“आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤•à¤¤à¤¾ रहित à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• सà¥à¤–ों से यà¥à¤•à¥à¤¤ जीवन अधूरा व हानिकारक हैâ€
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Manmohan Kumar AryaDate
03-Dec-2018Category
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HindiTotal Views
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Vikas KumarUpload Date
03-Dec-2018Download PDF
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मनà¥à¤·à¥à¤¯ मननशील पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€ है। मनà¥à¤·à¥à¤¯ अनà¥à¤¨à¤¾à¤¦à¤¿ से बना à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• शरीर मातà¥à¤° नहीं है अपितॠइसमें à¤à¤• अनादि, नितà¥à¤¯, अविनाशी, अमर, अलà¥à¤ªà¤œà¥à¤ž, जनà¥à¤®-मरण धरà¥à¤®à¤¾, शà¥à¤à¤¾à¤¶à¥à¤ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ का करà¥à¤¤à¤¾ व à¤à¥‹à¤•à¥à¤¤à¤¾ जीवातà¥à¤®à¤¾ à¤à¥€ है जो इस शरीर का सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ है। आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯ है कि अधिकांश शिकà¥à¤·à¤¿à¤¤ व à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• विजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€ à¤à¥€ अपनी आतà¥à¤®à¤¾ के सà¥à¤µà¤°à¥‚प व इसके गà¥à¤£-करà¥à¤®-सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µà¥‹à¤‚ से अपरिचित व अनà¤à¤¿à¤œà¥à¤ž हैं। आतà¥à¤®à¤¾ विषयक सतà¥à¤¯ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ वेद व इसके अनà¥à¤—ामी ऋषियों के उपनिषदॠव दरà¥à¤¶à¤¨ आदि गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ में सà¥à¤²à¤ है परनà¥à¤¤à¥ हमारे à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤•à¤µà¤¾à¤¦à¥€ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥ उसे देखने का शà¥à¤°à¤® करना नहीं चाहते। इनकी मिथà¥à¤¯à¤¾ धारणा है कि वेद à¤à¤µà¤‚ वैदिक गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ में कोई बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ संगत जà¥à¤žà¤¾à¤¨ नहीं हो सकता। इनके पास अवकाश व जिजà¥à¤žà¤¾à¤¸à¤¾ ही नहीं होती कि यह à¤à¤• बार इन गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ की विषय वसà¥à¤¤à¥ व सामगà¥à¤°à¥€ का अवलोकन तो कर लें। ऋषि दयाननà¥à¤¦ से पूरà¥à¤µ इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾ नहीं थी परनà¥à¤¤à¥ अब तो यह सà¥à¤²à¤ है। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ जी ने à¤à¤¸à¥‡ ही लोगों की सहायता के लिये विशà¥à¤µ का उचà¥à¤š कोटि का धारà¥à¤®à¤¿à¤•, सामाजिक, राजधरà¥à¤® की शिकà¥à¤·à¤¾ देने वाला गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ ‘‘सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶” लिखा है। इसके अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€, उरà¥à¤¦à¥‚ व देश विदेश की अनà¥à¤¯ à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤“ं में अनà¥à¤µà¤¾à¤¦ à¤à¥€ हà¥à¤ हैं। सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ व इसके अनà¥à¤µà¤¾à¤¦à¥‹à¤‚ का जो विशà¥à¤µ सà¥à¤¤à¤° पर पठित लोगों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ जो सदà¥à¤ªà¤¯à¥‹à¤— किया जाना चाहिये, अलà¥à¤ªà¤œà¥à¤žà¤¤à¤¾ व अविदà¥à¤¯à¤¾à¤¨à¥à¤§à¤•à¤¾à¤° में डूबे लोग इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पà¥à¤¨à¤¾ उचित नहीं समà¤à¤¤à¥‡à¥¤ इस कारण वह सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ में वरà¥à¤£à¤¿à¤¤ जीवन के लिठअतà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤ उपयोगी आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• व सामाजिक विषयों के जà¥à¤žà¤¾à¤¨ से वंचित हो गये हैं।
अधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤® का तातà¥à¤ªà¤°à¥à¤¯ ईशà¥à¤µà¤° व जीवातà¥à¤®à¤¾ सहित विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ योनियों में जीवन वà¥à¤¯à¤¤à¥€à¤¤ करने वाले पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के विषय में जानना है। ईशà¥à¤µà¤° पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ के लिये साधना करना à¤à¥€ अधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤® में ही आता है। मà¥à¤–à¥à¤¯ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ तो हमें ईशà¥à¤µà¤° व आतà¥à¤®à¤¾ के विषय में ही पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करना होता है। इससे मनà¥à¤·à¥à¤¯ व अनà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के विषय में à¤à¥€ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हो जाता है। ईशà¥à¤µà¤° कà¥à¤¯à¤¾ व कैसा है, इसका सतà¥à¤¯, सारगरà¥à¤à¤¿à¤¤ व यथारà¥à¤¥ उतà¥à¤¤à¤° मत-मतानà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ के गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ नहीं दे सकते। कà¥à¤› à¤à¤¸à¥‡ à¤à¥€ मत हैं जो à¤à¤• ही वसà¥à¤¤à¥ को साकार व निराकार दोनों मानते हैं। à¤à¤¸à¤¾ मानना बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ का विकृत होना ही कहा जा सकता है। जिस वसà¥à¤¤à¥ का आकार है उसे निराकार तो कदापि नहीं कहा जा सकता। वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤•à¥‹à¤‚ ने परमाणॠकी संरचना पर विचार किया है और उसकी सिदà¥à¤§à¤¿ कर उसे विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ के गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ में सपà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£ पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ किया है। यह à¤à¥€ तथà¥à¤¯ है कि किसी वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• ने कà¤à¥€ हाईडà¥à¤°à¥‹à¤œà¤¨, आकà¥à¤¸à¥€à¤œà¤¨, नाईटà¥à¤°à¥‹à¤œà¤¨ आदि ततà¥à¤µà¥‹à¤‚ के परमाणà¥à¤“ं को नहीं देखा है फिर à¤à¥€ सारी दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ के वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• व विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ के अधà¥à¤¯à¥‡à¤¤à¤¾ परमाणॠके असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ को मानते हैं। परमाणॠवा इसके इलेकà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤¾à¤¨, पà¥à¤°à¥‹à¤Ÿà¤¾à¤¨ व नà¥à¤¯à¥‚टà¥à¤°à¤¾à¤¨ से à¤à¥€ सूकà¥à¤·à¥à¤® जीवातà¥à¤®à¤¾ है और उससे à¤à¥€ सूकà¥à¤·à¥à¤® सचà¥à¤šà¤¿à¤¦à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦à¤¸à¥à¤µà¤°à¥‚प, सरà¥à¤µà¤µà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• और सरà¥à¤µà¤¶à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¨ परमातà¥à¤®à¤¾ है। परमातà¥à¤®à¤¾ का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨, वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤•à¥‹à¤‚ की तरह उसको बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ से जानना व देखना, उसको यथावतॠजानकर उस ईशà¥à¤µà¤° की सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿, पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ व उपासना करना ही अधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤® की उचà¥à¤š सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ होती है। आतà¥à¤®à¤¾ को à¤à¥€ वेदों व इतर शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ के अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ आदि गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ जाना जा सकता है। ईशà¥à¤µà¤° व जीवातà¥à¤®à¤¾ का समà¥à¤¯à¤•à¥ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ हो जाने पर मनà¥à¤·à¥à¤¯ सà¥à¤µà¤¤à¤ƒ ही ईशà¥à¤µà¤° की उपासना व समाज कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ के कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ में जà¥à¥œ जाता है। हमारे सà¤à¥€ ऋषि-मà¥à¤¨à¤¿ à¤à¤¸à¤¾ ही करते रहे हैं और आधà¥à¤¨à¤¿à¤• यà¥à¤— में ऋषि दयाननà¥à¤¦ और उनके पà¥à¤°à¤®à¥à¤– अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥€ à¤à¥€ वही कारà¥à¤¯ कर रहे हैं।
ईशà¥à¤µà¤° की उपासना से कà¥à¤¯à¤¾ लाठहोता है? इसका उतà¥à¤¤à¤° है कि ईशà¥à¤µà¤° की उपासना करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ की पूरà¥à¤¤à¤¿ के लिये की जाती है। ईशà¥à¤µà¤° के हमारे ऊपर अगणनीय उपकार हैं। हम जब किसी से लाà¤à¤¾à¤¨à¥à¤µà¤¿à¤¤ होते हैं तो उसका धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ करते हैं। अतः ईशà¥à¤µà¤° के सहसà¥à¤°à¥‹à¤‚ व अगणनीय उपकारों के लिये उसका बारमà¥à¤¬à¤¾à¤° धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ करना तो हम सबका करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ बनता ही है। इसके लिये अपनी आतà¥à¤®à¤¾, मन व सà¤à¥€ इनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ के चिनà¥à¤¤à¤¨ से सरà¥à¤µà¤¥à¤¾ हटाकर ईशà¥à¤µà¤° के गà¥à¤£à¥‹à¤‚ व उसके उपकारों का धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ कर उसके पà¥à¤°à¤¤à¤¿ समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ होना होता है जिससे आतà¥à¤®à¤¾ को बल, शकà¥à¤¤à¤¿ व सतà¥à¤ªà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होती है। ईशà¥à¤µà¤° के सानà¥à¤¨à¤¿à¤§à¥à¤¯ में जाने से आतà¥à¤®à¤¾ का बल इतना बà¥à¤¤à¤¾ है कि वह पहाड़ के समान दà¥à¤ƒà¤– आने पर à¤à¥€ घबराता नहीं है। ऋषि दयाननà¥à¤¦ जी के मृतà¥à¤¯à¥ के दृशà¥à¤¯ को पà¥à¤•à¤° इसकी सिदà¥à¤§à¤¿ होती है। दूसरी ओर हम देखते हैं कि आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤® से रहित लोग मृतà¥à¤¯à¥ के समय दà¥à¤ƒà¤–ी व रोदन करते हà¥à¤ देखे जाते हैं। ईशà¥à¤µà¤° को मानने वाला आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤µà¤¾à¤¦à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯ दà¥à¤ƒà¤– आने पर उसे अपने पूरà¥à¤µ अशà¥à¤ व पाप करà¥à¤®à¥‹à¤‚ का फल मानता है और उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ सहरà¥à¤· à¤à¥‹à¤—ता है, वह विचलित नही होता और ईशà¥à¤µà¤° का धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ करता है। जब करà¥à¤® का à¤à¥‹à¤— पूरा हो जाता है तो वह दà¥à¤ƒà¤– दूर हो जाते हैं। आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• मनà¥à¤·à¥à¤¯ के लिये जनà¥à¤® व मृतà¥à¤¯à¥ दिन व रातà¥à¤°à¤¿ के समान हैं। जैसे दिन के बाद रातà¥à¤°à¤¿ और रातà¥à¤°à¤¿ के बाद दिन आता है, उसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से जनà¥à¤® के बाद मृतà¥à¤¯à¥ और मृतà¥à¤¯à¥ के बाद जनà¥à¤® वा पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¤¨à¥à¤® होना नियम है। कोई किसी मत-मतानà¥à¤¤à¤° को माने, आतà¥à¤®à¤¾ के पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¤¨à¥à¤® को माने या न माने, करà¥à¤®à¥‹à¤‚ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¤¨à¥à¤® तो सबका होता है व होता रहेगा। यदि पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¤®à¥à¤¨ नहीं होता तो फिर जो जनà¥à¤® लेने वाले लोगों में आतà¥à¤®à¤¾ आती है, वह कहां से आ रही है? कौन इसे बनाता है और इसमें किस पदारà¥à¤¥ का पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— होता है, इन पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨à¥‹à¤‚ के उतà¥à¤¤à¤° किसी मत-मतानà¥à¤¤à¤° के पास नहीं हैं। यह कह देने से कि जीवातà¥à¤®à¤¾ अपने आप बनती है या ईशà¥à¤µà¤° बनाता है, इससे काम नहीं चलता। इसका उतà¥à¤¤à¤° है कि अà¤à¤¾à¤µ से à¤à¤¾à¤µ और à¤à¤¾à¤µ से अà¤à¤¾à¤µ असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ में नहीं आता। आतà¥à¤®à¤¾ और ईशà¥à¤µà¤° सदा से हैं और सदा रहेंगे। आतà¥à¤®à¤¾ बनती व नषà¥à¤Ÿ नहीं होती अपितॠअविनाशी आतà¥à¤®à¤¾ का पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¤¨à¥à¤® व पà¥à¤¨à¤°à¥à¤®à¥ƒà¤¤à¥à¤¯à¥ होती है। आतà¥à¤®à¤¾ का जनà¥à¤® व मृतक आतà¥à¤®à¤¾ का पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¤¨à¥à¤® सतà¥à¤¯ सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤ है और यह संसार के पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• मनà¥à¤·à¥à¤¯ पर लागू होता है। कोई à¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯ इससे बच नहीं सकता।
जो मनà¥à¤·à¥à¤¯ à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• सà¥à¤–ों के चकà¥à¤° में फंसे व बंधे हà¥à¤ हैं, उनके पास ईशà¥à¤µà¤° व जीवातà¥à¤®à¤¾ को जानने व ईशà¥à¤µà¤° की उपासना करने के लिये समय ही नहीं है। à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• सà¥à¤–ों का à¤à¥‹à¤— करने से वह ईशà¥à¤µà¤° की उपासना व यजà¥à¤žà¤¾à¤¦à¤¿ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ के फलों से पृथक व दूर हो जाते हैं जिससे उनका à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ व पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¤¨à¥à¤® पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ वा बाधित होता है। जिन मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ ने इस जीवन में शà¥à¤à¤•à¤°à¥à¤® व ईशà¥à¤µà¤°à¥‹à¤ªà¤¾à¤¸à¤¨à¤¾ आदि करà¥à¤® व साधन किये हैं, उनà¥à¤¹à¥€à¤‚ का पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¤¨à¥à¤® मनà¥à¤·à¥à¤¯ व देवों के रूप में होना समà¥à¤à¤µ है। à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤•à¤µà¤¾à¤¦à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ ने जो शà¥à¤à¤¾à¤¶à¥à¤ करà¥à¤® किये होते हैं, उसी के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° उनका à¤à¤¾à¤µà¥€ जनà¥à¤® निशà¥à¤šà¤¿à¤¤ होता है। अतः जीवन को शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ व उतà¥à¤¤à¤® कोटि का बनाने के लिये मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को ईशà¥à¤µà¤° व जीवातà¥à¤®à¤¾ को जानकर ईशà¥à¤µà¤°à¥‹à¤ªà¤¾à¤¸à¤¨à¤¾ व यजà¥à¤žà¤¾à¤¦à¤¿ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ सहित परोपकार आदि करते रहना चाहिये। यह धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ रखना चाहिये कि हमारा वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ जीवन हमारे समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ à¤à¥‚तकाल का परिणाम है और हमारा à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ हमारे वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ के करà¥à¤®à¥‹à¤‚ का परिणाम होगा।
मनà¥à¤·à¥à¤¯ जीवन हर कà¥à¤·à¤£ व हर पल घट रहा है। समय बीतने के बाद बीते हà¥à¤ कà¥à¤·à¤£ वापिस लौटाये नहीं जा सकते। अनà¥à¤à¤µ से यह सिदà¥à¤§ है कि ईशà¥à¤µà¤° का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ व साधना जो यà¥à¤µà¤¾à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ में कर सकते हैं वह वृदà¥à¤§à¤¾à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ में नहीं हो पाती। वृदà¥à¤§à¤¾à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ में अधिकांश मनà¥à¤·à¥à¤¯ रोग, पारिवारिक समसà¥à¤¯à¤¾à¤“ं व अनà¥à¤¯à¤¾à¤¨à¥à¤¯ चिनà¥à¤¤à¤¾à¤“ं से गà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤ हो जाते हैं। फिर यदि जà¥à¤žà¤¾à¤¨ à¤à¥€ हो जाये तो पछताना ही पड़ता है। अतः यà¥à¤µà¤¾à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ में ही सचà¥à¤šà¥‡ जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€ के समà¥à¤ªà¤°à¥à¤• में जा कर तरà¥à¤•-वितरà¥à¤• कर सतà¥à¤¯ व असतà¥à¤¯ को जानना चाहिये। इसका सबसे अचà¥à¤›à¤¾ साधना सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ है। इसके अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ व आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ से समà¥à¤ªà¤°à¥à¤• बà¥à¤¾à¤•à¤° मनà¥à¤·à¥à¤¯ सतà¥à¤¯ व पà¥à¤°à¤—ति के पथ पर अगà¥à¤°à¤¸à¤° हो सकता है। जीवन को वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ व à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ के दà¥à¤ƒà¤–ों से मà¥à¤•à¥à¤¤ करने के लिये हमें धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ करने योगà¥à¤¯ ईशà¥à¤µà¤° के सà¥à¤µà¤°à¥‚प में सà¥à¤µà¤¯à¤‚ को सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ कर उसकी सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿, पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ व उपासना करनी चाहिये। आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• जीवन से मनà¥à¤·à¥à¤¯ को ईशà¥à¤µà¤°à¥€à¤¯ आननà¥à¤¦ और à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• सà¥à¤– दोनों पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होते हैं। उनका à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ à¤à¥€ सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ होता है। कोरे à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• सà¥à¤–ों के à¤à¥‹à¤— व ईशà¥à¤µà¤° उपासना आदि कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को न करने से हमारा à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ बिगड़ता है। मनà¥à¤·à¥à¤¯ मननशील पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€ है। उसे अपने जीवन की उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ से जà¥à¥œà¥‡ सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨à¥‹à¤‚ पर विचार करना चाहिये। इसी में उसका लाठहै। ओ३मॠशमà¥à¥¤
---मनमोहन कà¥à¤®à¤¾à¤° आरà¥à¤¯
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