यह जनà¥à¤® हमारे पूरà¥à¤µà¤œà¤¨à¥à¤® का पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¤¨à¥à¤® है और मृतà¥à¤¯à¥ के बाद हमारा पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¤¨à¥à¤® अवशà¥à¤¯ होगा
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Manmohan Kumar AryaDate
06-Apr-2018Category
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RajeevUpload Date
06-Apr-2018Download PDF
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यह जनà¥à¤® हमारे पूरà¥à¤µà¤œà¤¨à¥à¤® का पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¤¨à¥à¤® है और मृतà¥à¤¯à¥ के बाद हमारा पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¤¨à¥à¤® अवशà¥à¤¯ होगा
पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ है कि जनà¥à¤® से पूरà¥à¤µ हमारा असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ था या नहीं? यदि नहीं था तो फिर यह अà¤à¤¾à¤µ से à¤à¤¾à¤µ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ न होने से हà¥à¤† कैसे? विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ का सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤ है कि किसी à¤à¥€ पदारà¥à¤¥ का रूपानà¥à¤¤à¤° तो किया जा सकता है परनà¥à¤¤à¥ उसे पूरà¥à¤£ नषà¥à¤Ÿ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ उसका अà¤à¤¾à¤µ नहीं किया जा सकता। इसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° जिस चीज का अà¤à¤¾à¤µ है अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ जिसका असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ ही नहीं है, उस अà¤à¤¾à¤µ से à¤à¥€ कोई चेतन व जड़ पदारà¥à¤¥ बन नहीं सकता। à¤à¤¾à¤µ से à¤à¤¾à¤µ होता है और अà¤à¤¾à¤µ का अà¤à¤¾à¤µ रहता है। इस सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤ के आधार पर हमारा इस जनà¥à¤® से पूरà¥à¤µ असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ व पà¥à¤°à¥à¤¨à¤œà¤¨à¥à¤® सिदà¥à¤§ होता है। हम यदि आज विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ हैं, जनà¥à¤® के समय व उसके बाद अब तक विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ रहे हैं तो यह निशà¥à¤šà¤¿à¤¤ होता है कि हमारा असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ हमारे जनà¥à¤® से पूरà¥à¤µ à¤à¥€ था। यदि न होता तो फिर इस जनà¥à¤® में वह माता के शरीर में कहां से व कैसे आता? आज विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ ने बहà¥à¤¤ पà¥à¤°à¤—ति कर ली है। उसने à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• पदारà¥à¤¥ को रूपानà¥à¤¤à¤°à¤¿à¤¤ करके अनेकानेक नये व à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• पदारà¥à¤¥ बनायें हैं। à¤à¤• पदारà¥à¤¥ में जो à¤à¤• से अधिक ततà¥à¤µ जैसे पानी में हाइडà¥à¤°à¥‹à¤œà¤¨ और आकà¥à¤¸à¥€à¤œà¤¨ होती है, उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पृथक करने में à¤à¥€ सफलता पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ की है, परनà¥à¤¤à¥ आज का आधà¥à¤¨à¤¿à¤• विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ à¤à¥€ किसी à¤à¤• व à¤à¤• से अधिक à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ से à¤à¤• व अधिक आतà¥à¤®à¤¾à¤“ं को नहीं बना सका है। इससे आतà¥à¤®à¤¾ का सà¥à¤µà¤¤à¤¨à¥à¤¤à¥à¤° व अनà¥à¤¯ पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ से पृथक असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ सिदà¥à¤§ होता है। यदि जड़ पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ से सरà¥à¤µà¤¥à¤¾ à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ चेतन आतà¥à¤®à¤¾ का पृथक व सà¥à¤µà¤¤à¤¨à¥à¤¤à¥à¤° असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ न होता तो हम अनà¥à¤®à¤¾à¤¨ कर सकते हैं कि वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤•à¥‹à¤‚ ने à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ से आतà¥à¤®à¤¾ को बना लिया होता और आतà¥à¤®à¤¾ के बनने के बाद उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने मनà¥à¤·à¥à¤¯ आदि अनेक पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के शरीर à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤—शाला में, माता के गरà¥à¤ में नहीं, बना लिये होते। à¤à¤¸à¤¾ नहीं हो सका अतः जीवातà¥à¤®à¤¾ à¤à¤• अà¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• व चेतन पदारà¥à¤¥ है जिसका पृथक व सà¥à¤µà¤¤à¤¨à¥à¤¤à¥à¤° असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ है। जीवातà¥à¤®à¤¾ मनà¥à¤·à¥à¤¯ का हो या किसी à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€ का, यह à¤à¤• अविनाशी, अनादि, à¤à¤¾à¤µ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ सतà¥à¤¤à¤¾à¤µà¤¾à¤¨, चेतन व à¤à¤•à¤¦à¥‡à¤¶à¥€ पदारà¥à¤¥ सिदà¥à¤§ होता है। इसी चेतन आतà¥à¤®à¤¾ का मनà¥à¤·à¥à¤¯ व अनà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के शरीरों में जनà¥à¤®-मरण होता रहता है जिसके कà¥à¤› नियम व सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤ हैं, जिनकी चरà¥à¤šà¤¾ हम आगे करेंगे।
मनà¥à¤·à¥à¤¯ शरीर चेतन जीवातà¥à¤®à¤¾ à¤à¤µà¤‚ जड़ पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ से निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ यà¥à¤—à¥à¤® को कह सकते हैं। जीवातà¥à¤®à¤¾ जनà¥à¤® से पूरà¥à¤µ माता के गरà¥à¤ में आता है। मृतà¥à¤¯à¥ परà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤ यह मनà¥à¤·à¥à¤¯ के शरीर में रहता है और मृतà¥à¤¯à¥ के समय शरीर से निकल जाता है। शरीर से निकलने की पà¥à¤°à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ ईशà¥à¤µà¤° से पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤¿à¤¤ होती है। कोई à¤à¥€ जीवातà¥à¤®à¤¾ मरना अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ अपने इस जीवन के शरीर को छोड़ना नहीं चाहता। à¤à¤• अदृशà¥à¤¯ सतà¥à¤¤à¤¾ उसे उसकी इचà¥à¤›à¤¾ के विरà¥à¤¦à¥à¤§ शरीर से निकालती है और जीवातà¥à¤®à¤¾ सूकà¥à¤·à¥à¤® शरीर सहित विवश होकर दृशà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• जड़ शरीर का तà¥à¤¯à¤¾à¤— कर चली जाती है और कà¥à¤› काल के बाद ईशà¥à¤µà¤°à¥€à¤¯ नियमों व वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ से पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¤¨à¥à¤® गà¥à¤°à¤¹à¤£ करती है। जीवातà¥à¤®à¤¾ का शरीर से निकलना ही मनà¥à¤·à¥à¤¯ व अनà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की मृतà¥à¤¯à¥ कहलाती है। डाकà¥à¤Ÿà¤° à¤à¥€ परीकà¥à¤·à¤¾ करने के बाद कहते हैं कि ‘ही इज नो मोर’ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ वह मनà¥à¤·à¥à¤¯ वा उसका आतà¥à¤®à¤¾ शरीर में नहीं रहा वा शरीर छोड़ कर चला गया है। ‘मर गया’ शबà¥à¤¦ पर à¤à¥€ विचार करें तो इससे à¤à¥€ यह आà¤à¤¾à¤¸ होता पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤¤ होता है कि कोई शरीर छोड़ कर चला गया है। किसी के मरने पर ‘चल बसा’ à¤à¥€ कहा जाता है जिसका अरà¥à¤¥ यह होता है कि मृतक शरीर का आतà¥à¤®à¤¾ कहीं चला गया है और शरीर यहीं पर बसा व पड़ा है।
मनà¥à¤·à¥à¤¯ का जनà¥à¤® माता के गरà¥à¤ से होता है जहां हिनà¥à¤¦à¥€ के 10 महीनों में उसका निरà¥à¤®à¤¾à¤£ होता है। माता के गरà¥à¤ को कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° या खेत की उपमा दी जाती है और पिता के शà¥à¤•à¥à¤°à¤¾à¤£à¥à¤“ं को बीज की संजà¥à¤žà¤¾ दी जाती है। जिस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से किसान अपने खेत में बीज बोता है, उससे पौधे निकलते हैं, किसान खेत की निराई व गà¥à¥œà¤¾à¤ˆ करता है जिसके परिणाम सà¥à¤µà¤°à¥‚प अथवा पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• वा ईशà¥à¤µà¤°à¥€à¤¯ नियमों के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° समय पर फसल पक कर तैयार हो जाती है। à¤à¤• बीज से वटवृकà¥à¤· बन जाता है। बीज से पौधे, अनà¥à¤¨, ओषधि, वनसà¥à¤ªà¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ तथा फल आदि उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ होते हैं। वृकà¥à¤· व वनसà¥à¤ªà¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ केवल जड़ वा à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• पदारà¥à¤¥ नहीं होते अपितॠइनमें à¤à¤• बीज से लेकर पौधे के रूप में व उसके बाद à¤à¥€ वृदà¥à¤§à¤¿ देखी जाती है। इसके विपरीत जड़ पदारà¥à¤¥ जल, वायà¥, मिटà¥à¤Ÿà¥€ व पतà¥à¤¥à¤° जैसे होते हैं उनमें किसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की वृदà¥à¤§à¤¿ नहीं देखी जाती है। अतः वृकà¥à¤· व वनसà¥à¤ªà¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में à¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯ शरीर की à¤à¤¾à¤‚त सà¥à¤·à¥à¤ªà¥à¤¤ अवसà¥à¤¥à¤¾ में चेतन जीवातà¥à¤®à¤¾ होना पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤¤ होता है। यदि बीज में जीवातà¥à¤®à¤¾ न होती तो फिर पौधों व वृकà¥à¤·à¥‹à¤‚ में वृदà¥à¤§à¤¿ का सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤ काम न करता जैसा कि मनà¥à¤·à¥à¤¯ शरीर में जनà¥à¤® से लेकर यà¥à¤µà¤¾ व पà¥à¤°à¥Œà¤¢à¤¾à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ तक होता है। यह वृकà¥à¤· व पौधे वायà¥, जल, सूरà¥à¤¯ की ऊरà¥à¤œà¤¾ व पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ सहित à¤à¥‚मि से à¤à¥‹à¤œà¤¨ गà¥à¤°à¤¹à¤£ करते हैं। मनà¥à¤·à¥à¤¯ à¤à¥€ अनà¥à¤¨, वनसà¥à¤ªà¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚, फल व गोदà¥à¤—à¥à¤§ आदि से अपना à¤à¥‹à¤œà¤¨ गà¥à¤°à¤¹à¤£ करता है जो उसके शरीर की वृदà¥à¤§à¤¿ व सà¥à¤¥à¤¾à¤¯à¥€à¤¤à¥à¤µ का कारण होता है। इससे मनà¥à¤·à¥à¤¯ आदि पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ सहित वृकà¥à¤·à¥‹à¤‚ व वनसà¥à¤ªà¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में à¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯ के समान चेतन जीवातà¥à¤®à¤¾ के होने का अनà¥à¤®à¤¾à¤¨ व आà¤à¤¾à¤¸ होता है परनà¥à¤¤à¥ वनसà¥à¤ªà¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ आदि में जीवातà¥à¤®à¤¾ जागà¥à¤°à¤¤ अवसà¥à¤¥à¤¾ में न होकर सà¥à¤¶à¥à¤ªà¥à¤¤ अवसà¥à¤¥à¤¾ में होता है, यह पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¤•à¥à¤· दीखता है। वनसà¥à¤ªà¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के पास मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ के समान जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥‡à¤¨à¥à¤¦à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ व करà¥à¤®à¥‡à¤¨à¥à¤¦à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ à¤à¥€ नहीं है।
पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ यह पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ किया जाता है कि यदि जीवातà¥à¤®à¤¾ शरीर से पृथक à¤à¤• चेतन पदारà¥à¤¥ है और इसका पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¤¨à¥à¤® हà¥à¤† व होता है तो फिर इसे अपने पूरà¥à¤µà¤œà¤¨à¥à¤® की बातें सà¥à¤®à¤°à¤£ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ नहीं रहती? इसका उतà¥à¤¤à¤° यह है कि मनà¥à¤·à¥à¤¯ के पूरà¥à¤µ जनà¥à¤® के शरीर का मृतà¥à¤¯à¥ को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होने पर उसकी अनà¥à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤·à¥à¤Ÿà¤¿ व दाह संसà¥à¤•à¤¾à¤° आदि कर दिया जाता है। वह शरीर नये जनà¥à¤® में साथ नहीं जाता। उसके पूरà¥à¤µà¤œà¤¨à¥à¤® के मन, मसà¥à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤•, बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ व अनà¥à¤¤à¤ƒà¤•à¤°à¤£ आदि शरीर के अवयव सà¤à¥€ यहीं छूट जाते हैं। दूसरी बात यह à¤à¥€ है कि हम इसी मनà¥à¤·à¥à¤¯ जनà¥à¤® में पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¤¿à¤¨ पूरà¥à¤µ की बातों को à¤à¥‚लते रहते हैं। हमने पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤ƒ कब किससे कà¥à¤¯à¤¾-कà¥à¤¯à¤¾ बातें की, कà¥à¤¯à¤¾-कà¥à¤¯à¤¾ पदारà¥à¤¥ कब खाये, आज, कल व परसों कौन-कौन से वसà¥à¤¤à¥à¤° पहने थे, उनका रंग कैसा था, हम विगत दो चार दिन में किन-किन से मिले और कà¥à¤¯à¤¾-कà¥à¤¯à¤¾ बातें की आदि का हमें नाम मातà¥à¤° का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ रहता है। अधिकांश बातें हम à¤à¥‚ल चà¥à¤•à¥‡ होते हैं। हम किसी से बात कर रहं हों और वह वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ यदि दस मिनट बाद कहे कि आप अà¤à¥€ जो बोले हैं, उसे उसी रूप में शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ व वाकà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को आगे पीछे किये व छोड़े बिना उसी à¤à¤¾à¤µ-à¤à¤‚गिमा में दोहरा दें, तो हम सà¤à¥€ शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ व वाकà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को जà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का तà¥à¤¯à¥‹à¤‚ नहीं दोहरा सकते। इससे हमारे à¤à¥‚लने की पà¥à¤°à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤à¤¿ का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ होता है। जब हमें इस जनà¥à¤® की दो चार दिन की बहà¥à¤¤ सी बातों का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ नहीं रहता तो फिर यह कहना कि पिछले जनà¥à¤® की बातें याद कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ नहीं रहती, उचित पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ नहीं है। यह à¤à¥€ समà¥à¤à¤µ है कि हम पिछले जनà¥à¤® में मनà¥à¤·à¥à¤¯ ही न रहे हों, पशà¥, पकà¥à¤·à¥€ आदि किसी अनà¥à¤¯ योनि में रहे हों, तो फिर कोई कैसे पिछले जनà¥à¤® की बातों का किंचित à¤à¥€ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ रख सकता है। इसके विपरीत हमारे à¤à¥€à¤¤à¤° जनà¥à¤® जनà¥à¤®à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ के संसà¥à¤•à¤¾à¤° रहते हैं। बचà¥à¤šà¤¾ रोना जानता है, मां का दूध पीना à¤à¥€ उसको आता है। वह सोते हà¥à¤ हंसता है और कà¤à¥€ गमà¥à¤à¥€à¤° व उदास à¤à¥€ हो जाता है। यह सब पूरà¥à¤µ जनà¥à¤®à¥‹à¤‚ के संसà¥à¤•à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ के कारण ही होता है। मां बचà¥à¤šà¥‡ को दूध पिलाते समय उसे दूघ खींचना नहीं सिखाती परनà¥à¤¤à¥ बचà¥à¤šà¤¾ पहले से दूघ खींचना व पीना जानता है, इससे उसका पूरà¥à¤µà¤œà¤¨à¥à¤® सिदà¥à¤§ होता है। अब à¤à¤• परिवार की चरà¥à¤šà¤¾ करते हैं। à¤à¤• परिवार में जà¥à¥œà¤µà¤¾ बचà¥à¤šà¥‡ पैदा होते हैं। दोनों का लालन पालन समान रूप से किया जाता है परनà¥à¤¤à¥ दोनों की जà¥à¤žà¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ व विषयों को गà¥à¤°à¤¹à¤£ करने की शकà¥à¤¤à¤¿ में अनà¥à¤¤à¤° देखा जाता है। à¤à¤• ही परिवार में à¤à¤• बचà¥à¤šà¤¾ गणित में तेज होता है दूसरा कमजोर, à¤à¤• को दाल पसनà¥à¤¦ है और दूसरे को सबà¥à¤œà¥€, à¤à¤• हसंमà¥à¤– है और दूसरा उदास सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ वाला, à¤à¤• माता पिता का अजà¥à¤žà¤¾à¤•à¤¾à¤°à¥€ होता है तो दूसरा अवजà¥à¤žà¤¾ करता है, यह सब à¤à¥€ पूरà¥à¤µà¤œà¤¨à¥à¤® व पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¤¨à¥à¤® को सिदà¥à¤§ करते हैं।
महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ के अंग पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ गीता में कहा गया है ‘जातसà¥à¤¯ हि धà¥à¤°à¥à¤µà¥‹ मृतà¥à¤¯à¥ धà¥à¤°à¥à¤µà¤‚ जनà¥à¤® मृतसà¥à¤¯ च’ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ जनà¥à¤® लेने वाले मनà¥à¤·à¥à¤¯ व पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€ की मृतà¥à¤¯à¥ होना निशà¥à¤šà¤¿à¤¤ है और इसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° मरे हà¥à¤ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€ का पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¤¨à¥à¤® होना à¤à¥€ निशà¥à¤šà¤¿à¤¤ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ घà¥à¤°à¥à¤µ सतà¥à¤¯ है। हम लोग देखते हैं कि संसार में अनेक पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की योनियां हैं। इसका कारण कà¥à¤¯à¤¾ है? इसका कारण जीवातà¥à¤®à¤¾ के पूरà¥à¤µ जनà¥à¤® के करà¥à¤® हà¥à¤† करते हैं। योगदरà¥à¤¶à¤¨ में महरà¥à¤·à¤¿ पतंजलि ने कहा है कि हमारे पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤¬à¥à¤§ से हमारा नया जनà¥à¤®, जाति, आयॠऔर à¤à¥‹à¤— अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ सà¥à¤– व दà¥à¤ƒà¤– निशà¥à¤šà¤¿à¤¤ होते हैं। विवेचन व विशà¥à¤²à¥‡à¤·à¤£ करने पर यह बात सतà¥à¤¯ सिदà¥à¤§ होती है। पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤¬à¥à¤§ पूरà¥à¤µ जनà¥à¤® में किये गये करà¥à¤®à¥‹à¤‚ के खाते को कहते हैं जिनका मृतà¥à¤¯à¥ से पूरà¥à¤µ à¤à¥‹à¤— नहीं किया जा सका। जाति का अरà¥à¤¥ यहां मनà¥à¤·à¥à¤¯ जाति, पशॠजाति, पकà¥à¤·à¥€ जाति व इतर योनियां हैं। यही कारण है कि वेदों में ईशà¥à¤µà¤°, जीवातà¥à¤®à¤¾ और पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ का सतà¥à¤¯ सà¥à¤µà¤°à¥‚प वरà¥à¤£à¤¿à¤¤ व वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¤ है। इसके साथ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ के करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ का विधान à¤à¥€ वेदों में दिया गया है। इन करà¥à¤®à¥‹à¤‚ में ईशà¥à¤µà¤°à¥‹à¤ªà¤¾à¤¸à¤¨à¤¾ के पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤œà¤¨ व विधि पर à¤à¥€ पà¥à¤°à¤°à¥à¤•à¤¾à¤¶ पड़ता है। मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को वायà¥, जल और परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ की शà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿, रोगों से बचाव व निवारण, सà¥à¤–-शानà¥à¤¤à¤¿ व परोपकार आदि के लिठअगà¥à¤¨à¤¿à¤¹à¥‹à¤¤à¥à¤° करना चाहिये। माता-पिता-आचारà¥à¤¯ सहित वृदà¥à¤§ जनों की सेवा सà¥à¤¶à¥à¤°à¥à¤·à¤¾ करनी चाहिये, पशà¥-पकà¥à¤·à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ दया व पà¥à¤°à¥‡à¤® का à¤à¤¾à¤µ रखने के साथ उनके à¤à¥‹à¤œà¤¨ आदि में à¤à¥€ सहयोग करना चाहिये और विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ अतिथियों की सेवा सतà¥à¤•à¤¾à¤° का à¤à¥€ विधान वेदों में मिलता है। जीवन को जà¥à¤žà¤¾à¤¨ व संसà¥à¤•à¤¾à¤° समà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ करने के लिठविदà¥à¤¯à¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¯à¤¨ सहित गृहसà¥à¤¥à¤¾à¤¶à¥à¤°à¤® वा विवाह आदि का विधान à¤à¥€ वेदों में पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता है। परोपकार व दान की महिमा à¤à¥€ वेदों में गाई गई है। à¤à¤¸à¤¾ करने पर हमारा यह जनà¥à¤® व à¤à¤¾à¤µà¥€ पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¤¨à¥à¤® उनà¥à¤¨à¤¤ होता है। हमारे पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ ऋषि मà¥à¤¨à¤¿ व वेदों के विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ सà¤à¥€ जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€ व मनीषी थे। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने विशà¥à¤²à¥‡à¤·à¤£, चिनà¥à¤¤à¤¨-मनन व वेद पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£à¥‹à¤‚ की समीकà¥à¤·à¤¾ करने के बाद ही करà¥à¤®à¤•à¤¾à¤£à¥à¤¡ करने का विधान किया था। à¤à¤¸à¤¾ करके ही हम उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ व धरà¥à¤®, अरà¥à¤¥, काम व मोकà¥à¤· को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होकर अपने जीवन को सफल कर सकते हैं। यह à¤à¥€ बता दें कि आतà¥à¤®à¤¾ सतà¥à¤¯, चेतन, निराकार, अलà¥à¤ªà¤œà¥à¤ž, जà¥à¤žà¤¾à¤¨ व करà¥à¤® के सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ से यà¥à¤•à¥à¤¤, à¤à¤•à¤¦à¥‡à¤¶à¥€, अलà¥à¤ª शकà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से यà¥à¤•à¥à¤¤, ससीम, अनादि, अमर, अविनाशी, जनà¥à¤®-मरण धरà¥à¤®à¤¾, जà¥à¤žà¤¾à¤¨ व शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ को करने पर धरà¥à¤®, अरà¥à¤¥, काम व मोकà¥à¤· को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करती है। जीवातà¥à¤®à¤¾ के सà¥à¤µà¤°à¥‚प पर वैदिक साहितà¥à¤¯ में अनेक पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥‡à¤‚ उपलबà¥à¤§ हैं। उनका अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ करना चाहिये जिससे आतà¥à¤®à¤¾ का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ व विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ हमें सà¥à¤¸à¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ रूप से विदित हो सके और हम अपने जीवन को सतà¥à¤¯ मारà¥à¤— में चला कर जीवन के उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ को सिदà¥à¤§ व सफल कर सकें। ओ३मॠशमà¥à¥¤
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