साइंस का मूल सà¥à¤°à¥‹à¤¤ कà¥à¤¯à¤¾ ?
Author
Naveen AryaDate
01-Aug-2018Category
लेखLanguage
HindiTotal Views
737Total Comments
1Uploader
Vedic WebUpload Date
01-Aug-2018Download PDF
-0 MBTop Articles in this Category
- फलित जयोतिष पाखंड मातर हैं
- राषटरवादी महरषि दयाननद सरसवती
- राम मंदिर à¤à¥‚मि पूजन में धरà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤°à¤ªà¥‡à¤•à¥à¤·à¤¤à¤¾ कहाठगयी? à¤à¤• लंबी सियासी और अदालती लड़ाई के बाद 5 अगसà¥à¤¤ को पà¥
- सनत गरू रविदास और आरय समाज
- बलातकार कैसे रकेंगे
Top Articles by this Author
- आतà¥à¤®à¤¾ और परमातà¥à¤®à¤¾
- पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¤¨à¥à¤® का सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤
- विदà¥à¤¯à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ के उपाय
- विशà¥à¤µ पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• मेला 2018 में मेरा अनà¥à¤à¤µ
- समलैंगिकता और ईशà¥à¤µà¤°à¥€à¤¯ आदेश
विदà¥à¤œà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥‡' धातॠसे निषà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ होने से वेद शबà¥à¤¦ का अरà¥à¤¥ ही जà¥à¤žà¤¾à¤¨ होता है और जो विशेष जà¥à¤žà¤¾à¤¨ है उसको विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ कहते हैं, जिसको कि अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ में साइंस कहा जाता । पूरे संसार में अनेक पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के जà¥à¤žà¤¾à¤¨-विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ का पà¥à¤¨à¤¾-पà¥à¤¾à¤¨à¤¾ पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ है, परनà¥à¤¤à¥ इन सब जà¥à¤žà¤¾à¤¨-विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ का मूल सà¥à¤°à¥‹à¤¤ कà¥à¤¯à¤¾ है ? ये सब जà¥à¤žà¤¾à¤¨-विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ आये कहाठसे ? कà¥à¤› लोगों का कहना है कि अलग-अलग विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ ने अपनी-अपनी बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿, योगà¥à¤¯à¤¤à¤¾, अनà¥à¤à¤µ व सामरà¥à¤¥à¥à¤¯ से नये-नये जà¥à¤žà¤¾à¤¨ का खोज करके लोगों के सामने उपसà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ कर दिया । परनà¥à¤¤à¥ वासà¥à¤¤à¤µ में संसार का यह à¤à¤• नियम है कि, बिना सिखाये कोई à¤à¥€ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ कà¥à¤› à¤à¥€ नहीं सीख सकता । इससे जà¥à¤žà¤¾à¤¤ होता है कि, संसार में जितने à¤à¥€ जà¥à¤žà¤¾à¤¨-विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ देखने-सà¥à¤¨à¤¨à¥‡ को मिलता है, इन सबको à¤à¥€ सिखाने वाला कोई न कोई होगा । अनà¥à¤¤à¤¿à¤® में देखें तो महरà¥à¤·à¤¿ पतंजलि जी के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° “स à¤à¤·à¤ƒ पूरà¥à¤µà¥‡à¤·à¤¾à¤®à¤ªà¤¿ गà¥à¤°à¥à¤ƒ...”- (योग॰) अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ सà¤à¥€ गà¥à¤°à¥à¤“ं का à¤à¥€ गà¥à¤°à¥ परमेशà¥à¤µà¤° ही है और परमेशà¥à¤µà¤° का दिया हà¥à¤† जà¥à¤žà¤¾à¤¨ ही यह चारों वेद है ।
महरà¥à¤·à¤¿ मनॠमहाराज कहते हैं,- “सरà¥à¤µ जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤®à¤¯à¥‹ ही सः” अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ वेद सब जà¥à¤žà¤¾à¤¨-विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ का à¤à¤£à¥à¤¡à¤¾à¤° है । हम मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ के लिठजीवन à¤à¤° में जितना कà¥à¤› à¤à¥€ आवशà¥à¤¯à¤• हो सकता है उन सब चीजों का जà¥à¤žà¤¾à¤¨-विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ दयालॠपरमेशà¥à¤µà¤° ने हमें दे रखे हैं । इस संसार में हर पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° का वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° समà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ करने हेतॠऔर सब पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की समसà¥à¤¯à¤¾à¤“ं का समाधान हेतॠपरà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ वेद में निहित है । इस बात की पà¥à¤°à¤¾à¤®à¤¾à¤£à¤¿à¤•à¤¤à¤¾ तो तब होगी जब हम वेद में ही गोता लगायेंगे और निरीकà¥à¤·à¤£-परीकà¥à¤·à¤£ करेंगे ।
वैसे तो वेद के अनà¥à¤¦à¤° अनेक विषयक विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§à¥€ निरà¥à¤¦à¥‡à¤¶ à¤à¤°à¥‡ पड़े हैं परनà¥à¤¤à¥ हम कà¥à¤› ही बिनà¥à¤¦à¥à¤“ं का संकेतातà¥à¤®à¤• दिगà¥à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¨ करने का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ करेंगे । जैसे कि यजà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦ में कहा- “विशà¥à¤µà¤¸à¥à¤¯ दूतममृतमà¥à¥°” ( यजà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦ :-15.33) अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ अगà¥à¤¨à¤¿ (ऊरà¥à¤œà¤¾) संसार का अमर दूत है, उसमें समà¥à¤ªà¥à¤°à¥‡à¤·à¤£ शकà¥à¤¤à¤¿ सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है । ऋगà¥à¤µà¥‡à¤¦ में कहा – “शà¥à¤°à¥à¤§à¤¿ शà¥à¤°à¥à¤¤à¥à¤•à¤°à¥à¤£ वहà¥à¤¨à¤¿à¤à¤¿à¤ƒà¥°” (ऋ.1.44.13) अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ विदà¥à¤¯à¥à¤¤à¥ में शà¥à¤°à¤µà¤£ शकà¥à¤¤à¤¿ विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ है । “अरणà¥à¤¯à¥‹ निहितो जातवेदा:॰” (ऋ.3.29.2) अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ दो लकड़ियों को रगड़ कर अगà¥à¤¨à¤¿ का आविषà¥à¤•à¤¾à¤° किया जाता है । “सूरातॠअशà¥à¤µà¤‚ वसवो निरतषà¥à¤Ÿà¥°” (ऋ.1.163.2) अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤•à¥‹à¤‚ ने सूरà¥à¤¯ से अशà¥à¤µ शकà¥à¤¤à¤¿ वा सौर ऊरà¥à¤œà¤¾ को निकाला । “चकृषे à¤à¥‚मिं पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¨à¤‚”...(ऋ.1.52.12) अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ सूरà¥à¤¯ à¤à¥‚मि को आकरà¥à¤·à¤¿à¤¤ किया हà¥à¤† है ।“अगà¥à¤¨à¤¿à¤·à¥‹à¤®à¥Œ बिà¤à¥à¤°à¤¤à¤¿ आप इतॠताः” (अथरà¥à¤µ.3.13.5) अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ जल के अनà¥à¤¦à¤° अकà¥à¤¸à¥€à¤œà¤¨ और हाइडà¥à¤°à¥‹à¤œà¤¨ विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ है ।“पà¥à¤°à¤¸à¥‹à¤®à¤¾à¤¸à¥‹ विपशà¥à¤šà¤¿à¤¤à¥‹ अपां न यनà¥à¤¤à¤¿ ऊरà¥à¤®à¤¯à¤ƒ” (ऋ.9.33.1) अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ चनà¥à¤¦à¥à¤°à¤®à¤¾ के आकरà¥à¤·à¤£ से समà¥à¤¦à¥à¤° की लहरें ऊपर उठती हैं। “शकमयं धूममॠआरादपशà¥à¤¯à¤®à¥...” (ऋ.1.164.43) अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ सूरà¥à¤¯ की चारों ओर शकà¥à¤¤à¤¿à¤¶à¤¾à¤²à¥€ गैस फैली हà¥à¤ˆ है ।
हमें जिस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से इतिहास पढाया जाता है और बताया जाता है, हमारे मन-मसà¥à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤• में इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° à¤à¤° दिया गया है कि हमारे à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ लोग मà¥à¤°à¥à¤– थे, जंगली थे, उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ कà¥à¤› नहीं आता था । जो कà¥à¤› à¤à¥€ उदà¤à¤¾à¤µà¤¨, गवेषणा, खोज किया है वह सब पाशà¥à¤šà¤¾à¤¤à¥à¤¯ वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤•à¥‹à¤‚ ने ही किया है, छोटी सी सà¥à¤ˆ से लेकर बड़े से विमान तक विदेशी वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤•à¥‹à¤‚ ने ही बनाया है । जब कि यह सब बातें पूरी तरह मिथà¥à¤¯à¤¾ हैं । जब हम वेदादि शासà¥à¤¤à¥à¤° व ऋषि-मà¥à¤¨à¤¿ कृत अनेक गà¥à¤°à¤‚थों का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ करते हैं तो जà¥à¤žà¤¾à¤¤ होता है कि पहले से ही इन सब शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में समसà¥à¤¤ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की विदà¥à¤¯à¤¾ हमारे पूरà¥à¤µà¤œ ऋषियों ने खोज कर लिया था तथा विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§à¥€ अनेक वसà¥à¤¤à¥à¤“ं का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ व पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— à¤à¥€ कर लिया था । इसका सबसे बड़ा उदाहरण अà¤à¥€ à¤à¥€ हमारे सामने उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है महरà¥à¤·à¤¿ à¤à¤°à¤¦à¥à¤µà¤¾à¤œ जी के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ पà¥à¤°à¤£à¥€à¤¤ “बृहद-विमान-शासà¥à¤¤à¥à¤°” के रूप में । इस पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• में अनेक अनà¥à¤¯ आचारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ के नाम à¤à¥€ उलà¥à¤²à¤¿à¤–ित है, जो कि विमान-शासà¥à¤¤à¥à¤° के पà¥à¤°à¤£à¥‡à¤¤à¤¾ रहे हैं । विमान को किन-किन धातà¥à¤“ं से बनाना चाहिठ? यà¥à¤¦à¥à¤§ की सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ में विमान को कैसे बचाना चाहिठ? विमान किस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° आकाश, à¤à¥‚मि और जल के ऊपर व à¤à¥€à¤¤à¤° à¤à¥€ चल सके ? विमान चालक किस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° का वसà¥à¤¤à¥à¤° धारण करे, कैसा à¤à¥‹à¤œà¤¨ करे ? इन सà¤à¥€ बातों की विसà¥à¤¤à¥ƒà¤¤ जानकारी इस विमान-शासà¥à¤¤à¥à¤° में निरà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¤¿à¤¤ किये गठहैं । इससे जà¥à¤žà¤¾à¤¤ होता है कि पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ काल से ही हमारे ऋषि-मà¥à¤¨à¤¿à¤“ं ने à¤à¤¸à¥€ अनेक वसà¥à¤¤à¥à¤“ं का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ किया है और उन सब का पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— à¤à¥€ किया करते थे ।
इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° सैकड़ों मनà¥à¤¤à¥à¤° वेद में विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ हैं जिनमें सैकड़ों वसà¥à¤¤à¥à¤“ं के निरà¥à¤®à¤¾à¤£ का निरà¥à¤¦à¥‡à¤¶ दिया गया है । जैसे कि सà¥à¤¨à¤¨à¥‡ में आता है,- वेद में सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की विदà¥à¤¯à¤¾ विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ है जिससे सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की समसà¥à¤¯à¤¾à¤“ं का समाधान हो सकता है । वरà¥à¤¤à¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ समसà¥à¤¯à¤¾à¤“ं के परिपेकà¥à¤· में समाज जिससे à¤à¤¯à¤‚कर रूप से पीड़ित है उनसे कैसे बचा जाये, उन समसà¥à¤¯à¤¾à¤“ं का कà¥à¤¯à¤¾ समाधान हो सकता है, सब कà¥à¤› वेद में उपदेश किया गया है । वेद के à¤à¤¸à¥‡ और कà¥à¤› उदाहरण पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ करते हैं ।
आज कल पà¥à¤°à¤¦à¥‚षण से लोग कितना दà¥à¤–ी व परेशान हो रहे हैं, शà¥à¤µà¤¾à¤¸ लेना दà¥à¤·à¥à¤•à¤° हो रहा है, लेकिन सरकार की ओर से à¤à¥€ कोइ विशेष उपाय नहीं किया जाता । वेद में उसका निराकरण हेतॠबताया कि “वनसà¥à¤ªà¤¤à¤¿à¤ƒ शमिता...” (यजà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦. 29.34) अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ वनसà¥à¤ªà¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¤¦à¥‚षण निरोधक होता है अतः हमें अधिक से अधिक वृकà¥à¤·-वनसà¥à¤ªà¤¤à¤¿à¤“ं का रोपण करना चाहिये। आज यदि समाज में लोग यजà¥à¤ž-अगà¥à¤¨à¤¿à¤¹à¥‹à¤¤à¥à¤° को ही अपना लेते तो पà¥à¤°à¤¦à¥‚षण से इतनी अधिक मातà¥à¤°à¤¾ में पीड़ित न होते, किनà¥à¤¤à¥ सà¥à¤–-शानà¥à¤¤à¤¿ से यà¥à¤•à¥à¤¤ रहते । जैसे कि यजà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦ में कहा गया है कि – “वाताय सà¥à¤µà¤¾à¤¹à¤¾, धूमाय सà¥à¤µà¤¾à¤¹à¤¾, अà¤à¥à¤°à¤¾à¤¯ सà¥à¤µà¤¾à¤¹à¤¾, मेघाय सà¥à¤µà¤¾à¤¹à¤¾...” (यजà¥. 22.26) अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ जो मनà¥à¤·à¥à¤¯ वायॠकी शà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ के लिà¤, धूम की शà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ के लिà¤, मेघ की शà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ के लिठयजà¥à¤ž कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ करते हैं वे पà¥à¤£à¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¾ हो कर सबका हित करने वाले होते हैं । अतः सबको यजà¥à¤ž-अगà¥à¤¨à¤¿à¤¹à¥‹à¤¤à¥à¤° का अनà¥à¤·à¥à¤ ान नितà¥à¤¯-पà¥à¤°à¤¤à¤¿ करते रहना चाहिठ।
जब कà¤à¥€ वरà¥à¤·à¤¾ के न होने से राजà¥à¤¯ में सà¥à¤–ा वा अकाल पड़ता है, तब यजà¥à¤ž के माधà¥à¤¯à¤® से वृषà¥à¤Ÿà¤¿ कराने का विधान à¤à¥€ है । उसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° जब कà¤à¥€ अधिक वरà¥à¤·à¤¾ के कारण बाॠआ जाये, तो उस सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ में वरà¥à¤·à¤¾ को रोकने के लिठà¤à¥€ यजà¥à¤ž करने का विधान वेद में पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤ªà¤¾à¤¦à¤¿à¤¤ है । अथरà¥à¤µà¤µà¥‡à¤¦ में à¤à¤¸à¤¾ निरà¥à¤¦à¥‡à¤¶ किया गया है कि जस ओर वायॠजाती है, उस ओर बादल à¤à¥€ चल पड़ते हैं अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ वातावरण व परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ के अनà¥à¤°à¥‚प हम अपनी इचà¥à¤›à¤¾ से वायॠकी दिशा बदल कर मेघ को सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤°à¤¿à¤¤ कर सकते हैं और वृषà¥à¤Ÿà¤¿ करा सकते हैं । “मरà¥à¤¦à¥à¤à¤¿à¤ƒ पà¥à¤°à¤šà¥à¤¯à¥à¤¤à¤¾ मेघाः पà¥à¤°à¤¾à¤µà¤¨à¥à¤¤à¥ पृथिवीमन॔ (अथरà¥à¤µ.4.15.9) अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ वायà¥à¤“ं से पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤¿à¤¤ मेघ पृथिवी की ओर खूब जोर से उमड़कर आवें । इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° अति-वृषà¥à¤Ÿà¤¿ और अनावृषà¥à¤Ÿà¤¿ रूपी समसà¥à¤¯à¤¾ का समाधान à¤à¥€ वेद जà¥à¤žà¤¾à¤¨ के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ संà¤à¤µ है ।
वेद में à¤à¤¸à¤¾ निरà¥à¤¦à¥‡à¤¶ à¤à¥€ किया गया है कि, यजà¥à¤ž के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ रोगों की चिकितà¥à¤¸à¤¾ होती है । “मà¥à¤žà¥à¤šà¤¾à¤®à¤¿ तà¥à¤µà¤¾ हविषा जीवनाय कमजà¥à¤žà¤¾à¤¤à¤•à¥à¤·à¥à¤®à¤¾à¤¦à¥à¤¤...” (अथरà¥à¤µ.3.11.1) अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ हे वà¥à¤¯à¤¾à¤§à¤¿à¤—à¥à¤°à¤¸à¥à¤¤ मनà¥à¤·à¥à¤¯! तà¥à¤à¥‡ सà¥à¤–मय जीवन वà¥à¤¯à¤¤à¥€à¤¤ करने के लिठयजà¥à¤ž-हवन के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ जà¥à¤žà¤¾à¤¤ और अजà¥à¤žà¤¾à¤¤ रोगों से बचाता हूठ। वैसे तो समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ आयà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦ ही ऋगà¥à¤µà¥‡à¤¦ का उपवेद है जिसमें कि मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ के साथ-साथ पशà¥-पकà¥à¤·à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के शरीर को à¤à¥€ सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥, बलवान, निरोग व दीरà¥à¤˜à¤¾à¤¯à¥ रखने के लिठविविध पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के उपाय और औषधि बताये गठहैं ।
आज-कल आतंकवादी और नकà¥à¤¸à¤²à¤µà¤¾à¤¦à¥€ बहà¥à¤¤ ही मातà¥à¤°à¤¾ में बà¥à¤¤à¥‡ जा रहे हैं, उनको à¤à¥€ नियनà¥à¤¤à¥à¤°à¤£ करना राजा का करà¥à¤¤à¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ है जैसे कि वेद मनà¥à¤¤à¥à¤° के माधà¥à¤¯à¤® से यह ईशà¥à¤µà¤°à¥€à¤¯ आदेश है - “मेनिः शतवधा हि सा” (अथरà¥à¤µ.12.5.16) अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ वजà¥à¤°à¤°à¥‚प शसà¥à¤¤à¥à¤° से हजारों आततायियों को मारा जा सकता है । “नि चकà¥à¤°à¥‡à¤£ रथà¥à¤¯à¤¾...” अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ राजा चकà¥à¤° के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ शतà¥à¤°à¥ पर पà¥à¤°à¤¹à¤¾à¤° करे।
विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§à¥€ à¤à¤¸à¥€ à¤à¤¸à¥€ विदà¥à¤¯à¤¾ वेद में à¤à¤°à¥‡ पड़े हैं कि हमारी हर आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ की पूरà¥à¤¤à¤¿ हो जाये और हर समसà¥à¤¯à¤¾ का समाधान हो जाये । सृषà¥à¤Ÿà¤¿ विजà¥à¤žà¤¾à¤¨, सामाजिक विजà¥à¤žà¤¾à¤¨, अरà¥à¤¥-वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾, कृषि विजà¥à¤žà¤¾à¤¨, पशॠविजà¥à¤žà¤¾à¤¨, वनसà¥à¤ªà¤¤à¤¿ विजà¥à¤žà¤¾à¤¨, परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£-विजà¥à¤žà¤¾à¤¨, राजनीति-विजà¥à¤žà¤¾à¤¨, शिकà¥à¤·à¤¾-शासà¥à¤¤à¥à¤°, चिकितà¥à¤¸à¤¾-विजà¥à¤žà¤¾à¤¨, शलà¥à¤¯à¤šà¤¿à¤•à¤¿à¤¤à¥à¤¸à¤¾, यजà¥à¤ž-चिकितà¥à¤¸à¤¾, जल-चिकितà¥à¤¸à¤¾, सूरà¥à¤¯-चिकितà¥à¤¸à¤¾, वायà¥-चिकितà¥à¤¸à¤¾, जीव-विजà¥à¤žà¤¾à¤¨, आयà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦ विजà¥à¤žà¤¾à¤¨, मानसरोग-विजà¥à¤žà¤¾à¤¨, परोपकार विजà¥à¤žà¤¾à¤¨, इतà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿ अनेक पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§à¥€ निरà¥à¤¦à¥‡à¤¶ है ।
लेख - आचारà¥à¤¯ नवीन केवली
Thanks for knowledge full statement. God keep you happy.