संसार की बड़ी तीन ही सतà¥à¤¤à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ हैं
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Manmohan Kumar AryaDate
09-Apr-2018Category
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09-Apr-2018Download PDF
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संसार की बड़ी तीन ही सतà¥à¤¤à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ हैं
ससार में केवल तीन ही सतà¥à¤¤à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ व पदारà¥à¤¥ हैं ईशà¥à¤µà¤°, जीव व सृषà¥à¤Ÿà¤¿à¥¤ हमें मनà¥à¤·à¥à¤¯ जनà¥à¤® à¤à¥€ ईशà¥à¤µà¤° ने हमारे पूरà¥à¤µ जनà¥à¤®à¥‹à¤‚ के अवशिषà¥à¤Ÿ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° करà¥à¤®à¥‹à¤‚ का à¤à¥‹à¤— करने के लिठपà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ किया है। हमारे जीवन मे सà¥à¤– व दà¥à¤ƒà¤– आते जाते रहते हैं। धरà¥à¤® वा धारà¥à¤®à¤¿à¤• कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का फल सà¥à¤– व इसके विपरीत करà¥à¤®à¥‹à¤‚ व कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का परिणाम दà¥à¤ƒà¤– होता है। मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को तीन पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के दà¥à¤ƒà¤– पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होते हैं। आधिदैविक, आधिà¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• व आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤•à¥¤ अकाल, अतिवृषà¥à¤Ÿà¤¿, बाà¥, à¤à¥‚कमà¥à¤ª, अनà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ तथा शारीरिक रोग जà¥à¤µà¤° आदि से जो दà¥à¤ƒà¤– पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होते हैं वह इन तीन शà¥à¤°à¥‡à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में आते हैं। हम सà¤à¥€ दà¥à¤ƒà¤–ों से बचना चाहते हैं और हमारी à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ होती है कि हमें सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के सà¥à¤– पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हों और कोई दà¥à¤ƒà¤– पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ न हो। संसार में मनà¥à¤·à¥à¤¯ à¤à¤¸à¥‡ à¤à¤¸à¥‡ दà¥à¤ƒà¤– à¤à¥‹à¤—ते हैं जिनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ देखकर मन दà¥à¤°à¤µà¤¿à¤¤ व दà¥à¤ƒà¤–ी हो जाता है। करोड़ों की संखà¥à¤¯à¤¾ में हमारे देश में à¤à¤¸à¥‡ लोग हैं जिनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ दो समय का पेट à¤à¤° à¤à¥‹à¤œà¤¨ à¤à¥€ सà¥à¤²à¤ नहीं है, अचà¥à¤›à¥‡ सà¥à¤µà¤¾à¤¦à¤¿à¤·à¥à¤Ÿ à¤à¥‹à¤œà¤¨ की बात तो बहà¥à¤¤ दूर है। यह देश की वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ की खामियों के कारण मà¥à¤–à¥à¤¯ रूप से है। बहà¥à¤¤ से लोग रोगों से पीड़ित हैं परनà¥à¤¤à¥ वह डाकà¥à¤Ÿà¤° के पास जाने से à¤à¥€ डरते हैं। अतः साधारण व मधà¥à¤¯à¤® वरà¥à¤—ीय लोगों के दà¥à¤ƒà¤–ों की कोई सीमा नहीं है। à¤à¤¸à¥‡ अनेकानेक दà¥à¤ƒà¤–ों से बचने के लिठही धरà¥à¤® का पालन करने का विधान है। सतà¥à¤¯ बोलने, धरà¥à¤® वा वेद विहित करà¥à¤®à¥‹à¤‚ को करने से मनà¥à¤·à¥à¤¯ को सà¥à¤– की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ होती है। अतः à¤à¤¸à¤¾ करके अधिकांश व सà¤à¥€ दà¥à¤ƒà¤–ों से बचा जा सकता है। इसके लिठहमें अचà¥à¤›à¥‡ संसà¥à¤•à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ व वेदो के अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ की आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ है। वेदाधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ बाल व किशोरावसà¥à¤¥à¤¾ में किसी आरà¥à¤¯ गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤² में पà¥à¤°à¤µà¤¿à¤·à¥à¤Ÿ होकर किया जा सकता है। यà¥à¤µà¤¾à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ व बाद में वेदाधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ के लिठसतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ धरà¥à¤®à¤—à¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ सहित ऋषि दयाननà¥à¤¦ के अनà¥à¤¯ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ व वैदिक साहितà¥à¤¯ का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ कर सतà¥à¤¯ वैदिक मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं व सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¥‹à¤‚ का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ किया जा सकता है। इसके लिठहमारे मन व हृदय में ईशà¥à¤µà¤°, वेद व आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ के सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¥‹à¤‚ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ पूरà¥à¤£ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾ होनी चाहिये। à¤à¤¸à¤¾ करके व वैदिक शिकà¥à¤·à¤¾à¤“ं, मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं व सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¥‹à¤‚ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° आचरण करके हम अधिकांशतः सà¥à¤–ी हो सकते हैं।
वेदों का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ करने से ईशà¥à¤µà¤° के सचà¥à¤šà¥‡ सà¥à¤µà¤°à¥‚प का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ à¤à¥€ अधà¥à¤¯à¥‡à¤¤à¤¾ को होता है। ईशà¥à¤µà¤° का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ होने पर बोध होता है कि ईशà¥à¤µà¤° अननà¥à¤¤ काल से हम पर असंखà¥à¤¯ उपकार करता चला आ रहा है। ईशà¥à¤µà¤° के उन उपकारों का ऋण हम कदापि चà¥à¤•à¤¾ नहीं सकते। इसके लिठवेद और हमारे ऋषि मà¥à¤¨à¤¿ वैदिक मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं के अनà¥à¤°à¥‚प ईशà¥à¤µà¤° के धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ व चिनà¥à¤¤à¤¨ का विधान करते हैं जिसके अनà¥à¤¤à¤°à¥à¤—त मनà¥à¤·à¥à¤¯ को पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤ƒ व सायं की दो सनà¥à¤§à¤¿ वेलाओं में ईशà¥à¤µà¤° की सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿, पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ व उपासना करनी होती है। इसे ‘सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾’ कहते हैं। इसमें सहायता के लिठऋषि दयाननà¥à¤¦ ने पंचमहायजà¥à¤ž विधि नाम से à¤à¤• लघॠगà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ की रचना की है जिसमें सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ का विघान व विधि दी गई है। इसे कोई à¤à¥€ हिनà¥à¤¦à¥€ जानने वाला मनà¥à¤·à¥à¤¯ कर सकता है। पंचमहायजà¥à¤žà¤µà¤¿à¤§à¤¿ की पदà¥à¤§à¤¤à¤¿ से सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ कर ईशà¥à¤µà¤° के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ अपने करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का पालन कर साधक वा मनà¥à¤·à¥à¤¯ ईशà¥à¤µà¤° की कृपा रूप में सà¥à¤– व कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ करने वाली पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कर सकता है। यह सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿, पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ व उपासना ही सचà¥à¤šà¥€ ईशà¥à¤µà¤° की पूजा है। यह à¤à¥€ जानना चाहिये कि ईशà¥à¤µà¤° सचà¥à¤šà¤¿à¤¦à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦à¤¸à¥à¤µà¤°à¥‚प, सरà¥à¤µà¤µà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤•, निराकार, सरà¥à¤µà¤œà¥à¤ž, सरà¥à¤µà¤¶à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¨ व अविनाशी है। वह हमारे हृदय में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ हमारी आतà¥à¤®à¤¾ के à¤à¥€à¤¤à¤° व बाहर सरà¥à¤µà¤¤à¥à¤° विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ है। यदि हम शरीर से बाहर ईशà¥à¤µà¤° को जान व मानकर उपासना करेंगे तो ईशà¥à¤µà¤° की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ होना समà¥à¤à¤µ नहीं है कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि हमारी आतà¥à¤®à¤¾ शरीर के à¤à¥€à¤¤à¤° है। अतः ईशà¥à¤µà¤° की उपासना आतà¥à¤®à¤¾ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ आतà¥à¤®à¤¾ के à¤à¥€à¤¤à¤° ही ईशà¥à¤µà¤° की अनà¥à¤à¥‚ति करते हà¥à¤ उसका धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ व चिनà¥à¤¤à¤¨ करते हà¥à¤ करना ही समà¥à¤à¤µ है। à¤à¤¸à¤¾ करके ही सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿, पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ व उपासना के फल ईशà¥à¤µà¤° से पà¥à¤°à¥€à¤¤à¤¿, ईशà¥à¤µà¤° के धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ से बà¥à¤°à¥€ आदतों का छूटना व ईशà¥à¤µà¤° के गà¥à¤£, करà¥à¤® व सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ के समान जीवातà¥à¤®à¤¾ के गà¥à¤£, करà¥à¤® व सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ का बनना होता है। इससे सरà¥à¤µà¤¶à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¨ ईशà¥à¤µà¤° के सहाय का पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होना à¤à¥€ समà¥à¤à¤µ होता है। अतः सबको वेदाधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ व वैदिक गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ करते हà¥à¤ पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤ƒ व सायं सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ अवशà¥à¤¯ करनी चाहिये जिससे जीवातà¥à¤®à¤¾ के दà¥à¤°à¥à¤—à¥à¤£ व दà¥à¤ƒà¤– आदि दूर होकर जीवातà¥à¤®à¤¾ सदगà¥à¤£à¥‹à¤‚ व सà¥à¤–ों से यà¥à¤•à¥à¤¤ हो सके। सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ ही सचà¥à¤šà¥€ व यथारà¥à¤¥ ईशà¥à¤µà¤° की पूजा है यह विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ ईशà¥à¤µà¤° की पूजा व उपासना करने वाले मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को दृà¥à¤¤à¤¾ से होना चाहिये।
संसार की तीन सतà¥à¤¤à¤¾à¤“ं में à¤à¤• जड़ पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ है जिससे ईशà¥à¤µà¤° ने यह à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• जगत बनाया है। इस जगत में अगà¥à¤¨à¤¿, वायà¥, जल, आकाश और पृथिवी आदि 33 देवता हैं। अन सबमें उपासनीय केवल ईशà¥à¤µà¤° है व हमारे माता-पिता, आचारà¥à¤¯ व उनके समान वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ हैं। जड़ पदारà¥à¤¥ के यथारà¥à¤¥ गà¥à¤£à¥‹à¤‚ को जानना, उनसे यथावतॠउपयोग लेना व उनका अलà¥à¤ªà¤œà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में उपदेश व पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° ही उन पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ की सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ होती है। यह कारà¥à¤¯ हमारे आचारà¥à¤¯ और वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• à¤à¤²à¥€ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° करते हैं। जड़ पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ से पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ करने से न तो वह सà¥à¤¨ सकते हैं और जब वह सà¥à¤¨ ही नहीं सकते तो उस पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ का फल à¤à¥€ उनसे पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ नहीं हो सकता। पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ तà¤à¥€ सारà¥à¤¥à¤• व सफल होती है जब वह अपने से अधिक किसी सामरà¥à¤¥à¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¨ चेतन सतà¥à¤¤à¤¾ से की जाये। इसमें पà¥à¤°à¤¥à¤® सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर तो ईशà¥à¤µà¤° ही है और इतर देवताओं में माता, पिता, आचारà¥à¤¯ à¤à¤µà¤‚ बनà¥à¤§à¥à¤—ण आदि अनेक मनà¥à¤·à¥à¤¯ हो सकते हैं। अतः हमें ईशà¥à¤µà¤° से ही पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ करनी चाहिये जिससे वह सब पूरी हो सकें। जो पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ माता, पिता, आचारà¥à¤¯à¤®à¤£ आदि पूरी कर सकते हैं, वह पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ इनसे ही करनी चाहिये। ईशà¥à¤µà¤° के हमारी आतà¥à¤®à¤¾à¤“ं के à¤à¥€à¤¤à¤° विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ होने से उसकी उपासना तो हर पल व हर कà¥à¤·à¤£ होती रहती है व की जा सकती है। अनà¥à¤¯ चेतन देवता माता, पिता, आचारà¥à¤¯ आदि की यथासमय उपासना आदि की जा सकती है व करनी à¤à¥€ चाहिये। यह à¤à¥€ धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ रहे कि ईशà¥à¤µà¤° को हमसे किसी पदारà¥à¤¥ व सेवा आदि की आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ नहीं है जबकि हमारे माता, पिताओं व आचारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को होती है। अतः हमारा करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ है कि हम अपने माता, पिता व आचारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ की तन, मन व धन से शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤ªà¥‚रà¥à¤µà¤• सेवा सà¥à¤¶à¥à¤°à¥à¤·à¤¾ करें।
अगà¥à¤¨à¤¿à¤¹à¥‹à¤¤à¥à¤° में हम जड़ देवताओं का पूजन व सतà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤“ं दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ उनका शोधन व गà¥à¤£à¤µà¤°à¥à¤§à¤¨ के साथ उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ हानि न पहà¥à¤‚चे इसका धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ रखते हैं। संसार में हमारे लिठपà¥à¤°à¤¾à¤£à¥‹à¤‚ व अनà¥à¤¨ आदि का सरà¥à¤µà¤¾à¤§à¤¿à¤• महतà¥à¤µ है। अगà¥à¤¨à¤¿à¤¹à¥‹à¤¤à¥à¤° यजà¥à¤ž करने से सà¤à¥€ जड़ पदारà¥à¤¥ पà¥à¤·à¥à¤Ÿ व लाà¤à¤¾à¤¨à¥à¤µà¤¿à¤¤ होते हैं। अगà¥à¤¨à¤¿à¤¹à¥‹à¤¤à¥à¤° से वायॠशà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ का पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¤•à¥à¤· व पà¥à¤°à¤®à¥à¤– लाठहोता है। वायॠमें घृत व यजà¥à¤ž सामगà¥à¤°à¥€ के पà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¥‡à¤ªà¤£ व उनके पà¥à¤°à¤œà¥à¤µà¤²à¤¨ से जो शà¥à¤¦à¥à¤§ पà¥à¤°à¤¾à¤£ वायॠउतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ होती है उसमें शà¥à¤µà¤¾à¤‚स लेने से मन व सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ को लाठहोने के साथ अनेकानेक रोगों की निवृतà¥à¤¤à¤¿ व बचाव à¤à¥€ होता है। वायॠके शà¥à¤¦à¥à¤§ होने से आकाशसà¥à¤¥ वायॠव जल दोनों शà¥à¤¦à¥à¤§ होते हैं। शà¥à¤¦à¥à¤§ जल वा वरà¥à¤·à¤¾ से कृषि उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦, वनसà¥à¤ªà¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ व ओषधियां आदि à¤à¥€ शà¥à¤¦à¥à¤§ व पवितà¥à¤° उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ होती है जिससे मनà¥à¤·à¥à¤¯ के सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ को लाठसहित उसके बल व शकà¥à¤¤à¤¿ में वृदà¥à¤§à¤¿ होती है। अगà¥à¤¨à¤¿à¤¹à¥‹à¤¤à¥à¤° से पà¥à¤°à¥‹à¤¹à¤¿à¤¤ जी आदि विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ की संगति होने से नये नये जà¥à¤žà¤¾à¤¨ विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ की उपयोगी बातों की जानकारी à¤à¥€ यजà¥à¤žà¤•à¤°à¥à¤¤à¤¾ को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होती है। à¤à¤¸à¥‡ अनेकानेक लाठयजà¥à¤ž की पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥‹à¤‚ व गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ में उपलबà¥à¤§ है। यजà¥à¤ž à¤à¤¸à¤¾ करà¥à¤® है जिसका लाठइस जीवन में तो होता ही है, परजनà¥à¤® में à¤à¥€ यजà¥à¤ž का लाठमिलता है जिनका सतà¥à¤¶à¤¾à¤¸à¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में विधान है। जहां यजà¥à¤ž होता है उससे पवितà¥à¤° वायॠचारों ओर फैलता वा दूर दूर जाता है और वहां पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ व मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को शà¥à¤µà¤¾à¤‚स के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ लाà¤à¤¾à¤¨à¥à¤µà¤¿à¤¤ करता है। इसका पà¥à¤£à¥à¤¯ à¤à¥€ यजà¥à¤žà¤•à¤°à¥à¤¤à¤¾ को जनà¥à¤®-जनà¥à¤®à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤° में मिलता है। यजà¥à¤ž में वेदमनà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ का उचà¥à¤šà¤¾à¤°à¤£ करने से ईशà¥à¤µà¤° की नाना पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ व पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ होती हैं जो अनरà¥à¤¥à¤• न होकर सारà¥à¤¥à¤• व समयानà¥à¤¸à¤¾à¤° पूरà¥à¤£ होती हैं। इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤ƒ व सायं सूरà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¥à¤¤ के समय व सायं सूरà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¥à¤¤ से पूरà¥à¤µ किया जाने वाला अगà¥à¤¨à¤¿à¤¹à¥‹à¤¤à¥à¤° à¤à¥€ गृहसà¥à¤¥à¥€ व अनà¥à¤¯ यजà¥à¤ž करने वाले सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को समान रूप से लाठपहà¥à¤‚चाता है। इस अगà¥à¤¨à¤¿à¤¹à¥‹à¤¤à¥à¤° को करने से जड़ दवेताओं को लाठहोता है व हम जो पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ का à¤à¥‹à¤— करते हैं, उससे à¤à¤• सीमा तक हम उऋण होते हैं। यह à¤à¥€ जान लें कि यजà¥à¤ž देवपूजा, संगतिकरण व दान को कहते हैं। देवपूजा में अगà¥à¤¨à¤¿à¤¹à¥‹à¤¤à¥à¤° आ जाता है। यजà¥à¤ž में विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ के आगमन से उनसे संगतिकरण होने से हमें नाना पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से लाठहोते हैं। दान न केवल धन अपितॠशà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ गà¥à¤£à¥‹à¤‚ के आदान पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ को à¤à¥€ कहते हैं। इस दान से वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿, समाज व राषà¥à¤Ÿà¥à¤° का महान उपकार होता है। यह यजà¥à¤ž की महनीयता को à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¿à¤¤ करता है। पाठकों को यजà¥à¤ž विषयक गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ को पढकर इनके लाà¤à¥‹à¤‚ से सà¥à¤ªà¤°à¤¿à¤šà¤¿à¤¤ होना चाहिये तà¤à¥€ वह यजà¥à¤ž करके लाà¤à¤¾à¤¨à¥à¤µà¤¿à¤¤ हो सकेंगे।
-मनमोहन कà¥à¤®à¤¾à¤° आरà¥à¤¯
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