कà¥à¤¯à¤¾ à¤à¤¾à¤°à¤¤ सच में à¤à¤• इतिहास बनकर रह जायेगा?
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Rajeev ChoudharyDate
09-Jan-2018Category
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कà¥à¤¯à¤¾ à¤à¤¾à¤°à¤¤ सच में à¤à¤• इतिहास बनकर रह जायेगा?
हो सकता हैं लोगों में उफनती राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ गरà¥à¤µ की à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ का पारा कà¥à¤› देर के लिठलà¥à¥à¤• जाये, à¤à¥‚ठे और गरà¥à¤µà¥€à¤²à¥‡ नà¥à¤¯à¥‚ज से ओतपà¥à¤°à¥‹à¤¤ लोग मà¥à¤à¥‡ नकारातà¥à¤®à¤• समà¤à¥‡à¥¤ पर मà¥à¤à¥‡ विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ है कà¥à¤› लोग à¤à¤¸à¥‡ à¤à¥€ जरूर होंगे जो इस सच को सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° करेंगे। कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि बीमारी का इलाज तà¤à¥€ समà¥à¤à¤µ होता है जब वह बीमारी मरीज दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° कर ली जाती है। इस बात को कौन असà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° कर सकता है कि नेताओं की वजह से आज देश जातिवाद के घोर दलदल में धंसता जा रहा है? सहरानपà¥à¤° के शबà¥à¤¬à¥€à¤°à¤ªà¥à¤° गाà¤à¤µ में दलित और राजपूत हिंसा की आंच अà¤à¥€ ठीक से ठंडी à¤à¥€ नहीं हà¥à¤ˆ थी कि अचानक महाराषà¥à¤Ÿà¥à¤° के पà¥à¤£à¥‡ से शà¥à¤°à¥‚ हà¥à¤† जातीय हिंसा का दौर मà¥à¤®à¥à¤¬à¤ˆ और कई अनà¥à¤¯ शहरों तक पहà¥à¤‚च गया है। जगह-जगह पथराव और आगजनी का दौर जारी हà¥à¤†, मà¥à¤®à¥à¤¬à¤ˆ के उपनगरों चेंबूर, कà¥à¤°à¥à¤²à¤¾, मà¥à¤²à¥à¤‚ड और ठाणे के अलावा हड़पसर और फà¥à¤°à¤¸à¥à¤‚गी में पथराव और आगजनी की कई घटनाà¤à¤‚ हà¥à¤ˆà¤‚। कई जगह दà¥à¤•à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ और ऑफिसों को आग के हवाले कर दिया गया।
à¤à¤¸à¥‡ में जानना जरूरी है कि ये सारा विवाद है कà¥à¤¯à¤¾ और कà¥à¤¯à¥‹à¤‚? अचानक महाराषà¥à¤Ÿà¥à¤° पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¥‹à¤§ की आग में धधकने लगा है? महाराषà¥à¤Ÿà¥à¤° के पà¥à¤£à¥‡ में यह सारा विवाद अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥‹à¤‚ और पेशवाओं के बीच हà¥à¤ यà¥à¤¦à¥à¤§ के 200 साल पूरे होने को लेकर हà¥à¤† है। जिसमें à¤à¤• जनवरी 1818 में अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥‹à¤‚ ने दलितों की सहायता से पेशवा दà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯ को शिकसà¥à¤¤ दे दी थी। पà¥à¤£à¥‡ के कोरेगांव के जय सà¥à¤¤à¤‚ठपर हर साल यह उतà¥à¤¸à¤µ मनाया जाता है। दलित इसे शौरà¥à¤¯ दिवस के तौर पर मनाते हैं और मराठाओं की ओर से हर साल इसका छà¥à¤Ÿà¤ªà¥à¤Ÿ विरोध होता रहा है। लेकिन इस साल यà¥( के 200 साल पूरे होने पर दलितों की ओर से इस बार à¤à¤µà¥à¤¯ आयोजन किया जा रहा था जिसमें 5 लाख से जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ लोगों के जà¥à¤Ÿà¤¨à¥‡ की बात की जा रही थी। खास बात ये है कि यह देश का इकलौता यà¥à¤¦à¥à¤§ है जिसमें अंगेजों की जीत का जशà¥à¤¨ मनाया जाता है।
जातिगत हिंसा की बात करें तो बीते पिछले कà¥à¤› महीनों में गà¥à¤œà¤°à¤¾à¤¤ में पटेल आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨ हà¥à¤† ये à¤à¥€ जाति के नाम पर था। हरियाणा में जाट आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨ हà¥à¤† था, सरकारी और निजी संपतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को आग के हवाले किया गया। इसमें à¤à¥€ आगजनी और हिंसा का वही तांडव दोहराया गया जिसके बाद हारà¥à¤¦à¤¿à¤• पटेल नाम से à¤à¤• नेता सामने आये। इसके बाद गà¥à¤œà¤°à¤¾à¤¤ में ऊना से कथित गौरकà¥à¤·à¤• दलों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ कà¥à¤› दलितों की पिटाई के बाद देश में जो हà¥à¤† सब जानते हैं। इस आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨ से जिगà¥à¤¨à¥‡à¤¶ मेवाणी का जनà¥à¤® हà¥à¤† तो उतà¥à¤¤à¤°à¤ªà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ में दलित, राजपूत हिंसा महाराणा पà¥à¤°à¤¤à¤¾à¤ª की शोà¤à¤¾à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤°à¤¾ के बाद à¤à¥€ à¤à¤• दलित नेता चनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¶à¥‡à¤–र रावण का जनà¥à¤® à¤à¥€ इसी जातिवाद की कोख से ही हà¥à¤† था।
इस देश में अनà¥à¤¦à¤° ही अनà¥à¤¦à¤° बहà¥à¤¤ कà¥à¤› हो रहा है। रोहित वेमà¥à¤²à¤¾ की ‘आतà¥à¤®-हतà¥à¤¯à¤¾’ पहले कनà¥à¤¹à¥ˆà¤¯à¤¾ और ‘राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¦’ फिर ऊना कांड, कà¥à¤› सà¥à¤²à¤— रहा है जो कà¤à¥€-कà¤à¥€ फूटता है तो कà¤à¥€ अंदर-अनà¥à¤¦à¤° ही दहक रहा होता है। अà¤à¥€ सब कà¥à¤› शांत नहीं हà¥à¤† कि अगली आग की तैयारी की जा रही है। हाल ही में पांच दिसंबर को कई दलित संगठन अशोक à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€ के नेतृतà¥à¤µ में आंधà¥à¤° पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ à¤à¤µà¤¨ में राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ दलित महासà¤à¤¾ कर रहे थे। इस समà¥à¤®à¥‡à¤²à¤¨ का मà¥à¤–à¥à¤¯ उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ शबà¥à¤¬à¥€à¤°à¤ªà¥à¤° गांव के दलितों को नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ दिलाने के साथ-साथ à¤à¥€à¤®à¤†à¤°à¥à¤®à¥€ के संसà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤• चंदà¥à¤° शेखर रावण, शिव कà¥à¤®à¤¾à¤° पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨, सोनू समेत अनà¥à¤¯ की जेल से रिहाई की आवाज को बà¥à¤²à¤‚द करना है।
कोरेगांव यà¥à¤¦à¥à¤§ की सालगिरह पर वैसे तो हर साल पंदà¥à¤°à¤¹-बीस हजार लोगों की à¤à¥€à¥œ वहां जमा होती थी, लेकिन इस बार तीन-साà¥à¥‡ तीन लाख लोग कैसे जमा हो गà¤? कà¥à¤¯à¤¾ ये कोई सोची समà¤à¥€ साजिश थी या महाराषà¥à¤Ÿà¥à¤° को जातीय हिंसा की आग में à¤à¥‹à¤‚कने की पूरà¥à¤µ योजना थी? सामाजिक नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ के बहाने किस तरह à¤à¤• बाद à¤à¤• नेता जनà¥à¤® ले रहे हैं, इसे à¤à¥€ समà¤à¤¨à¤¾ होगा। सामाजिक नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ के विचार का पानी कथित जातिवादी नेता à¤à¥‹à¤²à¥€ में लिठचल रहे हैं जो कà¤à¥€ बिखरता है तो कà¤à¥€ हिंसा के लाल रंग में मिल जा रहा है। हमने शबà¥à¤¬à¥€à¤°à¤ªà¥à¤° की घटना के बाद à¤à¥€ पूछा था कि à¤à¤¾à¤°à¤¤ के चà¥à¤¨à¤¾à¤µà¥€ बाजार में राजनीतिक निरà¥à¤®à¤¾à¤¤à¤¾à¤“ं दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ तैयार किठगठऔर à¤à¤• दूसरे से आगे बà¥à¤•à¤° दिठजा रहे बयान कà¥à¤¯à¤¾ कà¤à¥€ सामाजिक समरसता का सपना पूरा होने देंगे? हमें नहीं लगता कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि à¤à¤¸à¥€ घटनाओं के बाद यह लोग à¤à¤•-दूसरे के विरà¥( बड़े मोटे-मोटे शीरà¥à¤·à¤• देकर लोगों की à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤à¤‚ à¤à¥œà¤•à¤¾à¤¤à¥‡ हैं और परसà¥à¤ªà¤° सिर फà¥à¤Ÿà¥Œà¤µà¤² करवाते हैं। à¤à¤•-दो जगह ही नहीं, कितनी ही जगहों पर इसलिठदंगे हà¥à¤ हैं कि सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ अखबारों ने बड़े उतà¥à¤¤à¥‡à¤œà¤¨à¤¾à¤ªà¥‚रà¥à¤£ लेख लिखे हैं। इस समय à¤à¤¸à¥‡ लेखक बहà¥à¤¤ कम हैं, जिनका दिल व दिमाग à¤à¤¸à¥‡ दिनों में à¤à¥€ शांत हो। दूसरा सोशल मीडिया पर à¤à¥à¤°à¤¾à¤®à¤• पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° à¤à¥€ à¤à¤¸à¥‡ माहौल में आग में घी का काम करता दिखाई देता है।
इस जशà¥à¤¨ के à¤à¥€ मूल उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ उसकी गरà¥à¤µà¥€à¤²à¥€ परत हटाकर देखें तो कà¥à¤› यूठदेखिये कि आज से 200 साल पहले अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥‹à¤‚ ने दलितों की सहायता से पंडित पेशवाओं को हराया था। शनिवार वाडा में जो अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ पताका फहराई गयी थी उसमें दलित समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ के लोगों का साथ था। हालाà¤à¤•à¤¿ अब न वह यà¥à¤¦à¥à¤§ जीतने वाले अंगà¥à¤°à¥‡à¤œ रहे, न मà¥à¤¹à¤¾à¤°à¤¸à¥‡à¤¨à¤¾ के वह सिपाही और न ही पेशवा और उनके उचà¥à¤š पद। लेकिन लोग हैं कि इतिहास से गौरव और अपमान के कà¥à¤› पल बटोरकर, आज के आजाद और संवैधानिक à¤à¤¾à¤°à¤¤ में हिंसा का तांडव मचा रहे हैं। इसमें कोई à¤à¤• समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ दोषी नहीं बलà¥à¤•à¤¿ हर à¤à¤• वह समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ दोषी है जो इतिहास से आज à¤à¥€ जातीय गरà¥à¤µ की à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ ढूंढकर दूसरों को चिà¥à¤¾à¤¤à¥‡ हैं, नीचा दिखाते हैं, इसमें शनिवार वाडा में शौरà¥à¤¯ दिवस मनाने वाले à¤à¥€ उतना ही दोषी हैं जितना परशà¥à¤°à¤¾à¤® जी वे à¤à¤•à¥à¤¤ जो गरà¥à¤µ से उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ à¤à¤—वान का दरà¥à¤œà¤¾ देकर सीना ठोकते हà¥à¤ कहते हैं कि परशà¥à¤°à¤¾à¤® जी ने 21 बार पृथà¥à¤µà¥€ कà¥à¤·à¤¤à¥à¤°à¥€à¤¯ विहीन कर दी थी। यदि हिनà¥à¤¦à¥‚ समाज में आपसी यà¥à¤¦à¥à¤§ को वे गरà¥à¤µ मानते हैं तो आज वे दलितों के जशà¥à¤¨ से अपमानित कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ होते हैं? मेरा उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ किसी की कमजोर à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤“ं पर वार करना नहीं है पर कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ न सामाजिक समरसता राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ à¤à¤•à¤¤à¤¾, अखंडता बनाये रखने के लिठइन à¤à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¸à¤¿à¤• सचà¥à¤šà¥‡ à¤à¥‚ठे पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£à¤¿à¤¤ अपà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£à¤¿à¤¤ गरà¥à¤µà¥‹à¤‚ को अब पीछे छोड़ दिया जाये? à¤à¤• नया हिनà¥à¤¦à¥à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤¨ बनाया जाये वरना à¤à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¸à¤¿à¤• गरà¥à¤µ की à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ के चकà¥à¤•à¤° और वोट की राजनीति में à¤à¤¾à¤°à¤¤ देश ही à¤à¤• अलग इतिहास बनकर रह जायेगा।
---राजीव चौधरी
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