बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री माता राबड़ी देवी, पिता लालू प्रसाद के सुपुत्र और पूर्व स्वास्थ मंत्री तेजप्रताप यादव इन दिनों एक गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं। इन साहब की बीमारी है कि इन्हें पत्नी नहीं एक प्रेयसी चाहिए। वो भी राधा जैसी। राधा से आप सभी लोग परिचित होंगे! पौराणिक मान्यताओं के अनुसार द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण जी महाराज की एक प्रेयसी थी जिसका नाम राधा था। ये प्रेम की ऐसी अनूठी कहानी है जिसका वर्णन भागवत कथाओं द्वारा पंडालो में कथावाचक रस ले लेकर सुनाते दिखाई देते हैं।

हालाँकि यदि श्रीकृष्ण जी महाराज के जीवन चरित्र को पुराणों से अलग हटकर पढ़ें तो उसमें राधा नाम की किसी प्रेयसी का जिक्र नहीं मिलता। उसमें सिर्फ उनकी धर्मपत्नी रुक्मणी का जिक्र है। किन्तु काल्पनिक कल्पनाओं का कोई ठिकाना नहीं होताए वो कुछ भी रच सकती हैं और कैसा भी रस ले सकती हैं।

तेजप्रताप यादव ने भी कुछ ऐसा रस पी लिया और पिछले दिनों उस रस में मदहोस होकर मथुरा के निधिवन से फेसबुक लाइव के जरिये घूमते नजर आये। फेसबुक लाइव में वो कह रहे थे कि मैं तेज प्रताप यादव इस समय आपको सीधे लाइव दिखा रहा हूं वृंदावन की इस पवित्र भूमि निधिवन से। निधिवन वो जगह है जहां भगवान कृष्ण रात में राधा रानी और गोपियों के साथ रासलीला करते हैं। इसलिए आज भी यहां रात में कोई नहीं आता है आदि-आदि। वैसे ये फेसबुक लाइव कई मिनटों का था लेकिन ये ही इसकी मुख्य बात थी।

इसके बाद निधिवन से लौटकर तेज प्रताप यादव ने पटना की एक अदालत में अपनी पत्नी ऐश्वर्या से तलाक लेने की याचिका भी दायर कर दी है। अदालत ने उनकी याचिका स्वीकार कर ली है और अब इस माह के अंत में उनकी ओर से दायर याचिका पर सुनवाई होनी तय हुई है। हालाँकि ये सब बातें आपको सोशल मीडिया पर और इलेक्ट्रोनिक मीडिया के द्वारा पता चल चुकी होगीं।

लेकिन कुछ बातें है जो शायद बहुत लोग नहीं जानते होंगे। दरअसल जिसे तेज प्रताप यादव और उनके समर्थक प्रेम या भक्ति समझ रहे हैं मनोचिकित्सक इसे गंभीर बीमारी मानते हैं। बहुत लोगों को याद होगा उत्तर प्रदेश में साल 2005 में डी के पांडा एक पूर्व आईपीएस अधिकारी ने शरीर पर साड़ी, मांग में सिंदूर, चूड़ियां, कान में बाली और नाक में नथुनी पहनकर सबके सामने आये थे और खुद को कृष्ण की प्रेयसी राधा बता रहे थे। मुझे नहीं पता तेजप्रताप को इसी राधा की तलाश है या किसी काल्पनिक राधा की। पर इतना जरुर पता है कि ऐसे रोगियों को मनोचिकित्सको की जरुर जरुरत है। क्योंकि जैसे-जैसे आईजी पांडा का कृष्ण के प्रति प्रेम परवान चढ़ता गया उसी अनुपात में तत्कालीन प्रदेश सरकार की फजीहत बढ़ती चली गई थी। ड्यूटी में आईजी पांडा कहीं जाते तो अपनी वर्दी पहनने के साथ ही दुल्हन वाला श्रंगार करना नहीं भूलते। ठीक ऐसी ही हालत आज लालू परिवार की है।

दरअसल ये प्रेम नहीं है इस बीमारी को अंग्रेजी में सिजोफ्रेनिया और हिंदी में विखंडित मानसिकता कहा जाता है। इस बीमारी में कोई भी इन्सान कल्पनाओं में जीवन जीने लगता है और ऐसा कुछ सोचने या देखने लगता है जो यथार्थ में होता नहीं है। हालाँकि इसमें कई बार तो रोगी को एहसास भी होता है कि वह जो कुछ कर रहा है यह उसकी गलती है। उसका कहना बोलना वह सही नहीं है परंतु उसकी कल्पना इतनी बलवान हो चुकी होती है कि उसे समझाना बुझाना निरर्थक सा हो जाता है।

आई जी पांडा के मामले में ऐसा कुछ सुनने को मिला था उसे तमाम सरकारी अमला समझाकर थक चुका था। अंत उनकी धर्मपत्नी ने न्यायालय की शरण लेकर पांडा से संपत्ति का हिस्सा और गुजारा भत्ता लिया था।

अब इसी तरह बिहार के पूर्व स्वास्थ मंत्री तेजप्रताप यादव का हाल है। वह भी पत्रकारों से कह रहे है कि वो कृष्ण हैं और राधा की तलाश में भटक रहे हैं। उनकी पत्नी ऐश्वर्या उनकी राधा नहीं है। इसलिए वो अब उनसे अलग होना चाहते हैं। जिस तरह आज माथे पर त्रिपुंड लगाए, तो कभी सार्वजनिक मंचो पर पगड़ी बांध कर बांसुरी बजाने लग जाने वाले कभी मोरपंख से जड़ा मुकुट पहने तेज प्रताप खुद को कृष्ण माने बैठे हैं और उनके समर्थक इससे भक्ति भाव में ओत-प्रोत होकर उसे कृष्ण समझ रहे हो लेकिन मेरी नजर में वह इस समय मानसिक रूप से बीमार हैं।....

 

 

 

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