आ गया 2018 अनà¥à¤§à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸ निरोधक वरà¥à¤·
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Rajeev ChoudharyDate
04-Jan-2018Category
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03-Jan-2018Download PDF
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आ गया 2018 अनà¥à¤§à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸ निरोधक वरà¥à¤·
‘‘बता तू कौन है, वरना तà¥à¤à¥‡ जला कर à¤à¤¸à¥à¤® कर दूंगा?’’ ओà¤à¤¾ ने महिला की चोटी पकड़ कर जब उस से पूछा, तो वह दरà¥à¤¦ के मारे चीख पड़ी, ‘‘बाबा, मà¥à¤à¥‡ छोड़ दो।’’ महिला को दरà¥à¤¦ से कराहते देख कर à¤à¥€ बाबा को उस पर जरा à¤à¥€ तरस नहीं आया। वह उसे सोटा मारने लगा, तो वह दरà¥à¤¦ से चीखती हà¥à¤ˆ बेहोश होकर वहीं औंधे मà¥à¤‚ह गिर पड़ी। तो सितमà¥à¤¬à¤°, 2015 को गरिमा का 9 महीने के बेटे मयंक का अपहरण उसी की सगी बूआ सावितà¥à¤°à¥€ ने किया था, जो बेऔलाद थी। वह à¤à¤• ओà¤à¤¾ से अपना इलाज करा रही थी। बचà¥à¤šà¥‡ का अपहरण बलि के उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ से किया गया था। शायद यह दोनों खबर पà¥à¤•à¤° हर किसी को सोचने पर मजबूर कर देगा कà¥à¤¯à¤¾ हम 21वीं सदी के à¤à¤¾à¤°à¤¤ में जी रहे हैं?
अपने मन से पूछिठकà¥à¤¯à¤¾ यह धरà¥à¤® है?
इस तरह की दà¥à¤•à¤¾à¤¨ इस à¤à¤¾à¤°à¤¤ देश में हर चार कदम पर धरà¥à¤® के नाम पर चल रही है। किसी शहर में à¤à¥‚त उतारे जा रहे हैं किसी में काला जादू और ताबीज बन रहे हैं। कहीं संतान के नाम पर, कहीं मनà¥à¤¨à¤¤ के नाम पर, कोई शनि देव से डरा हà¥à¤† है कोई सिरडी जाने के लिठबस टà¥à¤°à¥‡à¤¨ में धूल फांक रहा है। कहीं-कहीं तो अंधविशà¥à¤µà¤¾à¤¸ का à¤à¤¸à¤¾ तांडव देखने को मिलता है कि आम आदमी की रूह कांप जाà¤à¥¤ किस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° कदम-कदम पर पंडित और पà¥à¤°à¥‹à¤¹à¤¿à¤¤ अपना जाल बिछाठबैठे हैं, अजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को पकड़ने के लिà¤à¥¤ किस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° लोग à¤à¤—वान को बेच रहे हैं। हजार दो हजार रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ के अनà¥à¤·à¥à¤ ान में कोई बैकà¥à¤‚ठबेच रहा है। कोई पचास सौ रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ में शनि और मंगल गà¥à¤°à¤¹ को इधर-उधर कर रहा है। कोई चालीस दिन की धूनी रमाये बैठा है तो कोई टीवी पर यंतà¥à¤°-तनà¥à¤¤à¥à¤° बेच रहा है।
धरà¥à¤® नहीं शरà¥à¤® का विषय है?
कà¥à¤¯à¤¾ संसार कà¤à¥€ पूरà¥à¤£à¤¤à¤¯à¤¾ सà¥à¤–ी रहा है? इसी तरह आज à¤à¥€ हर कोई दà¥à¤–ी है। किसी को बचà¥à¤šà¥‡ की कमी, तो किसी को कारोबार में घाटा। कोई इशà¥à¤• में फंसा है, तो कोई घर में ही अनदेखी का शिकार है और इन सबका इलाज मियां कमाल शाह और बंगाली बाबा कर रहे हैं। कहीं मजार पूजी जा रही है, कहीं चादर चà¥à¤¾à¤ˆ जा रही है। धरà¥à¤® के नाम पर वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¾à¤° फलफूल रहे हैं। लोग इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ देखकर गरà¥à¤µ करते हैं कि देखो हमारा देश धरà¥à¤®à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¾à¤“ं का देश है दरअसल यह गरà¥à¤µ का नहीं बलà¥à¤•à¤¿ शरà¥à¤® का विषय है और इसमें सà¥à¤¬à¤¹ उठकर अपनी राशिफल पà¥à¤¨à¥‡ वाला à¤à¥€ उतना ही दोषी है जितना à¤à¤• à¤à¥‚त उतरवाने वाला।
कà¥à¤¯à¤¾ पैसे से परमातà¥à¤®à¤¾ खरीदा जा सकता है?
हममें से जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾à¤¤à¤° लोग à¤à¤¸à¥‡ ही किसी दृदृशà¥à¤¯ को देखते हैं तो बेचैन हो उठते हैं। दूसरों को लà¥à¤Ÿà¤¤à¥‡ देख कर, दूसरों का शोषण होते हà¥à¤ देख कर वà¥à¤¯à¤¥à¤¿à¤¤ होते हैं। सवाल उठता है कà¥à¤¯à¤¾ लोग सतà¥à¤¯ और अंधविशà¥à¤µà¤¾à¤¸ के बीच के à¤à¥‡à¤¦ को जानते हैं? हमारे पास कसौटी कà¥à¤¯à¤¾ है? इसलिठसीधा सा रासà¥à¤¤à¤¾ है कि सतà¥à¤¯ को सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° करो और अपने दीये सà¥à¤µà¤¯à¤‚ बनो। अंधविशà¥à¤µà¤¾à¤¸ का मतलब है, जो हम नहीं जानते उसको मान लेना। अंधविशà¥à¤µà¤¾à¤¸ का यह मतलब नहीं होता कि जो हमसे विपरीत है, वह अंधविशà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥€ है। लेकिन इसके विपरीत कहीं ना कहीं हम अपने आसपास देखते हैं कि हर à¤à¤Ÿà¤•à¤¾ हà¥à¤† वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ दूसरे वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ को रासà¥à¤¤à¤¾ दिखा रहा है। कह रहा है नहीं उस मजार से फला काम हà¥à¤† था, उस बाबा से या इस ढोंग से फला की मनà¥à¤¨à¤¤ पूरी हà¥à¤ˆà¥¤ मसलन मेरा पड़ोसी जो करता है मैं à¤à¥€ वही करूंगा ताकि में अपनी सोसाइटी में उससे कम धारà¥à¤®à¤¿à¤• न रह जाऊ? पड़ोसी सौ रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ चà¥à¤¾ रहा है मैं दो सौ चà¥à¤¾ दूंगा तो उससे जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ धारà¥à¤®à¤¿à¤• हो जाऊंगा। इस à¤à¥€à¥œ में किसको परमातà¥à¤®à¤¾ के दरà¥à¤¶à¤¨ हà¥à¤ हैं? बस जाग जाओ इसके बाद परमातà¥à¤®à¤¾ का अकूत खजाना है उसका सामà¥à¤°à¤¾à¤œà¥à¤¯ है।
कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾ अंधशà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾ हो गयी?
कहने का अरà¥à¤¥ यह कि ईशà¥à¤µà¤° की खोज न तो विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ से होती है, न अंधविशà¥à¤µà¤¾à¤¸ से। उसके लिठतो संदेह की सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤° चितà¥à¤¤-दशा चाहिà¤à¥¤ उसके लिठअनà¥à¤¤à¤•à¤°à¤£ में मनन और चिंतन चाहिà¤à¥¤ संदेह ने अनà¥à¤¸à¤‚धान और विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ के दà¥à¤µà¤¾à¤° खोले हैं। यही कारण है विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ में पंथ और समà¥à¤ªà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯ नहीं बने। जो वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ कर लेता है, वह कà¤à¥€ खोजता नहीं। खोज तो संदेह से होती है, अंधशà¥à¤°(ा से नहीं, इसलिठअनà¥à¤§à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸à¥‹à¤‚ पर सनà¥à¤¦à¥‡à¤¹ करो तरà¥à¤• की कसौटी पर कसो जो निचोड़ आये उसे सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° करो।
किसी दफà¥à¤¤à¤° में रिशà¥à¤µà¤¤ लेना-देना यदि à¤à¥à¤°à¤·à¥à¤Ÿà¤¾à¤šà¤¾à¤° है तो मनà¥à¤¨à¤¤ के लिठमनà¥à¤¦à¤¿à¤°à¥‹à¤‚ में चà¥à¤¾à¤µà¤¾ आसà¥à¤¥à¤¾ कैसे?
फरà¥à¤œ कीजिये आप किसी दफà¥à¤¤à¤° में किसी काम से जाते हैं वहां आपको रिशà¥à¤µà¤¤ देकर कोई काम कराना पड़े तो कà¥à¤¯à¤¾ यह à¤à¥à¤°à¤·à¥à¤Ÿà¤¾à¤šà¤¾à¤° नहीं है? यदि है तो अपनी आतà¥à¤®à¤¾ से जवाब दीजिये मंदिर हो या बाबा, वहां पैसे देकर अपनी मनà¥à¤¨à¤¤ मांग रहे हैं तो यह आसà¥à¤¥à¤¾ कैसे? दरअसल यह à¤à¤• à¤à¥€à¥œ है! à¤à¤¿à¤–ारियों की, चालबाजों की, बेईमानों की, पाखंडियों की, धोखेबाजों की, यह à¤à¥€à¥œ है,जो लोगों को सदियों-सदियों से चूस रही है। इस à¤à¥€à¥œ में किसके à¤à¥€à¤¤à¤° का दीया जला है? नहीं जला। शायद इन सबसे वà¥à¤¯à¤¥à¤¿à¤¤ होकर आरà¥à¤¯ समाज का जनà¥à¤® हà¥à¤†à¥¤ यदि यह सब पाखणà¥à¤¡ न होते तो आरà¥à¤¯ समाज नहीं होता। इस à¤à¥à¤°à¤®à¤œà¤¾à¤² को, तनà¥à¤¤à¥à¤° विदà¥à¤¯à¤¾ को, à¤à¥‚त-पà¥à¤°à¥‡à¤¤, मंगल-अमंगल, शनि और राहू-केतॠसमेत तमाम पाखणà¥à¤¡ पर चोट करने के लिठ2018 में आरà¥à¤¯ समाज ने कमर कस ली है। वरà¥à¤· 2018 आरà¥à¤¯ समाज सिरà¥à¤« अनà¥à¤§à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸ निरोधक वरà¥à¤· के रूप में अपना कारà¥à¤¯ तेज करेगा। हम गली से मोहलà¥à¤²à¥‹à¤‚ तक, रेलवे सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ से लेकर मेटà¥à¤°à¥‹ सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ तक लोगों के बीच जायेंगे। अनà¥à¤§à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸ और पाखंड पर लोगों को जागृत करेंगे। हर à¤à¤• वह अनà¥à¤§à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸ जिसमें चाहें किसी को मांगलिक बताकर डराया जा रहा हो या किसी से वासà¥à¤¤à¥à¤¦à¥‹à¤· के नाम से पैसा उगाहा जा रहा हो। देश और धरà¥à¤® को अनà¥à¤§à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸ के इस कà¥à¤šà¤•à¥à¤° से बचाने के लिठआप सà¤à¥€ का सहयोग जरूरी है। आरà¥à¤¯ समाज à¤à¤• नाम नहीं बलà¥à¤•à¤¿ हम सबकी à¤à¤•à¤œà¥à¤Ÿ और ताकत का नाम ही आरà¥à¤¯ समाज है जिससे हमेशा अनà¥à¤§à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸ à¤à¤¾à¤—ता आया है।
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