कितना महंगा है à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯à¤«à¤² का खेल?
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Rajeev ChoudharyDate
20-Jul-2018Category
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कई दिनों पहले जब इस बात का पता चला तो बड़ा दà¥à¤ƒà¤– हà¥à¤† कि कई परिवार शà¥à¤ मà¥à¤¹à¥‚रà¥à¤¤ में बचà¥à¤šà¥‡ को जनà¥à¤® देने के लिठजà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤· की गणना का सहारा ले रहे हैं, ताकि बचà¥à¤šà¥‡ के जनà¥à¤® गà¥à¤°à¤¹ बदल जाà¤à¤‚ और बचà¥à¤šà¥‡ का à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ सà¥à¤¨à¤¹à¤°à¤¾ बन सके लोगों की यह सोच बनती जा रही है कि यदि शà¥à¤ समय व शà¥à¤ गà¥à¤°à¤¹-नकà¥à¤·à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में बचà¥à¤šà¤¾ जनà¥à¤® लेगा तो वह सौà¤à¤¾à¤—à¥à¤¯à¤¶à¤¾à¤²à¥€ होगा। इसके लिठबाकायदा डॉकà¥à¤Ÿà¤° और जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤· दोनों का सहारा लिया जा रहा है। परनà¥à¤¤à¥ कà¥à¤¯à¤¾ पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के विरà¥( जाकर बिना संसà¥à¤•à¤¾à¤° और अचà¥à¤›à¥€ शिकà¥à¤·à¤¾ के कोई सौà¤à¤¾à¤—à¥à¤¯à¤¶à¤¾à¤²à¥€ हो सकता है? आखिर हमारे समाज में अचानक ये सब विसंगतियां कैसे उà¤à¤°à¤•à¤° आई कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि बहà¥à¤¤ पहले तक कहीं इकà¥à¤•à¤¾-दà¥à¤•à¥à¤•à¤¾ शहरों या किसी गांवों में छोटे-मोटे पंडित थे वे अपने पोथी-पतà¥à¤°à¥‹à¤‚ आदि से à¤à¥‹à¤²à¥‡-à¤à¤¾à¤²à¥‡ लोगों को बेवकूफ बनाकर अपना उलà¥à¤²à¥‚ सीधा कर लिया करते थे किनà¥à¤¤à¥ आज तो बड़ा à¤à¤¾à¤°à¥€ तबका जिसमें पà¥à¥‡-लिखे यà¥à¤µà¤¾, राजनेता, अà¤à¤¿à¤¨à¥‡à¤¤à¤¾ इनके चरणों में शीश à¤à¥à¤•à¤¾à¤•à¤° इनके हर à¤à¤• आदेश का पालन कर रहे हैं।
असल में देखा जाये तो जब सूचना कà¥à¤°à¤¾à¤‚ति के दौर में à¤à¤¾à¤°à¤¤ ने à¤à¥€ शेष दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ के साथ अगली शताबà¥à¤¦à¥€ में कदम रखा था तब अचानक से ये बीमारी हमारे समाज में घर कर गयी थी। जहाठयूरोपीय देश-विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ और टैकà¥à¤¨à¥‹à¤²à¥‰à¤œà¥€ के माधà¥à¤¯à¤® से अपना à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ बनाने में जà¥à¤Ÿà¥‡ थे तब हम अपना हाथ जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤·à¥‹à¤‚ के हाथ में देकर बैठगये। जब वहां के लोग टी.वी. आदि संचार के माधà¥à¤¯à¤®à¥‹à¤‚ से विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ का पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤°à¤£ कर अगली पीà¥à¥€ को जà¥à¤žà¤¾à¤¨ और आधà¥à¤¨à¤¿à¤•à¤¤à¤¾ से जोड़ रहे थे तब à¤à¤¾à¤°à¤¤ को रसातल में पहà¥à¤à¤šà¤¾à¤¨à¥‡ के लिठटी.वी. पर सà¥à¤¬à¤¹-सà¥à¤¬à¤¹ इकà¥à¤•à¤¾-दà¥à¤•à¥à¤•à¤¾ जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤·à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का आगमन शà¥à¤°à¥‚ हो गया था। सूचना कà¥à¤°à¤¾à¤‚ति के इस माहौल में दाती महाराज जैसे लोग आधà¥à¤¨à¤¿à¤• à¤à¤¾à¤°à¤¤ की उपज थी जो कैमरे और टी.वी. की à¤à¤¾à¤·à¤¾ और लोगों की मनोवृति से अचà¥à¤›à¥€ तरह परिचित थे।
धरà¥à¤® का यह à¤à¤• à¤à¤¸à¤¾ शारà¥à¤Ÿà¤•à¤Ÿ था कि अनà¥à¤¯ बड़े-बड़े चैनल इस बाबा से à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ पूछते रह गये बरहाल देखी-देखी सà¥à¤¬à¤¹ का à¤à¤• घंटा जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤· बाबाआें के नाम कर सà¤à¥€ चैनल धरà¥à¤® की इस बहती धारा में टी.आर.पी. की डà¥à¤¬à¤•à¥€ लगाने लगे। बड़े-बड़े उदà¥à¤¯à¥‹à¤—पति से लेकर राजनेता हो या अà¤à¤¿à¤¨à¥‡à¤¤à¤¾ इनमें रूचि लेते दिखाई दिठतो à¤à¤²à¤¾ मधà¥à¤¯à¤® वरà¥à¤— पाखणà¥à¤¡ की इस खà¥à¤°à¤¾à¤• से कहाठपीछे रहना वाला था। धरà¥à¤® के सचà¥à¤šà¥‡ रकà¥à¤·à¤• और जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€à¤œà¤¨ हैरान थे तो धरà¥à¤® की à¤à¥‚ठी वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾ कर अधरà¥à¤® और पाखणà¥à¤¡ की à¤à¤• नई अनोखी सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ हो रही थी।
फिर à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ बताने वालों की इस दौड़ और अंधी कमाई में अचानक से à¤à¤• और निरà¥à¤®à¤² बाबा नामक वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ का दरबार सजने लगा, यहाठà¤à¥€ टी.वी. पर à¤à¥€ विजà¥à¤žà¤¾à¤ªà¤¨à¥‹à¤‚ से धड़ाधड़ ‘कृपा’ बरसने लगी, बाबा किसी को कोई बड़ी तपसà¥à¤¯à¤¾ या धारà¥à¤®à¤¿à¤• आचरण की सलाह नहीं देता है बस छà¥à¤Ÿà¤ªà¥à¤Ÿ काम हैं जैसे किस रंग के परà¥à¤¸ में पैसा रखना और अलमारी में दस के नोट की à¤à¤• गडà¥à¤¡à¥€ रखना, लाल चटनी से समोसा खाना, सोमवार को à¤à¤• दो लीटर दूध चà¥à¤¾à¤¨à¤¾ आदि-आदि।
किनà¥à¤¤à¥ ये समोसे और चटनी का रंग पूछना, इतना आसान नहीं था बदले में वहां आने की कीमत 2000 रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ पà¥à¤°à¤¤à¤¿ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ है जो महीनों पहले बैंक के जरिठजमा करानी पड़ती है। दो साल से अधिक उमà¥à¤° के बचà¥à¤šà¥‡ से à¤à¥€ पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ शà¥à¤²à¥à¤• लिया जाता है। मान लिया जाये अगर à¤à¤• समागम में लगà¤à¤— 20 हजार लोग जमा होते तो उनके दà¥à¤µà¤¾à¤° जमा की गई राशि 4 करोड़ रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ बैठती है। बाबा की कृपा का तो पता नहीं, कहाठबरसती है पर लोगों के इस पैसे से बाबा पर बरसी इस कृपा का अंदाजा आप सà¥à¤µà¤¯à¤‚ लगा सकते हैं। शायद इसी वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¾à¤°à¤µà¤¾à¤¦ के चलते ही कई लोग सà¥à¤µà¤¯à¤‚à¤à¥‚ बाबा, साधॠऔर संत कà¥à¤•à¥à¤°à¤®à¥à¤¤à¥à¤¤à¥‹à¤‚ की तरह पैदा होकर टी.वी. चैनलों पर बैठे हैं। अपने अगले पल की जानकारी इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ à¤à¤²à¥‡ ही न हो पर लोगों के à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ को आर-पार शीशे की तरह देखने का à¤à¤¸à¤¾ ढोंग रचते है कि इनà¥à¤¸à¤¾à¤¨ अपनी जमा पूंजी तक इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ सौंप देता है। कहा जाता जब वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ धरà¥à¤® के मारà¥à¤— से à¤à¤Ÿà¤• जाते है तà¤à¥€ ठग लोग बाजार में उतर आते हैं और ये à¤à¥‹à¤²à¥€-à¤à¤¾à¤²à¥€ जनता को à¤à¤—वान, पà¥à¤°à¤²à¤¯, गà¥à¤°à¤¹-नकà¥à¤·à¤¤à¥à¤° और à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ से डराकर लà¥à¤Ÿà¤¤à¥‡ हैं।
सूचना कà¥à¤°à¤¾à¤‚ति का फायदा उठाकर देश के पà¥à¤°à¤®à¥à¤– समाचार चैनल अपने धंधे के लिठजिस तरह लगातार अंधविशà¥à¤µà¤¾à¤¸ को बà¥à¤¾à¤µà¤¾ दिया और जिस हासà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¥à¤ªà¤¦ और फूहड़ तरीके से जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤· के कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤®à¥‹à¤‚ को परोसा इससे कौन वाकिफ नहीं है। जब टी.आर.पी. गिरती दिखी तो महिला फैमिली गà¥à¤°à¥‚ से à¤à¥€ à¤à¤‚करिंग करायी। जिसके वकà¥à¤· सà¥à¤¥à¤² तक को कम कपड़ों से उघाड़कर परोसा गया, जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾à¤¤à¤° चैनलों ने अब या तो खूबसूरत सà¥à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को बतौर जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤·à¥€ पेश कर दिया है, या फिर à¤à¤¸à¥‡ बाबाओं को जगह दे दी है, जो अकà¥à¤¸à¤° अजीबो-गरीब मेकअप या अतà¥à¤¯à¤§à¤¿à¤• मेकअप में सà¥à¤•à¥à¤°à¥€à¤¨ पर आते हैं। ये दैनिक राशिफल की अलावा परेशान उपà¤à¥‹à¤•à¥à¤¤à¤¾ को लाइफ मैनेजमेंट की बूटी बेचते हैं। पैसा कमाते हैं गरीब जब आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤® के नाम पर किसी की शरण में जाता है तो अंध-विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ हो जाता है, अमीर जब आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤® के नाम पर किसी की शरण में जाता है तो वह अधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤® का कोरà¥à¤¸ हो जाता है। हिनà¥à¤¦à¥€ चैनलों के इन जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤· कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤®à¥‹à¤‚ के बीच à¤à¤‚यकर पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤—िता बन उठी है। हर कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® à¤à¤• बà¥à¤°à¤¾à¤‚ड है। हर किसी के पास अपने-अपने बाबा और पाखणà¥à¤¡ है जहां राशिफल की दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ की नई नई कैटगरी की खोज कर ली गई है। जो देश कà¤à¥€ )षि-मà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ और वेदों का देश था, जà¥à¤žà¤¾à¤¨ और अधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤® का देश था, आज वह देश पाखणà¥à¤¡ का देश बनकर रह गया। अब यदि कोई परिवार à¤à¤¸à¥‡ में शà¥à¤ मà¥à¤¹à¥‚रà¥à¤¤ में बचà¥à¤šà¥‡ को जनà¥à¤® देने के लिठजà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤· की गणना का सहारा ले रहा है तो हम मैं सिरà¥à¤« दà¥à¤ƒà¤– पà¥à¤°à¤•à¤Ÿ कर सकते हैं किनà¥à¤¤à¥ आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯ नहीं।
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