विदà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ सतà¥à¤¯ वैदिक धरà¥à¤® की उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ में बाधायें
Author
Manmohan Kumar AryaDate
15-Aug-2018Category
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HindiTotal Views
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RajeevUpload Date
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वैदिक धरà¥à¤® संसार का सबसे पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨à¤¤à¤® à¤à¤µà¤‚ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ से यà¥à¤•à¥à¤¤ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€ मातà¥à¤° का हितकारी धरà¥à¤® है। यही à¤à¤• मातà¥à¤° धरà¥à¤® है जो मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ गà¥à¤£, करà¥à¤® व सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ को धारण करने की पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ करता है। वैदिक धरà¥à¤® से इतर हिनà¥à¤¦à¥‚, जैन, बौदà¥à¤§, ईसाई, मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® आदि मत-मतानà¥à¤¤à¤° हैंं। धरà¥à¤® शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ गà¥à¤£-करà¥à¤®-सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ व आचरण को धारण करने को कहते हैं। यदि हमें शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ गà¥à¤£à¥‹à¤‚ का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ ही नहीं होगा तो फिर उनका आचरण हम कदापि नहीं कर सकते। इसी लिठशिकà¥à¤·à¤¾ की आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ होती जिसमें मनà¥à¤·à¥à¤¯ को शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ गà¥à¤£, करà¥à¤® व आचरण आदि के महतà¥à¤µ को बताया जा सके। मत-मतानà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ में इन महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ बातों की पà¥à¤°à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤à¤¿ व परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ का अà¤à¤¾à¤µ दिखाई देता है। पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ सà¤à¥€ मत अपने को शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ व अनà¥à¤¯ मतों को अपने से निमà¥à¤¨ कोटि का मानते हैं। अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ से यह बात सामने आती है कि मनà¥à¤·à¥à¤¯ को जिन शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ गà¥à¤£à¥‹à¤‚ को धारण करना चाहिये, इसका जà¥à¤žà¤¾à¤¨ वेदाधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ व ऋषि मà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के बनाये सतà¥à¤¯ मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं के गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ के अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ से होता है। इस महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ बात को ऋषि दयाननà¥à¤¦ (1825-1883) ने अपने गà¥à¤°à¥ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ विरजाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ की शिकà¥à¤·à¤¾ से जाना था और उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने उनकी पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ से वेद व सतà¥à¤¯ धरà¥à¤® पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° को ही अपने जीवन का लकà¥à¤·à¥à¤¯ बनाया था। इसके पीछे उनका उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ था कि देश व संसार से अविदà¥à¤¯à¤¾ व अजà¥à¤žà¤¾à¤¨ तथा इनसे उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ अनà¥à¤§à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸, पाखणà¥à¤¡ व पकà¥à¤·à¤ªà¤¾à¤¤à¤ªà¥‚रà¥à¤£ परमà¥à¤ªà¤°à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ आदि दूर हो सकें और संसार सतà¥à¤¯ विचारों व मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं को मान कर à¤à¤• दूसरे का हितैषी व शà¥à¤ चिनà¥à¤¤à¤• बन सके। यदि à¤à¤¸à¤¾ होगा तो सरà¥à¤µà¤¤à¥à¤° सà¥à¤– व शानà¥à¤¤à¤¿ हो सकती है और नहीं होगा तो जो सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ में है, वह जारी रहेगी अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ लोग सà¥à¤– व दà¥à¤ƒà¤– में फंसकर धरà¥à¤®, अरà¥à¤¥, काम व मोकà¥à¤· से सरà¥à¤µà¤¥à¤¾ वंचित रहेंगे। यह धà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¤µà¥à¤¯ है कि सतà¥à¤¯ धरà¥à¤® वेद की शिकà¥à¤·à¤¾à¤“ं के पालन से ही चार पà¥à¤°à¥à¤·à¤¾à¤°à¥à¤¥ धरà¥à¤®, अरà¥à¤¥, काम व मोकà¥à¤· सिदà¥à¤§ होते हैं और यही वैदिक धरà¥à¤® का पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤œà¤¨ है।
वेद ईशà¥à¤µà¤°à¥€à¤¯ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ है जो ईशà¥à¤µà¤° ने सृषà¥à¤Ÿà¤¿ उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ कर अमैथà¥à¤¨à¥€ सृषà¥à¤Ÿà¤¿ में उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ चार ऋषियों को दिया था। ईशà¥à¤µà¤° सचà¥à¤šà¤¿à¤¦à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦à¤¸à¥à¤µà¤°à¥‚प, सरà¥à¤µà¤µà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• और सरà¥à¤µà¤œà¥à¤ž है अतः उसका जà¥à¤žà¤¾à¤¨ सरà¥à¤µà¤¥à¤¾ सतà¥à¤¯ व निरà¥à¤¦à¥‹à¤· है। इसमें कोई बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿à¤®à¤¾à¤¨ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ व विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ सनà¥à¤¦à¥‡à¤¹ नहीं कर सकता। महाà¤à¤¾à¤°à¤¤à¤•à¤¾à¤² के बाद ऋषि दयाननà¥à¤¦ à¤à¤•à¤®à¤¾à¤¤à¥à¤° à¤à¤¸à¥‡ ऋषि हà¥à¤ हैं जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने वेदों का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨, अनà¥à¤¸à¤‚धान वा इनकी जांच-पड़ताल की और पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ अषà¥à¤Ÿà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥€, महाà¤à¤¾à¤·à¥à¤¯, निरà¥à¤•à¥à¤¤ आदि वेदांगों की सहायता से वेदों के यथारà¥à¤¥ अरà¥à¤¥à¥‹à¤‚ को जाना और पाया कि वेदों का पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• वाकà¥à¤¯ सतà¥à¤¯ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ व कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤“ं का उदà¥à¤˜à¤¾à¤Ÿà¤¨ करता है। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ का à¤à¤• नियम à¤à¥€ बनाया कि सब सतà¥à¤¯ विदà¥à¤¯à¤¾ और जो पदारà¥à¤¥ विदà¥à¤¯à¤¾ से जाने जाते हैं उनका आदि मूल परमेशà¥à¤µà¤° है। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने सà¤à¥€ मत-मतानà¥à¤¤à¤° व विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ को इस मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ की पà¥à¤·à¥à¤Ÿà¤¿ करने की चà¥à¤¨à¥Œà¤¤à¥€ à¤à¥€ दी थी। सनॠ1875 में बने इस नियम को उनके बाद के 8 वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ के जीवन तथा अब तक किसी मत-मतानà¥à¤¤à¤° के आचारà¥à¤¯ या विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ ने चà¥à¤¨à¥Œà¤¤à¥€ नहीं दी। इसका यह अरà¥à¤¥ लिया जा सकता है कि सबको यह नियम सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° है। अनà¥à¤¯ नियमों की à¤à¥€ यही सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ है। किसी मत-मतानà¥à¤¤à¤° के आचारà¥à¤¯ ने आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ के 10 नियमों में से किसी नियम को चà¥à¤¨à¥Œà¤¤à¥€ नहीं दी और न इसका तरà¥à¤• व यà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ से संबंधित पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£ ही मांगा। इससे यह निशà¥à¤šà¤¿à¤¤ होता है कि आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ के दस नियम व ऋषि दयाननà¥à¤¦ के गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ में लिखी सà¤à¥€ बातें सतà¥à¤¯ हैं और सबको सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° हैं। यह à¤à¥€ जान लेना आवशà¥à¤¯à¤• है कि जब किसी मत के विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ ने आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ की किसी मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ पर शंका की अथवा ईरà¥à¤·à¥à¤¯à¤¾ दà¥à¤µà¥‡à¤· वश उनका पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤µà¤¾à¤¦ किया तो आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ के विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ ने उनका यà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ व पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£à¥‹à¤‚ से शिषà¥à¤Ÿà¤¤à¤¾ पूरà¥à¤µà¤• उतà¥à¤¤à¤° दिया। आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ का à¤à¤• नियम यह à¤à¥€ है कि वह सतà¥à¤¯ को गà¥à¤°à¤¹à¤£ करने और असतà¥à¤¯ को छोड़ने में सदैव उदà¥à¤¯à¤¤ रहने के नियम को मानता है व उसका पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° à¤à¥€ करता है। चाहे ईशà¥à¤µà¤° व आतà¥à¤®à¤¾ का सà¥à¤µà¤°à¥‚प व उसके गà¥à¤£, करà¥à¤® à¤à¤µà¤‚ सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ की बात हो व मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ के करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ व परमà¥à¤ªà¤°à¤¾à¤“ं की बात हो, आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ के इन विषयों संबंधी सà¤à¥€ मनà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ यà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ व तरà¥à¤• के आधार पर सतà¥à¤¯ हैं और इनको मानकर à¤à¤• सामानà¥à¤¯ व धनवान सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯ सà¥à¤–पूरà¥à¤µà¤•, पकà¥à¤·à¤ªà¤¾à¤¤à¤°à¤¹à¤¿à¤¤ होकर व सबसे आतà¥à¤®à¥€à¤¯ à¤à¤¾à¤µ रखकर जीवन यापन कर सकते हैं।
आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ की सà¤à¥€ मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚, सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤ व नियम आदि यदि सतà¥à¤¯ व शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ हैं तो इनकों समाज व देश सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ नहीं कर रहा है। इसके कà¥à¤¯à¤¾ कारण हो सकते हैं? इस पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ पर यदि हम निजी तौर पर विचार करें तो हमें लगता है कि विदà¥à¤¯à¤¾ को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करना पड़ता है और अविदà¥à¤¯à¤¾ जीवन में विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ रहती है या सà¥à¤µà¤¤à¤ƒ आ जाती है। उस अविदà¥à¤¯à¤¾ को विदà¥à¤¯à¤¾ के अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ से ही दूर किया जा सकता है। इसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ व अनà¥à¤§à¤•à¤¾à¤° का उदाहरण हैं। अनà¥à¤§à¤•à¤¾à¤° को उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ नहीं करना पड़ता। वह तो विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ रहता है या पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ के न रहने पर सà¥à¤µà¤®à¥‡à¤µ उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ होता है। अनà¥à¤§à¤•à¤¾à¤° दूर करने के लिठपà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ को उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ किया जाता है। इसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° अविदà¥à¤¯à¤¾ व अजà¥à¤žà¤¾à¤¨ à¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯ में विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ रहता है। विदà¥à¤¯à¤¾ व जà¥à¤žà¤¾à¤¨ को शिकà¥à¤·à¤¾, अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨, विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ के उपदेश आदि के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ किया जाता है। यह निरà¥à¤µà¤¿à¤µà¤¾à¤¦ तथà¥à¤¯ है कि वेद संसार में ईशà¥à¤µà¤°, जीवातà¥à¤®à¤¾, कारण व कारà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ तथा धरà¥à¤® आदि सà¤à¥€ सतà¥à¤¯ विदà¥à¤¯à¤¾à¤“ं के गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ है। यदि कोई वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ वेदों व वेदों पर आधारित ऋषियों के गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ नहीं करेगा तो वह सतà¥à¤¯ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ नहीं हो सकता। लोग वेदों व ऋषियों के गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ नहीं करते इसी कारण से संसार में अविदà¥à¤¯à¤¾ व अजà¥à¤žà¤¾à¤¨ फैला हà¥à¤† है और इसके दà¥à¤·à¥à¤ªà¤°à¤¿à¤£à¤¾à¤®à¥‹à¤‚ से लोगों को पीड़ित होना पड़ता है। मत-मतानà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ में वेदों के समान विदà¥à¤¯à¤¾ व जà¥à¤žà¤¾à¤¨ नहीं है। हम यहां गायतà¥à¤°à¥€ मनà¥à¤¤à¥à¤° का à¤à¤• उदाहरण देना चाहते हैं। गायतà¥à¤°à¥€ मनà¥à¤¤à¥à¤° में ईशà¥à¤µà¤° मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को उपदेश करते हैं कि तà¥à¤® मà¥à¤à¤¸à¥‡ इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ करो ‘जो सब समरà¥à¤¥à¥‹à¤‚ में समरà¥à¤¥ सचà¥à¤šà¤¿à¤¦à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¤à¤¸à¥à¤µà¤°à¥‚प, नितà¥à¤¯ शà¥à¤¦à¥à¤§, नितà¥à¤¯ मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¸à¥à¤µà¤à¤¾à¤µ वाला, कृपासागर, ठीक-ठीक नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ का करनेहारा, जनà¥à¤®à¤®à¤°à¤£à¤¾à¤¦à¤¿ कà¥à¤²à¥‡à¤¶à¤°à¤¹à¤¿à¤¤, आकाररहित, सब के घट-घट का जानने वाला, सब का धरà¥à¤¤à¤¾, पिता, उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤•, अनà¥à¤¨à¤¾à¤¦à¤¿ से विशà¥à¤µ का पोषण करने हारा, सकल à¤à¤¶à¥à¤µà¤°à¥à¤¯à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ जगतॠका निरà¥à¤®à¤¾à¤¤à¤¾, शà¥à¤¦à¥à¤§à¤¸à¥à¤µà¤°à¥‚प है उसी को हम धारण करें। इस पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤œà¤¨ के लिये कि वह परमेशà¥à¤µà¤° हमारे आतà¥à¤®à¤¾ और बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को अपने अनà¥à¤¤à¤°à¥à¤¯à¤¾à¤®à¥€à¤¸à¥à¤µà¤°à¥‚प से दà¥à¤·à¥à¤Ÿà¤¾à¤šà¤¾à¤° व अधरà¥à¤®à¥à¤®à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ मारà¥à¤— से हटा के शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ ाचार सतà¥à¤¯ मारà¥à¤— में चलावें, उस को छोड़कर दूसरे किसी वसà¥à¤¤à¥ का धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ हम लोग नहीं करें। कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि न कोई उसके तà¥à¤²à¥à¤¯ और न अधिक है वही हमारा पिता राजा नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¾à¤§à¥€à¤¶ और सब सà¥à¤–ों का देनेहारा है।’ हम यह अनà¥à¤à¤µ करते हैं कि इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ किसी मत-पनà¥à¤¥ के गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ में नहीं हैं। वेदों में तो इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की अनेकानेक पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ हैं जिनको सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ ने अपनी पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• ‘आरà¥à¤¯à¤¾à¤à¤¿à¤µà¤¿à¤¨à¤¯’ में पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ किया है।
वैदिक धरà¥à¤® के पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤°-पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤° में जो बाधायें हैं वह पà¥à¤°à¤®à¥à¤– तो यही है कि देश व समाज के लोग वेद à¤à¤µà¤‚ ऋषियों के बनाये गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ दरà¥à¤¶à¤¨, उपनिषद आदि का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ नहीं करते। यदि करेंगे तà¤à¥€ उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ होगा और वह उसे अपना सकेंगे। वेदादि का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ न करने के कारण यह लोग पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ अविदà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ मत-मतानà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ की साधारण बातों में ही अपना जीवन वà¥à¤¯à¤¤à¥€à¤¤ करते हैं जिससे वह वेदाधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ आदि से होने वाले अनेक लाà¤à¥‹à¤‚ मà¥à¤–à¥à¤¯à¤¤à¤ƒ सतà¥à¤¯à¤œà¥à¤žà¤¾à¤¨ व उपासना से वंचित हो जाते हैं। दूसरा कारण हमें यह à¤à¥€ लगता है कि लोग आजकल à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ से आकृषà¥à¤Ÿ हो रहे हैं। सà¤à¥€ माता-पिता अपने पà¥à¤¤à¥à¤° व पà¥à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को धन व सà¥à¤– सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾à¤“ं से समà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ देखना चाहते हैं। इसलिये वह वेद और संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ शिकà¥à¤·à¤¾ की उपेकà¥à¤·à¤¾ कर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ à¤à¤¾à¤·à¤¾ मà¥à¤–à¥à¤¯ रूप से पà¥à¤¾à¤¤à¥‡ हैं और मैकाले पदà¥à¤§à¤¤à¤¿ से शिकà¥à¤·à¤¾ दिलाते हैं जिससे वह डाकà¥à¤Ÿà¤°, इंजीनियर, पà¥à¤°à¥‹à¤«à¥‡à¤¸à¤° या अधà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤•, आईà¤à¤à¤¸, पीसीà¤à¤¸, सरकारी अधिकारी-करà¥à¤®à¤šà¤¾à¤°à¥€, वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¤¾à¤¯à¥€ आदि बने। बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ का आरमà¥à¤à¤¿à¤• जीवन अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ शिकà¥à¤·à¤¾ की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ व बाद का जीवन धन कमाने व सà¥à¤– साधनों को उपलबà¥à¤§ करने व उनको बनाये रखने में ही बीत जाता है। इस कारण à¤à¥€ लोग वेदाधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ व ऋषि गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ के अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ में शà¥à¤°à¤® नहीं कर पाते।
वेद à¤à¤µà¤‚ वेद पर आधारित साहितà¥à¤¯ के अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ से पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¤•à¥à¤·à¤¤à¤ƒ à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• लाठव सà¥à¤– सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ नहीं होती अपितॠबहà¥à¤¤ से विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ को हम संघरà¥à¤·à¤ªà¥‚रà¥à¤£ जीवन वà¥à¤¯à¤¤à¥€à¤¤ करने हà¥à¤ देखते हैं। उनका अपने ही लोग शोषण à¤à¥€ करते हैं। इससे जो थोड़े लोग वेदों की शरण में आते à¤à¥€ हैं वह अरà¥à¤¥à¤¾à¤à¤¾à¤µ आदि कारणों से इससे दूर हो जाते हैं। मनà¥à¤·à¥à¤¯ में काम, कà¥à¤°à¥‹à¤§, लोठव मोह आदि की पà¥à¤°à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤à¤¿ सामानà¥à¤¯à¤¤à¤ƒ होती है। वैदिक मत का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ करने वाले à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ इन दà¥à¤°à¥à¤—à¥à¤£à¥‹à¤‚ में फंसे रहते हैं। इसलिये à¤à¥€ वैदिक धरà¥à¤® का पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° होने पर à¤à¥€ बहà¥à¤¤ से लोग इसे सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° नहीं करते। आजकल आदरà¥à¤¶ जीवन व आदरà¥à¤¶ चरितà¥à¤° मिलना कठिन दिखाई देता है। ऋषि दयाननà¥à¤¦, सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ जी, पं. लेखराम जी, पं. गà¥à¤°à¥à¤¦à¤¤à¥à¤¤ विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¥€, महातà¥à¤®à¤¾ हंसराज जी आदि का जीवन आदरà¥à¤¶ जीवन था। अतः उनके पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ से लोग वैदिक धरà¥à¤® के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ आकरà¥à¤·à¤¿à¤¤ होते थे। अब à¤à¤¸à¥‡ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ नहीं हैं, इसलिठà¤à¥€ अधिक लोग वैदिक धरà¥à¤® की शरण में नहीं आ रहे हैं। वैदिक धरà¥à¤® को जानने के लिठनिरनà¥à¤¤à¤° सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ व साधना की आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ होती है। आजकल लोगों के पास समय का à¤à¥€ अà¤à¤¾à¤µ है। दूसरे कामों में वà¥à¤¯à¤¸à¥à¤¤à¤¤à¤¾ के कारण उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ व साधना के लिठसमय ही नहीं मिलता। इस कारण वह इनसे होने वाले आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• लाà¤à¥‹à¤‚ को नहीं जान पा रहे हैं। यदि यह सब कारण दूर हो जायें और अविदà¥à¤¯à¤¾ पर आधारित मत-मतानà¥à¤¤à¤° के लोग अपने तà¥à¤šà¥à¤› सà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥ à¤à¥‚ल कर सतà¥à¤¯ को सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° करने की à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ से वेद à¤à¤µà¤‚ वैदिक साहितà¥à¤¯ का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ करें तà¤à¥€ वेदों का विशà¥à¤µ में पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° हो सकता है। हमने à¤à¤• सामानà¥à¤¯ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ के रूप में वेद पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° में बाधक कà¥à¤› बातों की चरà¥à¤šà¤¾ की है। विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ इस विषय को अधिक पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¶à¤¾à¤²à¥€ रूप से पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ कर सकते हैं। लेख को यहीं विराम देते हैं। ओ३मॠशमà¥à¥¤
-मनमोहन कà¥à¤®à¤¾à¤° आरà¥à¤¯
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