हिनà¥à¤¦à¥€ को राषà¥à¤Ÿà¥à¤° à¤à¤¾à¤·à¤¾ और देवनागरी को राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤²à¤¿à¤ªà¤¿ के रूप में अपनाने के पकà¥à¤·à¤§à¤° थे. सतधरà¥à¤® पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤°à¤• नामक पतà¥à¤° उन दिनों उरà¥à¤¦à¥‚ में छपता था. à¤à¤• दिन अचानक गà¥à¤°à¤¾à¤¹à¤•à¥‹à¤‚ के पास जब यह पतà¥à¤° हिंदी में पहà¥à¤‚चा तो सà¤à¥€ दंग रह गठकà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि उन दिनों उरà¥à¤¦à¥‚ का ही चलन था. तà¥à¤¯à¤¾à¤— व अटूट संकलà¥à¤ª के धनी सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ ने 1868 में यह घोषणा की कि जब तक गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤² के लिठ30 हजार रà¥à¤ªà¤ इकटà¥à¤ े नहीं हो जाते तब तक वह घर में पैर नहीं रखेंगे. इसके बाद उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने à¤à¤¿à¤•à¥à¤·à¤¾ की à¤à¥‹à¤²à¥€ फैलाकर कर न सिरà¥à¤« घर-घर घूम 40 हजार रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ इकटà¥à¤ े किठबलà¥à¤•à¤¿ वहीं डेरा डाल कर अपना पूरा पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¤¾à¤²à¤¯, पà¥à¤°à¤¿à¤‚टिंग पà¥à¤°à¥‡à¤¸ और जालंधर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ कोठी à¤à¥€ गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤² पर नà¥à¤¯à¥‹à¤›à¤¾à¤µà¤° कर दी उनकी इस दान की शकà¥à¤¤à¤¿, देश और धरà¥à¤® के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¥‡à¤® पर कौन मà¥à¤—à¥à¤§ नहीं हो जाता? उस वीर संनà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¥€ का सà¥à¤®à¤°à¤£ हमारे अनà¥à¤¦à¤° सदैव वीरता और बलिदान के à¤à¤¾à¤µà¥‹à¤‚ को à¤à¤°à¤¤à¤¾ रहे...
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