जनà¥à¤® व पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¤¨à¥à¤® का आधार हमारे पूरà¥à¤µ जनà¥à¤®à¥‹à¤‚ व वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ जनà¥à¤® के शà¥à¤à¤¾à¤¶à¥à¤ करà¥à¤®â€
Author
Manmohan Kumar AryaDate
28-May-2018Category
लेखLanguage
HindiTotal Views
983Total Comments
0Uploader
RajeevUpload Date
28-May-2018Download PDF
-0 MBTop Articles in this Category
- फलित जयोतिष पाखंड मातर हैं
- राषटरवादी महरषि दयाननद सरसवती
- राम मंदिर à¤à¥‚मि पूजन में धरà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤°à¤ªà¥‡à¤•à¥à¤·à¤¤à¤¾ कहाठगयी? à¤à¤• लंबी सियासी और अदालती लड़ाई के बाद 5 अगसà¥à¤¤ को पà¥
- सनत गरू रविदास और आरय समाज
- बलातकार कैसे रकेंगे
Top Articles by this Author
- ईशवर
- बौदध-जैनमत, सवामी शंकराचारय और महरषि दयाननद के कारय
- अजञान मिशरित धारमिक मानयता
- यदि आरय समाज सथापित न होता तो कया होता ?
- ईशवर व ऋषियों के परतिनिधि व योगयतम उततराधिकारी महरषि दयाननद सरसवती
हम पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¤¿à¤¨ संसार में नये बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ के जनà¥à¤® के समाचार सà¥à¤¨à¤¤à¥‡ रहते हैं। इसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° पशॠव पकà¥à¤·à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ आदि के बचà¥à¤šà¥‡ à¤à¥€ जनà¥à¤® लेते हैं। मनà¥à¤·à¥à¤¯ व पशॠआदि पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के जनà¥à¤® का आधार कà¥à¤¯à¤¾ है? इसका उतà¥à¤¤à¤° न विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ के पास है और न अधिकांश मत-मतानà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ के पास है। इसका तरà¥à¤• à¤à¤µà¤‚ यà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ संगत सतà¥à¤¯ उतà¥à¤¤à¤° वेद व वैदिक साहितà¥à¤¯ में मिलता है। वेद à¤à¤µà¤‚ वैदिक साहितà¥à¤¯ का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ करने पर जà¥à¤žà¤¾à¤¤ होता है कि मनà¥à¤·à¥à¤¯ जनà¥à¤® का आधार हमारे पूरà¥à¤µ जनà¥à¤® में किये गये वह शà¥à¤ व अशà¥à¤ करà¥à¤® हैं जिनका हम à¤à¥‹à¤— नहीं कर पाये हैं। उन बचे हà¥à¤ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ के à¤à¥‹à¤— के लिठही ईशà¥à¤µà¤° ने हमें यह जनà¥à¤® दिया है। योग दरà¥à¤¶à¤¨ के à¤à¤• सूतà¥à¤° के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° हमारे पूरà¥à¤µà¤œà¤¨à¥à¤® के बचे हà¥à¤ शà¥à¤ व अशà¥à¤ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ के आधार पर परमातà¥à¤®à¤¾ हमारी योनि अथवा जाति, आयॠऔर सà¥à¤–-दà¥à¤– रूपी à¤à¥‹à¤—ों को निरà¥à¤§à¤¾à¤°à¤¿à¤¤ करते हैं और उसके अनà¥à¤¸à¤¾à¤° ही हमारा जनà¥à¤® हो जाता है।
पूरà¥à¤µ जनà¥à¤® के करà¥à¤® संचय को ही पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤¬à¥à¤§ कहते हैं। उसी के आधार पर हमारी मनà¥à¤·à¥à¤¯ योनि व मनà¥à¤·à¥à¤¯ जाति परमातà¥à¤®à¤¾ ने तय की थी। हमारी जो आयॠहोती है उसका आधार à¤à¥€ हमारा पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤¬à¥à¤§ ही होता है। इसी कारण कोई कम आयॠमें तो कोई अधिक आयॠमें मृतà¥à¤¯à¥ को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होते हैं। ऋषि दयाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ (1825-1883) ने कहा है कि पà¥à¤°à¥à¤·à¤¾à¤°à¥à¤¥ पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤¬à¥à¤§ से बड़ा होता है। इसका तातà¥à¤ªà¤°à¥à¤¯ यह है कि मनà¥à¤·à¥à¤¯ वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ जीवन में जो पà¥à¤°à¥à¤·à¤¾à¤°à¥à¤¥ करता है उससे पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤¬à¥à¤§ से मिलने वाले सà¥à¤– व दà¥à¤ƒà¤–ों वा जà¥à¤žà¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ आदि उपलबà¥à¤§à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को सà¥à¤§à¤¾à¤°à¤¾ वा पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ किया जा सकता है। इस जनà¥à¤® में हमने जो शिकà¥à¤·à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ की है वह हमें पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¤•à¥à¤· रूप से पà¥à¤°à¥à¤·à¤¾à¤°à¥à¤¥ से पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होती है। यदि हम विदà¥à¤¯à¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¯à¤¨ में पà¥à¤°à¥à¤·à¤¾à¤°à¥à¤¥ न करते तो हमें विदà¥à¤¯à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ न होती। यदि हम सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ के नियमों का पालन न करते तो हमारा सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ à¤à¥€ अचà¥à¤›à¤¾ न होता है। बहà¥à¤¤ से लोगों का सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ खराब होता है। वह रोगी होते हैं और अलà¥à¤ªà¤¾à¤¯à¥ में ही उनकी मृतà¥à¤¯à¥ हो जाती है। इसका कारण इस जनà¥à¤® में सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ के नियमों का पालन न करना अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ उचित पà¥à¤°à¥à¤·à¤¾à¤°à¥à¤¥ न करना ही होता है। यह रोग व असà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¤à¤¾ पूरà¥à¤µà¤œà¤¨à¥à¤® के करà¥à¤®à¥‹à¤‚ व पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤¬à¥à¤§ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° नहीं होती अपितॠइसमें इस जनà¥à¤® के करà¥à¤®à¥‹à¤‚ का à¤à¥€ महतà¥à¤µ होता है। अतः पà¥à¤°à¥à¤·à¤¾à¤°à¥à¤¥ से हम अपनी जाति तो नहीं बदल सकते परनà¥à¤¤à¥ आयॠऔर सà¥à¤– व दà¥à¤ƒà¤– रूपी à¤à¥‹à¤—ों में à¤à¤• सीमा तक सà¥à¤§à¤¾à¤° व बिगाड़ तो कर ही सकते हैं।
पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¤¨à¥à¤® का आधार हमारे पूरà¥à¤µà¤œà¤¨à¥à¤® के शà¥à¤ व अशà¥à¤ करà¥à¤® हैं। सब जीवातà¥à¤®à¤¾à¤“ं के इस जनà¥à¤® के करà¥à¤® à¤à¤• समान नहीं होते। अतः जिन जिन जीवातà¥à¤®à¤¾à¤“ं का जनà¥à¤® हमारे आसपास होता है उनके पूरà¥à¤µ जनà¥à¤® के करà¥à¤®à¥‹à¤‚ में समानता न होने अथवा विविधता होने से उनके माता, पिता, परिवेश आदि अलग अलग होते हैं। बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ की विदà¥à¤¯à¤¾à¤—à¥à¤°à¤¹à¤£ करने की सामरà¥à¤¥à¥à¤¯ व शारीरिक बल आदि à¤à¥€ à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ होने का कारण पूरà¥à¤µà¤œà¤¨à¥à¤® के करà¥à¤®à¥‹à¤‚ मà¥à¤–à¥à¤¯ होते हैं। इसके साथ ही माता-पिता दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ जिस सनà¥à¤¤à¤¾à¤¨ को जनà¥à¤® दिया जाता है, उसका गरà¥à¤à¤•à¤¾à¤² में पालन à¤à¥€ विशेष महतà¥à¤µ रखता है। जनà¥à¤® व पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¤¨à¥à¤® का आधार यदि मनà¥à¤·à¥à¤¯ आदि पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के पूरà¥à¤µà¤•à¥ƒà¤¤ करà¥à¤® न होते तो सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ की आकृति व परिवेश, शारीरिक सामरà¥à¤¥à¥à¤¯ à¤à¤µà¤‚ बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ आदि à¤à¤• समान होनी चाहिये थी। सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ के गà¥à¤£, करà¥à¤®, सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ, सामरà¥à¤¥à¥à¤¯, पà¥à¤°à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤à¤¿ आदि में समानता न होने का मà¥à¤–à¥à¤¯ कारण उनके पूरà¥à¤µà¤œà¤¨à¥à¤® के करà¥à¤® व संसà¥à¤•à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ की à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨à¤¤à¤¾ ही निशà¥à¤šà¤¿à¤¤ होती है।
करà¥à¤®à¥‹à¤‚ के विषय में जब विचार करते हैं तो हमें यह जà¥à¤žà¤¾à¤¤ होता है कि बहà¥à¤¤ से मनà¥à¤·à¥à¤¯ शà¥à¤ करà¥à¤® करते हैं और बहà¥à¤¤ लोग अपने सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ व पà¥à¤°à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤à¤¿ से अशà¥à¤ व अवैदिक करà¥à¤® करते हैं जो कि उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ नहीं करने चाहिये। यह इस जनà¥à¤® के करà¥à¤® होते हैं जिनका उसे वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ व à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ में à¤à¥‹à¤— करना होगा। इसके अतिरिकà¥à¤¤ उसने पूरà¥à¤µ के जो करà¥à¤® किये होते हैं उसे à¤à¥€ उसे à¤à¥‹à¤—ना होता है। सामानà¥à¤¯ जीवन में हम देखते हैं कि यदि हम किसी से ऋण लें तो हमें पहले पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¤¾ ऋण व बकाया धन का à¤à¥à¤—तान चà¥à¤•à¤¤à¤¾ करना होता है। उसके बाद हमें नया ऋण मिलता है। परमातà¥à¤®à¤¾ को à¤à¥€ जीवों के पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥‡ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ का à¤à¥‹à¤— कराना है और वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ जीवन में à¤à¥€ अशà¥à¤ व शà¥à¤ करà¥à¤® संगà¥à¤°à¤¹à¥€à¤¤ हो रहे हैं। उचित पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤¤ होता है कि पहले पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥‡ बचे हà¥à¤ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ का à¤à¥‹à¤— कराया जाये। शायद यही कारण है कि मनà¥à¤·à¥à¤¯ जब इस जनà¥à¤® में अशà¥à¤ करà¥à¤® करता है तो उसे उसी समय उनका फल मिलता हà¥à¤† न देख कर लोग करà¥à¤® फल सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤ को सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° नहीं करते। उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ विचार करना चाहिये कि अशà¥à¤ करà¥à¤® करने वाले मनà¥à¤·à¥à¤¯ ने पूरà¥à¤µ जनà¥à¤®à¥‹à¤‚ व जीवन के आरमà¥à¤ में à¤à¥€ जो शà¥à¤ व अशà¥à¤ करà¥à¤® किये हैं, उनका à¤à¥€ उसे à¤à¥‹à¤— करना है। इसी कारण से कई अशà¥à¤ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ की पà¥à¤°à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤à¤¿ वाले मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को सà¥à¤–ी व समà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ देखा जाता है। जब वह सà¥à¤–ी होते हैं तो इसका अरà¥à¤¥ यह लगता है कि वह पूरà¥à¤µ किये हà¥à¤ अपने शà¥à¤ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ का à¤à¥‹à¤— कर रहे हैं। इस जनà¥à¤® में वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ समय में वह जो अशà¥à¤ करà¥à¤® कर रहा है वह उसे अपने जीवन में आगे अथवा मृतà¥à¤¯à¥ के बाद पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¤¨à¥à¤® में à¤à¥‹à¤—ने होंगे। समसà¥à¤¤ वैदिक साहितà¥à¤¯ जो कि हमारे साकà¥à¤·à¤¾à¤¤à¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤§à¤°à¥à¤®à¤¾ ऋषियों ने पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ किया है, उसके अनà¥à¤¸à¤¾à¤° जीवातà¥à¤®à¤¾ को अपने किये हà¥à¤ शà¥à¤ व अशà¥à¤ सà¤à¥€ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ के सà¥à¤– व दà¥à¤ƒà¤–ीरूपी फलों को अवशà¥à¤¯ ही à¤à¥‹à¤—ना होता है। कोई à¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯ अपने किसी à¤à¥€ करà¥à¤® का फल à¤à¥‹à¤—े बिना नहीं छूट सकता। अतः ईशà¥à¤µà¤° व वैदिक करà¥à¤® फल सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤ में विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ रखना चाहिये। हम जो वैदिक शà¥à¤ करà¥à¤®, सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾, यजà¥à¤ž, मात-पिता-आचारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ की सेवा, परोपकार, दान आदि कर रहे हैं, उसके करà¥à¤® à¤à¥€ हमें यथासमय ईशà¥à¤µà¤°à¥€à¤¯ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ से मिलेंगे।
हम मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ के आचरणों पर à¤à¥€ विचार कर सकते हैं जो सदैव वेद समà¥à¤®à¤¤ शà¥à¤ वा पà¥à¤£à¥à¤¯ करà¥à¤® ही करते हैं। उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¤¨à¥à¤® में मनà¥à¤·à¥à¤¯ योनि पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होने के साथ à¤à¤¸à¥‡ परिवार में उनको जनà¥à¤® मिलने की समà¥à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ होती है जहां सà¤à¥€ लोग धारà¥à¤®à¤¿à¤• à¤à¤µà¤‚ वेदाचरण व सदाचरण करने वाले होते हों। इसके विपरीत अधिकांश में अशà¥à¤ व दà¥à¤°à¤¾à¤šà¤°à¤£ आदि करà¥à¤® करने वालों का आगामी जनà¥à¤® मनà¥à¤·à¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿ शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ योनि में न होकर पशà¥, पकà¥à¤·à¥€ आदि नीच योनियों में होने की समà¥à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ होती है। यदि à¤à¤¸à¤¾ न हो तो फिर इस जनà¥à¤® में लोग सदà¥à¤•à¤°à¥à¤® कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ करेंगे? शायद कोई à¤à¥€ सदà¥à¤•à¤°à¥à¤® नहीं करेगा। कोई à¤à¥€ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ लमà¥à¤¬à¥€ अवधि तक सफलता के साथ तà¤à¥€ चल सकती है जिसमें सदà¥à¤—à¥à¤£à¥‹à¤‚ की पà¥à¤°à¤¶à¤‚सा तथा दà¥à¤—à¥à¤°à¥à¤£à¥‹à¤‚ की à¤à¤°à¥à¤¤à¥à¤¸à¤¨à¤¾ की जाती हो। यजà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦ का 40/2 मनà¥à¤¤à¥à¤° ‘कà¥à¤°à¥à¤µà¤¨à¥à¤¨à¥‡à¤µà¥‡à¤¹ करà¥à¤®à¤¾à¤£à¤¿ जिजीविषेचà¥à¤›à¤¤à¤®à¥ समः’ à¤à¥€ सकेंत कर रहा है कि मनà¥à¤·à¥à¤¯ वेद विहित करà¥à¤® करके सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥ रहते हà¥à¤ सौ वरà¥à¤· की आयॠतक सà¥à¤–पूरà¥à¤µà¤• जीवित रहने की इचà¥à¤›à¤¾ करे। इसका सीधा अरà¥à¤¥ यह है कि वेद विहित सदà¥à¤•à¤°à¥à¤®à¥‹à¤‚ को करने से हमारा यह जीवन सà¥à¤–, समृदà¥à¤§à¤¿ से यà¥à¤•à¥à¤¤ होकर दीरà¥à¤˜à¤¾à¤¯à¥ को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता है। जब सदà¥à¤•à¤°à¥à¤®à¥‹à¤‚ का पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ इस जनà¥à¤® में होता है तो निशà¥à¤šà¤¯ ही पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¤¨à¥à¤® में à¤à¥€ à¤à¥‹à¤— न किये जा सके करà¥à¤®à¥‹à¤‚ से हमें सà¥à¤– व जà¥à¤žà¤¾à¤¨ आदि का लाठहोगा।
मनà¥à¤·à¥à¤¯ का आतà¥à¤®à¤¾ अनादि व अमर है। ईशà¥à¤µà¤° अनादि व अमर है। पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ à¤à¥€ अनादि व नाश रहित है। हमारी यह सृषà¥à¤Ÿà¤¿ ईशà¥à¤µà¤° दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ मूल पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ से ही बनी है। दरà¥à¤¶à¤¨ का सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤ है कि यह सृषà¥à¤Ÿà¤¿ उतà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ व पà¥à¤°à¤²à¤¯ को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होती है और यह कारà¥à¤¯ जगत वा सृषà¥à¤Ÿà¤¿ पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¹ से अनादि है। ईशà¥à¤µà¤°, जीव व पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के अनादि व अमर होने से à¤à¥€ यह निशà¥à¤šà¤¿à¤¤ होता है कि यह सृषà¥à¤Ÿà¤¿ अनादि काल से बनती व पà¥à¤°à¤²à¤¯ को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होती आ रही है और à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ में à¤à¥€ à¤à¤¸à¤¾ ही होगा। जैसे रातà¥à¤°à¤¿ के बाद दिन और दिन के बाद रातà¥à¤°à¤¿ आती व जाती रहती हैं इसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से सृषà¥à¤Ÿà¤¿ की उतà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ व पà¥à¤°à¤²à¤¯ सदैव से होती आयीं हैं और सदैव होती रहेंगी। हम इस जनà¥à¤® में मनà¥à¤·à¥à¤¯ हैं और विचार करने पर निशà¥à¤šà¤¿à¤¤ होता है कि असंखà¥à¤¯ बार हमारे अनेक व पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ सà¤à¥€ योनियों में जनà¥à¤® हो चà¥à¤•à¥‡ हैं। सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¹ से अनादि होने से यह à¤à¥€ निशà¥à¤šà¤¿à¤¤ होता है कि हम अनेक बार मोकà¥à¤· à¤à¥€ रहे हो सकते हैं। सृषà¥à¤Ÿà¤¿ में हम जितनी à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€ योनियां देखते हैं उनमें पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ हम सà¤à¥€ योनियों में अनेक अनेक बार जनà¥à¤® ले चà¥à¤•à¥‡à¤‚ हैं। अतः इन तथà¥à¤¯à¥‹à¤‚ व को जानकर मनà¥à¤·à¥à¤¯ को वेदों का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ कर उनकी शिकà¥à¤·à¤¾à¤“ं के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° ही जीवनयापन करना चाहिये। इसी मारà¥à¤— पर चलने से हमें इस जीवन व परजनà¥à¤® में अधिकाधिक सà¥à¤–, शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ जीवन व योनि सहित मोकà¥à¤· सà¥à¤– à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हो सकता है।
हमारा यह मनà¥à¤·à¥à¤¯ जीवन हमारे पूरà¥à¤µ जनà¥à¤®à¥‹à¤‚ के करà¥à¤®à¥‹à¤‚ वा पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤¬à¥à¤§ का परिणाम है। ईशà¥à¤µà¤° ने हमें वा हमारी आतà¥à¤®à¤¾ को सà¥à¤– पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करने के लिठही यह जीवन दिया है। ईशà¥à¤µà¤° अरà¥à¤¯à¤®à¤¾ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¾à¤§à¥€à¤¶ है। वह पकà¥à¤·à¤ªà¤¾à¤¤ रहित होकर जीव के पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• करà¥à¤® बिना à¤à¥‚ले नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ करता है। जो मनà¥à¤·à¥à¤¯ पाप करà¥à¤® करते हैं ईशà¥à¤µà¤° उनके लिठरà¥à¤¦à¥à¤° वा रूलाने वाला होता है। यह वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ हम संसार में देख रहे हैं। अतः हमें करà¥à¤® फल सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤ को अधिकाधिक जानकर उसे वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤°à¤¿à¤• रूप में अपने जीवन में सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ देना चाहिये। ओ३मॠशमà¥à¥¤
ALL COMMENTS (0)