ईशà¥à¤µà¤°, माता-पिता और आचारà¥à¤¯ का जीवन में सरà¥à¤µà¥‹à¤ªà¤°à¤¿ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨
Author
Manmohan Kumar AryaDate
28-Nov-2018Category
लेखLanguage
HindiTotal Views
685Total Comments
0Uploader
Vikas KumarUpload Date
08-Dec-2018Download PDF
-0 MBTop Articles in this Category
- फलित जयोतिष पाखंड मातर हैं
- राषटरवादी महरषि दयाननद सरसवती
- राम मंदिर à¤à¥‚मि पूजन में धरà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤°à¤ªà¥‡à¤•à¥à¤·à¤¤à¤¾ कहाठगयी? à¤à¤• लंबी सियासी और अदालती लड़ाई के बाद 5 अगसà¥à¤¤ को पà¥
- सनत गरू रविदास और आरय समाज
- बलातकार कैसे रकेंगे
Top Articles by this Author
- ईशवर
- बौदध-जैनमत, सवामी शंकराचारय और महरषि दयाननद के कारय
- अजञान मिशरित धारमिक मानयता
- यदि आरय समाज सथापित न होता तो कया होता ?
- ईशवर व ऋषियों के परतिनिधि व योगयतम उततराधिकारी महरषि दयाननद सरसवती
मनà¥à¤·à¥à¤¯ जीवन में सबसे महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ कà¥à¤¯à¤¾ व कौन है, इसका विचार करने पर जो उतà¥à¤¤à¤° मिलता है वह यह कि हमें अपने शरीर व सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ का धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ रखना है। इस शरीर को आसन-पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¾à¤¯à¤¾à¤®-वà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¾à¤® तथा आहार-निदà¥à¤°à¤¾-बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤šà¤°à¥à¤¯ का पालन करते हà¥à¤ सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥ रखना है। मनà¥à¤·à¥à¤¯ जीवन में सबसे महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ ईशà¥à¤µà¤° है और उसके बाद हमारे माता-पिता और आचारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ आता है। हमें यह मनà¥à¤·à¥à¤¯ जीवन ईशà¥à¤µà¤° ने पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ किया है। हमारे इस मनà¥à¤·à¥à¤¯ जीवन का आधार हमारे पूरà¥à¤µ जनà¥à¤®à¥‹à¤‚ के वह करà¥à¤® हैं जिनका हमने à¤à¥‹à¤— नहीं किया व अब इस जीवन में करना है। बहà¥à¤¤ से करà¥à¤®à¥‹à¤‚ का à¤à¥‹à¤— हम जीवन में कर चà¥à¤•à¥‡ हैं तथा शेष जीवन में à¤à¥€ करना है। पूरà¥à¤µà¤œà¤¨à¥à¤®à¥‹à¤‚ के हमारे जो अà¤à¥à¤•à¥à¤¤ करà¥à¤® हैं वह आधे से अधिक शà¥à¤ व पà¥à¤£à¥à¤¯ करà¥à¤® हैं, वहीं करà¥à¤® हमारे इस मनà¥à¤·à¥à¤¯ जीवन का आधार बने हैं। हमें यह मनà¥à¤·à¥à¤¯ जनà¥à¤® परमातà¥à¤®à¤¾ ने अपनी दया व कृपा से दिया है। हम उसके ऋणी हैं। शरीर रूपी à¤à¥‡à¤‚ट जीवातà¥à¤®à¤¾ को केवल मनà¥à¤·à¥à¤¯ ही दे सकता है। सà¥à¤– व दà¥à¤ƒà¤– शरीर से ही à¤à¥‹à¤—े जाते हैं। इसके बाद माता-पिता की à¤à¥‚मिका है। वह हमें जनà¥à¤® देने में तो ईशà¥à¤µà¤° के सहायक हैं ही, साथ ही हमारा पालन-पोषण व हमारी शिकà¥à¤·à¤¾ की वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ कर à¤à¥€ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने हमारे पà¥à¤°à¤¤à¤¿ उपकार किया है। यदि वह न होते तो न हमारा जनà¥à¤® होता और न हम जीवन में à¤à¥‹à¤—े गये सà¥à¤–ों को à¤à¥‹à¤— पाते और हमने अपने इस जीवन में अगले जनà¥à¤® के लिये जो शà¥à¤ व अशà¥à¤ करà¥à¤® किये हैं वह न कर पाते। माता-पिता के बाद आचारà¥à¤¯ व आचारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ की हमारे जीवन में महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ à¤à¥‚मिका होती है। माता-पिता हमें जनà¥à¤® अवशà¥à¤¯ देते हैं, पालन पोषण à¤à¥€ करते हैं परनà¥à¤¤à¥ हमें जà¥à¤žà¤¾à¤¨ व आचरण की शिकà¥à¤·à¤¾ अपने आचारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ से ही मिलती है। à¤à¤• कवि ने लिखा है कि शिकà¥à¤·à¤¾ के बिना मनà¥à¤·à¥à¤¯ पशॠके समान होता है। यह बात पूरà¥à¤£à¤¤à¤ƒ सतà¥à¤¯ है। अतः हमें पशॠसे मनà¥à¤·à¥à¤¯ व जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€ पà¥à¤°à¥à¤· बनाने में हमारे आचारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का योगदान होता है। अतः ईशà¥à¤µà¤°, माता-पिता तथा आचारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का हमारे जीवन में महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ योगदान है।
ईशà¥à¤µà¤° ने हम व हमारे जैसे अननà¥à¤¤ जीवातà¥à¤®à¤¾à¤“ं के लिठइस सृषà¥à¤Ÿà¤¿ को बनाया है। उसने हमें यह शरीर व इसमें विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ सà¤à¥€ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ व करà¥à¤®à¥‡à¤¨à¥à¤¦à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ देने के साथ मन, बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿, चितà¥à¤¤ à¤à¤µà¤‚ अहंकार नामक चार अनà¥à¤¤à¤ƒà¤•à¤°à¤£ à¤à¥€ दिये हैं। मात-पिता, बनà¥à¤§à¥ आदि à¤à¥€ उसी ने हमें दिये हैं तथा इससे बà¥à¤•à¤° वायà¥, जल, अगà¥à¤¨à¤¿, आकाश सहित अनà¥à¤¨, दà¥à¤—à¥à¤§, फल, ओषधियां आदि à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ की हैं। वह सरà¥à¤µà¤µà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• होने के साथ हमारी हृदय गà¥à¤¹à¤¾ में विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ है और हमें बà¥à¤°à¥‡ काम करने पर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ न करने की पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ करता है और हम जब परोपकार, दान आदि अचà¥à¤›à¥‡ काम करते हैं तो वह हमें उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ करने के लिये उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹à¤¿à¤¤ करता है। ईशà¥à¤µà¤° हमारी हर कà¥à¤·à¤£ रकà¥à¤·à¤¾ करता है। जीवन में कई बार हम दà¥à¤°à¥à¤˜à¤Ÿà¤¨à¤¾à¤“ं का शिकार होते हैं और बाल-बाल व संयोगवश बच जाते हैं। हमें लगता है कि à¤à¤¸à¥€ दà¥à¤°à¥à¤˜à¤Ÿà¤¨à¤¾à¤“ं में ईशà¥à¤µà¤° ने हमारी रकà¥à¤·à¤¾ की है। ईशà¥à¤µà¤° के उपकारों के दृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤—त हमारे à¤à¥€ ईशà¥à¤µà¤° के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ कà¥à¤› करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ बनते हैं। हमें ईशà¥à¤µà¤°, जीवातà¥à¤®à¤¾ और इस सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के यथारà¥à¤¥ सà¥à¤µà¤°à¥‚प को जानना है। इसके लिये हमें ऋषियों के गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ सहित वेद के अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ में पà¥à¤°à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤ होना होगा। इन गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ के अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ से ही ईशà¥à¤µà¤° का सतà¥à¤¯ सà¥à¤µà¤°à¥‚प जà¥à¤žà¤¾à¤¤ होता है। संसार के मत-मतानà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ के जितने à¤à¥€ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ हैं वह ईशà¥à¤µà¤° के यथारà¥à¤¥ सà¥à¤µà¤°à¥‚प को बताने में समरà¥à¤¥ नहीं हैं। उन गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ से मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को à¤à¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ होता है जबकि ऋषियों के गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶, ऋगà¥à¤µà¥‡à¤¦à¤¾à¤¦à¤¿à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯à¤à¥‚मिका, आरà¥à¤¯à¤¾à¤à¤¿à¤µà¤¿à¤¨à¤¯, 11 उपनिषद, 6 दरà¥à¤¶à¤¨ तथा वेदादि गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ कर हमें ईशà¥à¤µà¤°, जीवातà¥à¤®à¤¾ तथा सृषà¥à¤Ÿà¤¿ का यथारà¥à¤¥ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ होता है। ईशà¥à¤µà¤° को जान लेने के बाद ईशà¥à¤µà¤° के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ कृतजà¥à¤žà¤¤à¤¾ व धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ जà¥à¤žà¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ करना हमारा करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ बनता है। इसके लिठहमें ईशà¥à¤µà¤° के गà¥à¤£, करà¥à¤® व सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ का धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ करते हà¥à¤ अपने गà¥à¤£, करà¥à¤®, सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ व आचरण को सà¥à¤§à¤¾à¤°à¤¨à¥‡ का पà¥à¤°à¤¯à¤¤à¥à¤¨ à¤à¥€ करना होता है अनà¥à¤¯à¤¥à¤¾ हम à¤à¤Ÿà¤• सकते हैं और हमें इस जीवन व परजनà¥à¤® में à¤à¤¾à¤°à¥€ दà¥à¤ƒà¤– उठाने पड़ सकते हैं। हम ईशà¥à¤µà¤° को जानकर उसकी सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ करें। उससे अपने लिये उतà¥à¤¤à¤®à¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤® जà¥à¤žà¤¾à¤¨, राजà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿ à¤à¤¶à¥à¤µà¤°à¥à¤¯, सà¥à¤–, बल, आतà¥à¤®à¤œà¥à¤žà¤¾à¤¨ व ईशà¥à¤µà¤° का साकà¥à¤·à¤¾à¤¤à¥à¤•à¤¾à¤° करने की पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ करें और इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करने के लिये अपने उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ के अनà¥à¤°à¥‚प आचरण à¤à¥€ करें। परमातà¥à¤®à¤¾ ने वेदों में गोघृत व यजà¥à¤žà¥€à¤¯ पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ से अगà¥à¤¨à¤¿à¤¹à¥‹à¤¤à¥à¤° यजà¥à¤ž करने की आजà¥à¤žà¤¾ à¤à¥€ दी है। उसका पालन à¤à¥€ हमें करना है। इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से ईशà¥à¤µà¤° से हमें अनेक लाठहोते हैं जिससे ईशà¥à¤µà¤° सà¤à¥€ जीवातà¥à¤®à¤¾à¤“ं के लिये सरà¥à¤µà¤¤à¥‹à¤®à¤¹à¤¾à¤¨ सिदà¥à¤§ होता है। ईशà¥à¤µà¤° से महान संसार में कोई à¤à¥€ नहीं है।
माता-पिता के हमारे ऊपर जो उपकार हैं उनका à¤à¥€ हमें पूरà¥à¤£ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ होना चाहिये। जब हम अपने माता-पिता के उपकारों को सà¥à¤®à¤°à¤£ करते हैं तà¤à¥€ हमें उनका हमारे जीवन में योगदान का अनà¥à¤®à¤¾à¤¨ होता है। हमें जà¥à¤žà¤¾à¤¤ होता है कि हम अपने बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ से जो आशा व अपेकà¥à¤·à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ करते हैं वैसी ही उमà¥à¤®à¥€à¤‚दे व अपेकà¥à¤·à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ हमारे माता-पिता à¤à¥€ हमसे करते हैं। विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ कहते हैं कि कोई सनà¥à¤¤à¤¾à¤¨ अपने माता-पिता की कितनी à¤à¥€ सेवा कर ले, परनà¥à¤¤à¥ वह उनके ऋण से कà¤à¥€ उऋण नहीं हो सकती। रामायण में राम चनà¥à¤¦à¥à¤° जी का उदाहरण हमारे सामने है। अपने पिता के वचनों को निà¤à¤¾à¤¨à¥‡ के लिये राम राजा के उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤§à¤¿à¤•à¤¾à¤°à¥€ होने पर à¤à¥€ सब कà¥à¤› तà¥à¤¯à¤¾à¤— कर 14 वरà¥à¤· के लिये वन में चले जाते हैं और पूरी अवधि वà¥à¤¯à¤¤à¥€à¤¤ कर ही वापिस लौटते हैं। जिस सौतेली माता ने उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ वनवास à¤à¥‡à¤œà¤¾ था उसके पà¥à¤°à¤¤à¤¿ à¤à¥€ उनके मन में कà¤à¥€ वैर à¤à¤¾à¤µ का कोई चिनà¥à¤¹ दिखाई नहीं देता। वनवास के पà¥à¤°à¤•à¤°à¤£ में राम अपने पिता दशरथ को कहते हैं कि आप मà¥à¤à¥‡ अपने दà¥à¤ƒà¤– व निराशा का कारण बताईये। यदि आप मà¥à¤à¥‡ जलती हà¥à¤ˆ अगà¥à¤¨à¤¿ में कूदने के लिये कहेंगे तो à¤à¥€ मैं बिना विचार किठअगà¥à¤¨à¤¿ में कूद जाऊंगा। à¤à¤• पल के लिये à¤à¥€ उसके परिणामों पर विचार नहीं करूंगा। यह à¤à¤• आदरà¥à¤¶ पà¥à¤¤à¥à¤° का कारà¥à¤¯ है व होना चाहिये। राम मरà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤® थे, वह न परमातà¥à¤®à¤¾ थे और न ही ईशà¥à¤µà¤° का अवतार। आज न राम जैसे पà¥à¤¤à¥à¤° हैं और न दशरथ जैसे पिता। इसका à¤à¤• कारण राम को ईशà¥à¤µà¤° का अवतार मानना है। यदि हम राम को मरà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤® मानकर उनके जीवन का अनà¥à¤•à¤°à¤£ करते तो हम à¤à¥€ चरितà¥à¤° में उनके जैसे होते। सनà¥à¤¤à¤¾à¤¨ के निरà¥à¤®à¤¾à¤£ में माता-पिता के योगदान के आधार पर ही हमारे ऋषियों ने पितृ यजà¥à¤ž का विधान किया है। पितृ यजà¥à¤ž में सनà¥à¤¤à¤¾à¤¨ को माता-पिता की धरà¥à¤®à¤¾à¤¨à¥à¤•à¥‚ल आजà¥à¤žà¤¾ पालन करने सहित उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ à¤à¥‹à¤œà¤¨, वसà¥à¤¤à¥à¤°, ओषधि, सेवा आदि से सनà¥à¤¤à¥à¤·à¥à¤Ÿ रखना होता है। यह तà¤à¥€ हो सकता है कि जब हम वेदादि साहितà¥à¤¯ का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ कर इन बातों को समà¤à¥‡ और आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ आदि के सतà¥à¤¸à¤‚गों में जाकर विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ के पà¥à¤°à¤µà¤šà¤¨ आदि सà¥à¤¨à¤¤à¥‡ रहे। यदि सनà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥‡à¤‚ अपने माता-पिता की सेवा करेंगी तो उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ उनका आशीरà¥à¤µà¤¾à¤¦ मिलेगा। परमातà¥à¤®à¤¾ à¤à¥€ सनà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ माता-पिता की सेवा से पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ होते हैं और उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ उनकी माता-पिता की सेवा-सà¥à¤¶à¥à¤°à¥à¤·à¤¾ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤•à¤¾à¤° के रूप सà¥à¤–, उतà¥à¤¤à¤® सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯, धन à¤à¤µà¤‚ समृदà¥à¤§à¤¿ आदि पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करते हैं।
आचारà¥à¤¯ का सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ के जीवन में उलà¥à¤²à¥‡à¤–नीय योगदान होता है। यदि आचारà¥à¤¯ न हों तो हम शिकà¥à¤·à¤¿à¤¤ और जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€ नहीं बन सकते। आचारà¥à¤¯ हमें à¤à¤¾à¤·à¤¾ का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ देने सहित हमें शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥€à¤¯ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ देते हैं और सांसारिक जà¥à¤žà¤¾à¤¨ के अरà¥à¤¨à¥à¤¤à¤—त हिनà¥à¤¦à¥€ साहितà¥à¤¯, अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ साहितà¥à¤¯, गणित, विजà¥à¤žà¤¾à¤¨, कला, कमà¥à¤ªà¥à¤¯à¥‚टर, इंजीनियरिंग व चिकितà¥à¤¸à¤¾ आदि विषयों का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ कराते हैं जिससे हम पशॠसे मनà¥à¤·à¥à¤¯ बनते हैं। आज हम जो कà¥à¤› à¤à¥€ हैं वह ईशà¥à¤µà¤°, माता-पिता व आचारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ की देन हैं। यदि हमें और अचà¥à¤›à¥‡ आचारà¥à¤¯ मिलते तो हम वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ से à¤à¥€ कहीं अधिक योगà¥à¤¯ व विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ होते। आचारà¥à¤¯ के ऋणों से à¤à¥€ कोई शिषà¥à¤¯ कà¤à¥€ ऋणी नहीं हो सकता। इसके लिये हमें उनकी पितृ व अतिथि यजà¥à¤ž के समान सेवा व सतà¥à¤•à¤¾à¤° करना चाहिये। आचारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का सेवा सतà¥à¤•à¤¾à¤° यदि उतà¥à¤¤à¤® रीति से किया जायेगा तो आचारà¥à¤¯ à¤à¥€ अपने शिषà¥à¤¯à¥‹à¤‚ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ अतà¥à¤¯à¤§à¤¿à¤• सà¥à¤¨à¥‡à¤¹ à¤à¤¾à¤µ रखेंगे और उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ अपने आशीरà¥à¤µà¤¾à¤¦ सहित अधिक अचà¥à¤›à¥€ शिकà¥à¤·à¤¾ व जà¥à¤žà¤¾à¤¨ देकर शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ बनाने का पà¥à¤°à¤¯à¤¤à¥à¤¨ करेंगे। à¤à¤¸à¤¾ होने पर हमें, हमारी सनà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚, देश तथा समाज को लाठहोगा। अतः आचारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ कृतजà¥à¤žà¤¤à¤¾ के à¤à¤¾à¤µ रखने सहित उनका समà¥à¤®à¤¾à¤¨ व सेवा करना पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• शिषà¥à¤¯ का करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ है। à¤à¤¸à¤¾ करके हम अपने ऊपर इनके ऋणों से कà¥à¤› सीमा तक उऋण हो सकते हैं।
हमारा जीवन ईशà¥à¤µà¤°, माता-पिता तथा आचारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ के उपकारों से ऋणी हैं। हमें इसका जà¥à¤žà¤¾à¤¨ होना चाहिये और अपने करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का निरà¥à¤µà¤¾à¤¹ जैसा हमारे ऋषियों ने शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में किया तथा सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶, पंचमहायजà¥à¤žà¤µà¤¿à¤§à¤¿, वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤°à¤à¤¾à¤¨à¥ आदि गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ में जो विधान हैं, उसके अनà¥à¤°à¥‚प करके कृतघà¥à¤¨à¤¤à¤¾ के दोष से मà¥à¤•à¥à¤¤ होना चाहिये। इससे हमारा यह जीवन तथा परजनà¥à¤® à¤à¥€ शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ बनेगा। इसी के साथ इस चरà¥à¤šà¤¾ को विराम देते हैं। ओ३मॠशमà¥à¥¤
-मनमोहन कà¥à¤®à¤¾à¤° आरà¥à¤¯
ALL COMMENTS (0)