ईशà¥à¤µà¤° सà¤à¥€ जीवों के करà¥à¤®à¥‹à¤‚ का साकà¥à¤·à¥€ और उन करà¥à¤®à¥‹à¤‚ का फल पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¤à¤¾ है
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Manmohan Kumar AryaDate
02-Apr-2018Category
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HindiTotal Views
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02-Apr-2018Download PDF
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ईशà¥à¤µà¤° सà¤à¥€ जीवों के करà¥à¤®à¥‹à¤‚ का साकà¥à¤·à¥€ और उन करà¥à¤®à¥‹à¤‚ का फल पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¤à¤¾ है
कà¥à¤¯à¤¾ आप ईशà¥à¤µà¤° व उसके बनाये हà¥à¤ इस संसार को जानते हैं? इसका उतà¥à¤¤à¤° वह बनà¥à¤§à¥ जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने वेद व ऋषियों के शासà¥à¤¤à¥à¤° पà¥à¥‡, जाने व कà¥à¤› समà¤à¥‡ हैं, हां में देते हैं। कोई à¤à¥€ रचना तà¤à¥€ असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ में आती है कि जब कोई जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯ उसकी रचना करता है। कà¥à¤¯à¤¾ कोई पेणà¥à¤Ÿà¤¿à¤‚ग बिना किसी पेणà¥à¤Ÿà¤° के बन सकती ह? कà¥à¤¯à¤¾ कोई मकान बिना इंजीनियर व मिसà¥à¤¤à¥à¤°à¥€-मजदूरों के बन सकता है? कà¥à¤¯à¤¾ संसार में कोई à¤à¤¸à¥€ वसà¥à¤¤à¥ है, जिसका असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ हो और उसका कोई रचयिता वा बनाने वाला न हो। à¤à¤¸à¤¾ समà¥à¤à¤µ नहीं है। किसी à¤à¥€ पदारà¥à¤¥ की रचना दो पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की होती है। पà¥à¤°à¤¥à¤® अपोरूषेय रचनायें और दूसरी पौरूषेय रचनायें। जिन चीजों को मनà¥à¤·à¥à¤¯ लोग बना सकते हैं वह पौरूषेय रचनायें होती है और जिनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ मनà¥à¤·à¥à¤¯ नहीं बना सकते परनà¥à¤¤à¥ जिनका असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ हो, वह रचनायें अपौरूषेय कहलाती है। यह अपौरूषेय रचनायें ईशà¥à¤µà¤° दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ की हà¥à¤ˆ होती हैं। हमारे इस बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤£à¥à¤¡ में अननà¥à¤¤ सूरà¥à¤¯, चनà¥à¤¦à¥à¤°, पृथिवी व लोकलोकानà¥à¤¤à¤° हैं। इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ मनà¥à¤·à¥à¤¯ नहीं बना सकते। इस लिये इनकी रचना ईशà¥à¤µà¤° दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ की गई है। ईशà¥à¤µà¤° दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ रचना होने से यह अपौरूषेय रचनायें है। रेलगाड़ी, हवाई जहाज, मोबाइल फोन, कमà¥à¤ªà¥à¤¯à¥‚टर, कार, बंगला, वसà¥à¤¤à¥à¤°, à¤à¥‹à¤œà¤¨ आदि मनà¥à¤·à¥à¤¯ बना सकते हैं, अतः यह रचनायें पौरूषेय रचनायें होती है। किसी à¤à¥€ रचना में यह सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤ कारà¥à¤¯ करता है कि रचना बिना रचयिता के नहीं होती है। यदि कहीं कोई रचना है तो उसका रचयिता अवशà¥à¤¯ है। यह हो सकता है कि अपने अलà¥à¤ª जà¥à¤žà¤¾à¤¨ से हम उसके रचयिता को जान व देख न पाये परनà¥à¤¤à¥ रचयिता होता अवशà¥à¤¯ है।
मनà¥à¤·à¥à¤¯ व सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€ à¤à¥€ ईशà¥à¤µà¤° की रचनायें हैं। पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का जनà¥à¤® à¤à¥€ ईशà¥à¤µà¤° के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ विधि विधान के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° होता है। माता-पिता तो ईशà¥à¤µà¤° के नियमों का पालन करते हैं। वह तो अपनी किसी सनà¥à¤¤à¤¾à¤¨ के जनà¥à¤® से पूरà¥à¤µ यह à¤à¥€ नहीं जानते कि गरà¥à¤ में जो बालक बन रहा है उसका लिंग कà¥à¤¯à¤¾ है? वह बालक है या बालिका। हां, आजकल कà¥à¤› वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• यनà¥à¤¤à¥à¤° बन गये हैं, जिनकी सहायता से सनà¥à¤¤à¤¾à¤¨ का लिंग जाना जा सकता है। यह ंिलंग à¤à¥€ माता को पता नहीं होता, उसे डाकà¥à¤Ÿà¤° बताये तो तà¤à¥€ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ होता है अनà¥à¤¯à¤¥à¤¾ नहीं। इस चरà¥à¤šà¤¾ से यह निषà¥à¤•à¤°à¥à¤· निकलता है कि संसार में ईशà¥à¤µà¤° है जिसने इस सृषà¥à¤Ÿà¤¿ को बनाया है और वही इसे चला रहा है। संसार के सà¤à¥€ रहसà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को जानने के लिठवेदों का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ आवशà¥à¤¯à¤• है। वेद ईशà¥à¤µà¤° का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ होने से वेदों में ईशà¥à¤µà¤° व सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के वह सà¤à¥€ रहसà¥à¤¯ दिठगये हैं जिनका जà¥à¤žà¤¾à¤¨ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ के लिठआवशà¥à¤¯à¤• है। वेद और मनà¥à¤¤à¥à¤° दà¥à¤°à¤·à¥à¤Ÿà¤¾ ऋषि यह बताते हैं कि ईशà¥à¤µà¤° सचà¥à¤šà¤¿à¤¦à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦à¤¸à¥à¤µà¤°à¥‚प है। वह ईशà¥à¤µà¤° असंखà¥à¤¯ गà¥à¤£à¥‹à¤‚ का धारक है। इन गà¥à¤£à¥‹à¤‚ में ईशà¥à¤µà¤° निराकार, सरà¥à¤µà¤¶à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¨, नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤•à¤¾à¤°à¥€, दयालà¥, अजनà¥à¤®à¤¾, अननà¥à¤¤, निरà¥à¤µà¤¿à¤•à¤¾à¤°, अनादि, अनà¥à¤ªà¤®, सरà¥à¤µà¤¾à¤§à¤¾à¤°, सरà¥à¤µà¥‡à¤¶à¥à¤µà¤°, सरà¥à¤µà¤µà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤•, सरà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤°à¥à¤¯à¤¾à¤®à¥€, अजर, अमर, अà¤à¤¯, नितà¥à¤¯, पवितà¥à¤° और सृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤•à¤¤à¥à¤°à¥à¤¤à¤¾ है।
ईशà¥à¤µà¤° ने यह सृषà¥à¤Ÿà¤¿ बनाई है। कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ बनाई, इसका उतà¥à¤¤à¤° है कि अपनी शाशà¥à¤µà¤¤ सनातन पà¥à¤°à¤œà¤¾ जीवों के पूरà¥à¤µ जनà¥à¤® व कलà¥à¤ª में किये गये शà¥à¤à¤¾à¤¶à¥à¤ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ के सà¥à¤– व दà¥à¤– रूपी फल à¤à¥‹à¤—ने व à¤à¥‹à¤—ाने के लिà¤à¥¤ मनà¥à¤·à¥à¤¯ ने पूरà¥à¤µ कलà¥à¤ª व पूरà¥à¤µ जनà¥à¤® में जैसे करà¥à¤® किये होते हैं, उन संचित करà¥à¤®à¥‹à¤‚ से उसका पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤¬à¥à¤§ बनता है। उस पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤¬à¥à¤§ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° उसको परजनà¥à¤® और करà¥à¤®à¤¾à¤¨à¥à¤¸à¤¾à¤° सà¥à¤– व दà¥à¤ƒà¤– आदि पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होते हैं। ईशà¥à¤µà¤° को जीवों के सà¤à¥€ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ कैसे होता है? इसका उतà¥à¤¤à¤° यह है कि ईशà¥à¤µà¤° चेतन, सरà¥à¤µà¤µà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤•, सरà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤°à¥à¤¯à¤¾à¤®à¥€, अनादि, नितà¥à¤¯, अमर, अविनाशी, अननà¥à¤¤, सरà¥à¤µà¤œà¥à¤ž, नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤•à¤¾à¤°à¥€ आदि अनेक व असंखà¥à¤¯ गà¥à¤£à¥‹à¤‚ से यà¥à¤•à¥à¤¤ है। वह जीवों के पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• करà¥à¤® का साकà¥à¤·à¥€ होता है। मनà¥à¤·à¥à¤¯ व अनà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€ रातà¥à¤°à¤¿ के अनà¥à¤§à¥‡à¤°à¥‡ या कहीं à¤à¥€ छिप कर कोई à¤à¥€ करà¥à¤® करे, करà¥à¤® नहीं अपितॠमन में विचार à¤à¥€ करते हंै, तो à¤à¥€ सरà¥à¤µà¤µà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• व सरà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤°à¥à¤¯à¤¾à¤®à¥€ होने से ईशà¥à¤µà¤° को इन सब बातों का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ हो जाता है। ईशà¥à¤µà¤° में à¤à¥‚लने का गà¥à¤£ नहीं है। वह सà¤à¥€ जीवातà¥à¤®à¤¾ के सà¤à¥€ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ को जानता है व उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ सà¥à¤®à¤°à¤£ रखता है। ईशà¥à¤µà¤° नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤•à¤¾à¤°à¥€ à¤à¥€ है। अपने इसी गà¥à¤£ के कारण ईशà¥à¤µà¤° जीवातà¥à¤®à¤¾à¤“ं को जनà¥à¤®-जनà¥à¤®à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ में उसके पूरà¥à¤µ जनà¥à¤®à¥‹à¤‚ के करà¥à¤®à¤¾à¤¨à¥à¤¸à¤¾à¤° सà¥à¤– व दà¥à¤ƒà¤– रूपी फल देता है।
हम इस जनà¥à¤® में मनà¥à¤·à¥à¤¯ बने हैं तो इसका कारण पूरà¥à¤µ जनà¥à¤® के हमारे करà¥à¤® हैं और ईशà¥à¤µà¤° की कृपा व नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤•à¤¾à¤°à¥€ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ है। इसी कारण हमें इस जनà¥à¤® में माता-पिता, à¤à¤¾à¤ˆ बनà¥à¤§à¥ आदि सà¤à¥€ सà¥à¤– à¤à¥‹à¤— के साधन à¤à¥€ मिले हैं। अतः मनà¥à¤·à¥à¤¯ को अपने किठपूरà¥à¤µ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ का à¤à¥‹à¤— करते हà¥à¤ नये शà¥à¤ करà¥à¤® अवशà¥à¤¯ करने चाहियें। यदि नहीं करेंगे तो वह अपने परजनà¥à¤® का अनà¥à¤®à¤¾à¤¨ कर सकते हैं कि वह किस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° का किस योनि में हो सकता है। यही कारण है कि हमारे पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ ऋषि मà¥à¤¨à¤¿ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ के लिठपà¥à¤°à¤¯à¤¤à¥à¤¨à¤¶à¥€à¤² रहते थे और वेदाधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ सहित वेद पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° करते हà¥à¤ परहित à¤à¤µà¤‚ ईशà¥à¤µà¤° पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ के लिठउपासना आदि की साधना करते थे। ऋषि और योगी ईशà¥à¤µà¤° व आतà¥à¤®à¤¾ का साकà¥à¤·à¤¾à¤¤à¥à¤•à¤¾à¤° à¤à¥€ करते थे। हमारे उपनिषद व दरà¥à¤¶à¤¨ आदि गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ à¤à¤¸à¥‡ ही आपà¥à¤¤ काम व साधना में सफल हà¥à¤ ऋषियों के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ रचे गये हैं। हमें अपने परजनà¥à¤® को सà¥à¤–ी व कलà¥à¤¯à¤¾à¤£à¤ªà¥à¤°à¤¦ बनाने के लिठसदà¥à¤•à¤°à¥à¤®à¥‹à¤‚ पर विशेष धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ देना होगा। इसके लिठवेदाधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ व शासà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¯à¤¨ कर अपने करà¥à¤®à¥‹à¤‚ को सà¥à¤§à¤¾à¤°à¤¨à¤¾ होगा और ईशà¥à¤µà¤°à¥‹à¤ªà¤¾à¤¸à¤¨à¤¾, अगà¥à¤¨à¤¿à¤¹à¥‹à¤¤à¥à¤°, परोपकार, दान आदि के कारà¥à¤¯ करने होंगे। जिन पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ ने पूरà¥à¤µ जनà¥à¤® में अचà¥à¤›à¥‡ काम नहीं किये थे उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ हम इस जनà¥à¤® में कà¥à¤¤à¥à¤¤à¥‡, बिलà¥à¤²à¥€, चूहे, सांप व बिचà¥à¤›à¥‚ सहित गाय, à¤à¥ˆà¤‚स आदि की योनियों में जनà¥à¤® लिया हà¥à¤† देख रहे हैं। ईशà¥à¤µà¤° ने जीवातà¥à¤®à¤¾à¤“ं को à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ योनियों में उनके पूरà¥à¤µ जनà¥à¤®à¥‹à¤‚ के करà¥à¤®à¥‹à¤‚ के आधार पर ही जनà¥à¤® दिया है। किसी के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯ नहीं किया गया है। ईशà¥à¤µà¤° सब जीवों के करà¥à¤®à¥‹à¤‚ का साकà¥à¤·à¥€ है। इसलिये उसे नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ करने में दूसरे किसी की साकà¥à¤·à¥€ की आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ नहीं होती। मनà¥à¤·à¥à¤¯ योनि में नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ का कारà¥à¤¯ करने वाले लोग à¤à¤•à¤¦à¥‡à¤¶à¥€ व अलà¥à¤ªà¤œà¥à¤ž होते हैं। इस कारण उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ में साकà¥à¤·à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ होती है। ईशà¥à¤µà¤° के सरà¥à¤µà¤µà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤•, सरà¥à¤µà¤¦à¥‡à¤¶à¥€ व सरà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤°à¥à¤¯à¤¾à¤®à¥€ होने से उसे किसी की साकà¥à¤·à¥€ की आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ नहीं पड़ती, वह सब जीवों के करà¥à¤®à¥‹à¤‚ व à¤à¤¾à¤µà¥‹à¤‚ को जानता है। इसी कारण उसका नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ आदरà¥à¤¶ नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ होता है।
जीव करà¥à¤® करने में सà¥à¤µà¤¤à¤¨à¥à¤¤à¥à¤° होता है और फल à¤à¥‹à¤—ने में ईशà¥à¤µà¤° के परतनà¥à¤¤à¥à¤° होता है। यह वैदिक सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤ है जिसे वेद, ऋषियों और आपà¥à¤¤ पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ की सà¥à¤µà¥€à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ व सहमति पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ है। à¤à¤• पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ सरà¥à¤µà¤®à¤¾à¤¨à¥à¤¯ सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤ है ‘अवशà¥à¤¯à¤®à¥‡à¤µ हि à¤à¥‹à¤•à¥à¤¤à¤µà¥à¤¯à¤‚ कृतं करà¥à¤® शà¥à¤à¤¾à¤¶à¥à¤à¤‚’ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ मनà¥à¤·à¥à¤¯ जो à¤à¥€ शà¥à¤ व अशà¥à¤ करà¥à¤® करता है, उसके फल उसको अवशà¥à¤¯ ही à¤à¥‹à¤—ने पड़ते हैं। मनà¥à¤·à¥à¤¯ अपने किसी करà¥à¤® का फल à¤à¥‹à¤—े बिना छूटता नहीं है। यह जान लेने के बाद मनà¥à¤·à¥à¤¯ को विचार करना है कि उसे कà¥à¤¯à¤¾ व किस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के करà¥à¤® करने हैं। पà¥à¤£à¥à¤¯ करना है या पाप करना है, यह मनà¥à¤·à¥à¤¯ को सà¥à¤µà¤¯à¤‚ ही निशà¥à¤šà¤¯ करता है। यह à¤à¥€ सामानà¥à¤¯ बात है कि सतà¥à¤¯ ही धरà¥à¤® है और à¤à¥‚ठबोलना व असतà¥à¤¯ करà¥à¤® करना ही पाप व नरक में गिरना है। इसी के साथ इस चरà¥à¤šà¤¾ को विराम देते हैं। ओ३मॠशमà¥à¥¤
---मनमोहन कà¥à¤®à¤¾à¤° आरà¥à¤¯
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