काश: à¤à¤• à¤à¤¸à¥‡ तीर पहले चल गये होते
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Rajeev ChoudharyDate
27-Nov-2018Category
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RajeevUpload Date
27-Nov-2018Download PDF
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बचपन में मैंने पà¥à¤¾ था कि अति सरà¥à¤µà¤¤à¥à¤° वरà¥à¤œà¤¯à¥‡à¤¤à¥’ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ अति का सà¤à¥€ जगह निषेध है। लेकिन इसका सही अरà¥à¤¥ अब समठआया जब अंडमान निकोबार के दà¥à¤µà¥€à¤ª समूह के उतà¥à¤¤à¤°à¥€ सेंटिनल दà¥à¤µà¥€à¤ª पर सेंटिनल जनजाति समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ के लोगों ने अपने कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में घà¥à¤¸ रहे à¤à¤• अमेरिकी ईसाई धरà¥à¤® पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤°à¤• को तीर से मार डाला। असल में सेंटिनल जनजाति के लोग अपने दà¥à¤µà¥€à¤ª पर किसी बाहरी को आने नहीं देते और अगर कोई बाहरी वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ अपनी वाà¤à¤›à¤¿à¤¤ मरà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ का उलà¥à¤²à¤‚घन कर यहां आ à¤à¥€ जाठतो इस जनजाति के लोग उसे तीर की सहायता से मार देते हैं। इनके यहाठकोई à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤ˆ जवाब नहीं है, न इनके यहाठधरà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤°à¤ªà¥‡à¤•à¥à¤·à¤¤à¤¾ के खोखले सिदà¥à¤§à¤¾à¤‚त। यह à¤à¤• जनजाति है जिसकी अपनी परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ और संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ है जिसकी रकà¥à¤·à¤¾ ये लोग तीर की सहायता से करते आये हैं।
अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨à¤•à¤°à¥à¤¤à¤¾ बता रहे हैं कि इस जनजाति का बीते 60 हजार सालों में कोई विकास नहीं हà¥à¤† है। आज à¤à¥€ ये लोग आदिम जीवन ही जी रहे हैं। यह लोग मछली और नारियल पर निरà¥à¤à¤° रहते हैं। इनकी à¤à¤¾à¤·à¤¾ à¤à¥€ बाकी जनजातियों के मà¥à¤•à¤¾à¤¬à¤²à¥‡ समठसे बाहर है। यह जिस दà¥à¤µà¥€à¤ª पर रहते हैं वह पोरà¥à¤Ÿ बà¥à¤²à¥‡à¤¯à¤° से 50 किमी पशà¥à¤šà¤¿à¤® में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है। इनकी संखà¥à¤¯à¤¾ à¤à¥€ कोई जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ बड़ी नहीं है यही कोई सौ डेॠसौ के आस-पास मानी जाती है। साल 1960 के बाद से इस जनजाति तक पहà¥à¤‚चने के कई पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ किठगठलेकिन सब असफल रहे। यह लोग आकà¥à¤°à¤®à¤£ करते हà¥à¤ उगà¥à¤°à¤¤à¤¾ के साथ अपने इरादे साफ बता चà¥à¤•à¥‡ हैं। जिनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ नहीं होता वह अमेरिकी धरà¥à¤®à¤ªà¥à¤°à¤šà¤¾à¤°à¤• की हतà¥à¤¯à¤¾ की खबर को पà¥à¤¨à¤ƒ पॠसकते हैं।
कहा जाता है संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤ ही खाती है, सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं को सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾ और धरà¥à¤® को अधरà¥à¤® गटक जाता तो परमà¥à¤ªà¤°à¤¾à¤“ं को परमà¥à¤ªà¤°à¤¾à¤à¤‚ उधेड़ देती हैं इस कारण हमेशा इनकी रकà¥à¤·à¤¾ करनी होती हैं। वह रकà¥à¤·à¤¾ किस तरह की जाये मà¥à¤à¥‡ नहीं लगता सेंटिनल जनजाति से बà¥à¤¿à¤¯à¤¾ उदाहरण किसी à¤à¥€ यà¥à¤— या अतीत से लिया जा सकता हैं। मैं इस पà¥à¤°à¤¸à¤‚ग में नहीं जाना चाहता कि सेंटिनल जनजाति ने ये अचà¥à¤›à¤¾ किया या बà¥à¤°à¤¾ ये लोग अनà¥à¤¯ लोगों से जà¥à¥œà¤¨à¤¾ नहीं चाहते! बलà¥à¤•à¤¿ पà¥à¤°à¤¸à¤‚ग ये होना चाहिठकि सैंकड़ों की संखà¥à¤¯à¤¾ में रह रही जनजाति अपनी संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ और परमà¥à¤ªà¤°à¤¾à¤“ं का बचाव किस तरह कर रही हैं।
काश हम à¤à¥€ इस तरह अपने धरà¥à¤® और संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ का बचाव कर पाते! कौन नहीं जानता à¤à¤¾à¤°à¤¤ में पादरियों का धरà¥à¤®-पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° किस तरह बà¥à¤¾ चला आ रहा है। लालच, सेवा, पà¥à¤°à¤²à¥‹à¤à¤¨ à¤à¤¯ न जाने किस-किस आधार पर ये लोग हमारे धरà¥à¤® को मिटाने का à¤à¤• खà¥à¤²à¤¾ षडयंतà¥à¤° रच रहे हैं जोकि à¤à¤• लमà¥à¤¬à¥‡ अरसे से चला आ रहा है, जब 1506 ईसवीं में फà¥à¤°à¤¾à¤‚सिस जेवियर नाम का ईसाई पादरी गोवा के तट पर उतरा था। जिसने पà¥à¤°à¥à¤¤à¤—ालियों की सहायता से à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯à¥‹à¤‚ का जबरन धरà¥à¤® परिवरà¥à¤¤à¤¨ कराना शà¥à¤°à¥‚ कर दिया और गोवा का धारà¥à¤®à¤¿à¤• संतà¥à¤²à¤¨ बदलकर रख दिया, काश à¤à¤• à¤à¤¸à¤¾ ही तीर जब चल गया होता तो गोवा में ईसाइयत और पà¥à¤°à¥à¤¤à¤—ालियों का कबà¥à¤œà¤¾ न हà¥à¤† होता।
सब जानते हैं धारà¥à¤®à¤¿à¤• सहिषà¥à¤£à¥à¤¤à¤¾ à¤à¤• महान गà¥à¤£ है जो हमें अपने वैदिक गà¥à¤°à¤‚थो से विरासत में मिला हैं जिसका हमने पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ काल से पालन à¤à¥€ किया और करते रहेंगे। किनà¥à¤¤à¥ अधरà¥à¤® को सहना कायरता और अवगà¥à¤£ हैं। इसकी हानि समय-समय पर हमारे देश-काल और संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ को उठानी पड़ी है। कहा जाता है किसी दूसरे के धारà¥à¤®à¤¿à¤• विचारों तथा कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ में हसà¥à¤¤à¤•à¥à¤·à¥‡à¤ª न करना सà¥à¤µà¤¯à¤‚ ही à¤à¤• धारà¥à¤®à¤¿à¤•à¤¤à¤¾ है। इस गà¥à¤£ का जितना वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• परिचय हमने दिया है, उसका हजारवाठà¤à¤¾à¤— à¤à¥€ संसार की कोई अनà¥à¤¯ जाति न दें सकी लेकिन इससे हमें कà¥à¤¯à¤¾ मिला धरà¥à¤® का हास और अपना उपहास?
नतीजा यूरोप की ईसाइयत से à¤à¤°à¥‡ जहाजी बेड़े हिंदà¥à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤¨ के किनारों पर उतरते गये तो जिसकी बदौलत वेटिकन के पॉप की तो तनà¥à¤¹à¤¾à¤ˆ खतà¥à¤® हो गई, लेकिन हमारी जो बेचैनी बà¥à¥€ जो आजतक खतà¥à¤® नहीं हà¥à¤ˆà¥¤ इससे हमारी संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ कितनी और किस तरह पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ हà¥à¤ˆ इसका अंदाज सहज लगाया जा सकता है? पर इस सबके बावजूद à¤à¤¾à¤°à¤¤ à¤à¤• धरà¥à¤®-निरपेकà¥à¤· देश बना रहा और à¤à¤¾à¤°à¤¤-सरकार धरà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤°à¤ªà¥‡à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤à¤¾ की संरकà¥à¤·à¤¿à¤•à¤¾à¥¤ आज à¤à¥€ ईसाई पादरी इस धरà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤°à¤ªà¥‡à¤•à¥à¤·à¤¤à¤¾ की आड़ में हमारी पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ को मिटाकर अपने ईसाई धरà¥à¤® का विसà¥à¤¤à¤¾à¤° करने में बà¥à¤°à¥€ तरह जà¥à¤Ÿà¥‡ हà¥à¤ हैं। सà¥à¤µà¤¯à¤‚ देखिये चीन में जनà¥à¤®à¤¾ जॉन चाऊ अमेरिका में जाकर ईसाइयत के विचार को गà¥à¤°à¤¹à¤£ करता है और फिर ईसाइयत के पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° के लिठà¤à¤¾à¤°à¤¤ के छोटे-छोटे दà¥à¤µà¥€à¤ªà¥‹à¤‚ में पहà¥à¤à¤šà¤¤à¤¾ है। बताया जा रहा है कि दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ के कई हिसà¥à¤¸à¥‹à¤‚ में घूम चà¥à¤•à¤¾ जॉन इस दà¥à¤µà¥€à¤ª पर पहà¥à¤‚चकर आदिवासी जनजाति के लोगों को ईसाई धरà¥à¤® से जोड़ना चाहता था। इसी मकसद से वो अकà¥à¤Ÿà¥‚बर के दूसरे पखवाड़े में पोरà¥à¤Ÿ बà¥à¤²à¥‡à¤¯à¤° पहà¥à¤‚चा था। सेंटिनल जनजति ने कोई गलत कारà¥à¤¯ नहीं किया कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि जिस समय जॉन को तीर मारा गया था उस समय उसने हाथ में जो बाइबल पकड़ा हà¥à¤† था, ठीक उसके ऊपर तीर लगा। यदि वह उसे तीर नहीं मारते तो कà¥à¤› समय बाद इस जनजाति की अपनी संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ और परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ मारी जाती।
दकà¥à¤·à¤¿à¤£ à¤à¤¾à¤°à¤¤ में à¤à¥€ à¤à¤¸à¤¾ ही हà¥à¤† था जब लगà¤à¤— सनॠ1606 में रोबरà¥à¤Ÿ दी नोबिली को दकà¥à¤·à¤¿à¤£ à¤à¤¾à¤°à¤¤ में पहà¥à¤‚चकर हिनà¥à¤¦à¥à¤“ं को धरà¥à¤®à¤¾à¤‚तरण कराना लगà¤à¤— असंà¤à¤µ कारà¥à¤¯ लगा तो उसने धूरà¥à¤¤à¤¤à¤¾ से धोती पहन कर à¤à¤• बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ का वेश धारण किया और पूरे दकà¥à¤·à¤¿à¤£ à¤à¤¾à¤°à¤¤ में यह खबर फैला दी गयी वह रोम से आया à¤à¤• बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ है। घीरे-धीरे उसने सतà¥à¤¸à¤‚ग सà¤à¤¾à¤“ं में ईसाई पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾à¤“ं को शामिल करना शà¥à¤°à¥‚ कर दिया। आज इसके नतीजे आप सà¥à¤µà¤¯à¤‚ देख सकते हैं किसी धारà¥à¤®à¤¿à¤• आंकड़ों के शायद ही आप मोहताज होंगे। मैं फिर इतना कह सकता हूठकि काश à¤à¤¸à¤¾ ही à¤à¤• तीर तब चल गया होता और दकà¥à¤·à¤¿à¤£ à¤à¤¾à¤°à¤¤ वेटिकन के विचारों से बच गया होता। सिरà¥à¤« तà¤à¥€ नहीं यदि à¤à¤• à¤à¤¸à¤¾ तीर à¤à¤¾à¤°à¤¤ à¤à¥‚मि में घà¥à¤¸à¤¤à¥‡ हà¥à¤ मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤°à¤• अलबरूनी को लग जाता तो शायद महमूद गजनवी à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ को रोंदने की हिमà¥à¤®à¤¤ न करता, न ही à¤à¤¾à¤°à¤¤ की पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ महान संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ पददलित होती. हाठजिनके पास वाणी के तीर होते है वो वाणी से बचाव करते है आदिवासी जनजाति के लोगों के पास तो धनà¥à¤· के तीर है वो तो उनà¥à¤¹à¥€à¤‚ से अपना बचाव करते है. राजीव चौधरी
namaste rajiv ji