नवीन दलितवाद à¤à¤• आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨ या à¤à¤• बदला
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Rajeev ChoudharyDate
12-Dec-2018Category
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HindiTotal Views
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12-Dec-2018Download PDF
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डॉ à¤à¥€à¤®à¤°à¤¾à¤µ आंबेडकर जी ने कहा था कि शिकà¥à¤·à¤¿à¤¤ बनो, संगठित रहो, संघरà¥à¤· करो यानि समाज में अपनी पहचान बनाने के लिठसामाजिक नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ पाने के लिठसà¤à¥€ का शिकà¥à¤·à¤¿à¤¤ होना जरà¥à¤°à¥€ है उसके लिठसंगठन की à¤à¥€ आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ हैं और संघरà¥à¤· की à¤à¥€à¥¤ किनà¥à¤¤à¥ आज बाबा साहेब के इन वचनों को à¤à¥à¤²à¤¾à¤•à¤° जातीय रूप से बदले की à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ का उदय हो रहा है। सामाजिक नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ से शà¥à¤°à¥‚ हà¥à¤† आंबेडकर जी के आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨ को जातीय संघरà¥à¤· बनाया जा रहा है मसलन आज का अति दलितवाद कà¥à¤› इसी संघरà¥à¤· की ओर जाता दिख रहा हैं।
कà¤à¥€ सामतंवादी संसà¥à¤¥à¤¾à¤“ं और वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ के नीचे रहने वाली जातियों ने 18, 19 वीं सदी में पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤•à¤¾à¤° करना शà¥à¤°à¥‚ किया था जिसके नतीजे से आशातीत अचà¥à¤›à¥‡ à¤à¥€ रहे, सामनà¥à¤¤à¤µà¤¾à¤¦ धराशाही हà¥à¤†à¥¤ वह वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ राजनितिक शाशन की पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤²à¥€ से तो खतà¥à¤® हो गयी किनà¥à¤¤à¥ अà¤à¥€ à¤à¥€ कà¥à¤› लोगों जेहन में सामाजिक नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ या समानता के अवसर के सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर बदले की à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ में बदल दी गयी। इसलिये आज कथित शूदà¥à¤° और दलित जातियाठकहती हैं कि उनकी लड़ाई बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£à¤µà¤¾à¤¦ के विरà¥à¤¦à¥à¤§ है। इसमें अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£à¥‹à¤‚ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ जिन करोड़ों लोगों को नीच, हीन और गरीब बनाया गया, वह खà¥à¤¦ को हीन घोषित करने वाले नियम और वाद से मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ चाहते हैं।
बेशक बहà¥à¤¤ अचà¥à¤›à¤¾ मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤µà¤¾à¤¦ है बिलà¥à¤•à¥à¤² जायज बात à¤à¥€ है, किनà¥à¤¤à¥ इसका आधार कà¥à¤¯à¤¾ है यह कौन तय करेगा की वह मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ के मारà¥à¤— कà¥à¤¯à¤¾ है? आज जो मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ के मारà¥à¤— दलितवाद के बहाने अपनाये जा रहे है मà¥à¤à¥‡ उसमें कहीं à¤à¥€ मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ नहीं अपितॠसंघरà¥à¤· दिखाई दे रहा हैं। जैसे हाल ही मैंने देखा कि दलितवाद की आड़ में हनà¥à¤®à¤¾à¤¨ को आंबेडकर के पैरों को पूजते हà¥à¤ दिखाना, मनà¥à¤¸à¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ को जलाना, हिनà¥à¤¦à¥à¤“ं के देवी-देवताओं को अपशबà¥à¤¦ लिखना, हर समय अपने अतीत को कोसना, कथित ऊà¤à¤šà¥€ जातियों पर आरोप जड़ना इस आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨ का केंदà¥à¤° बना दिया गया हैं। à¤à¤¸à¤¾ करके शायद सà¥à¤µà¤¯à¤‚ के लिठसहानà¥à¤à¥‚ति और अनà¥à¤¯ के लिठदà¥à¤µà¥‡à¤· की à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ का समाज खड़ा किया जा रहा हैं।
इसका अरà¥à¤¥ कà¥à¤› à¤à¤¸à¤¾ हो जैसा यह कहने की कोशिश की जा रही हो मधà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤² में जिन साधनों संसाधनों शकà¥à¤¤à¤¿ के केनà¥à¤¦à¥à¤°à¥‹à¤‚ से हमारा शोषण किया गया अब हम उन पर कबà¥à¤œà¤¾ कर तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¤¾ शोषण करेंगे। कमाल देखिये इसके लिठदलित और मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® समीकरण तैयार किया जा रहा है कि सतà¥à¤¤à¤¾à¤ˆà¤¸ फीसदी तà¥à¤® बीस फीसदी हम आओ मिलकर इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ मजा चखाà¤à¤‚, à¤à¥€à¤®à¤¾ कोरेगांव के मंच से पिछले वरà¥à¤· बार यही सनà¥à¤¦à¥‡à¤¶ दिया जा रहा था। पर शोषण किसका किया जायेगा! न तो आज वह शोषक रहे न वो शोषण किये लोग, तो बदला किससे?
इसमें सबसे पहले यह सोचना होगा कि शोषण किसका किया गया शायद उनका जो आरà¥à¤¥à¤¿à¤• आधार पर कमजोर थे, किनà¥à¤¤à¥ आज कमाल देखिये आरà¥à¤¥à¤¿à¤• आधार पर à¤à¥€ उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ करने बावजूद दलित दलितवाद से बाहर नहीं आ सका। वह आरकà¥à¤·à¤£, सामाजिक राजनितिक सहानà¥à¤à¥‚ति पाने के लिठदलित ही बना रहना जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ अचà¥à¤›à¤¾ समà¤à¤¤à¤¾ हैं। बसपा नेता मायावती को ही देख लीजिये जिसे दलितों और अति पिछड़ी जातियों का जबरदसà¥à¤¤ समरà¥à¤¥à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हà¥à¤†à¥¤ परंतॠयादव, कà¥à¤°à¥à¤®à¥€ और कई अनà¥à¤¯ ओबीसी जातियों ने दलित नेतृतà¥à¤µ सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° करने से इंकार कर दिया। कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि राजनीतिक सतà¥à¤¤à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करना इस आंदोलन का लकà¥à¤·à¥à¤¯ बन गया था और फà¥à¤²à¥‡, आंबेडकर और पेरियार के मिशन को à¤à¥à¤²à¤¾ दिया गया। केवल सतà¥à¤¤à¤¾ पाना बसपा का लकà¥à¤·à¥à¤¯ बन गया। बसपा के सतà¥à¤¤à¤¾ में आने के बाद जातिवादी और पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤µà¤¾à¤¦à¥€ सामाजिक शकà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से हाथ मिलाना शà¥à¤°à¥‚ कर दिया और आज फà¥à¤²à¥‡, आंबेडकर और पेरियार केवल चà¥à¤¨à¤¾à¤µ जीतने के साधन बनकर रह गठहैं।
उंच-नीच या जातिवाद को कोसने से पहले लोगों समà¤à¤¨à¤¾ चाहिठकि कà¥à¤¯à¤¾ à¤à¤—ड़ा सिरà¥à¤« सà¥à¤µà¤°à¥à¤£ और दलित के बीच है? नहीं! हर à¤à¤• जाति समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ के अपने नियम-उपनियम है जिसे समà¤à¤¨à¥‡ देखिये à¤à¤• कहार, कोरी को अपने से नीचा समà¤à¤¤à¤¾ है, à¤à¤• कोरी हरिजन को नीचा कह रहा हैं, हरिजन पासी को पास नहीं बैठने देता और पासी à¤à¤‚गी को अछूत मानता है, à¤à¤• हरिजन किसी à¤à¥€ कीमत पर अपनी बेटी à¤à¤‚गी के घर नहीं बà¥à¤¯à¤¾à¤¹ सकता, और à¤à¤• कोरी कहार के। इसके बाद सà¤à¥€ दलित जातियां कह रही हैं कि हमारे साथ सà¥à¤µà¤°à¥à¤£ à¤à¥‡à¤¦à¤à¤¾à¤µ कर रहे है? और इसके लिठमनà¥à¤¸à¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ को कोसा जा रहा हैं। सà¥à¤µà¤¯à¤‚ इससे बाहर निकालने के बजाय उनमें सवरà¥à¤£à¥‹à¤‚ ख़िलाफ à¤à¤• दलितवाद को जनà¥à¤® दिया जो मातà¥à¤° जातियों का बदलाव चाहता है, उसे तोड़ना नहीं चाहता।
बात करें मनà¥à¤¸à¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ की जिसमें मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को करà¥à¤® के आधार पर समाज में रखा गया, चार वरà¥à¤£ बनाठगये, कà¥à¤¯à¤¾ वह नियम आज संविधान के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° नहीं चल रहे कà¥à¤¯à¤¾ है गà¥à¤°à¥à¤ª ठसे लेकर गà¥à¤°à¥à¤ª डी तक कà¥à¤¯à¤¾ यह à¤à¥‡à¤¦à¤à¤¾à¤µ नहीं है? कà¥à¤¯à¤¾ इस आधार पर à¤à¥€ आज समाज का बंटवारा नहीं किया जा रहा है यदि हाठमनà¥à¤¸à¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ को फूंकना बंद कर देना चाहिà¤à¥¤ यदि नहीं तो फिर संविधान से लगाव कà¥à¤¯à¥‹à¤‚? अब कà¥à¤› लोग कहते है कि मनॠमहाराज ने शà¥à¤¦à¥à¤° को पैरों से संबोधन किया किनà¥à¤¤à¥ उसी मनॠमहाराज ने पà¥à¤°à¤¥à¤® पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤® à¤à¥€ तो चरणों को लिखा उसे à¤à¥€ समà¤à¤¿à¤¯à¥‡?
असल में सà¤à¥€ को असली सच समà¤à¤¨à¤¾ होगा कि सामाजिक परिवरà¥à¤¤à¤¨, समानता, à¤à¤¾à¤ˆà¤šà¤¾à¤°à¤¾ और जातीय बंधन तथा जाति तोड़ो आंदोलन सिरà¥à¤« अवसरवादी राजनीति के केंदà¥à¤° बन चà¥à¤•à¥‡ हैं। जाति बंधन सब तोडना चाहते है सामाजिक नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ की बात à¤à¥€ होती रहेगी, आरकà¥à¤·à¤£ के सहारे वे पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤¸à¤¨ के गलियारे तक पहà¥à¤à¤šà¥‡, दलितों के बड़े अधिकारी, नेता, मà¥à¤–à¥à¤¯à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ और राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤ªà¤¤à¤¿ à¤à¥€ बने। किनà¥à¤¤à¥ आज यह à¤à¥€ तय नहीं कर पा रहे हैं कि हम पूà¤à¤œà¥€à¤µà¤¾à¤¦ के साथ रहे या समाजवाद के साथ। इस कारण बस दलितवाद के नाम पर अतीत को गाली देकर à¤à¤• बदले की à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ किया जा रहा है। दलितों के नेताओं को मंच माला और माइक की लत लग चà¥à¤•à¥€ है इन संगठनों के नेता कà¤à¥€ à¤à¥€ दलितों के असली मà¥à¤¦à¥à¤¦à¥‡ के बात नहीं करेंगे, केवल दलितवाद के पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° के सहारे जातीय संघरà¥à¤· खड़ा किया जा रहा है। जिसे à¤à¤• आम दलित अपना आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨ समठरहा है।
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