हमारा वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° कैसा हो
Author
Naveen AryaDate
04-Jan-2018Category
लेखLanguage
HindiTotal Views
791Total Comments
0Uploader
RajeevUpload Date
04-Jan-2018Download PDF
-0 MBTop Articles in this Category
- फलित जयोतिष पाखंड मातर हैं
- राषटरवादी महरषि दयाननद सरसवती
- राम मंदिर à¤à¥‚मि पूजन में धरà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤°à¤ªà¥‡à¤•à¥à¤·à¤¤à¤¾ कहाठगयी? à¤à¤• लंबी सियासी और अदालती लड़ाई के बाद 5 अगसà¥à¤¤ को पà¥
- सनत गरू रविदास और आरय समाज
- बलातकार कैसे रकेंगे
Top Articles by this Author
- आतà¥à¤®à¤¾ और परमातà¥à¤®à¤¾
- पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¤¨à¥à¤® का सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤
- विदà¥à¤¯à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ के उपाय
- विशà¥à¤µ पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• मेला 2018 में मेरा अनà¥à¤à¤µ
- कà¥à¤¯à¤¾ मन की पवितà¥à¤°à¤¤à¤¾ से लोक-कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ होता है ?
हमारा वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° कैसा हो
हम अपने तीनों साधनों (मन, वाणी और शरीर) के माधà¥à¤¯à¤® से ही कà¥à¤› कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾-वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° करने में समरà¥à¤¥ हो पाते हैं। अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ मानसिक, वाचनिक और शारीरिक रूप में हमारा वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° का कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° पृथक-पृथक रहता है। हम अपने वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° को पाà¤à¤š à¤à¤¾à¤—ों में बाà¤à¤Ÿ सकते हैं जैसे कि वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤—त, पारिवारिक, सामाजिक, राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯, और वैशà¥à¤µà¤¿à¤•à¥¤ जो à¤à¥€ हमारे करà¥à¤¤à¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ हैं उनको यदि हम ठीक-ठीक निà¤à¤¾à¤¤à¥‡ हैं तो हम à¤à¤• वà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤¹à¤¾à¤°à¤¿à¤• वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ माने जाते हैं। चाहे हम किसी à¤à¥€ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में कारà¥à¤¯ करें परनà¥à¤¤à¥ हमारा वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° उतà¥à¤¤à¤® ही हो à¤à¤¸à¥€ अपेकà¥à¤·à¤¾ सà¤à¥€ की रहती है। यदि हमारे वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ का परिणाम व पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ कलà¥à¤¯à¤¾à¤£à¤•à¤¾à¤°à¥€ हो, लाà¤à¤¦à¤¾à¤¯à¥€ हो तो वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° उतà¥à¤¤à¤® माना जाता है। वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° की उतà¥à¤¤à¤®à¤¤à¤¾ का मापदणà¥à¤¡ यह है कि मà¥à¤–à¥à¤¯à¤¤à¤ƒ हमारे वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° से सà¥à¤– की ही पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ हो।
यदि हम वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤—त कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° करते हैं तो सà¥à¤– à¤à¥€ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤—त ही होता है। ठीक इसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° यदि हम अपने परिवार को सà¥à¤– पहà¥à¤‚चाते हैं तो हमारा वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° पारिवारिक कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में उतà¥à¤¤à¤® माना जाता है। सामाजिक कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में à¤à¥€ हम तà¤à¥€ अचà¥à¤›à¥‡ माने जाते हैं जब हमारे वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° से समाज को सà¥à¤– पहà¥à¤à¤šà¤¤à¤¾ है। जो à¤à¥€ हमारा राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ करà¥à¤¤à¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ हैं उनको जब हम उचित ढंग से संपादन करते हà¥à¤ राषà¥à¤Ÿà¥à¤° को हित पहà¥à¤‚चाते हैं तो राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ दृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤•à¥‹à¤£ से हम उतà¥à¤¤à¤® नागरिक कहलाते हैं। à¤à¤¸à¥‡ ही हमारा कà¥à¤› करà¥à¤¤à¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ विशà¥à¤µ कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ के लिठà¤à¥€ होता है। हम पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• कारà¥à¤¯ को तीनों ही साधनों के माधà¥à¤¯à¤® से कर पाà¤à¤‚ यह आवशà¥à¤¯à¤• नहीं है। अपनी-अपनी योगà¥à¤¯à¤¤à¤¾ व सामरà¥à¤¥à¥à¤¯ के अनà¥à¤°à¥‚प कà¥à¤› कारà¥à¤¯ हम मानसिक रूप में ही कर सकते हैं तो कà¥à¤› कारà¥à¤¯ वाचनिक रूप में और कà¥à¤› शारीरिक रूप में। यदि हमारा सामरà¥à¤¥à¥à¤¯ उतना अधिक नहीं है और हम किसी को शारीरिक रूप में सहयोग नहीं कर सकते, लाठनहीं पहà¥à¤‚चा सकते, सà¥à¤– नहीं दे सकते तो पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ यह करना चाहिठकि वाचनिक रूप में सà¥à¤– पहà¥à¤‚चाà¤à¤‚ और यदि उतना à¤à¥€ सामरà¥à¤¥à¥à¤¯ नहीं है तो मानसिक रूप में उनके कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ की कामना तो कर ही सकते हैं।
हम अपने वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤—त वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ को पà¥à¤¨à¤ƒ दो à¤à¤¾à¤—ों में विà¤à¤¾à¤œà¤¿à¤¤ कर सकते हैं à¤à¤• तो ईशà¥à¤µà¤° के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ और दूसरा सà¥à¤µà¤¯à¤‚ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¥¤ हम यह तो विचार कर लेते हैं और अपने करà¥à¤¤à¥à¤¤à¤µà¥à¤¯à¥‹à¤‚ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ सावधान à¤à¥€ रहते हैं कि दूसरों के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ हमारा वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° कहीं गलत न हो जाये। यह उचित à¤à¥€ है और हमें सावधान à¤à¥€ रहना चाहिठइसका निषेध नहीं है परनà¥à¤¤à¥ संसार के सà¤à¥€ लोगों के साथ वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° करते हà¥à¤ à¤à¤• वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ अपना करà¥à¤¤à¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ हम à¤à¥‚ल जाते हैं अथवा उसके पà¥à¤°à¤¤à¤¿ वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° ही ठीक नहीं कर पाते। वह वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ और कोई नहीं जिसने हमें यह सब साधन पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करके करà¥à¤® करने के योगà¥à¤¯ बनाया है, जिसने हमें विचार, चिंतन-मनन के लिठमन, निरà¥à¤£à¤¯ करने हेतॠबà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿, सब à¤à¥‹à¤—ों को à¤à¥‹à¤—ने हेतॠइनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤ और सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° शरीर बना के दिया उसके पà¥à¤°à¤¤à¤¿ à¤à¥€ तो हमारा कà¥à¤› करà¥à¤¤à¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ बनता है। उसके पà¥à¤°à¤¤à¤¿ कृतजà¥à¤žà¤¤à¤¾ पà¥à¤°à¤•à¤Ÿ करना, उसको धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ देना तथा मà¥à¤–à¥à¤¯ रूप से उसकी आजà¥à¤žà¤¾à¤“ं का ठीक-ठीक पालन करना। जब हम उसकी आजà¥à¤žà¤¾à¤“ं का पालन करते हैं तो उसमें à¤à¥€ अपना ही लाठहै, कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ है, हमें ही सà¥à¤– मिलता है। इस दृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤•à¥‹à¤£ से इस वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° को हम वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤—त वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° के अनà¥à¤¤à¤°à¥à¤—त ही ले सकते हैं कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि इसका परिणाम या फल आदि ईशà¥à¤µà¤° को तो पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होगा नहीं और ईशà¥à¤µà¤° को चाहिठà¤à¥€ नहीं। हम किसी à¤à¥€ कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤“ं को करने में सà¥à¤µà¤¤à¤¨à¥à¤¤à¥à¤° हैं, अचà¥à¤›à¥‡ कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को करने में, बà¥à¤°à¥‡ कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को करने में या फिर अचà¥à¤›à¥‡-बà¥à¤°à¥‡ मिलाकर मिशà¥à¤°à¤¿à¤¤ कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को करने में।
परनà¥à¤¤à¥ हमें यह सदा के लिठसà¥à¤®à¤°à¤£ रखना चाहिठकि जब-जब हम अचà¥à¤›à¥‡ कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को करते हैं तो परिणाम सà¥à¤µà¤°à¥‚प सà¥à¤– ही होता है और जब हम बà¥à¤°à¥‡ कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को करते हैं तो उसके परिणाम सà¥à¤µà¤°à¥‚प दà¥à¤ƒà¤– की ही पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ होती है, चाहे हम वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤—त सà¥à¤¤à¤° पर करें या फिर पारिवारिक और सामाजिक सà¥à¤¤à¤° पर। यदि हम केवल ईशà¥à¤µà¤° के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ à¤à¥€ अपने वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° में सजग-सावधान रहते हैं तो à¤à¥€ अपना समसà¥à¤¤ वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° उतà¥à¤¤à¤® ही बनता जायेगा और यदि हम ईशà¥à¤µà¤° को ही छोड कर सब वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° करते रहेंगे तो हमारा वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° दोषयà¥à¤•à¥à¤¤ ही रहेगा। जैसा कि कहा à¤à¥€ जाता है कि à¤à¤• साधे सब सधे और सब साधे सब जाà¤à¥¤ इसीलिठहम ईशà¥à¤µà¤° के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ सचà¥à¤šà¥€ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾ व à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ से वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° को उतà¥à¤¤à¤® बनाये रखने में पà¥à¤°à¤¯à¤¤à¥à¤¨à¤¶à¥€à¤² रहें। हमें यह धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ रखना चाहिठकि ईशà¥à¤µà¤° सरà¥à¤µà¤¤à¥à¤° विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨, सरà¥à¤µà¤œà¥à¤ž और करà¥à¤®à¤«à¤² पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¤à¤¾ हैं। इतना मातà¥à¤° धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ रखने से हमसे कà¤à¥€ कोई गलत कारà¥à¤¯ हो ही नहीं सकता और हम सदा अचà¥à¤›à¥‡ कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ में ही पà¥à¤°à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤ होते रहेंगे। और जहाठतक ईशà¥à¤µà¤° की आजà¥à¤žà¤¾à¤“ं का पालन करने की बात है तो यदि हम à¤à¤• à¤à¥€ ईशà¥à¤µà¤°à¥€à¤¯ आदेश को देखें तो à¤à¥€ हमारा कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ सà¥à¤¨à¤¿à¤¶à¥à¤šà¤¿à¤¤ है, जैसे कि सतà¥à¤¯ बोलना। हम यदि केवल सतà¥à¤¯ का ही पालन करने लग जाà¤à¤ तो à¤à¥€ कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ हो जायेगा। और देखा जाये तो जो वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ ईशà¥à¤µà¤° को सरà¥à¤µà¤¤à¥à¤° विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ ही मानेगा तो उससे असतà¥à¤¯ का वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° तो वैसे à¤à¥€ नहीं होगा कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि अतà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤-दà¥à¤·à¥à¤Ÿ सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µà¤µà¤¾à¤²à¥‹à¤‚ को छोड़ कर पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ सामानà¥à¤¯ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में तो यही पà¥à¤°à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤à¤¿ देखी जाती है कि किसी दूसरों के सामने सà¥à¤¥à¥‚ल रूप में कà¤à¥€ कोई बà¥à¤°à¤¾ करà¥à¤® नहीं करते,अपने को अचà¥à¤›à¤¾ ही दिखाते हैं। वैसे à¤à¥€ ईशà¥à¤µà¤° हमें अचà¥à¤›à¥‡ कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ में पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤¿à¤¤ करने हेतॠऔर बà¥à¤°à¥‡ कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ से रोकने के लिठनिरà¥à¤¦à¥‡à¤¶ करते रहते हैं। जब हम ईशà¥à¤µà¤°à¥€à¤¯ आनà¥à¤¤à¤°à¤¿à¤• पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ को सà¥à¤¨à¤¤à¥‡ हैं और उतà¥à¤¤à¤® वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° करते हैं तो इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° हम सà¤à¥€ बà¥à¤°à¥‡ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ से बच जाते हैं और उनके परिणामरूप दà¥à¤–ों से à¤à¥€ । ईशà¥à¤µà¤° के साथ वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤à¥ हम अपने साथ à¤à¥€ उचित वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° करें जिससे हर पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से हमें सà¥à¤– पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ हो। आतà¥à¤®à¤¾ की उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ कैसी हो ? हमारा शरीर कैसे बलवान सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥ व दीरà¥à¤˜à¤¾à¤¯à¥ हो ? हमारा मन कैसे पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• कारà¥à¤¯ में à¤à¤•à¤¾à¤—à¥à¤°à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ हो ? बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ कैसे कà¥à¤¶à¤¾à¤—à¥à¤° हो, निरà¥à¤£à¤¯ करने में समरà¥à¤¥ हो ? सà¤à¥€ इनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤ सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥-बलवान हों ? इन सबके लिठसदा पà¥à¤°à¤¯à¤¤à¥à¤¨à¤¶à¥€à¤² रहें। शरीर आदि साधनों को किसी à¤à¥€ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से हानि हो à¤à¤¸à¤¾ कोई उलà¥à¤Ÿà¤¾ कारà¥à¤¯ न करें। आतà¥à¤®à¤¾ की उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ के लिठईशà¥à¤µà¤° की उपासना, शरीर की उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ के लिठवà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¾à¤®, आसन, पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¾à¤¯à¤¾à¤®, उतà¥à¤¤à¤® आहार-विहार, मन की à¤à¤•à¤¾à¤—à¥à¤°à¤¤à¤¾ के लिठधà¥à¤¯à¤¾à¤¨ का अà¤à¥à¤¯à¤¾à¤¸, बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ के लिठबà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿-वरà¥à¤§à¤• पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ का सेवन करना, यह सब वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤—त कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में अपने पà¥à¤°à¤¤à¤¿ उतà¥à¤¤à¤® वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° है।
हमारा कà¥à¤› करà¥à¤¤à¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ अपने परिवार के पà¥à¤°à¤¤à¤¿, परिवार के सà¤à¥€ सदसà¥à¤¯à¥‹à¤‚ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ à¤à¥€ होता है। जिन माता-पिता ने हमें जनà¥à¤® दिया और बालà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤² से ही उतà¥à¤¤à¤® रूप से लालन-पालन करके हमें योगà¥à¤¯ बनाया, अचà¥à¤›à¥€ शिकà¥à¤·à¤¾ दी और अपना सà¥à¤– छोड़ कर à¤à¥€ हमारे सà¥à¤–-सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾à¤“ं का धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ रखा, उनका à¤à¥€ हमारे ऊपर महान ऋण है। ठीक उसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° हम à¤à¥€ उनका समà¥à¤®à¤¾à¤¨ करें, आदर-सतà¥à¤•à¤¾à¤° करें, शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾ पूरà¥à¤µà¤• उनकी सेवा करें, उनकी आजà¥à¤žà¤¾à¤“ं का पालन करें और हर पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से उनको सà¥à¤– पहà¥à¤à¤šà¤¾à¤¨à¥‡ का पà¥à¤°à¤¯à¤¤à¥à¤¨ करें। अपने à¤à¤¾à¤ˆ-बहनों के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ à¤à¥€ पà¥à¤°à¥‡à¤® पूरà¥à¤µà¤• वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° करें, उनकी उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ में सदा सहायक हों, यदि हम विवाहित हैं तो अपनी धरà¥à¤®-पतà¥à¤¨à¥€ व बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ à¤à¥€ अपने करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का निरà¥à¤µà¤¹à¤¨ उचित रूप में करें।
जनà¥à¤® से लेकर मृतà¥à¤¯à¥ परà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤ हम दूसरों से ही सहयोग लेते रहते हैं। समाज में अनेक पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की योगà¥à¤¯à¤¤à¤¾ व विशेषताओं से यà¥à¤•à¥à¤¤ लोग रहते हैं, हम अपनी छोटी से छोटी आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾à¤“ं की पूरà¥à¤¤à¤¿ के लिठà¤à¥€ दूसरों के आशà¥à¤°à¤¿à¤¤ रहते हैं। बिना दूसरों से सहयोग लिठहमारा जीवन वà¥à¤¯à¤¤à¥€à¤¤ करना à¤à¥€ दà¥à¤·à¥à¤•à¤° है। हम दूसरों से सहयोग लेते हैं तो दूसरा à¤à¥€ हमसे सहयोग लेता है। इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° सारा समाज परसà¥à¤ªà¤° के सहयोग से ही गतिमान है इसीलिठहम à¤à¥€ समाज की उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ में अपनी योगà¥à¤¯à¤¤à¤¾ व सामरà¥à¤¥à¥à¤¯ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° कà¥à¤› योगदान करें। à¤à¤• दूसरे से बात-चीत, लेन-देन अदि सब कारà¥à¤¯ पà¥à¤°à¥‡à¤® पूरà¥à¤µà¤• तथा सबके साथ नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ व धरà¥à¤®à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ मधà¥à¤° वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° ही करें। इस समाज में न केवल मनà¥à¤·à¥à¤¯ ही रहते हैं अपितॠपशà¥-पकà¥à¤·à¥€ à¤à¥€ रहते हैं अतः उन सबकी सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾ और पालन-पोषण की वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ का धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ रखना à¤à¥€ à¤à¤• सामाजिक पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€ होने के नाते हमारा करà¥à¤¤à¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ बनता है, जिनका हमें उचित रूप में संपादन करना चाहिà¤à¥¤
ठीक इसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° आगे जाकर हमारा वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° का कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ सà¥à¤¤à¤° का हो जाता है। देश की उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ में जो कà¥à¤› à¤à¥€ हमसे बन पाठअपनी योगà¥à¤¯à¤¤à¤¾ व सामरà¥à¤¥à¥à¤¯ के अनà¥à¤°à¥‚प करना चाहिà¤à¥¤ उतà¥à¤¤à¤® राजाओं वा मंतà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का चयन करना तथा देश में अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯, अधरà¥à¤®, अतà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤¾à¤°, à¤à¥à¤°à¤·à¥à¤Ÿà¤¾à¤šà¤¾à¤°, आतंकबाद आदि हो तो उसके विरà¥à¤¦à¥à¤§ में जनता को जागरà¥à¤• करना चाहिà¤à¥¤ राषà¥à¤Ÿà¥à¤° में अविदà¥à¤¯à¤¾, अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯ और अà¤à¤¾à¤µ को दूर करने का सदा पà¥à¤°à¤¯à¤¤à¥à¤¨ करते रहना चाहिà¤à¥¤ इसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° पूरे विशà¥à¤µ में सà¥à¤–-शानà¥à¤¤à¤¿ की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ हो सके तथा सतà¥à¤¯-धरà¥à¤® का पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤°-पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤° हो à¤à¤¸à¤¾ पà¥à¤°à¤¯à¤¤à¥à¤¨ करना चाहिà¤à¥¤ जहाठà¤à¤• धरà¥à¤®, à¤à¤• à¤à¤¾à¤·à¤¾, à¤à¤• राजà¥à¤¯à¥€à¤¯ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾, à¤à¤• संविधान, à¤à¤• दणà¥à¤¡-वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾, à¤à¤• नीति-नियम, à¤à¤• ईशà¥à¤µà¤°, à¤à¤• पूजा-पदà¥à¤§à¤¤à¤¿ हो à¤à¤¸à¤¾ à¤à¤• आदरà¥à¤¶à¤°à¥‚प विशà¥à¤µ के निरà¥à¤®à¤¾à¤£ के लिठपà¥à¤°à¤¯à¤¤à¥à¤¨à¤¶à¥€à¤² होना चाहिà¤à¥¤ आईये! इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° हम अपने वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤—त सà¥à¤¤à¤° से लेकर विशà¥à¤µà¤¸à¥à¤¤à¤°à¥€à¤¯ वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ को समà¤à¥‡à¤‚ और हम अपने करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का ठीक-ठीक समà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ करते हà¥à¤ अपने जीवन के साथ-साथ विशà¥à¤µ के पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤®à¤¾à¤¤à¥à¤° के जीवन को à¤à¥€ सà¥à¤–मय बनायें।
ALL COMMENTS (0)