शिषà¥à¤¯ के गà¥à¤£ और करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯
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Naveen AryaDate
27-Aug-2018Category
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RajeevUpload Date
27-Aug-2018Download PDF
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जो कोई à¤à¥€ विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¥€ विदà¥à¤¯à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ की इचà¥à¤›à¤¾ से किसी गà¥à¤°à¥ के सानिदà¥à¤§à¥à¤¯ में रहता हà¥à¤† नियम-अनà¥à¤¶à¤¾à¤¸à¤¨ का अनà¥à¤•à¤°à¤£ करके गà¥à¤°à¥ जनों की आजà¥à¤žà¤¾à¤“ं का पालन करता है और अनेक पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की विदà¥à¤¯à¤¾à¤“ं को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करता है और जीवन को आदरà¥à¤¶à¤®à¤¯ बनता है, वासà¥à¤¤à¤µ में वह शिषà¥à¤¯ कहलाने योगà¥à¤¯ है । वैसे तो अनेक पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के धरà¥à¤®-शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में नीति-शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में शिषà¥à¤¯à¥‹à¤‚ के लिठकरà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯à¤¾à¤•à¤°à¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ का निरà¥à¤¦à¥‡à¤¶ किये गठहैं परनà¥à¤¤à¥ इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° वेदों में à¤à¥€ अनेक पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के निरà¥à¤¦à¥‡à¤¶ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होते हैं और जो कà¥à¤› à¤à¥€ अनà¥à¤¯ शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में उपलबà¥à¤§ होते हैं उन सबका मूल वेदों से ही समà¤à¤¨à¤¾ चाहिये । अब हम कà¥à¤› उदहारण के रूप में विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के लिठया शिषà¥à¤¯à¥‹à¤‚ के लिठआवशà¥à¤¯à¤• करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का निरà¥à¤¦à¥‡à¤¶ उपसà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ करने का पà¥à¤°à¤¯à¤¤à¥à¤¨ करते हैं । जैसे कि -
ऋगà¥à¤µà¥‡à¤¦ और अथरà¥à¤µà¤µà¥‡à¤¦ आदि में शिषà¥à¤¯ के कà¥à¤› गà¥à¤£à¥‹à¤‚ का उलà¥à¤²à¥‡à¤– किया गया है । इन गà¥à¤£à¥‹à¤‚ से यà¥à¤•à¥à¤¤ विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¥€ ही शिकà¥à¤·à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ के अधिकारी होते थे ।
पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ परीकà¥à¤·à¤¾ - अथरà¥à¤µà¤µà¥‡à¤¦ में उलà¥à¤²à¥‡à¤– है कि "आचारà¥à¤¯ उपनयमानो बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤šà¤¾à¤°à¤¿à¤£à¤‚ इचà¥à¤›à¤¤à¥‡ ...तं रातà¥à¤°à¤¿à¤¸à¥à¤¤à¤¿à¤¸à¥à¤° उदरे बिà¤à¤°à¥à¤¤à¤¿...।" आचारà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ से पूरà¥à¤µ विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¥€ को तीन दिन परिकà¥à¤·à¤£ में रखता था । जो विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¥€ उस कठोर परीकà¥à¤·à¤£ में उतà¥à¤¤à¥€à¤°à¥à¤£ होते थे, उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ ही पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ दिया जाता था और उनका उपनयन संसà¥à¤•à¤¾à¤° किया जाता था । मनà¥à¤¤à¥à¤° में तीन दिन के लिठतीन रातà¥à¤°à¤¿ का पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— आया है।
छातà¥à¤° जिजà¥à¤žà¤¾à¤¸à¥ हो - ऋगà¥à¤µà¥‡à¤¦ का कथन है कि "तानॠउशतो वि बोधय..।" अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ जो वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ जिजà¥à¤žà¤¾à¤¸à¥ होते हैं और वेदादि का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करना चाहते हैं, उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ ही शिकà¥à¤·à¤¾ देनी चाहिये ।
शिषà¥à¤¯ करà¥à¤®à¤ हो - "अपà¥à¤¨à¤¸à¥à¤µà¤¤à¥€ मम धीरसà¥à¤¤à¥ ।" विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¥€ या शिषà¥à¤¯ को करà¥à¤®à¤ होना आवशà¥à¤¯à¤• है । शिषà¥à¤¯ तीवà¥à¤° बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ वाला हो - जिसकी बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ जितनी तीवà¥à¤° व सकà¥à¤°à¤¿à¤¯ होती है वही जà¥à¤žà¤¾à¤¨ का अधिकारी होता है, वही जà¥à¤žà¤¾à¤¨ गà¥à¤°à¤¹à¤£ करने में समरà¥à¤¥ हो पाता है अतः ऋगà¥à¤µà¥‡à¤¦ का कथन है कि "शिकà¥à¤·à¥‡à¤¯à¤®à¤¸à¥à¤®à¥ˆ दितà¥à¤¸à¥‡à¤¯à¤®à¥...।" अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ गà¥à¤°à¥ उसी विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¥€ को उचà¥à¤š शिकà¥à¤·à¤¾ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करना चाहता है जिसकी बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ तीवà¥à¤° हो ।
इसके अतिरिकà¥à¤¤ विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¥€ को गà¥à¤°à¥ जी के अनà¥à¤¶à¤¾à¤¸à¤¨ में रहते हà¥à¤ गà¥à¤°à¥‚जी के आजà¥à¤žà¤¾à¤•à¤¾à¤°à¥€ होना चाहिये । गà¥à¤°à¥‚जी के आजà¥à¤žà¤¾ के विपरीत या गà¥à¤°à¥ जी का कोई अपà¥à¤°à¤¿à¤¯ आचरण कà¤à¥€ à¤à¥€ न करे । गà¥à¤°à¥ जी के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ सदा शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾ à¤à¤¾à¤µ रखने वाला तथा अनà¥à¤¤à¤°à¥à¤®à¤¨ से गà¥à¤°à¥ जी की सेवा करने वाला होना चाहिये ।
इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¥€ के कà¥à¤› करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ à¤à¥€ होते हैं जो कि वेदों में विसà¥à¤¤à¥ƒà¤¤ रूप में वरà¥à¤£à¤¿à¤¤ है । विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¥€ अपने जीवन को वेदानà¥à¤•à¥à¤² ही बनाने का पà¥à¤°à¤¯à¤¤à¥à¤¨ करे । अथरà¥à¤µà¤µà¥‡à¤¦ का निरà¥à¤¦à¥‡à¤¶ है कि विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¥€ वेदों के आदेशों के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° ही अपना जीवन वà¥à¤¯à¤¤à¥€à¤¤ करे । à¤à¤¸à¤¾ कोई à¤à¥€ कारà¥à¤¯ न करे जो कि वेदों में निषेध किया गया हो ।
ऋगà¥à¤µà¥‡à¤¦ में बताया गया है कि "विशà¥à¤µà¤¾à¤¨ देवान उषरà¥à¤¬à¥à¤§.." अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¥€ का करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ है कि उस को पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤ƒà¤•à¤¾à¤² बà¥à¤°à¤¹à¥à¤® मà¥à¤¹à¥‚रà¥à¤¤ में ही शयà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤¯à¤¾à¤— करना चाहिये । जो पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤ƒà¤•à¤¾à¤² शीघà¥à¤° ही उठता है वह सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥, बलवान, दीरà¥à¤˜à¤¾à¤¯à¥ होता है ।
विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¥€ को चाहिठकि उसको कà¤à¥€ à¤à¥€ आलसà¥à¤¯, पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤¦ और वाचालता आदि से यà¥à¤•à¥à¤¤ न होना चाहिये । उसको सदा संयमी और सदाचारी होना चाहिठ। इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° जब हम वेदों का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ करते हैं तो पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ के लिठकà¥à¤¯à¤¾ करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ है और कà¥à¤¯à¤¾ अकरà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ है, किन-किन गà¥à¤£à¥‹à¤‚ से यà¥à¤•à¥à¤¤ होना चाहिठऔर किन-किन गà¥à¤£à¥‹à¤‚ से रहित होना चाहिठयह सब बातें विसà¥à¤¤à¥ƒà¤¤ रूप में वरà¥à¤£à¤¿à¤¤ है । अतः हमारा करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ है कि इन ईशà¥à¤µà¤° पà¥à¤°à¤¦à¤¤à¥à¤¤ निरà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥‹à¤‚ का अचà¥à¤›à¥€ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° अनà¥à¤¸à¤°à¤£ करके अपने जीवन को सà¥à¤–-शानà¥à¤¤à¤¿ से यà¥à¤•à¥à¤¤ करें और à¤à¤• आदरà¥à¤¶ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ बनने का पà¥à¤°à¤¯à¤¤à¥à¤¨ करें ।
लेख - आचारà¥à¤¯ नवीन केवली
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