आरà¥à¤¯ समाज के कारण कैसे बचा अफà¥à¤°à¥€à¤•à¤¾ का हिनà¥à¤¦à¥‚ समà¥à¤¦à¤¾à¤¯
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Rajeev ChoudharyDate
04-Jul-2018Category
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04-Jul-2018Download PDF
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à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ उपमहादà¥à¤µà¥€à¤ª से निकली आरà¥à¤¯ समाज की वैदिक विचाधारा देश-विदेश जहाठà¤à¥€ गयी अपने साथ लेकर गयी अपनी वेदवाणी, अपनी à¤à¤¾à¤·à¤¾ और सतà¥à¤¯ सनातन वैदिक धरà¥à¤® की वह जीवंत संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ जो समसà¥à¤¤ मानव जाति पर सहिषà¥à¤£à¥à¤¤à¤¾ के साथ उपकार का कारà¥à¤¯ करती है।
देखा जाये तो महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ की शिकà¥à¤·à¤¾à¤à¤‚ à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ à¤à¥‚à¤à¤¾à¤— से निकलकर दकà¥à¤·à¤¿à¤£ अफà¥à¤°à¥€à¤•à¤¾ में 20वीं सदी के आरमà¥à¤ में पहà¥à¤à¤šà¥€à¤‚। दकà¥à¤·à¤¿à¤£ अफà¥à¤°à¥€à¤•à¤¾ में जाने वाले पहले आरà¥à¤¯ समाजी à¤à¤¾à¤ˆ परमानंद 1 9 05 में पहà¥à¤‚चे थे। अपने चार महीने के पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¸ के दौरान, उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने जोहानà¥à¤¸à¤¬à¤°à¥à¤—, पà¥à¤°à¤¿à¤Ÿà¥‹à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ और केप टाउन की यातà¥à¤°à¤¾ की थी। वह अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ और हिनà¥à¤¦à¥€ दोनों के पà¥à¤°à¤–र वकà¥à¤¤à¤¾ थे। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने हिनà¥à¤¦à¥‚ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿, धरà¥à¤®, à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾, ईशà¥à¤µà¤° में विशà¥à¤µà¤¾à¤¸, अपने समारोह, मातृà¤à¤¾à¤·à¤¾ हिनà¥à¤¦à¥€ और शिकà¥à¤·à¤¾ के महतà¥à¤µ पर à¤à¤¾à¤·à¤£ दिà¤à¥¤ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपने तà¥à¤¯à¥Œà¤¹à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ के महतà¥à¤µ पर जोर दिया और तब से वहां दीपावली को हिनà¥à¤¦à¥à¤“ं के तà¥à¤¯à¥Œà¤¹à¤¾à¤° के रूप में पहचाना जाने लगा है। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯à¥‹à¤‚ के बीच हिनà¥à¤¦à¥‚ धरà¥à¤® को मजबूत करने के लिठजमीनी आरà¥à¤¯ समाज समितियों की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ की और विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ हिनà¥à¤¦à¥‚ समूहों को à¤à¤• मंच पर लाने का कारà¥à¤¯ करने के साथ à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯à¥‹à¤‚ को अपने संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ à¤à¤µà¤‚ विरासत पर गरà¥à¤µ करने की शिकà¥à¤·à¤¾ दी तथा सामाजिक सà¥à¤§à¤¾à¤° à¤à¤µà¤‚ शिकà¥à¤·à¤¾ के पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤° का कारà¥à¤¯ किया।
असल में वरà¥à¤· 1 9 08 से पहले अफà¥à¤°à¥€à¤•à¤¾ में हिनà¥à¤¦à¥‚ समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ के लोगों को दीपावली मनाने का अधिकार नहीं था। आप लोग सà¥à¤¨à¤•à¤° आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯ करेंगे कि उस समय अफà¥à¤°à¥€à¤•à¤¾ के हिनà¥à¤¦à¥‚ समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ का सबसे बड़े रूप में मनाया जाने वाला तà¥à¤¯à¥Œà¤¹à¤¾à¤° ताजिया था। मà¥à¤¹à¤°à¥à¤°à¤® के दौरान हिनà¥à¤¦à¥‚ समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ ताजिये का जà¥à¤²à¥‚स निकाला करते थे। यह देख वहां पहà¥à¤‚चे आरà¥à¤¯ समाज के विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ शंकराननà¥à¤¦ को बड़ी निराशा हà¥à¤ˆ हृदय दà¥à¤ƒà¤– से à¤à¤° आया कि अपने उतà¥à¤¸à¤µà¤¾à¤‚ को à¤à¥‚ल आज यहाठहिनà¥à¤¦à¥à¤“ं का सबसे बड़ा उतà¥à¤¸à¤µ ताजिया बन चà¥à¤•à¤¾ है। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी ने लोगों की चेतना जगाने का निरà¥à¤£à¤¯ लिया और अपà¥à¤°à¥ˆà¤² 1 9 10 में, सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€à¤œà¥€ ने मरà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤® शà¥à¤°à¥€ रामचनà¥à¤¦à¥à¤° के जनà¥à¤® का जशà¥à¤¨ मनाने के लिठडरबन की सड़कों पर à¤à¤• रथ जà¥à¤²à¥‚स का आयोजन किया। à¤à¥€à¥œ उमड़ी सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ ने इस अवसर का लाठउठाते हà¥à¤ लोगों को अपने उतà¥à¤¸à¤µà¥‹à¤‚ के सही महतà¥à¤µ को समà¤à¤¾à¤¯à¤¾à¥¤
सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€à¤œà¥€ की मेहनत रंग लाई और परिणामसà¥à¤µà¤°à¥‚प दीपावली को हिनà¥à¤¦à¥à¤“ं के मà¥à¤–à¥à¤¯ तà¥à¤¯à¥Œà¤¹à¤¾à¤° के रूप में सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ किया गया। हिनà¥à¤¦à¥à¤“ं से अपने वैदिक धरà¥à¤® पर गरà¥à¤µ करने का आगà¥à¤°à¤¹ किया और धारà¥à¤®à¤¿à¤• वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¨, संसà¥à¤•à¤¾à¤° और à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤“ं के अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ पर जोर दिया। वह शà¥à¤°à¥€à¤°à¤¾à¤® के जनà¥à¤® और हिनà¥à¤¦à¥‚ कैलेंडर में योगिराज कृषà¥à¤£ की महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ तिथियों से जà¥à¥œà¥‡ उतà¥à¤¸à¤µà¥‹à¤‚ के साथ वैदिक संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ को पà¥à¤¨à¤ƒ सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ करने में सफल रहे। साथ ही उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने डरबन और पीटरà¥à¤¸à¤¬à¤°à¥à¤— में वेद धरà¥à¤® सà¤à¤¾ की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ à¤à¥€ की। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने गाय के लिठहिनà¥à¤¦à¥à¤“ं के मन में गहरे समà¥à¤®à¤¾à¤¨ पर पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ डाला और गौहतà¥à¤¯à¤¾ को रोकने के लिठलड़ाई को लड़ा। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ ने हिनà¥à¤¦à¥‚ चेतना और उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ की à¤à¤•à¤¤à¤¾ को बà¥à¤¾à¤¨à¥‡ में बड़ी जीत हासिल की।
लोगों को राह मिली धीरे-धीरे सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ कारà¥à¤¯à¤•à¤°à¥à¤¤à¤¾ पैदा होने लगे इसी में à¤à¤• आरà¥à¤¯ कारà¥à¤¯à¤•à¤°à¥à¤¤à¤¾ थे पंडित à¤à¤µà¤¾à¤¨à¥€ दयाल जो 1 9 12 में बीस वरà¥à¤· की उमà¥à¤° में à¤à¤¾à¤°à¤¤ से लौटे थें उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने वैदिक धरà¥à¤® का पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° किया और दकà¥à¤·à¤¿à¤£ अफà¥à¤°à¥€à¤•à¤¾ में हिनà¥à¤¦à¥€ के पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° की शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤ की। वह और उनकी पतà¥à¤¨à¥€, गांधी के सतà¥à¤¯à¤¾à¤—à¥à¤°à¤¹ में à¤à¥€ शामिल थे और दोनों अंगेजों की कैद में थे। किनà¥à¤¤à¥ 1916 में रिहा होते ही उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने à¤à¤• हिनà¥à¤¦à¥€ साहितà¥à¤¯à¤¿à¤• समà¥à¤®à¥‡à¤²à¤¨ का आयोजन किया और अफà¥à¤°à¥€à¤•à¤¾ में दो सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ हिनà¥à¤¦à¥€ à¤à¤¾à¤·à¥€ समाचार पतà¥à¤°à¥‹à¤‚ का पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¨ कराया। à¤à¤• अनà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤°à¤•, सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ मंगलानंद पà¥à¤°à¥€, 1913 में नाताल बà¥à¤°à¤¾à¤œà¥€à¤² गà¤à¥¤ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने आरà¥à¤¯ यà¥à¤µà¤• सà¤à¤¾ के तहत वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¨ दिठऔर अपने पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¸ के दौरान, उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने आरà¥à¤¯ समाज में शामिल होने वाले कई यà¥à¤µà¤¾ पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ को आकरà¥à¤·à¤¿à¤¤ किया। 1920 के दशक की शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤ तक अफà¥à¤°à¥€à¤•à¥€ देशों में कई आरà¥à¤¯ समाज सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ करा दिठगठथे।
इसके बाद तो मानो जैसे अफà¥à¤°à¥€à¤•à¥€ à¤à¥‚मि पर आरà¥à¤¯ समाज की लहर चल पड़ी थी। उसी दौरान पंडित पूरà¥à¤£à¤¾à¤¨à¤‚द दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ यà¥à¤—ांडा में आरà¥à¤¯ समाज दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ à¤à¤• बड़ी à¤à¤µà¥à¤¯ इमारत का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ किया गया.।डी ठवी कॉलेज के पà¥à¤°à¥‹à¤«à¥‡à¤¸à¤° रलामम होशियारपà¥à¤° पंजाब से 1931 में अफà¥à¤°à¥€à¤•à¤¾ पहà¥à¤‚चे और वैदिक धरà¥à¤® पर वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¨ दिà¤à¥¤ इसके बाद 1934 में आरà¥à¤¯ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ पंडित आनंद पà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤œà¥€, जो à¤à¤¾à¤°à¤¤ के बड़ौदा के आरà¥à¤¯ कनà¥à¤¯à¤¾ महाविदà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ से लड़कियों के गाइड के à¤à¤• दल के साथ पहà¥à¤‚चे, और शारीरिक शकà¥à¤¤à¤¿ का पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¨ किया, राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ और धारà¥à¤®à¤¿à¤• गीत गाठऔर उनके बलशाली पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¶à¤¾à¤²à¥€ à¤à¤¾à¤·à¤£à¥‹à¤‚ के माधà¥à¤¯à¤® से वैदिक धरà¥à¤® की शिकà¥à¤·à¤¾à¤“ं को फैलाया। 1937 में पà¥à¤°à¥‹à¤«à¥‡à¤¸à¤° यशपाल ने योग की शकà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¨ किया। पंडित ऋषिराम ने 1937 और 1945 में दकà¥à¤·à¤¿à¤£ अफà¥à¤°à¥€à¤•à¤¾ का दौरा किया और वेदों, उपनिषद और गीता के आधार पर शिकà¥à¤·à¤¾à¤à¤‚ दीं।
उस समय यूगांडा आरà¥à¤¯ समाज पूरà¥à¤µà¥€ अफà¥à¤°à¥€à¤•à¤¾ में सबसे सकà¥à¤°à¤¿à¤¯ समाज था। आरà¥à¤¯ समाज के कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ से पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ होकर यà¥à¤—ांडा के कंपाला में कालिदास मेहता जी ने à¤à¤• विशाल à¤à¤µà¥à¤¯ ईमारत आरà¥à¤¯ विदà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ के रूप बनवाकर à¤à¥‡à¤‚ट कर दी। लेकिन आरà¥à¤¯ समाज की इन महान गतिविधियों को 70 के दशक में यà¥à¤—ानà¥à¤¡à¤¾ के सैनिक तानशाह इदी अमीन की मजहबी नजर ने कà¥à¤šà¤²à¤¨à¥‡ का कारà¥à¤¯ किया। उसने गदà¥à¤¦à¥€ पर बैठते ही à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ मूल के सà¤à¥€ लोगों को यà¥à¤—ांडा छोड़ने और आरà¥à¤¯ समाज का काम समापà¥à¤¤ कर दिया। à¤à¤¶à¤¿à¤¯à¤¾à¤ˆ मूल के हजारों लोगों को जो इसà¥à¤²à¤¾à¤® से à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ मत रखते थे जिनमे à¤à¤¾à¤°à¤¤ का à¤à¤• बहà¥à¤¤ बड़ा हिनà¥à¤¦à¥‚ समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ à¤à¥€ था देश से निकाल दिया गया, उनकी संपतà¥à¤¤à¤¿ जबà¥à¤¤ कर ली और अपने दोसà¥à¤¤à¥‹à¤‚ में बाà¤à¤Ÿ दी जब विशà¥à¤µ समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ ने इस घटना को उठाया तो समसà¥à¤¤ मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® देषà¥à¤¶à¥‡à¤‚ ने à¤à¤• सà¥à¤µà¤° में कहा था कि इसà¥à¤²à¤¾à¤® के बीच सिरà¥à¤« इसà¥à¤²à¤¾à¤® को मानने वाले ही रह सकते है।
समय गà¥à¤œà¤°à¤¾ लगà¤à¤— à¤à¤• दशक लमà¥à¤¬à¥€ चली इदी अमीन की मजहबी सतà¥à¤¤à¤¾ के विनाश के बाद कà¥à¤› साल पहले फिर से आरà¥à¤¯ समाज का कारà¥à¤¯ शà¥à¤°à¥‚ हो गया है। आज वहां आरà¥à¤¯ समाज अपने पूरे वेग से कारà¥à¤¯ कर रहा है वहां के आरà¥à¤¯ समाजों आरà¥à¤¯ शिकà¥à¤·à¤£ संसà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ पर लहराती ओ३म धà¥à¤µà¤œ पताका मन में आरà¥à¤¯ समाज के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ अथाह गरà¥à¤µ की à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ à¤à¤° देती है कि आरà¥à¤¯ समाज के उपकार से केवल à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ उपमहादà¥à¤µà¥€à¤ª ही ऋणी नहीं हैं बलà¥à¤•à¤¿ अफà¥à¤°à¥€à¤•à¤¾ में बसे हिनà¥à¤¦à¥à¤“ं पर à¤à¥€ आरà¥à¤¯ समाज का कितना बड़ा उपकार है।
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