कहां गया पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ से अलà¥à¤ªà¤¸à¤‚खà¥à¤¯à¤• समà¥à¤¦à¤¾à¤¯?
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Rajeev ChoudharyDate
07-Jun-2018Category
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07-Jun-2018Download PDF
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कहा जाता है कि जिनà¥à¤¨à¤¾ के à¤à¤• अगसà¥à¤¤ के उस à¤à¤¾à¤·à¤£ (“आप सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤° हैं अपने मंदिरों में जाने के लिà¤, आप सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤° हैं अपनी मसà¥à¤œà¤¿à¤¦à¥‹à¤‚ में जाने के लिठऔर अपनी किसी à¤à¥€ इबादतगाह में जाने के लिà¤, आपके संबंध किसी à¤à¥€ धरà¥à¤®, जाति या नसà¥à¤² से हों, राजà¥à¤¯ को इससे कोई लेना देना नहीं”)पर विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ कर पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ को अपना मà¥à¤²à¥à¤• सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° करने वाले अलà¥à¤ªà¤¸à¤‚खà¥à¤¯à¤• समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ ने सपने में à¤à¥€ नहीं सोचा होगा कि जिनà¥à¤¨à¤¾ के अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥€ आने वाले वकà¥à¤¤ में उनके साथ यह हालात पैदा कर देंगे कि उनके नाम और धारà¥à¤®à¤¿à¤• पहचान के साथ उनके धारà¥à¤®à¤¿à¤• सà¥à¤¥à¤² और उनका जीवन à¤à¥€ उनसे छीन लेंगे।
कई रोज पहले पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ के पेशावर शहर में जिस शखà¥à¤¸ को गोली मारी गई, उनका नाम चरणजीत सिंह था। अलà¥à¤ªà¤¸à¤‚खà¥à¤¯à¤•à¥‹à¤‚ के लिठकारà¥à¤¯ करने वाले सामाजिक कारà¥à¤¯à¤•à¤°à¥à¤¤à¤¾ और सिख नेता चरणजीत सिंह की हतà¥à¤¯à¤¾ से à¤à¤• बार फिर साफ हो गया कि पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ में हिंदू, सिख, और अहमदिया जैसे धारà¥à¤®à¤¿à¤• अलà¥à¤ªà¤¸à¤‚खà¥à¤¯à¤•à¥‹à¤‚ के खिलाफ धरà¥à¤® के आधार पर हमले लगातार जारी हैं। इस हतà¥à¤¯à¤¾ से à¤à¤• बार फिर उस कहावत को बल मिला कि पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ में à¤à¤• पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥€ होने के लिठमà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨ होना जरूरी समà¤à¤¾ जाता है। पिछले वरà¥à¤· मानवाधिकार आयोग ने अपनी वारà¥à¤·à¤¿à¤• रिपोरà¥à¤Ÿ को जारी करने के मौके पर कहा था कि पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ में धारà¥à¤®à¤¿à¤• अलà¥à¤ªà¤¸à¤‚खà¥à¤¯à¤• पर जà¥à¤²à¥à¤® बà¥à¤¾ है और लोगों का गायब होना जारी है।
आयोग ने अपनी रिपोरà¥à¤Ÿ दिवंगत कारà¥à¤¯à¤•à¤°à¥à¤¤à¤¾ असमा जहांगीर को समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ करते हà¥à¤ कहा था कि आतंकवाद से संबंधित मौतें à¤à¤²à¥‡ ही कम हà¥à¤ˆ हों लेकिन धारà¥à¤®à¤¿à¤• अलà¥à¤ªà¤¸à¤‚खà¥à¤¯à¤• हिंसा का दंश à¤à¥‡à¤² रहे हैं। उनका अपहरण हो रहा है, लेकिन ईश-निंदा कानून ने लोगों को चà¥à¤ª रहने पर मजबूर कर दिया है। अलà¥à¤ªà¤¸à¤‚खà¥à¤¯à¤• समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ की सामाजिक, सांसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• गतिविधियों को असहिषà¥à¤£à¥à¤¤à¤¾ और चरमपंथ ने सीमित कर दिया है। वहां की सरकार अलà¥à¤ªà¤¸à¤‚खà¥à¤¯à¤•à¥‹à¤‚ पर जà¥à¤²à¥à¤® के मà¥à¤¦à¥à¤¦à¥‡ से निपटने में अपà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¥€ रही और अपने करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को पूरा करने में नाकाम रही।
à¤à¤• रिपोरà¥à¤Ÿ के मà¥à¤¤à¤¾à¤¬à¤¿à¤•, पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ में बसने वाले धारà¥à¤®à¤¿à¤• अलà¥à¤ªà¤¸à¤‚खà¥à¤¯à¤•à¥‹à¤‚ में सबसे अधिक संखà¥à¤¯à¤¾ हिनà¥à¤¦à¥à¤“ं की है। ईसाई आबादी के लिहाज से दूसरे बड़े अलà¥à¤ªà¤¸à¤‚खà¥à¤¯à¤• हैं जबकि उनके अलावा सिख, पारसी, बौदà¥à¤§ पà¥à¤°à¤®à¥à¤– हैं। पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ के चà¥à¤¨à¤¾à¤µ आयोग के दसà¥à¤¤à¤¾à¤µà¥‡à¤œ के मà¥à¤¤à¤¾à¤¬à¤¿à¤• पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ में कà¥à¤² हिंदू मतदाताओं की संखà¥à¤¯à¤¾ 14.9 लाख है, 13.2 लाख ईसाई मतदाता हैं जिनमें 10 लाख पंजाब पà¥à¤°à¤¾à¤‚त में रहते हैं। इसके बाद सिंध में दो लाख नौ हजार 83 ईसाई मतदाता हैं। कà¥à¤² à¤à¤• लाख 19 हजार 749 अहमदी मतदाता हैं जबकि सिख मतदाता 6193 हैं जिनमें केपी में 2597, सिंध में 1477, पंजाब में 1157, फाटा में 730, बलूचिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ में 225 और इसà¥à¤²à¤¾à¤®à¤¾à¤¬à¤¾à¤¦ में 7 रहते हैं। इसके अलावा पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ में 1643 बौदà¥à¤§ मतदाता à¤à¥€ हैं।
दरअसल, आज पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ में हिनà¥à¤¦à¥à¤“ं की आबादी करीब 70 लाख है और यह पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ का सबसे बड़ा अलà¥à¤ªà¤¸à¤‚खà¥à¤¯à¤• समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ है। इस समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ की सबसे बड़ी चिंता जबरन धरà¥à¤®à¤¾à¤‚तरण है, अधिकतर यà¥à¤µà¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का जबरन धरà¥à¤®à¤¾à¤‚तरण होता है। रिपोरà¥à¤Ÿ में कहा गया है कि अधिकतर नाबालिग लड़कियों को अगवा कर लिया जाता उनको जबरन इसà¥à¤²à¤¾à¤® में धरà¥à¤®à¤¾à¤‚रित किया जाता है और फिर मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ से शादी कर दी जाती है।
इसी तरह कà¤à¥€ पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ से लेकर अफगानिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ तक में बौदà¥à¤§ धरà¥à¤® का पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ इतिहास था। पंजाब में तकà¥à¤·à¤¶à¤¿à¤²à¤¾ और खैबर पखà¥à¤¤à¥‚नखà¥à¤µà¤¾ में तखà¥à¤¤ बाई के कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में मौजूद सà¥à¤¤à¥‚प और सà¥à¤µà¤¾à¤¤ घाटी में जनà¥à¤® लेने वाली गंधारा संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ जिसे बौदà¥à¤§ धरà¥à¤® का पालना माना जाता है, लेकिन अब सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ यह है कि पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ में बौदà¥à¤§à¥‹à¤‚ का कोई नियमित मंदिर मौजूद नहीं। बौदà¥à¤§à¥‹à¤‚ का राजनीतिक पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¨à¤¿à¤§à¤¿à¤¤à¥à¤µ तो शूनà¥à¤¯ है ही साथ में वह पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥€ होने के बावजूद पहचान से वंचित हैं, जैसे कोई à¤à¥‚ली-बिसरी कौम हो। धीरे-धीरे हो सकता है कि à¤à¤• दो पीà¥à¥€ बाद उनका वजूद जड़ से ही खतà¥à¤® हो जाà¤à¥¤ पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥€ पंजाब में सिखों के कई पवितà¥à¤° सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ रहे हैं, लेकिन आज वे à¤à¥€ अपना वजूद बचाने के लिठसंघरà¥à¤·à¤°à¤¤ हैं।
यही नहीं पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ में ईसाई लोगों को à¤à¥€ खतरा बराबर बना रहता है। ईश निंदा कानून का डर तलवार की तरह हर समय उनके समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ के सिर पर लटकता रहता है। अखलाक और पहलू खान की हतà¥à¤¯à¤¾ पर à¤à¤¾à¤°à¤¤ को कोसने वाली पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥€ मीडिया में जहां ये सवाल उठाठजाने थे, वहां मीडिया पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ के हिंसक चेहरे को उदारवाद के रंग से लीप-पोतकर यह खबर चला रही है कि पेशावर की रहने वालीं 24 साल की मनमीत कौर पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ की पहली सिख महिला पतà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° बनी। शायद 70 वरà¥à¤· के पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ की जेब में अलà¥à¤ªà¤¸à¤‚खà¥à¤¯à¤• समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ को खà¥à¤¶ करने के लिहाज से सिरà¥à¤« à¤à¤• यही पहली उपलबà¥à¤§à¤¿ है जिसे बार-बार टीवी पर चलाकर चलाकर पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ के चेहरे पर लगे चरणजीत सिंह की हतà¥à¤¯à¤¾ के दाग को धोने की कोशिश की जा रही है।
जबकि सचà¥à¤šà¤¾à¤ˆ यह है कि पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ में मजहब के नाम पर पंथ आधारित हिंसा जारी है और सरकार हमलों और à¤à¥‡à¤¦à¤à¤¾à¤µà¥‹à¤‚ से अलà¥à¤ªà¤¸à¤‚खà¥à¤¯à¤•à¥‹à¤‚ की हिफाजत करने में विफल है। चरमपंथी पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ के लिठविशिषà¥à¤Ÿ इसà¥à¤²à¤¾à¤®à¤¿à¤• पहचान बनाने पर अमादा हैं और à¤à¤¸à¤¾ लगता है कि उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पूरी छूट दी गई है। आजादी के समय पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ में अलà¥à¤ªà¤¸à¤‚खà¥à¤¯à¤•à¥‹à¤‚ की आबादी 20 फीसदी से जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ थी। 1998 की जनगणना के मà¥à¤¤à¤¾à¤¬à¤¿à¤• यह संखà¥à¤¯à¤¾ घटकर अब 3 फीसदी के करीब है। à¤à¤¸à¥‡ में सवाल उठता है कि आखिर 17 फीसदी अलà¥à¤ªà¤¸à¤‚खà¥à¤¯à¤• समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ कहाठगया?
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