पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ का हिंदू न घर का है न घाट का
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Rajeev ChoudharyDate
29-Mar-2018Category
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पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ का हिंदू न घर का है न घाट का
शामियाना सजा, अतिथियों का जमावड़ा हà¥à¤†, फूलों की सजावट और इतà¥à¤° की बौछारें हà¥à¤ˆ à¤à¥€ हà¥à¤ˆ. शामियाने के पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ दà¥à¤µà¤¾à¤° पर लिखे गये शबà¥à¤¦ दावते-à¤-इसà¥à¤²à¤¾à¤® की à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ का समà¥à¤®à¤¾à¤¨ पता नहीं लोगों के मन में कितना था पर जमीन पर दरियाठबिछी उसके ऊपर कà¥à¤°à¥à¤¸à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ लगी ठीक सामने मंच के इस छोर से उस छोर तक मà¥à¤²à¥à¤²à¤¾ मौलवियों का जमावड़ा था जो खà¥à¤¶à¥€ से फूले नहीं समा रहे थे. दरअसल ये दावत थी इसà¥à¤²à¤¾à¤® को अपनाने की. जिसका आयोजन कर पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ के सिंध पà¥à¤°à¤¾à¤‚त के मातली जिले में माशाअलà¥à¤²à¤¾à¤¹ शादी हाल नजà¥à¤¦ मदरसा में 25 मारà¥à¤š को 50 हिनà¥à¤¦à¥‚ परिवारों के 500 लोगों का सामूहिक रूप से जबरन धरà¥à¤® परिवरà¥à¤¤à¤¨ करवा दिया गया.
मंच पर पीर मà¥à¤–à¥à¤¤à¤¯à¤¾à¤° जान सरहदी, पीर सजà¥à¤œà¤¾à¤¦ जान सरहदी और पीर साकिब जान सरहदी ने कलमा पà¥à¤¾ जिसे सà¤à¥€ हिंदà¥à¤“ं को दोहराने को कहा गया. इन लोगों ने परà¥à¤¦à¥‡ में बैठी महिलाओं व बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ के à¤à¥€ नाम लेकर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ इसà¥à¤²à¤¾à¤® कबूल करने को कहा. सà¤à¥€ हिंदू दà¥à¤–ी मन और छलकती आà¤à¤–ों से कलमा दोहराते रहे. फिर वहां मौजूद लोगों ने उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ नठमà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® बनने की मà¥à¤¬à¤¾à¤°à¤•à¤¬à¤¾à¤¦ दी.
जो लोग कलमा पॠरहे थे, उनके चेहरों पर खà¥à¤¶à¥€ नहीं थी. वे बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ और परà¥à¤¦à¥‹à¤‚ में बैठी महिलाओं के साथ मजबूरी में इसà¥à¤²à¤¾à¤® कबूल कर रहे थे. इनमें से अधिकांश वे थे, जो à¤à¤¾à¤°à¤¤ में शरण लेने आठतो थे. परंतॠलमà¥à¤¬à¥€ अवधि का वीजा नहीं मिलने के कारण उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ लौटना पड़ा था.
राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ की सीमा के उस पार धरà¥à¤® परिवरà¥à¤¤à¤¨ का यह पूरा सिलसिला ठीक उसी दौरान चल रहा था जब जिनेवा में यूà¤à¤¨ मानवाधिकार परिषद के 37 वें सतà¥à¤° में अंतरराषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ को सिंध पà¥à¤°à¤¾à¤‚त में अलà¥à¤ªà¤¸à¤‚खà¥à¤¯à¤• हिंदà¥à¤“ं पर होने वाले अतà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤¾à¤°à¥‹à¤‚ और जबरन धरà¥à¤® परिवरà¥à¤¤à¤¨, हिनà¥à¤¦à¥à¤“ की लड़कियों और महिलाओं के अपहरण पर चिंता जताई जा रही थी. इसका संचालन मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® कनेडियन कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ के फाउंडर व लेखक तारिक फतेह कर रहे थे.
बताया जा रहा है कि राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ में पिछले तीन सालों में 1379 हिंदू विसà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤à¥‹à¤‚ को पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ लौटना पड़ा. à¤à¤¸à¥‡ लोगों का पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ में जबरन धरà¥à¤® परिवरà¥à¤¤à¤¨ हो रहा था. खबर है अà¤à¥€ à¤à¥€ राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ में लमà¥à¤¬à¥€ अवधि के वीजा के लिठ15000 विसà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ दिलà¥à¤²à¥€ और संबंधित जिलों के à¤à¤¸à¤ªà¥€ ऑफिस के चकà¥à¤•à¤° लगा रहे हैं. हालाà¤à¤•à¤¿ राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ में बड़े सà¥à¤¤à¤° पर 2005 में नागरिकता दी गई थी, उसके बाद से 5000 विसà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ नागरिकता के इंतजार में है.
à¤à¤¸à¤¾ नहीं है कि हमारे देश में जगह कम है बलà¥à¤•à¤¿ यहाठबहà¥à¤¤ बड़ी संखà¥à¤¯à¤¾ में विसà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ रहते आये है. इनमें लाखों की तादात में तिबà¥à¤¬à¤¤à¥€ शरणारà¥à¤¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के अलावा लगà¤à¤— 40 हजार रोहिंगà¥à¤¯à¤¾ मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨, जिनके पास न वीजा है न पासपोरà¥à¤Ÿ और करोड़ो की संखà¥à¤¯à¤¾ में बंगलादेशी मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨, अफगान हो या इराकी शरणारà¥à¤¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ समेत à¤à¤¾à¤°à¤¤ दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ का सबसे बà¥à¤¿à¤¯à¤¾ ठिकाना बनता जा रहा हैं. अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ अपने देश की अनूठी परमà¥à¤ªà¤°à¤¾à¤“ं का लà¥à¤¤à¥à¤« आज समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ विशà¥à¤µ उठा रहा है. परमà¥à¤ªà¤°à¤¾à¤“ं, परिपाटियों à¤à¤µà¤‚ à¤à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¸à¤¿à¤• उदहारण की आड़ में हमारे राजनेता à¤à¥€ अपनी हर खà¥à¤µà¤¾à¤¹à¤¿à¤¶ को न केवल पूरा कर रहे हैं बलà¥à¤•à¤¿ अपनी कà¥à¤°à¥à¤¸à¥€ à¤à¥€ सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ रख रहे हैं.
लेकिन जब बात पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ से आये हिनà¥à¤¦à¥‚ शरणारà¥à¤¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की होती है तो कथित धारà¥à¤®à¤¿à¤• जगत से लेकर राजनितिक जगत में à¤à¤• अजीब सी खामोशी छा जाती है. उउनके पास वैध वीजा और पासपोरà¥à¤Ÿ होते हà¥à¤ à¤à¥€ रहने नहीं दिया जाता जबकि अà¤à¥€ पिछले दिनों जब à¤à¤¾à¤°à¤¤ सरकार ने रोहिंगà¥à¤¯à¤¾ मà¥à¤¦à¥à¤¦à¥‡ को उठाया तो उनके समरà¥à¤¥à¤¨ में पूरा विपकà¥à¤· कूद पड़ा, कई धारà¥à¤®à¤¿à¤• संगठन सामने आये इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ मासूम, परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ का शिकार, मजलूम और न जाने कितने à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤‚क शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ से इनका शरणारà¥à¤¥à¥€ अà¤à¤¿à¤·à¥‡à¤• किया जा रहा था. परनà¥à¤¤à¥ जब इसी महीने पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ से अपना धरà¥à¤® बचाकर à¤à¤¾à¤—े हिनà¥à¤¦à¥‚ à¤à¤¾à¤°à¤¤ में शरण मांग रहे थे तो सरकार से लेकर विपकà¥à¤· तक ने अपने कान और आà¤à¤– बंद कर ली नतीजा उनके पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ वापिस लौटते ही उनका धरà¥à¤®à¤¾à¤‚तरण कर दिया गया.
ये पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ में कोई नया काम नहीं हà¥à¤† ये तो वहां हर रोज होता हैं पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ बनने के बाद जब पहली बार जनगणना की गई थी तो उस समय पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ की तीन करोड़ चालीस लाख आबादी में से करीब 20 पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ गैर-मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨ थे. मगर आज पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ के 18 करोड़ नागरिकों में गैर-मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ की सूची में अहमदी समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ को शामिल कर लिठजाने के बावजूद वहां गैर-मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ की आबादी 2 से 3 फीसदी में बची है. 1947 में कराची और पेशावर में लगà¤à¤— डेॠहजार यहूदी बसा करते थे. आज वहां कोई यहूदी दिखाई नहीं देता. विà¤à¤¾à¤œà¤¨ के समय कराची और लाहौर में दस हजार से अधिक पारसी मौजूद थे जबकि आज लाहौर में 20 से पचà¥à¤šà¥€à¤¸ पारसी à¤à¥€ बा मà¥à¤¶à¥à¤•à¤¿à¤² से नहीं बचे हैं. गोवा से कराची में आकर रहने वाले ईसाईयों की संखà¥à¤¯à¤¾ वहां कà¤à¥€ 20 हजार से अधिक थी. ईसाई मà¥à¤¶à¥à¤•à¤¿à¤² से 10 हजार à¤à¥€ नहीं बचे. कà¤à¥€ लाहौर शहर पूरा सिखों का हà¥à¤† करता था आज मà¥à¤¶à¥à¤•à¤¿à¤² से बचे 20 हजार पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥€ सिख à¤à¥€ à¤à¤¯ और नफरत के साये में जी रहे है.
1971 के यà¥à¤¦à¥à¤§ के दौरान और बाद लगà¤à¤— नबà¥à¤¬à¥‡ हजार हिंदू राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ के शिविरों में आ गà¤. ये लोग थरपारकर इलाके में थे जिस पर à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ सेना का कबà¥à¤œà¤¾ हो गया था. 1978 तक उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ शिविरों से बाहर निकलने की अनà¥à¤®à¤¤à¤¿ नहीं थी. बाद में à¤à¥à¤Ÿà¥à¤Ÿà¥‹ सरकार के साथ समà¤à¥‹à¤¤à¤¾ हà¥à¤† पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ को इलाका वापस दे दिया लेकिन पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ ने लोगों को वापस लेने में कोई रà¥à¤šà¤¿ नहीं दिखाई. फिर 1992 में बाबरी मसà¥à¤œà¤¿à¤¦ के विधà¥à¤µà¤‚स के बाद पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ में जो पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ हà¥à¤ˆ उसके परिणाम में अगले पांच साल के दौरान लगà¤à¤— सतà¥à¤°à¤¹ हजार पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥€ हिंदू à¤à¤¾à¤°à¤¤ चले आये. इस बार अधिकांश पलायन करने वालों का संबंध पंजाब से था. 1965 और 1971 में पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ से आने वाले हिंदूओं को आख़िरकार दो हजार चार में à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ नागरिकता मिल गई लेकिन बाबरी मसà¥à¤œà¤¿à¤¦ की पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ के बाद आने वाले पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥€ हिंदूओं को अब तक नागरिकता नहीं मिल सकी है.
पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ के हिंदू सिंह सोढा का कहना है कि पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ का हिंदू न घर का है न घाट का. वहां धरà¥à¤® बदलने की मजबूरी, यहां रोजी-रोटी और न जाने कब खदेड़ दिठजाने का खतरा हर समय मंडराता है. à¤à¤¾à¤°à¤¤ सरकार विसà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ हिंदà¥à¤“ं के पà¥à¤¨à¤°à¥à¤µà¤¾à¤¸ के नियम बनाती तो है, लेकिन जिला सà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ पर उनकी पालना नहीं होती. इसलिठजो लौट रहे हैं, उनके पास धरà¥à¤® बदलने के अलावा दूसरा कोई रासà¥à¤¤à¤¾ à¤à¥€ नहीं है. कई संगठन कलमा पà¥à¤¨à¥‡ वालों को रहने के लिठघर, घरेलू सामान, दहेज का सामान, काम करने के लिठसिलाई मशीनें, नहरों से खेती करने के लिठसाल à¤à¤° पानी का पà¥à¤°à¤²à¥‹à¤à¤¨ à¤à¥€ दे रहे हैं. थारपारकर व उमरकोट इलाकों में जबरन धरà¥à¤® परिवरà¥à¤¤à¤¨ के मामले जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ आ रहे हैं. जब कोई रासà¥à¤¤à¤¾ नहीं बचता तो लोगों के सामने दो ही रासà¥à¤¤à¥‡ बचते है या तो धरà¥à¤® बचा ले या जीवन! अधिकांश लोग जीवन ही बचाना मà¥à¤¨à¤¾à¤¸à¤¿à¤« समà¤à¤¤à¥‡ है.बस यही इस देश के लिठशरà¥à¤® की बात है..
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